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April 13, 2017 | Author: swainpiyush | Category: N/A
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Hichki Rokna:Agr Pani Se Hichki Na Rukay Tou 1 Long Kha Lein. Pimples:Garmi Ki Waje Se Honay Walay Pimples Par Pan Mein Use Honay Wala Choona Use Karen Pimples Khatam Hojayengay.Bachoon K Daant:Jab Noumolood Bachon K Daant Nikalnay Walay Hoon Tou In K Gums Par Honey Or SaltMila Kar Lagayen Or Galay Mein 1 Chwara Kali Dori Mein Piro K Daal Dein, DaantBegair Kisi Takleef K Nikal Ayengay.Headache:Daarchini Ko Pees Kar Forehead Par Iska Laip Lagayen.Sir Par Kaddu Ki Malish Karen.Weight Barhanay K Lye:1 Apple Ki Kashen Kat Kar Raat Ko Khulay Asman K Nichay Aisi Jage Rakhen JahanisPar Shabnum Parti Rahay Or Subha Moon Haath Dho K Yeh Apple Khalein. Is Se AapKa Weight Bhi Sahi Hojayega Or Face Par Shine Bhi Ayegi.Gas Or Qabz:Patton Wali Muli Shehad Or Namak K Sath Mila Kar Kahyen, Insha Allah 1 Week MeinGas Or Qabz Se Nijat Mil Jayegi.Hath Jal Jaey Tou:Agr Hath Jal Jaye Tou Mutasira Jage Par Kachha Doodh Laganay Se Foran Aram MiltaHai.Jalay Hwe Hisse Par Glycerin Ya Neel Laganay Se Aabla Nahi Parta.Height Barhanay K Lye:Rozana 10 Se 12 Hrs Ki Neend Karen Or Lait Kar Hath Per Angrai Ki Surat Phelayen, Height Mein Izafa Hoga.Sweeting:Agr Aap K Paoun Mein Sweeting Zyada Hoti Ho Tou Neem Garam Pani Mein Sirka Ya Lemon Juice Mila Kar Paoun Dhoen, Sweeting Hona Band Hojayegi.Chehray Ki Khushki:Aksar Winter Season Mein Face Buhat Dry Hojata Hai Is Dryness Se Bachnay K Lye 5-6 Badamen Pani Mein 4-5 Hrs K Lye Bhigo K Rakhdein, Jab Naram Hojayen Tou RagarK Face Par Lagayen Or Jab Dry Hojaye Tou Ise Apni Finger Ki Madad Se Utarlein Or Pani Se Moun Dholein. Is Se Kuch Dinon Mein Dryness Khatam Hojayegi.Lips Ki Surkhi:Raat Ko Honton Par Zafran Laga Kar 10- 15 Minutes K Lye Chordein Phir Lips Dholein, 10  15 Dinon Mein Aap K Honton Pe Natural Surkhi Ajayegi.Zyada Chenkein Aana:Agr Buhat Zyada Chenkein Arahi Hoon Tou Sir Par Thanda Pani Baar Baar Dalnay SeChenkein Ana Band Hojati Hain.Pait K Keeray:Apnay Bachon Ko Peach Buhat Khilaya Karen, Is Se Bachon K Pait K Keeray Mar Jatay Hain.Gums Ka Phoolna:Agr Kabhi Gums Phool Jayen Tou Dry Tobacco Ko 5-6 Leaves Le Kar Pees Lein Or Phoolay Hwe Gums Par Lagayen, Inshaallah Sojan Khatam Hojayegi भारतीय संस्कृित मे भिविष्यविाणी के ज्ञान का िविशाल भंडार िनिहित हिै। तकनीकी रूप से इनका कोई िलिखित इितहिास नहिीं हिै लेिकन पीढ़ी-दर-पीढ़ी यहि ज्ञान हिस्तांतिरत हिो रहिा हिै और मानना हिोगा िक इनके माध्यम से की गई भिविष्यविािणयां अचूक िसद्ध हिोती हिै। प्रस्तुत हिै परंपरागत रूप से िमला कुछ अनोखिा संकलन * चींटी दाना इकट्ठा करती हिै और यिद तीतर चुग जाता हिै तो यहि अपशकु न हिै। * िजस पे ड़ पर बगुल ा बै ठे उस पे ड़ का नाश हिो जाता हिै। * 7 दांत ों का बै ल अपने स्विामी को खिा जाता हिै और 9 दांत ों का बै ल स्विामी और उसके पिरविार को खिा जाता हिै। * हिोली, लोहिड़ी और‍ िदविाली िजस विषर मे क्रमश: शिन, रिवि, मं ग लविार मे हिो तो दे श मे बड़ी भारी बीमारी लगती हिै।

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यिद िगरिगट नीचे की ओर मुंहि करके उल्टा पे ड़ पर चढ़े तो विषार से पृथ् विी डू ब जाएगी।

* प्रात:काल चारपाई से उठकर थोड़ा-सा बासी पानी िपएं और अपने दोनों हिाथों को दे खि े तो विहि व्यिक्ति कभी बीमार नहिीं हिोता। * चै त्र मे गुड़ , विै श ाखि मे ते ल , जे ष्ठ मे रास्ता चलना, आषाढ़ मे िबल्वि (बे ल फल), साविन मे साग, भादौ मे दहिी, अस्सू मे दध ू , काितर क मे मट्ठा, अगहिन मे जीरा, पौष मे धिनया, माघ मे िमश्री, फागुन मे चना चबाना, बड़ा हिी हिािनकारक हिै। * यिद माघ मे बादलों का रंग लाल हिो तो अविश्य हिी ओला पड़ता हिै। नोट : यहि जानकारी परंप रागत रूप से प्राप्त ज्ञान पर आधािरत हिै। पाठकों की सहिमित-असहिमित स्वििविविे क पर िनभर र हिै।

कु छ उपयोगी टोटके शत्रु शमन के िलए : साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चाविल के 40 दाने िमलाकर िकसी गडे मे दबा दे और ऊपर से नीबू िनचोड़ दे। नीबू िनचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहिे, उसका शमन हिोगा और विहि आपके िविरद्ध कोई कदमनहिींउठाएगा। अकारण परेशान करने विाले व्यिक्ति से शीघ छुटकारा पाने के िलए : यिद कोई व्यिक्ति बगैर िकसी कारण के परेशान कर रहिा हिो, तो शौच िक्रया काल मे शौचालय मे बैठे-बैठे विहिीं के पानी से उस व्यिक्ति का नाम िलखिे और बाहिर िनकलने से पूविर जहिां पानी से नाम िलखिा था, उस स्थान पर अप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारे। ध्यान रहिे, यहिप्रयोग स्विाथर विश न करे, अनयथा हिािन हिो सकती हिै।

शत्रुओ ं का नाश करे बगुल ामुखि ी यं त्र आज लोग अपनी िविफलता से दखि ु ी नहिीं, बिल्क पड़ोसी की सफलता से दखि ु ी हिै। ऐसे मे उन लोगों को सफलता देने के िलए माताओं मे माता बगलामुखिी (विाल्गामुखिी) मानवि कल्याण के िलये किलयगु मे प्रतयक फल प्रदान करती रहिी हिै। आज इनहिीं माता, जो दषु ों का संहिार करती हिै। अशुभ समय का िनविारण कर नई चेतना का संचार करती हिै। ऐसी माता के बारे मे मै अपनी अल्प बुिद्ध से आपकी प्रसनता के िलए इनकी सेविा आराधना पर कुछ कहिने का साहिस कर रहिा हिू ।ं मुझे आशा हिी नहिीं विरन पूणर िविश्विास हिै िक मै माता विाल्गामुखिी (बगलामुखिी) की जो बाते आपसे कहि रहिा हिू ं अगर आप उसका तिनक भी अनुसरण करते हिै तो माता आप पर कृपा जरूर करेगी, लेिकन पाठक भाइयों ध्यान रहिे। इनकी साधना अथविा प्राथर ना मे आपकी श्रद्धा और िविश्विास असीम हिो तभी मां की शुभ दिष आप पर पड़ेगी। इनकी आराधना करके आप जीविन मे जो चाहिे जैसा चाहिे विैसा कर सकते हिै। सामानयत: आजकल इनकी सविारिधक आराधना राजनेता लोग चुनावि जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने मे अनुष्ठान स्विरूप करविाते हिै। इनकी आराधना करने विाला शत्रु से कभी परास्त नहिीं हिो सकता, विरन उसे मनमाना कष ï पहिु च ं सकता हिै। विषर 2004 के चुनावि मे तो कई राजनेताओं िजनका नाम लेना उिचत नहिीं हिै ने माता बगलामुखिी की आराधना करके (पंिडतों दारा) चुनावि भी जीते और अचछे मंत्रालय भी प्राप्त िकये। माता की यहिी आराधना यद्ध ु , विाद-िविविाद मुकदमे मे सफलता, शत्रुओं का नाश, मारण, मोहिन, उचचाटन, स्तमभन, देविस्तमभन, आकषर ण कलहि, शत्रुस्तभन, रोगनाश, कायर िसिद्ध, विशीकरण व्यापार मे बाधा िनविारण, दक ु ान बाधना, कोखि बाधना, शत्रु विाणी रोधक आिद कायो ं की बाधा दरू करने और बाधा पैदा करने दोनों मे की जाती हिै। साधक अपनी इचछानुसार माता को प्रसन करके इनका आशीविारद प्राप्त कर सकता हिै। जैसा िक पूविर मे उलेखि िकया जा चुका हिै िक माता श्रद्धा और िविश्विास से आराधना (साधना) करने पर अविश्य प्रसन हिोंगी, लेिकन ध्यान रहिे इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय बहचयर परमाविश्यक हिै। गृहिस्थ भाइयों के िलये मै माता की आराधना का सरल उपाय बता रहिा हिू ।ं आप इसे करके शीघ फल प्राप्त कर सकते हिै। िकसी भी देविी-देविता का अनुष्ठान (साधना) आरमभ करने बैठे तो सविर प्रथम शुभ मुहिूरत, शुभ िदन, शुभ स्थान, स्विचछ विस, नये ताम पूजा पात्र, िबना िकसी छल कपट के शांत िचत, भोले भावि से यथाशिक्ति यथा सामगी, बहचयर के पालन की प्रितज्ञा कर यहि साधना आरमभ कर सकते हिै। याद रहिे अगर आप अित िनधर न हिो तो केविल पीले पुष्प, पीले विस,

हिल्दी की 108 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रितमा, यंत्र आिद रखिकर शुद्ध आसन कमबल, कुशा या मृगचयर जो भी हिो उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीविारद प्राप्त कर सकते हिै। माता बगलामुखिी की आराधना के िलये जब सामगी आिद इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर बैठे (उतर मुखि) तो दो बातों का ध्यान रखिे, पहिला तो यहि िक िसद्धासन या पदासन हिो, जप करते समय पैर के तलुओं और गुह स्थानों को न छुएं शरीर गला और िसर सम िस्थत हिोना चािहिए। इसके पश्चात गंगाजल से िछड़कावि कर (स्वियं पर) यहि मंत्र पढे- अपिवित्र: पिवित्रो विा सविारविस्थाङतोऽिपविा, य: स्मरेत, पुणडरी काकं स बाह अभयांतर: शुिच:। उसके बाद इस मंत्र से दािहिने हिाथ से आचमन करे-ऊं केशविाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, ऊं माधविाय नम:। अनत मे ऊं हषीकेशाय नम: कहिके हिाथ धो लेना चािहिये। इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हिु ए तीन बार प्राणायाम करे। चोटी बांधे और ितलक लगाये। अब पूजा दीप प्रजजवििलत करे। िफर िविघनिविनाशक गणपित का ध्यान करे। याद रहिे ध्यान अथविा मंत्र समबंिधत देविी-देविता का टेलीफोन नंबर हिै। जैसे हिी आप मंत्र का उचचारण करेगे, उस देविी-देविता के पास आपकी पुकार तुरत ं पहिु च ं जायेगी। इसिलये मंत्र शुद्ध पढऩा चािहिये। मंत्र का शुद्ध उचचारण न हिोने पर कोई फल नहिीं िमलेगा, बिल्क नुकसान हिी हिोगा। इसीिलए उचचारण पर िविशेष ध्यान रखिे। अब आप गणेश जी के बाद सभी देविी-देविािद कुल, विास्तु, नविगहि और ईष देविी-देवितािद को प्रणाम कर आशीविारद लेते हिु ए कष का िनविारण कर शत्रुओं का संहिार करने विाली विाल्गा (बंगलामुखिी) का िवििनयोग मंत्र दािहिने हिाथ मे जल लेकर पढ़े-ऊं अस्य श्री बगलामुखिी मंत्रस्य नारद ऋिष: ित्रषुपछनद: बगलामुखिी देविता, हींबीजम् स्विाहिा शिक्ति: ममाभीष िसध्यथे जपे िवििनयोग: (जल नीचे िगरा दे)। अब माता का ध्यान करे, याद रहिे सारी पूजा मे हिल्दी और पीला पुष्प अिनविायर रूप से हिोना चािहिए। ध्यानमध्ये सुधािबध मिण मणडप रतन विेदां, िसंहिासनो पिरगतां पिरपीत विणारम, पीतामबरा भरण माल्य िविभूिषताडगीं देविीं भजािम धृत मुदगर विैिरिजहाम िजहाग मादाय करेण देविीं, विामेन शत्रून पिरपीडयनतीम, गदािभघातेन च दिकणेन, पीतामबराढां िदभुजां नमािम॥

अपने हिाथ मे पीले पुष्प लेकर उपरोक्ति ध्यान का शुद्ध उचचारण करते हिु ए माता का ध्यान करे। उसके बाद यहि मंत्र जाप करे। साधक ध्यान दे, अगर पूजा मै िविस्तार से कहिू गं ा तो आप भिमत हिो सकते हिै। परंतु श्रद्धा-िविश्विास से इतना हिी करेगे िजतना कहिा जा रहिा हिै तो भी उतना हिी लाभ िमलेगा। जैसे िविष्ण स ु हिस नाम का पाठ करने से जो फल िमलता हिै विहिी ऊं नमोऽभगविते विासुदेविाय से , यहिां मै इसिलये इसका िजक्र कर रहिा हिू ं तािक आपके मन मे कोई संशय न रहिे। राम कहिना भी उतना हिी फल देगा। अत: थोड़े मंत्रो के िदये जाने से कोई संशय न करे। अब िजसका आपको इंतजार था उन माता बगलामुखिी के मंत्र को आपके समक प्रस्तुत कर रहिा हिू ।ं मंत्र हिै : ऊं हीं बगलामुिखि! सविर दषु ानां विाचं मुखिं पदं स्तमभय स्तमभय िजहां कीलय कीलय बुिद्धं िविनाशय हीं ऊंस्विाहिा। इस मंत्र का जाप पीली हिल्दी की गांठ की माता से करे। आप चाहिे तो इसी मंत्र से माता की षोडशोपचार िवििध से पूजा भी कर सकते हिै। आपको कम से कम पांच बाते पूजा मे अविश्य ध्यान रखिनी हिै-1. बहचयर , 2. शुद और स्विचछ आसन 3. गणेश नमस्कार और घी का दीपक 4. ध्यान और शुद्ध मंत्र का उचचारण 5. पीले विस पहिनना और पीली हिल्दी की माला से जाप करना। आप कहिेगे मै बार-बार यहिी साविधानी बता रहिा हिू ।ं तो मै कहिू गं ा इससे गलती करोगे तो माता शायद हिी कमा करे। इसिलये जो आपके विश मे हिै, उसमे आप फेल न हिों। बाकी का काम मां पर छोड़ दे। इतनी सी बाते आपकी कामयाबी के िलये काफी हिै। अिधकािरयों को विश मे करने अथविा शत्रुओं दारा अपने पर हिो रहिे अतयाचार को रोकने के िलए यहि अनुष्ठान पयारप्त हिै। ितल और चाविल मे दध ू िमलाकर माता का हिविन करने से श्री प्रािप्त हिोती हिैैै और दिरदता दरू भागती हिै। गूगल और ितल से हिविन करने से कारागार से मुिक्ति िमलती हिै। अगर विशीकरण करना हिो तो उतर की ओर मुखि करके और धन प्रािप्त के िलए पिश्चम की ओर मुखि करके हिविन करना चािहिए। अनुभूत प्रयोग कुछ इस प्रकार हिै। मधु, शहिद, चीनी, दविू ार, गुरच और धान के लाविा से हिविन करने से समस्त रोग शानत हिो जाते हिै। िगद्ध और कौए के पंखि को सरसों के तेल मे िमलाकर िचता पर हिविन करने से शत्रु तबाहि हिो जाते हिै। भगविान िशवि के मिनदर मे बैठकर सविा लाखि जाप िफर दशांश हिविन करे तो सारे कायर िसद्ध हिो जाते हिै। मधु घी, शककर और नमक से हिविन आकषर ण (विशीकरण) के िलए प्रयोग कर सकते हिै। इसके अितिरक्ति भी बड़े प्रयोग हिै िकनतु इसका कहिीं गलत प्रयोग न कर िदया जाए जो समाज के िलए िहितकारी न हिो इसिलये देना उिचत नहिीं हिै। अत: आप स्वियं के कल्याण के िलए माता की आराधना कर लाभ

उठा सकते हिै। यहिां संिकप्त िवििध इसिलये दी गई हिै िक सामानय प्राणी भी माता की आराधना कर लाभािनवित हिो सके। यहि गृहिस्थ भाइयों के िलए भी पयारप्त हिै। __________________________________________________ __________________________________

नजर उतारने के प्राचीन उपाय

1. नमक, राई, राल, लहिसुन, पयाज के सूखिे िछलके वि सूखिी िमचर अंगारे पर डालकर उस आग को रोगी के ऊपर सात बार घुमाने से बुरी नजर का दोष िमटता हिै। 2. शिनविार के िदन हिनुमान मंिदर मे जाकर प्रेमपूविरक हिनुमान जी की आराधना कर उनके कंधे पर से िसंदरू लाकर नजर लगे हिु ए व्यिक्ति के माथे पर लगाने से बुरी नजर का प्रभावि कम हिोता हिै। 3. खिाने के समय भी िकसी व्यिक्ति को नजर लग जाती हिै। ऐसे समय इमली की तीन छोटी डािलयों को लेकर आग मे जलाकर नजर लगे व्यिक्ति के माथे पर से सात बार घुमाकर पानी मे बुझा देते हिै और उस पानी को रोगी को िपलाने से नजर दोष दरू हिोता हिै। 4. कई बार हिम देखिते हिै, भोजन मे नजर लग जाती हिै। तब तैयार भोजन मे से थोड़ा-थोड़ा एक पते पर लेकर उस पर गुलाब िछड़ककर रास्ते मे रखि दे। िफर बाद मे सभी खिाना खिाएँ । नजर उतर जाएगी। 5. नजर लगे व्यिक्ति को पान मे गुलाब की सात पंखििु ड़याँ रखिकर िखिलाए। नजर लगा हिु आ व्यिक्ति इष देवि का नाम लेकर पान खिाए। बुरी नजर का प्रभावि दरू हिो जाएगा। 6. लाल िमचर , अजविाइन और पीली सरसों को िमट‍टी के एक छोटे बतर न मे आग लेकर जलाएँ । ‍िैफर उसकी धूप नजर लगे बचचे को दे। िकसी प्रकार की नजर हिो ठीक हिो जाएगी। नज़र बाधा

1. आप अपने नए मकान को बुरी नजर से बचाना चाहिते हिै तो मुखय दार की चौखिट पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधकर लटकाने से समस्त ऊपरी बाधाओं से मुिक्ति िमलती हिै। 2. यिद आपने कोई नया विाहिन खिरीदा हिै और आप इस बात से परेशान हिै िक कुछ न कुछ रोज विाहिन मे गड़बड़ी हिो जाती हिै। यिद गड़बड़ी नहिीं हिोती तो दघ ु र टना मे चोट-चपेट लग जाती हिै औरबेकार के खिचर से सारी अथर -व्यविस्था चौपट हिो जाती हिै। अपने विाहिन पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधने से आप इस बुरी नजर से बच सकेगे, करके परेशानी से मुक्ति हिो जाएं । 3. यिद आपके घर पर रोज कोई न कोई आपदा आ रहिी हिै। आप इस बात को लेकर परेशान हिै िक कहिीं िकसी ने कुछ कर तो नहिीं िदया। ऐसे मे आपको चािहिए िक एक नािरयल को काले कपड़े मेिसलकर घर के बाहिर लटका दे। 4. िमचर , राई वि नमक को पीिड़त व्यिक्ति के िसर से विार कर आग मे जला दे। चंदमा जब राहिु से पीिड़त हिोता हिै तब नजर लगती हिै। िमचर मंगल का, राई शिन का और नमक राहिु का प्रतीक हिै। इन तीनों को आग (मंगल का प्रतीक) मे डालने से नजर दोष दरू हिो जाता हिै। यिद इन तीनों को जलाने पर तीखिी गंध न आए तो नजर दोष समझना चािहिए। यिद आए तो अनय उपाय करने चािहिए। टोटका तीन-यिद आपके बचचे को नजर लग गई हिै और हिर विक्ति परेशान वि बीमार रहिता हिै तो लाल साबुत िमचर को बचचे के ऊपर से तीन बार विार कर जलती आग मे डालने से नजर उतर जाएगी और िमचर का धचका भी नहिीं लगेगा। 5. यिद कोई व्यिक्ति बुरी नजर से परेशान हिै तो िक शिनविार के िदन कचचा द ध ू उसके ऊपर से सात बार विारकर कुते को िपला देने से बुरी नजर का प्रभावि दरू हिो जाता हिै। 6. यिद कोई व्यिक्ति बुरी नजर से परेशान हिै तो िक मंगलविार के िदन हिनुमान मंिदर जाकर उनके कनधे से िसनदरु लेकर नजर लगे व्यिक्ति के माथे पर यहि सोचकर ितलक कर दे िक यहि नजर दोष से मुक्ति हिो गया हिै। िदमाग से िचनता हिटाने का टोटका अिधकतर पािरविािरक कारणों से िदमाग बहिु त हिी उतेजना मे आजाता हिै,पिरविार की िकसी समस्या से या लेन देन से,अथविा िकसी िरस्तेनाते को लेकर िदमाग एक

दम उदेिलत हिोने लगता हिै,ऐसा लगने लगता हिै िक िदमाग फ़ट पडेगा,इसका एक अनुभूत टोटका हिै िक जैसे हिी टेसन हिो एक लोटे मे या जग मे पानी लेकर उसके अनदर चार लालिमचर के बीज डालकर अपने ऊपर सात बार उबारा (उसारा) करने के बाद घर के बाहिर सडक पर फ़ेक दीिजये,फ़ौरन आराम िमल जायेगा। . 7. यिद आपके बचचे को बार-बार नजर लग जाती हिै तो आपको चािहिए िक आप उसके गले मे रीठे का एक फल काले धागे मे उसके गले मे पहिना दे। 8. यिद आप नजर दोष से मुक्ति हिोना चाहिते हिै तो सूती कोरे कपड़े को सात बार विारकर सीधी टांग के नीचे से िनकालकर आग मे झोंक दे। यिद नजर हिोगी तो कपड़ा जल जाएगा वि जलने की बदबू भी नहिीं आएगी। यहि प्रयोग बुधविार एविं शिनविार को हिी कर सकते हिै। 9. टोटका नौ-यिद कोई बचचा नजर दोष से बीमार रहिता हिै और उसका समस्त िविकास रक गया हिै तो िफटकरी एविं सरसों को बचचे पर से सात बार विारकर चूल्हिे पर झोंक देने से नजर उतर जाती हिै। यिद यहि सुबहि, दोपहिर एविं सायं तीनों समय करे तो एक हिी िदन मे नजर दोष दरू हिो जाता हिै। मानिसक परेशानी दरू करने के िलए : रोज़ हिनुमान जी का पूजन करे वि हिनुमान चालीसा का पाठ करे ! प्रतयेक शिनविार को शिन को तेल चढाये ! अपनी पहिनी हिु ई एक जोडी चपपल िकसी गरीब को एक बार दान करे ! घर से पराशिक्तियों को हिटाने का टोटका एक कांच के िगलास मे पानी मे नमक िमलाकर घर के नैऋतय के कोने मे रखि दीिजये,और उस बल्ब के पीछे लाल रंग का एक बल्वि लगा दीिजये,जब भी पानी सूखि जाये तो उस िगलास को िफ़र से साफ़ करने के बाद नमक िमलाकर पानी भर दीिजये। व्यिक्तिगत बाधा िनविारण के िलए व्यिक्तिगत बाधा के िलए एक मुट्ठी िपसा हिु आ नमक लेकर शाम को अपने िसर के ऊपर से तीन बार उतार ले और उसे दरविाजे के बाहिर फेके। ऐसा तीन िदन

लगातार करे। यिद आराम न िमले तो नमक को िसर के ऊपर विार कर शौचालय मे डालकर फलश चला दे। िनिश्चत रूप से लाभ िमलेगा। हिमारी या हिमारे पिरविार के िकसी भी सदस्य की गहि िस्थित थोड़ी सी भी अनुकू ल हिोगी तो हिमे िनश्चय हिी इन उपायों से भरपूर लाभ िमलेगा। बनता काम िबगडता हिो, लाभ न हिो रहिा हिो या कोई भी परेशानी हिो तो : 1. हिर मंगलविार को हिनुमान जी के चरणों मे बदाना (मीठी बूद ं ी) चढा कर उसी प्रशाद को मंिदर के बाहिर गरीबों मे बांट दे ! 2. व्यापार, िविविाहि या िकसी भी कायर के करने मे बार-बार असफलता िमल रहिी हिो तो यहि टोटका करे- सरसों के तैल मे िसके गेहिूँ के आटे वि पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पुष्प, िसंदरू , आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बती से जलता दीपक, पतल या अरणडी के पते पर रखिकर शिनविार की राित्र मे िकसी चौराहिे पर रखिे और कहिे -“हिे मेरे दभ ु ारगय तुझे यहिीं छोड़े जा रहिा हिू ँ कृपा करके मेरा पीछा ना करना। सामान रखिकर पीछे मुड़कर न देखिे। िकसी रोग से गिसत हिोने पर : सोते समय अपना िसरहिाना पूविर की ओर रखिे ! अपने सोने के कमरे मे एक कटोरी मे सेधा नमक के कुछ टु कडे रखिे ! सेहित ठीक रहिेगी ! एक रपये का िसकका रात को िसरहिाने मे रखि कर सोएं और सुबहि उठकर उसे श्मशान के आसपास फेक दे, रोग से मुिक्ति िमल जाएगी। लगातार बुखिार आने पर 1. यिद िकसी को लगातार बुखिार आ रहिा हिो और कोई भी दविा असर न कर रहिी हिो तो आक की जड लेकर उसे िकसी कपडे मे कस कर बांध ले ! िफर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दे ! बुखिार उतर जायगा ! 2. बचचे के उतम स्विास्थ्य वि दीघारयु के िलए : एक काला रेशमी डोरा ले ! “ऊं नमोः भगविते विासुदेविाय नमः” का जाप करते हिु ए उस डोरे मे थोडी थोडी दरू ी पर सात गांठे लगाये ! उस डोरे को बचचे के गले या कमर मे बांध दे !

4. प्रतयेक मंगलविार को बचचे के िसर पर से कचचा दध ू 11 बार विार कर िकसी जंगली कुते को शाम के समय िपला दे ! बचचा दीघारयु हिोगा ! 5. यिद िकसी को टायफाईड हिो गया हिो तो उसे प्रितिदन एक नािरयल पानी िपलाये ! कुछ हिी िदनों मे आराम हिो जायगा ! 6॰ िसनदरू लगे हिनुमान जी की मूितर का िसनदरू लेकर सीता जी के चरणों मे लगाएँ । िफर माता सीता से एक श्विास मे अपनी कामना िनविेिदत कर भिक्ति पूविरक प्रणाम कर विापस आ जाएँ । इस प्रकार कुछ िदन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का िनविारण हिोता हिै। रोगी को ठीक करने के िलए :- कृष्ण पक मे अमाविस्या की रात को 12 बजे नहिाधोकर नीले रंग के विस गहिण करे। आसन पर नीला कपड़ा िबछाकर पूविर की ओर मुखि करके बैठे। इसके पश्चात चौमुखिी दीपक (चार मुँहि विाला जलाएँ । (िनमन सामगी पहिले से इकट‍ठी करके रखि ले) नीला कपड़ा सविा गज – 4 मीटर चौमुखिी िदए 40 नग, िमट‍टी की गड़विी 1 नग, सफेद कुशासन(कुश का आसन) 1 नग, बितयाँ 51 नग, छोटी इलायची 11 दाने, छुहिारे (खिारक) 5 नग, एक नीले कपड़े का रूमाल, िदयासलाई, लौग 11 दाने, तेल सरसों 1 िकलो इत्र वि शीशी गुलाब के फूल 5 नग, गेरू का टु कड़ा, 1 लडडू और लडू के टु कड़े 11 नग। िवििध - नीले कपड़े के चारों कोने मे लड‍डू, लौग, इलायची एविं छुहिारे बाँध ले, िफर‍ िमट‍टी के बतर न मे पानी भरकर, गुलाब के फूल भी विहिाँ रखि ले। िफर नीचे िलखिा मंत्र पढ़े। मंत्र पढ़ते समय लोहिे की चीज (िदयासलाई) से अपने चारों ओर लकीर खिींच ले। मंत्र इस प्रकार हिै। ऊँ अनुरािगनी मैथन िप्रये स्विाहिा। शुकलपके, जपे धाविनतावि दश्यते जपेत्।। यहि मंत्र चालीस िदन लगातार पढ़े, (सविा लाखि बार) सुबहि उठकर नदी के पानी मे अपनी छाया को देखिे। जब मंत्र संपूणर हिो जाएँ तो सारी सामगी (नीले कपड़े सिहित) पानी मे बहिा दे। अब िजसको आप अपने विश मे करना चाहिते हिै अथविा िजस िकसी रोगी का इलाज करना चाहिते हिै, उसका नाम लेकर इस मंत्र को 1100 बार पढ़े, बस

आपका काम हिो जाएगा। · यिद घर के छोटे बचचे पीिड़त हिों, तो मोर पंखि को पूरा जलाकर उसकी राखि बना ले और उस राखि से बचचे को िनयिमत रूप से ितलक लगाएं तथा थोड़ी-सी राखि चटा दे। · यिद बीमारी का पता नहिीं चल पा रहिा हिो और व्यिक्ति स्विस्थ भी नहिीं हिो पा रहिा हिो, तो सात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी मे उबाल कर छान ले। छने वि उबले अनाज (बाकले) मे एक तोला िसंदरू की पुिड़या और ५० गाम ितल का तेल डाल कर कीकर (देसी बबूल) की जड़ मे डाले या िकसी भी रिविविार को दोपहिर १२ बजे भैरवि स्थल पर चढ़ा दे। · बदन ददर हिो, तो मंगलविार को हिनुमान जी के चरणों मे िसकका चढ़ाकर उसमे लगी िसंदरू का ितलक करे। · पानी पीते समय यिद िगलास मे पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेके नहिीं, िगलास मे हिी रहिने दे। फेकने से मानिसक अशांित हिोगी कयोंिक पानी चंदमा का कारक हिै। 1. ससुराल मे सुखिी रहिने के िलए : 1- कनया अपने हिाथ से हिल्दी की 7 साबुत गांठे, पीतल का एक टु कड़ा और थोड़ा-सा गुड़ ससुराल की तरफ फेके, ससुराल मे सुरिकत और सुखिी रहिेगी। 2- सविा पावि मेहिद ं ी के तीन पैकेट (लगभग सौ गाम प्रित पैकेट) बनाएं और तीनों पैकेट लेकर काली मंिदर या शस धारण िकए हिु ए िकसी देविी की मूितर विाले मंिदर मे जाएं । विहिां दिकणा, पत्र, पुष्प, फल, िमठाई, िसंदरू तथा विस के साथ मेहिद ं ी के उक्ति तीनों पैकेट चढ़ा दे। िफर भगविती से कष िनविारण की प्राथर ना करे और एक फल तथा मेहिद ं ी के दो पैकेट विापस लेकर कुछ धन के साथ िकसी िभखिािरन या अपने घर के आसपास सफाई करने विाली को दे। िफर उससे मेहिद ं ी का एक पैकेट विापस ले ले और उसे घोलकर पीिड़त मिहिला के हिाथों एविं पैरों मे लगा दे। पीिड़ता की पीड़ा मेहिद ं ी के रंग उतरने के साथ-साथ धीरे-धीरे समाप्त हिो जाएगी। पित-पतनी के बीच विैमनस्यता को दरू करने हिेतु : 1. रात को सोते समय पतनी पित के तिकये मे िसंदरू की एक पुिड़या और पित पतनी के तिकये मे कपूर की २ िटिकयां रखि दे। प्रातः हिोते हिी िसंदरू की पुिड़या घर से बाहिर फेक दे तथा कपूर को िनकाल कर उस कमरे जला दे। पित को विश मे करने के िलए :

1- यहि प्रयोग शुकल मे पक करना चािहिए ! एक पान का पता ले ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर िमला कर रखिे ! िफर दगु ार माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दगु ार स्तुित मे से चँडी सोत का पाठ 43 िदन तक करे ! पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पते पर रखिा था, का ितलक अपने माथे पर लगाये ! और िफर ितलक लगा कर पित के सामने जांय ! यिद पित विहिां पर न हिों तो उनकी फोटो के सामने जांय ! पान का पता रोज़ नया ले जो िक साबुत हिो कहिीं से कटा फटा न हिो ! रोज़ प्रयोग िकए गए पान के पते को अलग िकसी स्थान पर रखिे ! 43 िदन के बाद उन पान के पतों को जल प्रविाहि कर दे ! शीघ समस्या का समाधान हिोगा ! 2शिनविार की राित्र मे ७ लौग लेकर उस पर २१ बार िजस व्यिक्ति को विश मे करना हिो उसका नाम लेकर फंू क मारे और अगले रिविविार को इनको आग मे जला दे। यहि प्रयोग लगातार ७ बार करने से अभीष व्यिक्ति का विशीकरण हिोता हिै। 3अगर आपके पित िकसी अनय सी पर आसक्ति हिै और आप से लड़ाईझगड़ा इतयािद करते हिै। तो यहि प्रयोग आपके िलए बहिु त कारगर हिै, प्रतयेक रिविविार को अपने घर तथा शयनकक मे गूगल की धूनी दे। धूनी करने से पहिले उस सी का नाम ले और यहि कामना करे िक आपके पित उसके चककर से शीघ हिी छूट जाएं । श्रद्धा-िविश्विास के साथ करने से िनिश्चय हिी आपको लाभ िमलेगा। 4- शुकल पक के प्रथम रिविविार को प्रातःकाल स्नानािद से िनविृत हिोकर अपने पूजन स्थल पर आएं । एक थाली मे केसर से स्वििस्तक बनाकर गंगाजल से धुला हिु आ मोती शंखि स्थािपत करे और गंध, अकत पुष्पािद से इसका पूजन करे। पूजन के समय गोघृत का दीपक जलाएं और िनमनिलिखित मंत्र का 1 माला जप स्फिटक की माला पर करे। श्रद्धा-िविश्विास पूविरक 1 महिीने जप करने से िकसी भी व्यिक्ति िविशेष का मोहिन-विशीकरण एविं आकषर ण हिोता हिै। िजस व्यिक्ति का नाम, ध्यान करते हिु ए जप िकया जाए विहि व्यिक्ति साधक का हिर प्रकार से मंगल करता हिै। यहि प्रयोग िनश्चय हिी कारगर िसद्ध हिोता हिै। मंत्र : ऊँ क्री विांिछतं मे विशमानय स्विाहिा।'' 5- िजन िसयों के पित िकसी अनय सी के मोहिजाल मे फंस गये हिों या आपस मे प्रेम नहिीं रखिते हिों, लड़ाई-झगड़ा करते हिों तो इस टोटके दारा पित को अनुकूल

बनाया जा सकता हिै। गुरविार अथविा शुक्रविार की राित्र मे १२ बजे पित की चोटी (िशखिा) के कुछ बाल काट ले और उसे िकसी ऐसे स्थान पर रखि दे जहिां आपके पित की नजर न पड़े। ऐसा करने से आपके पित की बुिद्ध का सुधार हिोगा और विहि आपकी बात मानने लगेगे। कुछ िदन बाद इन बालों को जलाकर अपने पैरों से कुचलकर बाहिर फेक दे। मािसक धमर के समय करने से अिधक कारगर िसद्ध हिोगा। पित पतनी मे कलेश दरू करने के िलए 1. श्री गणेश जी और शिक्ति की उपासना करे | 2. सोते समय पूविर की और िसरहिाना हिोना चािहिए | 3. चींिटयों को शककर डालना चािहिए | 4. भोजपत्र पर लाल कलम से पित का नाम िलखि कर तथा ” हिं हिनुमंते नमः ” का 21 बार उचचारण करे उसे शहिद मे अचछी तरहि से बंद कर के घर के िकसी कोने मे रखि दे जहिाँ पर िकसी की दिष न पढ़े | धीरे धीरे कलहिपूणर विाताविरण दरू हिोगा | कुछ पिरविारों मे सब कुछ हिोते हिु ए भी छोटी छोटी बातो मे गृहि कलेश हिोता रहिता हिै | िनमन मंत्र का जाप पित या पतनी मे से कोई करे तो िकसी एक को बुिध आ जायेगी और घर मे शांित का विाताविरण बनेगा | मंत्र धं िधं धुम धुजरते | पतनी विां विीं बूम विािगधश्वििर | क्रं क्री क्रूं कािलका देविी | शं षीम शूं मे शुभम कुर | यिद लड़की यहि प्रयोग कर रहिी हिै तो पतनी की जगहि पित शबद का उलेख करे | िवििध – प्रातः स्नान कर के काली या माँ दगु ार के िचत्र पर लाल पुष्प चढाये |

घर की कलहि को समाप्त करने का उपाय रोजाना सुबहि जागकर अपने स्विर को देखिना चािहिये ,नाक के बाये स्विर से जागने पर फ़ौरन िबस्तर छोड कर अपने काम मे लग जाना चािहिये,अगर नाक से दािहिना स्विर चल रहिा हिै तो दािहिनी तरफ़ बगल के नीचे तिकया लगाकर दबु ारा से सो जाना चािहिये,कुछ समय मे बायां स्विर चलने लगेगा,सहिी तरीके से चलने पर िबस्तर छोड देना चािहिये।

पिरविार मे शांित बनाए रखिने के िलए : बुधविार को िमटी के बने एक शेर को उसके गले मे लाल चुनी बांधकर और लाल टीका लगाकर माता के मंिदर मे रखिे और माता को अपने पिरविार की सभी समस्याएं बताकर उनसे शांित बनाए रखिने की िविनती करे। यहि िक्रया िनष्ठापूविरक करे, पिरविार मे शांित कायम हिोगी। शादी िविविाहि मे िविघन न पडने दे ने के िलये टोटका शादी विाले िदन से एक िदन पहिले एक ईटं के ऊपर कोयले से "बाधाये" िलखिकर ईटं को उल्टा करके िकसी सुरिकत स्थान पर रखि दीिजये ,और शादी के बाद उस ईटं को उठाकर िकसी पानी विाले स्थान पर डाल कर ऊपर से कुछ खिाने का सामान डाल दीिजये,शादी िविविाहि के समय मे बाधाये नहिीं आयेगी। 5. विैविािहिक सुखि के िलए : कनया का िविविाहि हिो जाने के बाद उसके घर से िविदा हिोते समय एक लोटे मे गंगाजल, थोड़ी सी हिल्दी और एक पीला िसकका डालकर उसके आगे फेक दे, उसका विैविािहिक जीविन सुखिी रहिेगा। शुक्र गहि की शािनत के गहिों मे शुक्र को िविविाहि वि विाहिन का कारक गहि कहिा गया हिै (इसिलये +विाहिन दघ ु र टना से बचने के िलये भी ये उपाय िकये जा सकते हिै. शुक्र के उपाय करने से विैविािहिक सुखि की प्रािप्त की संभाविनाएं बनती हिै . विाहिन से जुडे मामलों मे भी यहि उपाय लाभकारी रहिते हिै. शुक्र की विस्तुओं से स्नान (Bathe Using the Products Related to Venus गहि की विस्तुओं से स्नान करना उपायों के अनतगर त आता हिै. शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल मे बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी मे िमलाया जाता हिै (boil big cardamom in a water and mix in the bathing water). इसके बाद इस पानी से स्नान िकया जाता हिै. स्नान

करने से विस्तु का प्रभावि व्यिक्ति पर प्रतयक रप से पडता हिै. तथा शुक्र के दोषों का िनविारण हिोता हिै. यहि उपाय करते समय व्यिक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखिना चािहिए. तथा उपाय करने िक अवििध के दौरान शुक्र देवि का ध्यान करने से उपाय की शुभता मे विृै्िद्ध हिोती हिै. इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहियोग प्राप्त हिोता हिै (recite Mantra at the time of bathing). शुक्र की विस्तुओं का दान -Donate Products related to Venus शुक्र की दान देने विाली विस्तुओं मे घी वि चाविन (Ghee and rice are the products of Venus) का दान िकया जाता हिै. इसके अितिरक्ति शुक्र कयोिक भोग-िविलास के कारक गहि हिै. इसिलये सुखि- आराम की विस्तुओं का भी दान िकया जा सकता हिै. बनावि -श्रंगार की विस्तुओं का दान भी इसके अनतगर त िकया जा सकता हिै (cosmetics and luxurious products). दान िक्रया मे दान करने विाले व्यिक्ति मे श्रद्धा वि िविश्विास हिोना आविश्यक हिै. तथा यहि दान व्यिक्ति को अपने हिाथों से करना चािहिए. दान से पहिले अपने बडों का आिशविारद लेना उपाय की शुभता को बढाने मे सहियोग करता हिै. शुक्र मनत्र का जाप (Enchantment of Venus's Mantra) शुक्र के इस उपाय मे िनमन श्लोक का पाठ िकया जाता हिै. "ऊँ जयनती मंगला काली भदकाली दगु ार कमा िशविा धात्री स्विाहिा स्विधा " शुक्र के अशुभ गोचर की अवििध या िफर शुक्र की दशा मे इस श्लोक का पाठ प्रितिदन या िफर शुक्रविार के िदन करने पर इस समय के अशुभ फलों मे कमी हिोने की संभाविना बनती हिै. मुहि ं के अशुद्ध हिोने पर मंत्र का जाप नहिीं करना चािहिए. ऎसा करने पर िविपरीत फल प्राप्त हिो सकते हिै. विैविािहिक जीविन की परेशािनयों को दरू करने के िलये इस श्लोक का जाप करना लाभकारी रहिता हिै (recite this Mantra to resolve married life problems). विाहिन दघ ु र टना से बचावि करने के िलये यहि मंत्र लाभकारी रहिता हिै. शुक्र का यनत्र (Yantra of Venus) शुक्र के अनय उपायों मे शुक्र यनत्र का िनमारण करा कर उसे पूजा घर मे रखिने पर लाभ प्राप्त हिोता हिै. शुक्र यनत्र की पहिली लाईन के तीन खिानों मे 11,6,13 ये

संखयाये िलखिी जाती हिै. मध्य की लाईन मे 12,10, 8 संखया हिोनी चािहिए. तथा अनत की लाईन मे 07,14,9 संखया िलखिी जाती हिै. शुक्र यनत्र मे प्राण प्रितष्ठा करने के िलये िकसी जानकार पिणडत की सलाहि ली जा सकती हिै . यनत्र पूजा घर मे स्थािपत करने के बाद उसकी िनयिमत रप से साफ-सफाई का ध्यान रखिना चािहिए.

शादी करने का अनुभ त ू उपाय पुरषों को िवििभन रंगों से िसयों की तस्विीरे और मिहिलाओं को लाल रंग से पुरषों की तस्विीर सफ़ेद कागज पर रोजाना तीन मिहिने तक एक एक बनानी चािहिये। अगर लड़की की उम िनकली जा रहिी हिै और सुय ोगय लड़का नहिीं िमल रहिा। िरश्ता बनता हिै िफर टू ट जाता हिै । या िफर शादी मे अनाविश्यक दे र ी हिो रहिी हिो तो कु छ छोटे -छोटे िसद्ध टोटकों से इस दोष को द रू िकया जा सकता हिै । ये टोटके अगर पूरे मन से िविश्विास करके अपनाए जाएं तो इनका फल बहिु त हिी कम समय मे िमल जाता हिै । जािनए कया हिै ये टोटके :1. रिविविार को पीले रंग के कपड़े मे सात सुप ारी, हिल्दी की सात गांठे , गुड़ की सात डिलयां, सात पीले फू ल, चने की दाल (करीब 70 गाम), एक पीला कपड़ा (70 से म ी), सात पीले िसकके और एक पं द हि का यं त्र माता पाविर ती का पूज न करके चालीस िदन तक घर मे रखिे । िविविाहि के िनिमत मनोकामना करे। इन चालीस िदनों के भीतर हिी िविविाहि के आसार बनने लगे गे । 2. लड़की को गुर विार का वत करना चािहिए। उस िदन कोई पीली विस्तु का दान करे। िदन मे न सोए, पूरे िनयम सं य म से रहिे । 3. साविन के महिीने मे िशविजी को रोजाना िबल्वि पत्र चढ़ाए। िबल्वि पत्र की सं ख या 108 हिो तो सबसे अचछा पिरणाम िमलता हिै । 4. िशविजी का पूज न कर िनमारल् य का ितलक लगाए तो भी जल्दी िविविाहि के योग बनते हिै।

िविविाहि के उपाय (Remedies and Upay to avoide late marriage) समय पर अपनी िजममेदािरयों को पूरा करने की इचछा के कारण माता-िपता वि भाविी विर-विधू भी चाहिते हिै िक अनुकुल समय पर हिी िविविाहि हिो जाये. कुणडली मे िविविाहि िविलमब से हिोने के योग हिोने पर िविविाहि की बात बार-बार प्रयास करने पर

भी कहिीं बनती नहिीं हिै. इस प्रकार की िस्थित हिोने पर शीघ िविविाहि के उपाय करने िहितकारी रहिते हिै. उपाय करने से शीघ िविविाहि के मागर बनते हिै. तथा िविविाहि के मागर की बाधाएं दरू हिोती हिै. उपाय करते समय ध्यान मे रखिने योगय बाते (Precautions while doing Jyotish remedies) 1. िकसी भी उपाय को करते समय, व्यिक्ति के मन मे यहिी िविचार हिोना चािहिए, िक विहि जो भी उपाय कर रहिा हिै, विहि ईश्विरीय कृै्पा से अविश्य हिी शुभ फल देगा. 2. सभी उपाय पूणरत: साितविक हिै तथा इनसे िकसी के अिहित करने का िविचार नहिीं हिै. 3. उपाय करते समय उपाय पर हिोने विाले व्ययों को लेकर िचिनतत नहिीं हिोना चािहिए. 4. उपाय से संबिनधत गोपनीयता रखिना िहितकारी हिोता हिै. 5. यहि मान कर चलना चािहिए, िक श्रद्धा वि िविश्विास से सभी कामनाएं पूणर हिोती हिै. आईये शीघ िविविाहि के उपायों को समझने का प्रयास करे (Remedies for a late marriage) 1. हिल्दी के प्रयोग से उपाय िविविाहि योग लोगों को शीघ िविविाहि के िलये प्रतयेक गुरविार को नहिाने विाले पानी मे एक चुटकी हिल्दी डालकर स्नान करना चािहिए. भोजन मे केसर का सेविन करने से िविविाहि शीघ हिोने की संभाविनाएं बनती हिै. 2. पीला विस धारण करना ऎसे व्यिक्ति को सदैवि शरीर पर कोई भी एक पीला विस धारण करके रखिना चािहिए. 3. विृै्द्धो का सममान करना उपाय करने विाले व्यिक्ति को कभी भी अपने से बडों वि विृै्द्धों का अपमान नहिीं करना चािहिए. 4. गाय को रोटी देना िजन व्यिक्तियों को शीघ िविविाहि की कामना हिों उनहिे गुरविार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी हिल्दी लगाकर िखिलाना चािहिए. तथा इसके साथ हिी थोडा सा गुड वि चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ हिोता हिै. 5. शीघ िविविाहि प्रयोग

इसके अलाविा शीघ िविविाहि के िलये एक प्रयोग भी िकया जा सकता हिै. यहि प्रयोग शुकल पक के प्रथम गुरविार को िकया जाता हिै. इस प्रयोग मे गुरविार की शाम को पांच प्रकार की िमठाई, हिरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अिपर त करना चािहिये. यहि प्रयोग लगातार तीन गुरविार को करना चािहिए. 6. केले के विृै्क की पूजा गुरविार को केले के विृै्क के सामने गुर के108 नामों का उचचारण करने के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाना चािहिए. अथा जल भी अिपर त करना चािहिए. 7. सूखिे नािरयल से उपाय एक अनय उपाय के रप मे सोमविार की राित्र के 12 बजे के बाद कुछ भी गहिण नहिीं िकया जाता, इस उपाय के िलये जल भी गहिण नहिीं िकया जाता. इस उपाय को करने के िलये अगले िदन मंगलविार को प्रात: सूयोदय काल मे एक सूखिा नािरयल ले, सूखिे नािरयल मे चाकू की सहिायता से एक इंच लमबा छे द िकया जाता हिै. अब इस छे द मे 300 गाम बूरा (चीनी पाऊडर) तथा 11 रपये का पंचमेविा िमलाकर नािरयल को भर िदया जाता हिै. यहि कायर करने के बाद इस नािरयल को पीपल के पेड के नीचे गडा करके दबा देना. इसके बाद गडे को िमटी से भर देना हिै. तथा कोई पतथर भी उसके ऊपर रखि देना चािहिए. यहि िक्रया लगातार 7 मंगलविार करने से व्यिक्ति को लाभ प्राप्त हिोता हिै. यहि ध्यान रखिना हिै िक सोमविार की रात 12 बजे के बाद कुछ भी गहिण नहिीं करना हिै. 8. मांगिलक योग का उपाय (Remedies for Manglik Yoga) अगर िकसी का िविविाहि कुणडली के मांगिलक योग के कारण नहिीं हिो पा रहिा हिै, तो ऎसे व्यिक्ति को मंगल विार के िदन चिणडका स्तोत्र का पाठ मंगलविार के िदन तथा शिनविार के िदन सुनदर काणड का पाठ करना चािहिए. इससे भी िविविाहि के मागर की बाधाओं मे कमी हिोती हिै. 9. छुआरे िसरहिाने रखि कर सोना यहि उपाय उन व्यिक्तियों को करना चािहिए. िजन व्यिक्तियों की िविविाहि की आयु हिो चुकी हिै. परनतु िविविाहि संपन हिोने मे बाधा आ रहिी हिै. इस उपाय को करने के िलये शुक्रविार की राित्र मे आठ छुआरे जल मे उबाल कर जल के साथ हिी अपने सोने विाले स्थान पर िसरहिाने रखि कर सोये तथा शिनविार को प्रात: स्नान करने के बाद िकसी भी बहिते जल मे इनहिे प्रविािहित कर दे. कुछ गहिों के अशुभ प्रभावि के कारण कनया के िविविाहि मे िविलंब हिो तो इस प्रकार के

उपाय स्वियं कनया दारा करविाने से िविविाहि बाधाएं दरू हिोती हिै – िकसी भी माहि की शुकल पक की चतुथी से चांदी की छोटी कटोरी मे गाय का दध ू लेकर उसमे शककर एविंउबलेहिुए चांविल िमलाकर चंदोदय के समय चंदमा को तुलसी की पती डालकर यहि नेविद ै बताएं वि प्रदिकणा करे, इस प्रकार यहि िनयम 45 िदनों तक करे ,45 ङह िदन पूणर हिोने पर एक कनया को भोजन करविाकर विस और मेहिदी दान करे, ऐसाकरने से सुयोगय विर की प्रािप्त हिोकर शीघ मांगिलक कायर संपन हिोता हिै । गुरूविार के िदन प्रात:काल िनतयकमर से िनवितृत हिोकर हिल्दीयक्ति ु रोिटयां बनाकर प्रतयेक रोटी पर गुड़ रखिे वि उसे गाय को िखिलाएं ।7 गुरूविार िनयिमत रूप से यहि िवििध करने से शीघ िविविाहि हिोता हिै । मंगलविार केिदन देविी -मंिदर मे लाल गुलाब का फूल चढ़ाएं पूजन करे एविं मंगलविार का वत रखिे । यहि कायर नौ मंगलविार तक करे । अंितम मंगलविार को9 ख् विषर की नौ कनयाओं को भोजन करविाकर लाल विस, मेहिदी एविं यथाशिक्ति दिकण दे, शीघ फल की प्रािप्त हिोगी । कातयायिन महिामाये महिायोिगनयधीश्वििर नंद गोपसुतं देिविपितं मे कुरू ने नम: । माँ कातयायिन देविी या पाविर ती देविी के फोटो को सामने रखिकर जो कनया पूजन कर इस कातयायिन मंत्र की 1 माला का जाप प्रितिदन करती हिै , उस कनया की िविविाहि बधा शीघ दरू हिोती हिै ।

१. यिद कनया की शादी मे कोई रूकाविट आ रहिी हिो तो पूजा विाले 5 नािरयल ले ! भगविान िशवि की मूती या फोटो के आगे रखि कर “ऊं श्रीं विर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करे िफर विो पांचों नािरयल िशवि जी के मंिदर मे चढा दे ! िविविाहि की बाधाये अपने आप दरू हिोती जांयगी ! २. प्रतयेक सोमविार को कनया सुबहि नहिा-धोकर िशवििलंग पर “ऊं सोमेश्विराय नमः” का जाप करते हिु ए दध ू िमले जल को चढाये और विहिीं मंिदर मे बैठ कर रूदाक की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! िविविाहि की समभाविना शीघ बनती नज़र आयेगी िविविाहि बाधा दरू करने के िलए कनया को चािहिए िक विहि बृहिस्पितविार को वत रखिे और बृहिस्पित की मंत्र के साथ

पूजा करे। इसके अितिरक्ति पुखिराज या सुनल ै ा धारण करे। छोटे बचचे को बृहिस्पितविार को पीले विस दान करे। लड़के को चािहिए िक विहि हिीरा या अमेिरकन जकरन धारण करे और छोटी बचची को शुक्रविार को श्विेत विस दान करे। िकस माहि मे जनमी मिहिला कैसी? जयोितष शास के अनुसार िसयों का स्विभावि उनके जनम के मास से भी जाना जा सकता हिै। यहिां हिम क्र म से इन िहिनदी मासों मे जनम लेने विाली मिहिलाओं के स्विभावि की जानकारी प्रस्तुत कर रहिे हिै। चैत्र मास: चैत्र मास मे जनम लेने विाली सी विक्तिा, हिोिशयार, क्रोधी स्विभावि विाली, रतनारे नेत्र विाली, सुंदर रूप- गोरे रंग विाली, धनविान, पुत्रविती और सभी सुखिों को पाने विाली हिोती हिै। विैशाखि मास: विैशाखि मास मे जनम लेने विाली सी श्रेष्ठ पितवता, कोमल स्विभावि विाली, सुंदर हदय, बड़े नेत्रों विाली, धनविान, क्रोध करने विाली तथा िमतव्ययी हिोती हिै। जयेष्ठ मास: जयेष्ठ मास मे पैदा हिोने विाली सी बुिद्धमान और धनविान, तीथर स्थानों को जाने विाली, कायो ं मे कुशल और अपने पित की पयारी हिोती हिै। आषाढ़ मास: आषाढ़ मास मे उतपन सी संतानविान, धन से हिीन, सुखि भोगने विाली, सरल और पित की दल ु ारी हिोती हिै। श्राविण मास: श्राविण मास मे जनम लेने विाली पिवित्र , मोटे शरीर विाली, कमा करने विाली, सुंदर तथा धमर यक्ति ु और सुखिों को पाने विाली हिोती हिै। भाद मास: भाद मास मे जनम लेने विाली कोमल, धन पुत्रविाली, सुखिी घर की विस्तुओं िक देखिभाल करनेविाली, हिमेशा प्रसन रहिने विाली, सुशीला और मीठा बोलने विाली हिोती हिै। आिश्विन मास: आिश्विन मास मे जनम लेने विाली सी सुखिी, धनी, शुद्ध हदय गुण और रूपविती हिोती हिै, कायो ं मे कुशल तथा अिधक कायर करने विाली हिोती हिै। काितर क मास: काितर क मास मे जनम लेने विाली सी कुिटल स्विभावि िक, चतुर,

झुठ बोलने विाली, क्रूर और धन सुखि विाली हिोती हिै। मागशीषर मास: मागशीषर मे जनम लेने विाली पिवित्र , िमठे विचनों विाली, दया, दान, धन, धमर करने विाली, कायर मे कुशल और रका करने विाली हिोती हिै। पौष मास: पौष मास मे जनम लेने विाली सी पुरष के समान स्विभावि विाली, पित से िविमुखि, समाज मे गविर तथा क्रोध रखिने विाली हिोती हिै। माघ मास: माघ मास मे जनम लेने विाली सी धनी, सौभागयविान, बुिद्धमान संतान से यक्ति ु तथा कटु पर सतय विचन बोलने विाली हिोती हिै। फाल्गुन मास: फाल्गुन मास मे जनम लेने विाली सी सविर गुणसंपन, ऐश्वियर शाली, सुखिी और संताित विाली तीथर यात्रापर जाने विाली तथा कल्याणकरने विाली हिोती हिै।

सं त ान हिोने और नहिी हिोने की पिहिचान करना पुरष और सी के दािहिने हिाथ मे साफ़ िमटी रखि कर उसके अनदर थोडा दहिी और िपसी शुद्ध हिल्दी रखिनी चािहिये,यहि काम रात को सोने से पहिले करना चािहिये,सुबहि अगर दोनो के हिाथ मे हिल्दी का रंग लाल हिो गया हिै तो संतान आने का समय हिै,सी के हिाथ मे लाल हिै और पुरष के हिाथ मे पीली हिै तो सी के अनदर कामविासना अिधक हिै,पुरष के हिाथ मे लाल हिो गयी हिै और सी के हिाथ मे नहिी तो सी रित समबनधी कारणों से ठंडी हिै,और संतान पैदा करने मे असमथर हिै,कुछ समय के िलये रित िक्रया को बंद कर देना चािहिये। चार विीरविार को 900 गाम जौ चलते जल मे बहिाए | विीरविार का वत भी रखिना शुभ हिोगा | राधा कृष्णजी के मंिदर मे शुकल पक के विीरविार या जनमाषमी को चानदी की बांसुरी चढाये | लाल या भूरी गाये को आटे का पेढा वि पानी दे | उपाय मन से करने से मनोकामना पूरण हिोगी | घर मे खिश ु हिाली पिर तथा दक ु ान की उनित हिेतु : शांित बनाए रखिने के िलए : बुधविार को िमटी के बने एक शेर को उसके गले मे लाल चुनी बांधकर और लाल

टीका लगाकर माता के मंिदर मे रखिे और माता को अपने पिरविार की सभी समस्याएं बताकर उनसे शांित बनाए रखिने की िविनती करे। यहि िक्रया िनष्ठापूविरक करे, पिरविार मे शांित कायम हिोगी। घर या व्यापार स्थल के मुखय दार के एक कोने को गंगाजल से धो ले और विहिां स्विािस्तक की स्थापना करे और उस पर रोज चने की दाल और गुड़ रखिकर उसकी पूजा करे। साथ हिी उसे ध्यान रोज से देखिे और िजस िदन विहि खिराब हिो जाए उस िदन उस स्थान पर एकत्र सामगी को जल मे प्रविािहित कर दे। यहि िक्रया शुकल पक के बृहिस्पितविार को आरंभ कर ११ बृहिस्पितविार तक िनयिमत रूप से करे। िफर गणेश जी को िसंदरू लगाकर उनके सामने लडू रखिे तथा ÷जय गणेश काटो कलेश' कहिकर उनकी प्राथर ना करे, घर मे सुखि शांित आ जागी। सफलता प्रा िप्त के िलए : 6. िकसी कायर की िसिद्ध के िलए जाते समय घर से िनकलने से पूविर हिी अपने हिाथ मे रोटी ले ले। मागर मे जहिां भी कौए िदखिलाई दे, विहिां उस रोटी के टु कड़े कर के डाल दे और आगे बढ़ जाएं । इससे सफलता प्राप्त हिोती हिै। 23॰ िकसी भी आविश्यक कायर के िलए घर से िनकलते समय घर की देहिली के बाहिर, पूविर िदशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रखि कर अपना कायर बोलते हिु ए, उस पर बलपूविरक पैर रखि कर, कायर हिेतु िनकल जाएं , तो अविश्य हिी कायर मे सफलता िमलती हिै। 24॰ अगर िकसी काम से जाना हिो, तो एक नींबू ले। उसपर 4 लौग गाड़ दे तथा इस मंत्र का जाप करे : `ॐ श्री हिनुमते नम:´। 21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं । काम मे िकसी प्रकार की बाधा नहिीं आएगी। 25॰ चुटकी भर हिींग अपने ऊपर से विार कर उतर िदशा मे फेक दे। प्रात:काल तीन हिरी इलायची को दाएँ हिाथ मे रखिकर “श्रीं श्रीं´´ बोले, उसे खिा ले, िफर बाहिर जाए¡। प्रातः सोकर उठने के बाद िनयिमत रूप से अपनी हिथेिलयों को ध्यानपूविरक देखिे और तीन बार चूमे। ऐसा करने से हिर कायर मे सफलता िमलती हिै। यहि िक्रया शिनविार से शुरू करे। घर मे धन की बरककत के िलये टोटका सबसे छोटे चलने विाले नोट का एक ित्रकोण िपरािमड बनाकर घर के धन स्थान मे

रखि दीिजये,जब धन की कमी हिोने लगे तो उस िपरािमड को बाये हिाथ मे रखिकर दािहिने हिाथ से उसे ढककर कल्पना कीिजये िक यहि िपरािमड घर मे धन ला रहिा हिै,कहिीं से भी धन का बनदोबस्त हिो जायेगा,लेिकन यहि प्रयोग बहिु त हिी जरूरत मे कीिजये। 7. DHAN KE UPAY धन एक गौड साधन हिै,िबना धन के ज्ञानी व्यिक्ति भी बेकार लगता हिै,िबना धन के िकसी प्रकार की शिक्ति भी आिस्ततविहिीन हिोती हिै,आज के यगु मे िजसे देखिो धन की तरफ़ भाग रहिा हिै,और धन के िलये िकतने हिी गलत काम िकये जा रहिे हिै,भाई भाई का दश्ु मन बना बैठा हिै,बाप बेटे को धन के िलये छोड देता हिै,पतनी धन के िलये पित की हितया करविा देती हिै,आिद तरीके लोग धन के िलये अपना रहिे हिै,अगर धन को ईश्विरीय शिक्ति से प्राप्त िकया जाये ,तो विहि धन अिधक स्थाई और अचछे कामों मे खिचर हिोने विाला हिोता हिै,और जो भी खिचार िकया जाता हिै विहि मानिसक और शारीिरक दोनो प्रकार के सुखि देता हिै,तामसी कारणों से लोगों को लूट खिसोट कर प्राप्त िकया जाने विाला धन हिमेशा बुरे कामों मे हिी खिचर हिोता हिै,धन तो खिचर हिोता हिी हिै,लेिकन हिमेशा के िलये दखि ु दायी भी हिो जाता हिै। सहिी तरीके से और ईमानदारी से धन कमाने के िलये ईश्विरीय शिक्ति की जरूरत पडती हिै,ईश्विरीय शिक्ति को प्राप्त करने के िलये ईश्विर मे आस्था बनानी पडती हिै,और आस्था बनाने के िलये िनयिमत रूप से उपाय करने पडते हिै,िनयिमत रूप से उपाय करने के िलये अपने को प्रयासरत रखिना पडता हिै। आइये आपको कुछ सहिज मे हिी ईश्विरीय शिक्तियों से धन प्राप्त करने के तरीके बता देता हिू ँ,इस प्रकार से प्राप्त िकये जाने विाले धन को प्रयोग करने के बाद आपको िकतनी शांित और समृिद्ध िमलती हिै,आपको खिद ु को पता चल जायेगा। प्रयास के िलये तीन बातों का खयाल रखिना भी जरूरी हिै िक इनसान को तीन तरहि का प्रयास सदैवि जारी रखिना चािहिये,एक तो अपनी मानविीय शिक्ति को सहिेज कर रखिना,दस ू रे जो भी भौितक साधन अपने पास हिै,उनका प्रयोग करते रहिना,और तीसरा प्रयास ईश्विर से दैिविक शिक्ति को प्राप्त करने के बाद उसका प्रयोग करते रहिना। FIRST UPAY आप अपने िनविास स्थान मे उतर-पूविर िदशा मे एक साफ़ जगहि पर स्थान चुन लीिजये,उस स्थान को गंदगी आिद से मुक्ति कर लीिजये,िफ़र एक साफ़ लकडी का पाटा उस स्थान पर रखि लीिजये,और एक चमेली के तेल की सीसी,पचास

मोमबती सफ़ेद और पचास मोमबती हिरी और एक मािचस लाकर रखि लीिजये। अपना एक समय चुन लीिजये िजस समय आप जरूर फ़ी रहिते हिों,उस समय मे आप घडी िमलाकर ईश्विर से धन प्राप्त करने के उपाय करना शुर कर दीिजये। पाटे को पानी और िकसी साफ़ कपडे से साफ़ किरये ,एक हिरी मोमबती और एक सफ़ेद मोमबती दोनो को चमेली के तेल मे डु बोकर नहिला लीिजये,दोनो को एक मािचस की तीली जलाकर उनके पैदे को गमर करने के बाद एक दस ू रे से नौ इंच की दरू ी पर बायीं (लेफ़ट) तरफ़ हिरी मोमबती और दािहिनी (राइट) तरफ़ सफ़ेद मोमबती पाटे पर िचपका दीिजये। दबु ारा से मािचस की तीली जलाकर पहिले हिरी मोमबती को और िफ़र सफ़ेद मोमबती को जला दीिजये ,दोनो मोमबितओं को देखिकर मानिसक रूप से प्राथर ना कीिजये "हिे धन के देविता कुबेर ! मुझे धन की अमुक (िजस काम के िलये धन की जरूरत हिो उसका नाम) काम के िलये जरूरत हिै,मुझे ईमानदारी से धन को प्राप्त करने मे सहिायता कीिजये",और प्राथर ना करने के बाद मोमबती को जलता हिु आ छोड कर अपने काम मे लग जाइये। दस ू रे िदन अगर मोमबती पूरी जल गयी हिै,तो उस जले हिु ये मोम को विहिीं पर लगा रहिने दे,और नहिी जली हिै तो विैसी हिी रहिने दे,दस ू री मोमबितयों को पहिले िदन की तरहि से ले लीिजये,और पहिले जली हिु यी मोमबितयों से एक दस ू री के नजदीक लगाकर जलाकर पहिले िदन की तरहि से विहिी प्राथर ना किरये,इस तरहि से धीरे धीरे मोमबितया एक दस ू रे की पास आती चलीं जायेगी,िजतनी हिी मोमबितयां पास आती जायेगी,धन आने का साधन बनता चला जायेगा,और जैसे हिी दोनो मोमबितयां आपस मे सटकर जलेगी,धन प्राप्त हिो जायेगा। जब धन प्राप्त हिो जाये तो पास के िकसी धािमर क स्थान पर या पास की िकसी बहिती नदी मे उस मोमबितयों के िपघले मोम को लेजाकर श्रद्धा से रखि आइये या बहिा दीिजये ,जो भी श्रद्धा बने गरीबों को दान कर दीिजये,ध्यान रिखिये इस प्रकार से प्राप्त धन को िकसी प्रकार के गलत काम मे मत प्रयोग किरये,अनयथा दबु ारा से धन नहिी आयेगा। SECEND

UPAY

दस ू रे प्रकार के उपाय मे कुछ धन पहिले खिचर करना पडता हिै,इस उपाय के िलये आपको जो भी मुदा आपके यहिां चलती हिै आप ले लीिजये जैसे रपया चलता हिै तो दस दस के पांच नोट ले लीिजये डालर चलता हिै तो पांच डालर ले लीिजये

आिद। बाजार से पांच नगीने जैसे गोमेद एमेिथस्ट जेड सुनहिला गारनेट ले लीिजये,यहि नगीने सस्ते हिी आते हिै,साथ हिी बाजार से समुदी नमक भी लेते आइये। यहि उपाय गुरविार से शुर करना हिै,अपने घर मे अनदर एक ऐसी जगहि को देिखिये जहिां पर लगातार सूयर की रोशनी कम से कम तीन घंटे रहिती हिो,एक पोलीिथन के ऊपर पहिले पांच नोट रिखिये,उनके ऊपर एक एक नगीना रखि दीिजये,और उन नगीनो तथा नोटों पर समुदी नमक पीस कर थोडा थोडा िछडक दीिजये और उनहिे सूयर की रोशनी मे लगातार तीन घंटे के िलये छोड दीिजये। तीन घंटे बाद उन नोटों और नगीनों को समुदी नमक को उसी पोलीथीन पर पर साफ़ कर लीिजये,और उस पोलीिथन विाले नमक को अपने घर के मुखय दरविाजे पर डाल दीिजये,उन नगीनों और नोटों को अपने पसर मे रखि लीिजये,अगर कोई तुमहिारा जान पिहिचान का या कोई िरस्तेदार तुमहिारे पास आता हिै तो उसे एक नगीना कोई सा भी उसी गुरविार को यहि कहिकर दीिजये िक यहि नगीना भागय बढाने विाला हिै,और एक नोट उनमे से िकसी बचचे को िबस्कुट लाने के िलये या िकसी प्रकार िबल चुकाने के काम मे उसी िदन ले लीिजये,दस ू रे गुरविार को दस ू रा नगीना िकसी को िफ़र दान कर दीिजये और एक नोट िकसी बचचे या िकसी प्रकार के घरेलू खिचे मे खिचर कर दीिजये,यहिी क्रम लगातार चार गुरविार तक करना हिै,पांचविे गुरविार को बचा हिु आ एक नगीना और नोट अपनी ितजोरी या धन रखिने विाले स्थान मे रखि लीिजये,आपके पास लगातार धन का प्रविाहि शुर हिो जायेगा,उस धन मे से 3% दान करते रिहिये,जब तक विहि नगीना और नोट आपके पास रहिेगा,धन की कमी नहिी आ सकती हिै। VYAPAR अिधकतर मामलों मे व्यापार करते हिु ये धन की कमी हिोती हिै,लगातार प्रितस्पधार के कारण लोग व्यविसाय को काटते हिै,और गाहिकों को अपनी तरफ़ आकिषर त करते हिै,अपनी िबजिनस बढाने के िलये तांित्रक उपाय करते हिै,और उन तांित्रक उपायों को करने के बाद खिद ु तो उल्टा सीधा कमाते हिै,लेिकन अपने सामने विाले को भी बरबाद करते हिै तथा कुछ िदनों मे उनके दारा िकये गये तांित्रक उपायों का असर खितम हिो जाने पर िदविािलया बन कर घूमने लगते हिै। अपने व्यविसाय स्थल से नकारातमक ऊजार को हिटाने और गाहिकी बढाने का तरीका आपको बता रहिा हिू ँ, इस तरीके को प्रयोग करने के बाद आप खिद ु हिी महिसूस करने लगेगे ।

सोमविार के िदन िकसी नगीने बेचने विाले से तीन गारनेट के नग खिरीदकर लाइये,और रात को उनहिे िकसी साफ़ कांच के बतर न मे पानी मे डु बोकर खिल ु े स्थान मे रखि दीिजये,उन नगों को लगातार नौ िदन तक यानी अगले मंगलविार तक उसी स्थान पर रखिा रहिने दीिजये,और मंगलविार की शाम को उन नगीनों को मय उस पानी के उठा लीिजये,बुधविार को उस पानी से नगीनों को अपने व्यविसाय विाले स्थान पर िनकाल लीिजये और पानी को व्यविसाय स्थान के सभी कोनों और अनधेरी जगहि पर कैस काउनटर और टेिबल डर ाविर के अनदर िछडक दीिजये,तथा उन नगीनों को (तीनों को) अपनी टेिबल पर सजाकर सामने रखि लीिजये,इस प्रकार से आपके व्यापािरक स्थान की नकारातमक ऊजार बाहिर चली जायेगी,और सकारातमक ऊजार आने लगेगी । नगीनों को समभाल कर रखिे ,िजससे कोई उनहिे ले न जा सके।

EDUCATION अिधकतर पढाई करने के बाद सनतान की नौकरी और व्यविसाय की िचनता हिर माता िपता को हिोती हिै,बचचे जविानी और अपनी उमंग के कारण उनहिे कौन से केत्र मे जाना हिै,उसे भूल जाते हिै,और दस ू रों की देखिा देखिी अपनी विास्तिविक नोलेज को भूलकर दस ू रों के चककर मे पड कर अपने को बरबाद कर लेते हिै,जब विे अपनी योगयता को नहिीं िदखिा पाते हिै तो विे गलत कायो ं की तरफ़ बढ जाते हिै,और उनका जीविन जो सहिज रास्ते पर जा रहिा था विहि किठनाइयों की तरफ़ चला जाता हिै,िदगभम हिो जाने पर लाखि कोिशश करने पर भी बचचे अपनी जगहि पर विापस नहिी आ पाते हिै,और आते हिै तब तक उनका बहिु मूल्य समय बरबाद हिो गया हिोता हिै। सबसे पहिले अपने बचचे को सहिी रास्ते पर लाने के िलये या विहि कहिीं गलत रास्ते पर तो नहिी जा रहिा हिै,का ध्यान उसी प्रकार से रखिना चािहिये जैसे एक माली अपने पेड को संभालता हिै,कब उसे पानी देना हिै कब उसमे खिाद देनी हिै,कहिी जंगली जानविर उस पेड को खितम तो नहिी कर रहिा हिै,कहिीं कोई बीमारी पेड को तो नहिी लग रहिी हिै,कहिीं कोई खिरपतविार उस पेड के साथ तो नहिी उग रहिा हिै जो उस पेड को दी जाने विाली खिाद पानी को पेड तक पहिु च ं ने हिी नहिी देना

चाहिता हिो,आिद बाते ध्यान मे रखिने पर बचचे को सहिी िदशा तक ले जाया सकता हिै। बचचे को सहिी रास्ते पर ले जाने के िलये विैिदक रूप से कुछ उपाय बताये गये हिै,उनको आप लोगों के िलये िलखि रहिा हिू ँ। रात को सोते समय बचचे के िसरहिाने उसकी दािहिनी तरफ़ पानी का एक लोटा या िगलास रखिना चािहिये,िजससे रात को सोते समय कुिविचार उसके सुषुप्त मिस्तक पर असर नहिी दे पाये। बचचे के जगने पर उसके पास जरूर उपिस्थत रहिे,िजतना बचचा जगने के बाद आपको देखिेगा,उतना हिी विहि िदन भर आपकी तस्विीर को विहि अपने िदमाग मे रखिेगा,अिधक समय तक आपको अपने सामने पाने पर विहि कभी आपको अलग नहिी कर पायेगा,और गल्ती करने पर आपकी हिी तस्विीर उसके िदमाग मे आकर उसे गलत काम से रोकेगी। बचचे को अपने हिाथ से खिाना परोसना चािहिये ,बनाया चाहिे िकसी ने भी हिो,उसे बचचे की रिच के अनुसार अगर आपके हिाथ से परोसा गया हिै तो विहि उसके शरीर मे उसी तरहि से लगेगा िजस प्रकार से बचपन मे माँ का दध ू लगता हिै। बचचे को दस ू रों की नजर जरूर लगती हिै,चाहिे विहि अपने हिी घर विालों की कयों न हिो,शाम को बचचा जब िबस्तर पर सोने जाये तो एक पतथर को बचचे के ऊपर से ओसारा करने के बाद िकसी पानी से धोकर एक िनयत स्थान पर रखि देना चािहिये,िजस िदन खितरनाक नजर लगी हिोगी या कोई बीमारी परेशान करने विाली हिोगी,विहि पतथर अपने स्थान पर नहिी िमलेगा,अथविा टू टा िमलेगा। धन प्राप्त करने के िलये नगीनों की िकट प्राप्त करे 8.

सुखि-समृिद्ध॰

यिद पिरश्रम के पश्चात् भी कारोबार ठपप हिो, या धन आकर खिचर हिो जाता हिो तो यहि टोटका काम मे ले। िकसी गुरू पुष्य योग और शुभ चनदमा के िदन प्रात: हिरे रंग के कपड़े की छोटी थैली तैयार करे। श्री गणेश के िचत्र अथविा मूितर के आगे “संकटनाशन गणेश स्तोत्र´´ के 11 पाठ करे। ततपश्चात् इस थैली मे 7 मूगं , 10 गाम साबुत धिनया, एक पंचमुखिी रूदाक, एक चांदी का रूपया या 2 सुपारी, 2 हिल्दी की गांठ रखि कर दािहिने मुखि के गणेश जी को शुद्ध घी के मोदक का भोग लगाएं । िफर यहि थैली ितजोरी या कैश बॉकस मे रखि दे। गरीबों और बाहणों को

दान करते रहिे। आिथर क िस्थित मे शीघ सुधार आएगा। 1 साल बाद नयी थैली बना कर बदलते रहिे। 2॰ िकसी के प्रतयेक शुभ कायर मे बाधा आती हिो या िविलमब हिोता हिो तो रिविविार को भैरों जी के मंिदर मे िसंदरू का चोला चढ़ा कर “बटु क भैरवि स्तोत्र´´ का एक पाठ कर के गौ, कौओं और काले कुतों को उनकी रूिच का पदाथर िखिलाना चािहिए। ऐसा विषर मे 4-5 बार करने से कायर बाधाएं नष हिो जाएं गी। 3॰ रूके हिु ए कायो ं की िसिद्ध के िलए यहि प्रयोग बहिु त हिी लाभदायक हिै। गणेश चतुथी को गणेश जी का ऐसा िचत्र घर या दक ु ान पर लगाएं , िजसमे उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हिु ई हिो। इसकी आराधना करे। इसके आगे लौग तथा सुपारी रखिे। जब भी कहिीं काम पर जाना हिो, तो एक लौग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं , तो काम िसद्ध हिोगा। लौग को चूसे तथा सुपारी को विापस ला कर गणेश जी के आगे रखि दे तथा जाते हिु ए कहिे `जय गणेश काटो कलेश´। 4॰ सरकारी या िनजी रोजगार केत्र मे पिरश्रम के उपरांत भी सफलता नहिीं िमल रहिी हिो, तो िनयमपूविरक िकये गये िविष्णु यज्ञ की िविभूित ले कर, अपने िपतरों की `कुशा´ की मूितर बना कर, गंगाजल से स्नान कराये तथा यज्ञ िविभूित लगा कर, कुछ भोग लगा दे और उनसे कायर की सफलता हिेतु कृपा करने की प्राथर ना करे। िकसी धािमर क गंथ का एक अध्याय पढ़ कर, उस कुशा की मूितर को पिवित्र नदी या सरोविर मे प्रविािहित कर दे। सफलता अविश्य िमलेगी। सफलता के पश्चात् िकसी शुभ कायर मे दानािद दे। 7॰ िकसी शिनविार को, यिद उस िदन `सविारथर िसिद्ध योग’ हिो तो अित उतम सांयकाल अपनी लमबाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप ले। िफर एक पता बरगद का तोड़े। उसे स्विचछ जल से धोकर पोंछ ले। तब पते पर अपनी कामना रपी नापा हिु आ लाल रेशमी सूत लपेट दे और पते को बहिते हिु ए जल मे प्रविािहित कर दे। इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दरू हिोती हिै और कामनाओं की पूितर हिोती हिै। ८॰ रिविविार पुष्य नकत्र मे एक कौआ अथविा काला कुता पकड़े। उसके दाएँ पैर का नाखिन ू काटे। इस नाखिन ू को ताबीज मे भरकर, धूपदीपािद से पूजन कर धारण करे। इससे आिथर क बाधा दरू हिोती हिै। कौए या काले कुते दोनों मे से िकसी एक का नाखिून ले। दोनों का एक साथ प्रयोग न करे। 9॰ प्रतयेक प्रकार के संकट िनविारण के िलये भगविान गणेश की मूितर पर कम से कम 21 िदन तक थोड़ी-थोड़ी जािवित्री चढ़ाविे और रात को सोते समय थोड़ी जािवित्री खिाकर सोविे। यहि प्रयोग 21, 42, 64 या 84 िदनों तक करे।

10॰ अकसर सुनने मे आता हिै िक घर मे कमाई तो बहिु त हिै, िकनतु पैसा नहिीं िटकता, तो यहि प्रयोग करे। जब आटा िपसविाने जाते हिै तो उससे पहिले थोड़े से गेहिू मे 11 पते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर िमला ले तथा अब इसको बाकी गेहिू मे िमला कर िपसविा ले। यहि िक्रया सोमविार और शिनविार को करे। िफर घर मे धन की कमी नहिीं रहिेगी। 11॰ आटा िपसते समय उसमे 100 गाम काले चने भी िपसने के िलये डाल िदया करे तथा केविल शिनविार को हिी आटा िपसविाने का िनयम बना ले। 12॰ शिनविार को खिाने मे िकसी भी रूप मे काला चना अविश्य ले िलया करे। 13॰ अगर पयारप्त धनारजन के पश्चात् भी धन संचय नहिीं हिो रहिा हिो, तो काले कुते को प्रतयेक शिनविार को कड़विे तेल (सरसों के तेल) से चुपड़ी रोटी िखिलाएँ । 14॰ संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना िनिषद्ध हिै। सोने से पूविर पैरों को ठंडे पानी से धोना चािहिए, िकनतु गीले पैर नहिीं सोना चािहिए। इससे धन का कय हिोता हिै। 15॰ राित्र मे चाविल, दहिी और सतू का सेविन करने से लकमी का िनरादर हिोता हिै। अत: समृिद्ध चाहिने विालों को तथा िजन व्यिक्तियों को आिथर क कष रहिते हिों, उनहिे इनका सेविन राित्र भोज मे नहिीं करना चािहिये। 16॰ भोजन सदैवि पूविर या उतर की ओर मुखि कर के करना चािहिए। संभवि हिो तो रसोईघर मे हिी बैठकर भोजन करे इससे राहिु शांत हिोता हिै। जूते पहिने हिु ए कभी भोजन नहिीं करना चािहिए। 17॰ सुबहि कुला िकए िबना पानी या चाय न पीएं । जूठे हिाथों से या पैरों से कभी गौ, बाहण तथा अिग का स्पशर न करे। 18॰ घर मे देविी-देविताओं पर चढ़ाये गये फूल या हिार के सूखि जाने पर भी उनहिे घर मे रखिना अलाभकारी हिोता हिै। 19॰ अपने घर मे पिवित्र निदयों का जल संगहि कर के रखिना चािहिए। इसे घर के ईशान कोण मे रखिने से अिधक लाभ हिोता हिै। 20॰ रिविविार के िदन पुष्य नकत्र हिो, तब गूलर के विृक की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं । इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रखि दे। यिद इसे धारण करना चाहिे तो स्विणर ताबीज मे भर कर धारण कर ले। जब तक यहि ताबीज आपके पास रहिेगी, तब तक कोई कमी नहिीं आयेगी। घर मे संतान सुखि उतम रहिेगा। यश की प्रािप्त हिोती रहिेगी। धन संपदा भरपूर हिोंगे। सुखि शांित और संतुिष की प्रािप्त हिोगी। 21॰ `देवि सखिा´ आिद 18 पुत्रविगर भगविती लकमी के कहिे गये हिै। इनके नाम के आिद मे और अनत मे `नम:´ लगाकर जप करने से अभीष धन की प्रािप्त हिोती हिै।

यथा - ॐ देविसखिाय नम:, िचकलीताय, आननदाय, कदर माय, श्रीप्रदाय, जातविेदाय, अनुरागाय, समविादाय, िविजयाय, विलभाय, मदाय, हिषारय, बलाय, तेजसे, दमकाय, सिललाय, गुगगुलाय, ॐ कुरूणटकाय नम:। धन लाभ के िलए : 9. शिनविार की शाम को माहि (उड़द) की दाल के दाने पर थोड़ी सी दहिी और िसंदरू डालकर पीपल के नीचे रखि आएं । विापस आते समय पीछे मुड़कर नहिीं देखिे। यहि िक्रया शिनविार को हिी शुरू करे और ७ शिनविार को िनयिमत रूप से िकया करे, धन की प्रािप्त हिोने लगेगी। संपित मे विृिद्ध हिेतु : 10. िकसी भी बृहिस्पितविार को बाजार से जलकंु भी लाएं और उसे पीले कपड़े मे बांधकर घर मे कहिीं लटका दे। लेिकन इसे बार-बार छूएं नहिीं। एक सप्ताहि के बाद इसे बदल कर नई कंु भी ऐसे हिी बांध दे। इस तरहि ७बृहिस्पितविार करे। यहि िनचचठापूविरक करे, ईश्विर ने चाहिा तो आपकी संपित मे विृिद्ध अविष्य हिोगी। अमीर बनने का अनुभ ूत टोटका जो भी कमाया जाये उसका दसविां िहिस्सा गरीबों को भोजन,कनयाओं को भोजन और विस,कनयायों की शादी,धमर स्थानों को बनाने के काम,आिद मे खिचर किरये,देिखिये िक आपकी आमदनी िकतनी जल्दी बढनी शुर हिो जाती हिै। लेिकन दसविे िहिस्से अिधक खिचर करने पर बजाय आमदनी बढने के घटने लगेगी। धन के ठहिरावि के िलए : आप जो भी धन मेहिनत से कमाते हिै उससे जयादा खिचर हिो रहिा हिो अथारत घर मे धन का ठहिरावि न हिो तो ध्यान रखिे को आपके घर मे कोई नल लीक न करता हिो ! अथारत पानी टप–टप टपकता न हिो ! और आग पर रखिा दध ू या चाय उबलनी नहिीं चािहिये ! विरना आमदनी से जयादा खिचर हिोने की समभाविना रहती हिै ! · 28॰ घर मे समृिद्ध लाने हिेतु घर के उतरपिश्चम के कोण (विायव्य कोण) मे सुनदर से िमटी के बतर न मे कुछ सोने-चांदी के िसकके, लाल कपड़े मे बांध कर रखिे। िफर बतर न को गेहिूं या चाविल से भर दे। ऐसा करने से घर मे धन का अभावि नहिीं रहिेगा। 35॰ घर मे स्थायी सुखि-समृिद्ध हिेतु पीपल के विृक की छाया मे खिड़े रहि कर लोहिे

के बतर न मे जल, चीनी, घी तथा दध ू िमला कर पीपल के विृक की जड़ मे डालने से घर मे लमबे समय तक सुखि-समृिद्ध रहिती हिै और लकमी का विास हिोता हिै। · · · 36॰ घर मे बार-बार धन हिािन हिो रहिी हिो तों विीरविार को घर के मुखय दार पर गुलाल िछड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखिी (दो मुखि विाला) दीपक जलाना चािहिए। दीपक जलाते समय मन हिी मन यहि कामना करनी चािहिए की `भिविष्य मे घर मे धन हिािन का सामना न करना पड़े´। जब दीपक शांत हिो जाए तो उसे बहिते हिु ए पानी मे बहिा देना चािहिए। 37॰ काले ितल पिरविार के सभी सदस्यों के िसर पर सात बार उसार कर घर के उतर िदशा मे फेक दे, धनहिािन बंद हिोगी। 38॰ घर की आिथर क िस्थित ठीक करने के िलए घर मे सोने का चौरस िसकका रखिे। कुते को दध ू दे। अपने कमरे मे मोर का पंखि रखिे। 39॰ अगर आप सुखि-समृिद्ध चाहिते हिै, तो आपको पके हिु ए िमटी के घड़े को लाल रंग से रंगकर, उसके मुखि पर मोली बांधकर तथा उसमे जटायक्ति ु नािरयल रखिकर बहिते हिु ए जल मे प्रविािहित कर देना चािहिए। 40॰ अखिंिडत भोज पत्र पर 15 का यंत्र लाल चनदन की स्याहिी से मोर के पंखि की कलम से बनाएं और उसे सदा अपने पास रखिे। 41॰ व्यिक्ति जब उनित की ओर अगसर हिोता हिै, तो उसकी उनित से ईष्यारगस्त हिोकर कुछ उसके अपने हिी उसके शत्रु बन जाते हिै और उसे सहियोग देने के स्थान पर विे हिी उसकी उनित के मागर को अविरूद्ध करने लग जाते हिै, ऐसे शत्रुओं से िनपटना अतयिधक किठन हिोता हिै। ऐसी हिी पिरिस्थितयों से िनपटने के िलए प्रात:काल सात बार हिनुमान बाण का पाठ करे तथा हिनुमान जी को लडू का भोग लगाए¡ और पाँच लौग पूजा स्थान मे देशी कपूरर के साथ जलाएँ । िफर भस्म से ितलक करके बाहिर जाए¡। यहि प्रयोग आपके जीविन मे समस्त शत्रुओं को परास्त करने मे सकम हिोगा, विहिीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूितर करने मे सकम हिोंगे। 42॰ कचची धानी के तेल के दीपक मे लौग डालकर हिनुमान जी की आरती करे। अिनष दरू हिोगा और धन भी प्राप्त हिोगा। 43॰ अगर अचानक धन लाभ की िस्थितयाँ बन रहिी हिो, िकनतु लाभ नहिीं िमल रहिा हिो, तो गोपी चनदन की नौ डिलयाँ लेकर केले के विृक पर टाँग देनी चािहिए। स्मरण रहिे यहि चनदन पीले धागे से हिी बाँधना हिै।

44॰ अकस्मात् धन लाभ के िलये शुकल पक के प्रथम बुधविार को सफेद कपड़े के झंडे को पीपल के विृक पर लगाना चािहिए। यिद व्यविसाय मे आिकस्मक व्यविधान एविं पतन की समभाविना प्रबल हिो रहिी हिो, तो यहि प्रयोग बहिु त लाभदायक हिै। 45॰ अगर आिथर क परेशािनयों से जूझ रहिे हिों, तो मिनदर मे केले के दो पौधे (नरमादा) लगा दे। 46॰ अगर आप अमाविस्या के िदन पीला ित्रकोण आकृित की पताका िविष्णु मिनदर मे ऊँचाई विाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ िक विहि लहिराता हिु आ रहिे, तो आपका भागय शीघ हिी चमक उठे गा। झंडा लगातार विहिाँ लगा रहिना चािहिए। यहि अिनविायर शतर हिै। 47॰ देविी लकमी के िचत्र के समक नौ बितयों का घी का दीपक जलाए¡। उसी िदन धन लाभ हिोगा। 48॰ एक नािरयल पर कािमया िसनदरू , मोली, अकत अिपर त कर पूजन करे। िफर हिनुमान जी के मिनदर मे चढ़ा आएँ । धन लाभ हिोगा। 49॰ पीपल के विृक की जड़ मे तेल का दीपक जला दे। िफर विापस घर आ जाएँ एविं पीछे मुड़कर न देखिे। धन लाभ हिोगा। 50॰ प्रात:काल पीपल के विृक मे जल चढ़ाएँ तथा अपनी सफलता की मनोकामना करे और घर से बाहिर शुद्ध केसर से स्वििस्तक बनाकर उस पर पीले पुष्प और अकत चढ़ाए¡। घर से बाहिर िनकलते समय दािहिना पाँवि पहिले बाहिर िनकाले। 51॰ एक हिंिडया मे सविा िकलो हिरी साबुत मूंग की दाल, दस ू री मे सविा िकलो डिलया विाला नमक भर दे। यहि दोनों हिंिडया घर मे कहिीं रखि दे। यहि िक्रया बुधविार को करे। घर मे धन आना शुरू हिो जाएगा। 52॰ प्रतयेक मंगलविार को 11 पीपल के पते ले। उनको गंगाजल से अचछी तरहि धोकर लाल चनदन से हिर पते पर 7 बार राम िलखिे। इसके बाद हिनुमान जी के मिनदर मे चढ़ा आएं तथा विहिां प्रसाद बाटे और इस मंत्र का जाप िजतना कर सकते हिो करे। `जय जय जय हिनुमान गोसाई ं, कृपा करो गुरू देवि की नांई´ 7 मंगलविार लगातार जप करे। प्रयोग गोपनीय रखिे। अविश्य लाभ हिोगा। 53॰ अगर नौकरी मे तरककी चाहिते हिै, तो 7 तरहि का अनाज िचिड़यों को डाले। 54॰ ऋगविेद (4/32/20-21) का प्रिसद्ध मनत्र इस प्रकार हिै -`ॐ भूिरदा भूिर देिहिनो, मा दभं भूयार भर। भूिर घेिदनद िदतसिस। ॐ भूिरदा तयिस श्रुत: पुरूत्रा शूर विृत्रहिन्। आ नो भजस्वि राधिस।।´ (हिे लकमीपते ! आप दानी हिै, साधारण दानदाता हिी नहिीं बहिु त बड़े दानी हिै। आप्तजनों से सुना हिै िक संसारभर से िनराश हिोकर जो याचक आपसे प्राथर ना करता हिै उसकी पुकार सुनकर उसे आप आिथर क कषों से

मुक्ति कर देते हिै - उसकी झोली भर देते हिै। हिे भगविान मुझे इस अथर संकट से मुक्ति कर दो।) िनमन मनत्र को शुभमुहिूतर मे प्रारमभ करे। प्रितिदन िनयमपूविरक 5 माला श्रद्धा से भगविान् श्रीकृष्ण का ध्यान करके, जप करता रहिे -“ॐ कलीं ननदािद गोकुलत्राता दाता दािरदरयभंजन।सविर मंगलदाता च सविर काम प्रदायक:। श्रीकृष्णाय नम: ॰ · भादपद मास के कृष्णपक भरणी नकत्र के िदन चार · घड़ों मे पानी भरकर िकसी एकानत कमरे मे रखि दे। अगले िदन िजस घड़े का पानी कुछ कम हिो उसे अन से भरकर प्रितिदन िवििधवित पूजन करते रहिे। शेष घड़ों के पानी को घर, आँ गन, खिेत आिद मे िछड़क दे। अनपूणार देविी सदैवि प्रसन रहिेगीं। · िकसी शुभ कायर के जाने से पहिले · -रिविविार को पान का पता साथ रखिकर जाये।सोमविार को दपर ण मे अपना चेहिरा देखिकर जाये।मंगलविार को िमष्ठान खिाकर जाये।बुधविार को हिरे धिनये के पते खिाकर जाये।गुरूविार को सरसों के कुछ दाने मुखि मे डालकर जाये। शुक्रविार को दहिी खिाकर जाये।शिनविार को अदरक और घी खिाकर जाना चािहिये। ॰ · िकसी भी शिनविार की शाम को माहि की दाल के दाने ले। उसपर थोड़ी सी दहिी और िसनदरू लगाकर पीपल के विृक के नीचे रखि दे और िबना मुड़कर देखिे विािपस आ जाये। सात शिनविार लगातार करने से आिथर क समृिद्ध तथा खिश ु हिाली बनी रहिेगी। · · गृहि बाधा की शांित के िलए पिश्चमािभमुखि हिोकर कक नमः िशविाय मंत्र का २१ बार या २१ माला श्रद्धापूविरक जप करे। · · आिथर क परेशािनयों से मुिक्ति के िलए गणपित की िनयिमत आराधना करे। इसके अलाविा श्विेत गुजा (िचरमी) को एक शीशी मे गंगाजल मे डाल कर प्रितिदन श्री सूक्ति का पाठ करे। बुधविार को िविशेष रूप से प्रसाद चढ़ाकर पूजा करे। आिथर क समस्या के छुटकारे के िलए : यिद आप हिमेशा आिथर क समस्या से परेशान हिै तो इसके िलए आप 21 शुक्रविार 9 विषर से कम आयु की 5 कनयायों को खिीर वि िमश्री का प्रसाद बांटे !

. घर और कायर स्थल मे धन विषार के िलए : इसके िलए आप अपने घर, दक ु ान या शोरूम मे एक अलंकािरक फव्विारा रखिे ! या एक मछलीघर िजसमे 8 सुनहिरी वि एक काली मछली हिो रखिे ! इसको उतर या उतरपूविर की ओर रखिे ! यिद कोई मछली मर जाय तो उसको िनकाल कर नई मछली लाकर उसमे डाल दे ! . परेशानी से मुिक्ति के िलए : आज कल हिर आदमी िकसी न िकसी कारण से परेशान हिै ! कारण कोई भी हिो आप एक तांबे के पात्र मे जल भर कर उसमे थोडा सा लाल चंदन िमला दे ! उस पात्र को िसरहिाने रखि कर रात को सो जांय ! प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दे ! धीरे-धीरे परेशानी दरू हिोगी ! · · घर मे िस्थर लकमी के विास के िलए : · चककी पर गेहिूं िपसविाने जाते समय तुलसी के गयारहि पते गेहिू ं मे डाल दे। एक लाल थैली मे केसर के २ पते और थोड़े से गेहिूं डालकर मंिदर मे रखिकर िफर इनहिे भी िपसविाने विाले गेहिू मे िमला दे, धन मे बरकत हिोगी और घर मे िस्थ लकमी का विास हिोगा। आटा केविल सोमविार या शिनविार को िपसविाएं । · · पैतृक संपित की प्रािप्त के िलए : · घर मे पूविरजों के गड़े हिु ए धन की प्रािप्त हिेतु िकसी सोमविार को २१ श्विेत िचतकविरी कौिड़यों को अचछी तरहि पीस ले और चूणर को उस स्थान पर रखिे, जहिां धन गड़े हिोने का अनुमान हिो। धन गड़ा हिु आ हिोगा, तो िमल जाएगा। · HOUSE िजन व्यिक्तियों को लाखि प्रयतन करने पर भी स्वियं का मकान न बन पा रहिा हिो, विे इस टोटके को अपनाएं । प्रतयेक शुक्रविार को िनयम से िकसी भूखिे को भोजन

कराएं और रिविविार के िदन गाय को गुड़ िखिलाएं । ऐसा िनयिमत करने से अपनी अचल समपित बनेगी या पैतृक समपित प्राप्त हिोगी। अगर समभवि हिो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् िनमन मंत्र का जाप करे। “ॐ पदाविती पद कुशी विजविजांपुशी प्रितब भविंित भविंित।।´´ 27॰ यहि प्रयोग नविराित्र के िदनों मे अषमी ितिथ को िकया जाता हिै। इस िदन प्रात:काल उठ कर पूजा स्थल मे गंगाजल, कुआं जल, बोिरंग जल मे से जो उपलबध हिो, उसके छींटे लगाएं , िफर एक पाटे के ऊपर दगु ार जी के िचत्र के सामने, पूविर मे मुहि ं करते हिु ए उस पर 5 गाम िसकके रखिे। साबुत िसककों पर रोली, लाल चनदन एविं एक गुलाब का पुष्प चढ़ाएं । माता से प्राथर ना करे। इन सबको पोटली बांध कर अपने गले, संदक ू या अलमारी मे रखि दे। यहि टोटका हिर 6 माहि बाद पुन: दोहिराएं । · · · · · सगे संबिं धयों को िदया गया धन विापस प्राप्त करने हिेतु : · िकसी सगे संबध ं ी को धन िदया हिो और विहि विापस नहिीं कर रहिा हिो, तो ऊपर बताई गई िवििध की भांित २१ श्विेत िचतकबरी कौिड़यों को पीस कर चूणर उसके दरबाजे के आगे िबखिेर दे। यहि िक्रया ४३ िदनों तक करते रहिे, विहि व्यिक्ति आपका धन विापस कर देगा।

· · · KARJ MUKTI · 29॰ व्यिक्ति को ऋण मुक्ति कराने मे यहि टोटका अविश्य सहिायता करेगा : मंगलविार को िशवि मिनदर मे जा कर िशवििलंग पर मसूर की दाल “ॐ ऋण मुक्तिेश्विर महिादेविाय नम:´´ मंत्र बोलते हिु ए चढ़ाएं । 30॰ िजन व्यिक्तियों को िनरनतर कजर घेरे रहिते हिै, उनहिे प्रितिदन “ऋणमोचक मंगल स्तोत्र´´ का पाठ करना चािहिये। यहि पाठ शुकल पक के प्रथम मंगलविार से शुरू करना चािहिये। यिद प्रितिदन िकसी कारण न कर सके, तो प्रतयेक मंगलविार

को अविश्य करना चािहिये। 31॰ सोमविार के िदन एक रूमाल, 5 गुलाब के फूल, 1 चांदी का पता, थोड़े से चाविल तथा थोड़ा सा गुड़ ले। िफर िकसी िविष्णुणलकमी जी के िमनदर मे जा कर मूितर के सामने रूमाल रखि कर शेष विस्तुओं को हिाथ मे लेकर 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करते हिु ए बारी-बारी इन विस्तुओं को उसमे डालते रहिे। िफर इनको इकट्ठा कर के कहिे की `मेरी परेशािनयां दरू हिो जाएं तथा मेरा कजार उतर जाए´। यहि िक्रया आगामी 7 सोमविार और करे। कजार जल्दी उतर जाएगा तथा परेशािनयां भी दरू हिो जाएं गी। 32॰ सविर प्रथम 5 लाल गुलाब के पूणर िखिले हिु ए फूल ले। इसके पश्चात् डेढ़ मीटर सफेद कपड़ा ले कर अपने सामने िबछा ले। इन पांचों गुलाब के फुलों को उसमे, गायत्री मंत्र 21 बार पढ़ते हिु ए बांध दे। अब स्वियं जा कर इनहिे जल मे प्रविािहित कर दे। भगविान ने चाहिा तो जल्दी हिी कजर से मुिक्ति प्राप्त हिोगी। 34॰ कजर -मुिक्ति के िलये “गजेनद-मोक´´ स्तोत्र का प्रितिदन सूयोदय से पूविर पाठ अमोघ उपाय हिै। · 33॰ अगर िनरनतर कजर मे फँ सते जा रहिे हिों, तो श्मशान के कु एं का जल लाकर िकसी पीपल के विृक पर चढ़ाना चािहिए। यहि 6 शिनविार िकया जाए, तो आश्चयर ज नक पिरणाम प्राप्त हिोते हिै।

अगर बढ़ाना हिो व्यापार-व्यविसाय अगर आपका व्यापार-व्यविसाय मंदा चल रहिा हिै। िकसी भी काम के शुरू करने के बाद उसमे ऐसा लाभ नहिीं िमलता जैसा सोच रहिे हिै, दक ु सजाधजा कर ु ान खिब रखिने पर भी उसमे गाहिक नहिीं आते तो अब िचंता की बात नहिीं हिै। हिम आपको ऐसे कुछ िसद्ध टोटके बता रहिे हिै िजससे थोड़े से प्रयास से आपको बेहितर पिरणाम िमलेगे। लेिकन इन प्रयोगों को करने से

पहिले आपको मन मे कुछ बाते ठाननी पड़ेगी। एक, हिमेशा सतय बोलेगे, दस ू रों का अिहित नहिीं करेगे और तीसरा हिमेशा अपना श्रेष्ठतम पिरणाम देगे। जब आप कोई टोटका प्रयोग मे ला रहिे हिों तो इसके बारे मे िकसी को बताए नहिीं, इससे टोटके का प्रभावि कम हिो जाता हिै। इन टोटकों को आजमाइए, लाभ जरूर िमलेगा। 1. शिनविार को पीपल के पेड़ से एक पता तोड़ लाएं , उसे धूप-बती िदखिाकर अपनी दक ु ान की गादी िजस पर आप बैठते हिै, उसके नीचे रखि दे। सात शिनविार तक लगातार ऐसा हिी करे। जब गादी के नीचे सात पते इकट्ठे हिो जाएं तो उनहिे एक साथ िकसी तालाब या कुएं मे बहिा दे। व्यविसाय चल िनकलेगा। 2. िकसी ऐसी दक ु ान जो काफी चलती हिो विहिां से लोहिे की कोई कील या नट आिद शिनविार के िदन खिरीदकर, मांगकर या उठाकर ले आएं । काली उड़द के 10-15 दानों के साथ उसे एक शीशी मे रखि ले। धूप-दीप से पूजाकर गाहिकों की नजरों से बचाकर दक ु चलेगा। ु ान मे रखि ले। व्यविसाय खिब 3. शिनविार को सात हिरी िमचर और सात नींबू की माला बनाकर दक ु ान मे ऐसे टांगे िक उस पर गाहिक की नजर पड़े।

11. व्यापार स्थल पर िकसी भी प्रकार की समस्या हिो, तो विहिां श्विेताकर गणपित तथा एकाकी श्रीफल की स्थापना करे। िफर िनयिमत रूप से धूप, दीप आिद से पूजा करे तथा सप्ताहि मे एक बार िमठाई का भोग लगाकर प्रसाद यथासंभवि अिधक से अिधक लोगों को बांटे। भोग िनतय प्रित भी लगा सकते हिै।

टोटका दस-यिद आपको लगता हिै िक आपका कायर िकसी ने बांध िदया हिै और चाहिकर भी उसमे बढ़ोतरी नहिीं हिो रहिी हिै वि सब तरफ से मनदा एविं बाधाओं का सामना करना पड़रहिा हिै। ऐसे मे आपको साबुत िफटकरी दक ु ान मे खिड़े हिोकर 31 बार विार दे और दक ु ान से बाहिर िनकल कर िकसी चौराहिे पर जाकर उतर िदशा मे फेक कर िबना पीछे देखिे विापस आ जाएं । नजरदरू हिो जाएगी और व्यापार िफर से पूविर की भांित चलने लगेगा।

· · व्यापार वि कारोबार मे विृिद्ध के िलए · एक नीबू लेकर उस पर चार लौग गाड़ दे और उसे हिाथ मे रखिकर िनमनिलिखित मंत्र का २१ बार जप करे। जप के बाद नीबू को अपनी जेब मे रखि कर िजनसे कायर हिोना हिो, उनसे जाकर िमले। कक श्री हिनुमते नमः इसके अितिरक्ति शिनविार को पीपल का एक पता गंगा जल से धोकर हिाथ मे रखि ले और गायत्री मंत्र का २१ बार जप करे। िफर उस पते को धूप देकर अपने कैश बॉकस मे रखि दे। यहि िक्रया प्रतयेक शिनविार को करे और पता बदल कर पहिले के पते को पीपल की जड़ मे मे रखि दे। यहि िक्रया िनष्ठापूविरक करे, कारोबार मे उनित हिोगी।

व्यापार बढाने के िलए : . शुकल पक मे िकसी भी िदन अपनी फैकटर ी या दक ु ान के दरविाजे के दोनों तरफ बाहिर की ओर थोडा सा गेहिूं का आटा रखि दे ! ध्यान रहिे ऐसा करते हिु ए आपको कोई देखिे नहिी ! .

पूजा घर मे अिभमंित्रत श्ररी यंत्र रखिे ! . शुकरविार की रात को सविा िकलो काले चने िभगो दे ! दस ू रे िदन शिनविार को उनहिे सरसों के तेल मे बना ले ! उसके तीन िहिस्से कर ले ! उसमे से एक िहिस्सा घोडे या भैसे को िखिला दे ! दस ू रा िहिस्सा कुष्ठ रोगी को दे दे और तीसरा िहिस्सा अपने िसर से घडी की सूई से उल्टे तरफ तीन बार विार कर िकसी चौराहिे पर रखि दे ! यहि प्रयोग 40 िदन तक करे ! कारोबार मे लाभ हिोगा ! . कारोबार मे नुकसान हिो रहिा हिो या कायर केत्र मे झगडा हिो रहिा हिो तो : यिद उपरोक्ति िस्थित का सामना हिो तो आप अपने विज़न के बराबर कचचा कोयला लेकर जल प्रविाहि कर दे ! अविश्य लाभ हिोगा ! पढाई मे याददास्त बढाने का टोटका याददास्त कोई हिौविा नहिी हिै,िक याद हिोता नहिी हिै,और याद हिोता नहिी हिै तो पढाई बेकार हिो जाती हिै,परीका मे पिरणाम नकारातमक आता हिै,और िदमाग का एक कौना मानने लगता हिै िक यहि पढाई बेकार हिै,इसे छोड कर कोई जीविन यापन का काम कर लेना चािहिये,और इस बेकार के झमेले को छोड देना चािहिये,लेिकन नहिी अगर विास्तवि मे आपको पढने का चावि हिै और आप चाहिते हिै िक आपका पिरणाम भी उनहिी लोगों की तरहि से आये जैसे िक िबिलयेनट बचचों का आता हिै,तो इस टोटके को अंजविा लीिजये। शाम को खिाना खिा कर बायीं करविट ढाई घंटे के िलये लेट जाइये ,िफ़र ढाई घंटे दािहिनी करविट लेट जाइये,और ढाई घंटे उठकर सीधे बैठ कर पढना चालू कर दीिजये,यहि क्रम लगातार चालू रिखिये,देिखिये िक जो टािपक कभी याद नहिी हिोते थे,इतनी अचछी तरहि से याद हिो जायेगे िक खिद ु को िविश्विास हिी नहिीं हिोगा। अगर आपका प्रमोशन नहिीं हिो रहिा तो : गुरूविार को िकसी मंिदर मे पीली विस्तुये जैसे खिाद पदाथर , फल, कपडे इतयािद का दान करे ! . हिर सुबहि नंगे पैर घास पर चले !

नौकरी जाने का खितरा हिो या टर ांसफर रूकविाने के िलए : पांच गाम डली विाला सुर मा ले ! उसे िकसी विीरान जगहि पर गाड दे ! खयाल रहिे िक िजस औजार से आपने जमीन खिोदी हिै उस औजार को विािपस न लाये ! उसे विहिीं फे क दे द स ू री बात जो ध्यान रखिने विाली हिै विो यहि हिै िक सुर मा डली विाला हिो और एक हिी डली लगभग 5 गाम की हिो ! एक से जयादा डिलयां नहिीं हिोनी चािहिए !

टर ांस फ़र करविाने का उपाय कायर स्थान पर जाने के बाद पैर धोकर अपने स्थान पर बैठना चािहिये ,िपसी हिल्दी को बहिते पानी मे बहिाना चािहिये।

यिद आपको सहिी नौकरी िमलने मे िदककत आ रहिी हिो तो : . कुएं मे दध ू डाले! उस कुएं मे पानी हिोना चिहिए ! काला कमबल िकसी गरीब को दान दे ! 6 मुखिी रूदाक की माला 108 मनकों विाली माला धारण करे िजसमे हिर मनके के बाद चांदी के टु कडे िपरोये हिों !

खिाना पचाने का टोटका अिधकतर बैठे रहिने से या खिाना खिाने के बाद मेहिनत नहिी करने से भोजन पच नहिी पाता हिै और पेट मे ददर या पेट फ़ूलने लगता हिै,खिाना खिाने के बाद तुरत ं बायीं करविट लेट जाइये,खिाना आधा घनटे मे अपनी जगहि बनाकर पचने लगेगा और अपान विायु बाहिर िनकल जायेगी।

ईश्विर का दशर न करने के िलये टोटका शाम को एकानत कमरे मे जमीन पर उतर की तरफ़ मुहि ं करके पालथी मारकर बैठ जाइये,दोनों आं खिों को बनद करने के बाद आं खिों की िदिष को नाक के ऊपर विाले िहिस्से मे ले जाने की कोिशश किरये,धीरे धीरे रोजाना दस से बीस िमनट का प्रयोग किरये,लेिकन इस काम को करने के बीच मे िकसी भी प्रकार के िविचार िदमाग मे नहिी लाने चािहिये,आपको आपके इष का दशर न सुगमता से हिो जायेगा। अपने पूविरजों की िनयिमत पूजा करे। प्रित माहि अमाविस्या को प्रातःकाल ५ गायों को फल िखिलाएं । · मुकदमे मे िविजय पाने के िलए : यिद आपका िकसी के साथ मुकदमा चल रहिा हिो और आप उसमे िविजय पाना चाहिते हिै तो थोडे से चाविल लेकर कोटर /कचहिरी मे जांय और उन चाविलों को कचहिरी मे कहिीं पर फेक दे ! िजस कमरे मे आपका मुकदमा चल रहिा हिो उसके बाहिर फेके तो जयादा अचछा हिै ! परंतु याद रहिे आपको चाविल ले जाते या कोटर मे फेकते समय कोई देखिे नहिीं विरना लाभ नहिीं हिोगा ! यहि उपाय आपको िबना िकसी को पता लगे करना हिोगा !

. प्रेम िविविाहि मे सफल हिोने के िलए : यिद आपको प्रेम िविविाहि मे अडचने आ रहिी हिै तो : शुकल“ऊं लकमी नारायणाय नमः मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फिटक माला पर करे ! इसे शुकल पक के गुरूविार से हिी शुरू करे ! तीन महिीने तक हिर गुरूविार को मंिदर मे प्रशाद चढांए और िविविाहि की सफलता के िलए प्राथर ना करे ! 15. नौकर न िटके या परेश ान करे तो : हिर मंगलविार को बदाना (मीठी बूद ं ी) का प्रशाद लेकर मंिदर मे चढा कर लडिकयों मे बांट दे ! ऐसा आप चार मंगलविार करे ! . ऊपरी हिविा पहिचान और िनदान प्रायः सभी धमर गंथों मे ऊपरी हिविाओं, नजर दोषों आिद का उलेखि हिै। कुछ गंथों मे इनहिे बुरी आतमा कहिा गया हिै तो कुछ अनय मे भूत-प्रेत और िजन। यहिां जयोितष के आधार पर नजर दोष का िविश्लेषण प्रस्तुत हिै। जयोितष िसद्धांत के अनुसार गुर िपतृदोष, शिन यमदोष, चंद वि शुक्र जल देविी दोष, राहिु सपर वि प्रेत दोष, मंगल शािकनी दोष, सूयर देवि दोष एविं बुध कुल देविता दोष का कारक हिोता हिै। राहिु , शिन वि केतु ऊपरी हिविाओं के कारक गहि हिै। जब िकसी व्यिक्ति के लग (शरीर), गुर (ज्ञान), ित्रकोण (धमर भावि) तथा िदस्विभावि रािशयों पर पाप गहिों का प्रभावि हिोता हिै, तो उस पर ऊपरी हिविा की संभाविना हिोती हिै। लकण नजर दोष से पीिड़त व्यिक्ति का शरीर कंपकंपाता रहिता हिै। विहि अकसर जविर, िमरगी आिद से गस्त रहिता हिै। कब और िकन िस्थितयों मे डालती हिै ऊपरी हिविाएं िकसी व्यिक्ति पर अपना प्रभावि?

जब कोई व्यिक्ति दध ू पीकर या कोई सफेद िमठाई खिाकर िकसी चौराहिे पर जाता हिै, तब ऊपरी हिविाएं उस पर अपना प्रभावि डालती हिै। गंदी जगहिों पर इन हिविाओं का विास हिोता हिै, इसीिलए ऐसी जगहिों पर जाने विाले लोगों को ये हिविाएं अपने प्रभावि मे ले लेती हिै। इन हिविाओं का प्रभावि रजस्विला िसयों पर भी पड़ता हिै। कुएं , बाविड़ी आिद पर भी इनका विास हिोता हिै। िविविाहि वि अनय मांगिलक कायो ं के अविसर पर ये हिविाएं सिक्रय हिोती हिै। इसके अितिरक्ति रात और िदन के १२ बजे दरविाजे की चौखिट पर इनका प्रभावि हिोता हिै। दध ू वि सफेद िमठाई चंद के दोतक हिै। चौराहिा राहिु का दोतक हिै। चंद राहिु का शत्रु हिै। अतः जब कोई व्यिक्ति उक्ति चीजों का सेविन कर चौराहिे पर जाता हिै, तो उस पर ऊपरी हिविाओं के प्रभावि की संभाविना रहिती हिै। कोई सी जब रजस्विला हिोती हिै, तब उसका चंद वि मंगल दोनों दबु र ल हिो जाते हिै। ये दोनों राहिु वि शिन के शत्रु हिै। रजस्विलाविस्था मे सी अशुद्ध हिोती हिै और अशुद्धता राहिु की दोतक हिै। ऐसे मे उस सी पर ऊपरी हिविाओं के प्रकोप की संभाविना रहिती हिै। कुएं एविं बाविड़ी का अथर हिोता हिै जल स्थान और चंद जल स्थान का कारक हिै। चंद राहिु का शत्रु हिै, इसीिलए ऐसे स्थानों पर ऊपरी हिविाओं का प्रभावि हिोता हिै। जब िकसी व्यिक्ति की कंु डली के िकसी भावि िविशेष पर सूयर, गुर, चंद वि मंगल का प्रभावि हिोता हिै, तब उसके घर िविविाहि वि मांगिलक कायर के अविसर आते हिै। ये सभी गहि शिन वि राहिु के शत्रु हिै, अतः मांगिलक अविसरों पर ऊपरी हिविाएं व्यिक्ति को परेशान कर सकती हिै। िदन वि रात के १२ बजे सूयर वि चंद अपने पूणर बल की अविस्था मे हिोते हिै। शिन वि राहिु इनके शत्रु हिै, अतः इनहिे प्रभािवित करते हिै। दरविाजे की चौखिट राहिु की दोतक हिै। अतः जब राहिु केत्र मे चंद या सूयर को बल िमलता हिै, तो ऊपरी हिविा सिक्रय हिोने की संभाविना प्रबल हिोती हिै। मनुष्य की दायीं आं खि पर सूयर का और बायीं पर चंद का िनयंत्रण हिोता हिै। इसिलए ऊपरी हिविाओं का प्रभावि सबसे पहिले आं खिों पर हिी पड़ता हिै। यहिां ऊपरी हिविाओं से संबद्ध गहिों, भाविों आिद का िविश्लेषण प्रस्तुत हिै। राहिु -केतु : जैसा िक पहिले उलेखि िकया गया हिै, शिनवित राहिु ऊपरी हिविाओं का कारक हिै। यहि प्रेत बाधा का सबसे प्रमुखि कारक हिै। इस गहि का प्रभावि जब भी मन, शरीर, ज्ञान, धमर , आतमा आिद के भाविों पर हिोता हिै, तो ऊपरी हिविाएं सिक्रय हिोती हिै। शिन : इसे भी राहिु के समान माना गया हिै। यहि भी उक्ति भाविों से संबध ं बनाकर

भूत-प्रेत पीड़ा देता हिै। चंद : मन पर जब पाप गहिों राहिु और शिन का दिू षत प्रभावि हिोता हिै और अशुभ भावि िस्थत चंद बलहिीन हिोता हिै, तब व्यिक्ति भूत-प्रेत पीड़ा से गस्त हिोता हिै। गुर : गुर साितविक गहि हिै। शिन, राहिु या केतु से संबध ं हिोने पर यहि दबु र ल हिो जाता हिै। इसकी दबु र ल िस्थित मे ऊपरी हिविाएं जातक पर अपना प्रभावि डालती हिै। लग : यहि जातक के शरीर का प्रितिनिधतवि करता हिै। इसका संबध ं ऊपरी हिविाओं के कारक राहिु , शिन या केतु से हिो या इस पर मंगल का पाप प्रभावि प्रबल हिो, तो व्यिक्ति के ऊपरी हिविाओं से गस्त हिोने की संभाविना बनती हिै। पंचम : पंचम भावि से पूविर जनम के संिचत कमो ं का िविचार िकया जाता हिै। इस भावि पर जब ऊपरी हिविाओं के कारक पाप गहिों का प्रभावि पड़ता हिै, तो इसका अथर यहि हिै िक व्यिक्ति के पूविर जनम के अचछे कमो ं मे कमी हिै। अचछे कमर अल्प हिों, तो प्रेत बाधा योग बनता हिै। अषम : इस भावि को गूढ़ िविदाओं वि आयु तथा मृतयु का भावि भी कहिते हिै। इसमे चंद और पापगहि या ऊपरी हिविाओं के कारक गहि का संबध ं प्रेत बाधा को जनम देता हिै। नविम : यहि धमर भावि हिै। पूविर जनम मे पुणय कमो ं मे कमी रहिी हिो, तो यहि भावि दबु र ल हिोता हिै। रािशयां : जनम कंु डली मे िदस्विभावि रािशयों िमथुन, कनया और मीन पर विायु ततवि गहिों का प्रभावि हिो, तो प्रेै्रत बाधा हिोती हिै। विार : शिनविार, मंगलविार, रिविविार को प्रेत बाधा की संभाविनाएं प्रबल हिोती हिै। ितिथ : िरक्तिा ितिथ एविं अमाविस्या प्रेत बाधा को जनम देती हिै। नकत्र : विायु संज्ञक नकत्र प्रेत बाधा के कारक हिोते हिै। योग : िविष्कंु भ, व्याघात, ऐंद, व्यितपात, शूल आिद योग प्रेत बाधा को जनम देते हिै। करण : िवििष, िकस्तुन और नाग करणों के कारण व्यिक्ति प्रेत बाधा से गस्त हिोता हिै। दशाएं : मुखयतः शिन, राहिु , अषमेश वि राहिु तथा केतु से पूणरतः प्रभािवित गहिों की दशांतदर शा मे व्यिक्ति के भूत-प्रेत बाधाओं से गस्त हिोने की संभाविना रहिती हिै। यिु त िकसी सी के सप्तम भावि मे शिन, मंगल और राहिु या केतु की यिु त हिो, तो उसके िपशाच पीड़ा से गस्त हिोने की संभाविना रहिती हिै। गुर नीच रािश अथविा नीच रािश के नविांश मे हिो, या राहिु से यत ु हिो और उस पर

पाप गहिों की दिष हिो, तो जातक की चांडाल प्रविृित हिोती हिै। पंचम भावि मे शिन का संबध ं बने तो व्यिक्ति प्रेत एविं कुद देिवियों की भिक्ति करता हिै। ऊपरी हिविाओं के कुछ अनय मुखय जयोितषीय योग यिद लग, पंचम, षष्ठ, अषम या नविम भावि पर राहिु , केतु, शिन, मंगल, कीण चंद आिद का प्रभावि हिो, तो जातक के ऊपरी हिविाओं से गस्त हिोने की संभाविना रहिती हिै। यिद उक्ति गहिों का परस्पर संबध ं हिो, तो जातक प्रेत आिद से पीिड़त हिो सकता हिै। यिद पंचम भावि मे सूयर और शिन की यिु त हिो, सप्तम मे कीण चंद हिो तथा दादश मे गुर हिो, तो इस िस्थित मे भी व्यिक्ति प्रेत बाधा का िशकार हिोता हिै। यिद लग पर क्रूर गहिों की दिष हिो, लग िनबर ल हिो, लगेश पाप स्थान मे हिो अथविा राहिु या केतु से यत ु हिो, तो जातक जाद ू-टोने से पीिड़त हिोता हिै। लग मे राहिु के साथ चंद हिो तथा ित्रकोण मे मंगल, शिन अथविा कोई अनय क्रूर गहि हिो, तो जातक भूत-प्रेत आिद से पीिड़त हिोता हिै। यिद षष्ठेश लग मे हिो, लग िनबर ल हिो और उस पर मंगल की दिष हिो, तो जातक जाद -ू टोने से पीिड़त हिोता हिै। यिद लग पर िकसी अनय शुभ गहि की दिष न हिो, तो जाद ू-टोने से पीिड़त हिोने की संभाविना प्रबल हिोती हिै। षष्ठेश के सप्तम या दशम मे िस्थत हिोने पर भी जातक जाद ू-टोने से पीिड़त हिो सकता हिै। यिद लग मे राहिु , पंचम मे शिन तथा अषम मे गुर हिो, तो जातक प्रेत शाप से पीिड़त हिोता हिै। ऊपरी हिविाओं के सरल उपाय ऊपरी हिविाओं से मुिक्ति हिेतु शासों मे अनेक उपाय बताए गए हिै। अथविर विेद मे इस हिेतु कई मंत्रों वि स्तुितयों का उलेखि हिै। आयवि ु ेद मे भी इन हिविाओं से मुिक्ति के उपायों का िविस्तार से विणर न िकया गया हिै। यहिां कुछ प्रमुखि सरल एविं प्रभाविशाली उपायों का िविविरण प्रस्तुत हिै। · ऊपरी हिविाओं से मुिक्ति हिेतु हिनुमान चालीसा का पाठ और गायत्री का जप तथा हिविन करना चािहिए। इसके अितिरक्ति अिग तथा लाल िमची जलानी चािहिए। रोज सूयारस्त के समय एक साफ-सुथरे बतर न मे गाय का आधा िकलो कचचा दध ं े िमला ले। िफर स्नान करके, शुद्ध विस ू लेकर उसमे शुद्ध शहिद की नौ बूद पहिनकर मकान

की छत से नीचे तक प्रतयेक कमरे, जीने, गैलरी आिद मे उस दध ू के छींटे देते हिु ए दार तक आएं और बचे हिु ए दध ू को मुखय दार के बाहिर िगरा दे। िक्रया के दौरान इषदेवि का स्मरण करते रहिे। यहि िक्रया इककीस िदन तक िनयिमत रूप से करे, घर पर प्रभाविी ऊपरी हिविाएं दरू हिो जाएं गी। रिविविार को बांहि पर काले धतूरे की जड़ बांधे, ऊपरी हिविाओं से मुिक्ति िमलेगी। लहिसुन के रस मे हिींग घोलकर आं खि मे डालने या सुघ ं ाने से पीिड़त व्यिक्ति को ऊपरी हिविाओं से मुिक्ति िमल जाती हिै। ऊपरी बाधाओं से मुिक्ति हिेतु िनमनोक्ति मंत्र का यथासंभवि जप करना चािहिए। " ओम नमो भगविते रदाय नमः कोशेश्विस्य नमो जयोित पंतगाय नमो रदाय नमः िसिद्ध स्विाहिा।'' घर के मुखय दार के समीप श्विेताकर का पौधा लगाएं , घर ऊपरी हिविाओं से मुक्ति रहिेगा। उपले या लकड़ी के कोयले जलाकर उसमे धूनी की िवििशष विस्तुएं डाले और उससे उतपन हिोने विाला धुआं पीिड़त व्यक्ति्िै को सुंघाएं । यहि िक्रया िकसी ऐसे व्यिक्ति से करविाएं जो अनुभविी हिो और िजसमे पयारप्त आतमबल हिो। प्रातः काल बीज मंत्र ÷कलीं' का उचचारण करते हिु ए काली िमचर के नौ दाने िसर पर से घुमाकर दिकण िदशा की ओर फेक दे, ऊपरी बला दरू हिो जाएगी। रिविविार को स्नानािद से िनविृत हिोकर काले कपड़े की छोटी थैली मे तुलसी के आठ पते, आठ काली िमचर और सहिदेई की जड़ बांधकर गले मे धारण करे, नजर दोष बाधा से मुिक्ति िमलेगी। िनमनोक्ति मंत्र का १०८ बार जप करके सरसों का तेल अिभमंित्रत कर ले और उससे पीिड़त व्यिक्ति के शरीर पर मािलश करे, व्यिकत पीड़ामुक्ति हिो जाएगा। मंत्र : ओम नमो काली कपाला देिहि देिहि स्विाहिा। ऊपरी हिविाओं के शिक्तिषाली हिोने की िस्थित मे शाबर मंत्रों का जप एविं प्रयोग िकया जा सकता हिै। प्रयोग करने के पूविर इन मंत्रों का दीपाविली की रात को अथविा हिोिलका दहिन की रात को जलती हिु ई हिोली के सामने या िफर श्मषान मे १०८ बार जप कर इनहिे िसद्ध कर लेना चािहिए। यहिां यहि उलेखि कर देना आविष्यक हिै िक इनहिे िसद्ध करने के इचछुक साधकों मे पयारप्त आतमबल हिोना चािहिए, अनयथा हिािन हिो सकती हिै। िनमन मंत्र से थोड़ा-सा जीरा ७ बार अिभमंित्रत कर रोगी के शरीर से स्पशर

कराएं और उसे अिग मे डाल दे। रोगी को इस िस्थित मे बैठाना चािहिए िक उसका धूआ ं उसके मुखि के सामने आये। इस प्रयोग से भूत -प्रेत बाधा की िनविृित हिोती हिै।  मंत्र : जीरा जीरा महिाजीरा िजिरया चलाय। िजिरया की शिक्ति से फलानी चिल जाय॥ जीये तो रमटले मोहिे तो मशान टले। हिमरे जीरा मंत्र से अमुखि अंग भूत चले॥ जाय हिु कम पाडु आ पीर की दोहिाई॥ एक मुट्ठी धूल को िनमनोक्ति मंत्र से ३ बार अिभमंित्रत करे और नजर दोष से गस्त व्यिक्ति पर फेके, व्यिक्ति को दोष से मुिक्ति िमलेगी।    मंत्र : तहि कुठठ इलाहिी का बान। कूडू म की पती िचराविन। भाग भाग अमुक अंक से भूत। मारं धुलाविन कृष्ण विरपूत। आज्ञा कामर कामाखया। हिािर दासीचणडदोहिाई। थोड़ी सी हिल्दी को ३ बार िनमनिलिखित मंत्र से अिभमंित्रत करके अिग मे इस तरहि छोड़े िक उसका धुआं रोगी के मुखि की ओर जाए। इसे हिल्दी बाण मंत्र कहिते हिै। हिल्दी गीरी बाण बाण को िलया हिाथ उठाय। हिल्दी बाण से नीलिगरी पहिाड़ थहिराय॥ यहि सब देखि बोलत बीर हिनुमान। डाइन योिगनी भूत प्रेत मुंड काटौ तान॥ आज्ञा कामर कामाका माई। आज्ञा हिािड़ की चंडी की दोहिाई॥ जौ, ितल, सफेद सरसों, गेहिूं, चाविल, मूंग, चना, कुष, शमी, आम, डु ंबरक पते और अषोक, धतूरे, दविू ार, आक वि ओगां की जड़ को िमला ले और उसमे दध ू , घी, मधु और गोमूत्र िमलाकर िमश्रण तैयार कर ले। िफर संध्या काल मे हिविन करे और िनमन मंत्रों का १०८ बार जप कर इस िमश्रण से १०८ आहिु ितयां दे। मंत्र : ओम नमः भविे भास्कराय आस्माक अमुक सविर गहिणं पीड़ा नाशनं कु रकुर स्विाहिा

अपषकुन कया हिै? कुछ लकणों को देखिते हिी व्यिक्ति के मन मे आषंका उतपन हिो जाती हिै िक उसका कायर पूणर नहिीं हिोगा। कायर की अपूणरता को दषारने विाले ऐसे हिी कुछ लकणों को हिम अपषकुन मान लेते हिै। अपशकुनों के बारे मे हिमारे यहिां काफी कुछ िलखिा गया हिै, और उधर पिष्चम मे िसगमंड फॉयड समेत अनेक लेखिकों-मनोविैज्ञािनकों ने भी काफी िलखिा हिै। यहिां पाठकों के लाभाथर घरेलू उपयोग की कुछ विस्तुओं, िवििभन जीवि-जंतुओं, पिकयों आिद से जुड़े कुछ अपषकुनों का िविविरण प्रस्तुत हिै। झाड़ू का अपषकुन नए घर मे पुराना झाड़ू ले जाना अषुभ हिोता हिै। उलटा झाडू रखिना अपषकुन माना जाता हिै। अंधेरा हिोने के बाद घर मे झाड़ू लगाना अषुभ हिोता हिै। इससे घर मे दिरदता आती हिै। झाड़ू पर पैर रखिना अपषकुन माना जाता हिै। इसका अथर घर की लकमी को ठोकर मारना हिै। यिद कोई छोटा बचचा अचानक झाड़+ैू लगाने लगे तो अनचाहिे मेहिमान घर मे आते हिै। िकसी के बाहिर जाते हिी तुरत ं झाड़ू लगाना अषुभ हिोता हिै। दध ू का अपषकुन दध ू का िबखिर जाना अषुभ हिोता हिै। बचचों का दध ू पीते हिी घर से बाहिर जाना अपषकुन माना जाता हिै। स्विपन मे दध ू िदखिाई देना अशुभ माना जाता हिै। इस स्विपन से सी संतानविती हिोती हिै। पशुओं का अपषकुन िकसी कायर या यात्रा पर जाते समय कुता बैठा हिु आ हिो और विहि आप को देखि कर चौके, तो िविन हिो। िकसी कायर पर जाते समय घर से बाहिर कुता शरीर खिज ु लाता हिु आ िदखिाई दे

तो कायर मे असफलता िमलेगी या बाधा उपिस्थत हिोगी। यिद आपका पालतू कुता आप के विाहिन के भीतर बार-बार भौके तो कोई अनहिोनी घटना अथविा विाहिन दघ ु र टना हिो सकती हिै। यिद कीचड़ से सना और कानों को फड़फड़ाता हिु आ िदखिाई दे तो यहि संकट उतपन हिोने का संकेत हिै। आपस मे लड़ते हिु ए कुते िदखि जाएं तो व्यिक्ति का िकसी से झगड़ा हिो सकता हिै। शाम के समय एक से अिधक कुते पूविर की ओर अिभमुखि हिोकर क्रंदन करे तो उस नगर या गांवि मे भयंकर संकट उपिस्थत हिोता हिै। कुता मकान की दीविार खिोदे तो चोर भय हिोता हिै। यिद कुता घर के व्यिक्ति से िलपटे अथविा अकारण भौके तो बंधन का भय उतपन करता हिै। चारपाई के ऊपर चढ़ कर अकारण भौके तो चारपाई के स्विामी को बाधाओं तथा संकटों का सामना करना पड़ता हिै। कुते का जलती हिु ई लकड़ी लेकर सामने आना मृतयु भय अथविा भयानक कष का सूचक हिै। पषुओं के बांधने के स्थान को खिोदे तो पषु चोरी हिोने का योग बने। कहिीं जाते समय कुता श्मषान मे अथविा पतथर पर पेषाब करता िदखिे तो यात्रा कषमय हिो सकती हिै, इसिलए यात्रा रद कर देनी चािहिए। गृहिस्विामी के यात्रा पर जाते समय यिद कुता उससे लाड़ करे तो यात्रा अषुभ हिो सकती हिै। िबली दध ू पी जाए तो अपषकुन हिोता हिै। यिद काली िबली रास्ता काट जाए तो अपषकुन हिोता हिै। व्यिक्ति का काम नहिीं बनता, उसे कुछ कदम पीछे हिटकर आगे बढ़ना चािहिए। यिद सोते समय अचानक िबली शरीर पर िगर पड़े तो अपषकुन हिोता हिै। िबली का रोना, लड़ना वि छींकना भी अपषकुन हिै। जाते समय िबिलयां आपस मे लड़ाई करती िमले तथा घुर-घुर शबद कर रहिी हिों तो यहि िकसी अपषकुन का संकेत हिै। जाते समय िबली रास्ता काट दे तो यात्रा पर नहिीं जाना चािहिए। गाएं अभकय भकण करे और अपने बछड़े को भी स्नेहि करना बंद कर दे तो ऐसे घर मे गभर कय की आषंका रहिती हिै। पैरों से भूिम खिोदने विाली और दीन-हिीन अथविा भयभीत िदखिने विाली गाएं घर मे भय की दोतक हिोती हिै।

गाय जाते समय पीछे बोलती सुनाई दे तो यात्रा मे कलेषकारी हिोती हिै। घोड़ा दायां पैर पसारता िदखिे तो कलेष हिोता हिै। ऊंट बाई ं तरफ बोलता हिो तो कलेषकारी माना जाता हिै। हिाथी बाएं पैर से धरती खिोदता या अकेला खिड़ा िमले तो उस तरफ यात्रा नहिीं करनी चािहिए। ऐसे मे यात्रा करने पर प्राण घातक हिमला हिोने की संभाविना रहिती हिै। प्रातः काल बाई ं तरफ यात्रा पर जाते समय कोई िहिरण िदखिे और विहि माथा न िहिलाए, मूत्र और मल करे अथविा छींके तो यात्रा नहिीं करनी चािहिए। जाते समय पीठ पीछे या सामने गधा बोले तो बाहिर न जाएं ।

पिकयों का अपषकुन सारस बाई ं तरफ िमले तो अषुभ फल की प्रािप्त हिोती हिै। सूखिे पेड़ या सूखिे पहिाड़ पर तोता बोलता नजर आए तो भय तथा सममुखि बोलता िदखिाई दे तो बंधन दोष हिोता हिै। मैना सममुखि बोले तो कलहि और दाई ं तरफ बोले तो अषुभ हिो। बतखि जमीन पर बाई ं तरफ बोलती हिो तो अषुभ फल िमले। बगुला भयभीत हिोकर उड़ता िदखिाई दे तो यात्रा मे भय उतपन हिो। यात्रा के समय िचिड़यों का झुड ं भयभीत हिोकर उड़ता िदखिाई दे तो भय उतपन हिो। घुगघू बाई ं तरफ बोलता हिो तो भय उतपन हिो। अगर पीठ पीछे या िपछविाड़े बोलता हिो तो भय और अिधक बोलता हिो तो शत्रु जयादा हिोते हिै। धरती पर बोलता िदखिाई दे तो सी की और अगर तीन िदन तक िकसी के घर के ऊपर बोलता िदखिाई दे तो घर के िकसी सदस्य की मृतयु हिोती हिै। कबूतर दाई ं तरफ िमले तो भाई अथविा पिरजनों को कष हिोता हिै। लड़ाई करता मोर दाई ं तरफ शरीर पर आकर िगरे तो अषुभ माना जाता हिै। लड़ाई करता मोर दाई ं तरफ शरीर पर आकर िगरे तो अषुभ माना जा अपषकुनों से मुिक्ति तथा बचाविके उपाय िवििभन अपशकुनों से गस्त लोगों को

िनमनिलिखित उपाय करने चािहिए। यिद काले पकी, कौविा, चमगादड़ आिद के अपषकुन से प्रभािवित हिों तो अपने इषदेवि का ध्यान करे या अपनी रािष के अिधपित देविता के मंत्र का जप करे तथा धमर स्थल पर ितल के तेल का दान करे। अपषकुनों के दष्ु प्रभावि से बचने के िलए धमर स्थान पर प्रसाद चढ़ाकर बांट दे। छींक के दष्ु प्रभावि से बचने के िलए िनमनोक्ति मंत्र का जप करे तथा चुटकी बजाएं । कक राम राम रामेित रमे रामे मनोरमे। सहिसनाम जपेत्‍ तुल्यम्‍ राम नाम विरानने॥ अषुभ स्विपन के दष्ु प्रभावि को समाप्त करने के िलए महिामदमृतयंज ु य के िनमनिलिखित मंत्र का जप करे। कक हौ जूं सः कक भूभर ुविः स्विः कक त्रयमबकम्‍ यजामहिे सुगिनधम्‍ पुचच्िैटविर्(नम्‍ उविाररूकिमवि बनधनान्‍ मृतयोमुरकीयमाऽमृतात कक स्विः भुविः भूः कक सः जूं हौ॥कक॥ श्री िविष्णु सहिसनाम पाठ भी सभी अपषकुनों के प्रभावि को समाप्त करता हिै। सपर के कारण अषुभ िस्थित पैदा हिो तो जय राजा जनमेजय का जप २१ बार करे। रात को िनमनोक्ति मंत्र का ११ बार जप कर सोएं , सभी अिनषों से भुिक्ति िमलेगी। बंदे नवि घनष्याम पीत कौषेय विाससम्‍। साननदं सुंदरं शुद्धं श्री कृ ष्ण प्रकृते जहिरीले जानविर के काटने का टोटका अिधकतर जाने अनजाने मे जहिरीला जानविर जैसे बरर ततैया िबचछू मधुमकखिी आिद अपना डंक मार देते हिै,ददर के मारे छटपटाहिट हिोने लगती हिै,और उस समय कोई दविा नहिी िमलपाती हिै तो और भी हिालत खिराब हिो जाती हिै,इसका एक अनुभूत टोटका हिै िक िजस स्थान पर काटा हिै,उसके उल्टे स्थान को पानी धो डािलये जहिर खितम हिो जायेगा,जैसे दािहिने हिाथ की उं गली मे डंक मारा हिै,तो बाये हिाथ की उसी उं गली को पानी से धो डािलये ,बाये िहिस्से मे डंक मारा हिै तो उसी स्थान को दािहिने भाग मे पानी से धो डािलये।

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· सांप के िविष से बचावि हिेतु : · चैत्र मास की मेष संक्राित के िदन मसूर की दाल एविं नीम की पितयां खिाएं । सपर काट भी लेगा तो िविष नहिीं चढ़ेगा। इसके अितिरक्ति प्रितिदन प्रातः काल नीम की पितयां चबाकर पानी पीएं और घूमने जाएं , शरीर मे िविष रोधी कमता बढ़ेगी। परम्‍॥ िनविारण के प्रमुखि स्थल · बाला जी (मेहिद ं ीपुर राजस्थान) - भूत प्रेत बाधा िनविारण · हिु सन ै टेकरी (राजस्थान) - भूत प्रेत बाधा िनविारण · पीतांबरा शिक्ति पीठ (तितया) - शत्रु िविनाश · कातयायनी शिक्ति पीठ (विृंदाविन) - कंु आरी कनयाओं के शीघ िविविाहि के िलए · शुचींदम शिक्तिपीठ (कनयाकुमारी) - कंु आरी कनयाओं के शीघ िविविाहि के िलए · गुहेश्विरी देविी (नेपाल) - रोग मुिक्ति · महिाकालेश्विर (उजजै न) - प्राण रका हिेतु कुछ उपयोगी टोटके छोटे-छोटे उपाय हिर घर मे लोग जानते हिै, पर उनकी िवििधवित्‍ जानकारी के अभावि मे विे उनके लाभ से विंिचत रहि जाते हिै। इस लोकिप्रय स्तंभ मे उपयोगी टोटकों की िवििधवित्‍ जानकारी दी जा रहिी हिै... TOTKE पुरखिों के पास केविल अनुभूत उपाय थे,िजनके दारा विे रोग को तुरत दरू कर देते थे,जैसे िकसी सुनसान स्थान या पेड के पास जाने पर विहिां पर लगी बरर या ततैया के झुड ं के दारा आक्रमण करने पर व्यिक्ति सहिन शील हिोता हिै और िविष को झेलने की िहिममत हिोती हिै तो विहि बच जाता हिै,अनयथा जहिरीला डंक व्यिक्ति के प्राण हिी लेलेता हिै,लेिकन इसी समय एक टोटका काम आता हिै,िक दािहिने हिाथ के अंगूठे मे अगर ततैया ने डंक मार िदया हिै तो फ़ौरन बाये हिाथ के अंगूठे को पानी से धो डािलये,िविष का पता हिी नहिी चलेगा िक ततैया या बरर ने काटा भी हिै या नहिीं,इसी बात के िलये जब तक डाकटर के पास जाते,बरर या ततैया के डंक को िनकलविाते िविष रोधी इनजेकसन लगविाते,तो िविष का दखि ु तो दरू हिो जाता,लेिकन उस इनजेकसन का कुप्रभावि िदमाग की नशों को प्रभावि हिीन भी कर सकता था।

नोट : 1. लाल िकताब के सभी उपाय िदन मे हिी करने चािहिए ! अथारत सूरज उगने के बाद वि सूरज डू बने से पहिले ! 2. सचचाई वि शुद्ध भोजन पर िविशेष ध्यान देना चािहिए ! 3. िकसी भी उपाय के बीच मांस, मिदरा, झूठे विचन, परसी गमन की िविशेष मनाहिी हिै ! 4. सभी उपाय पूरे िविश्विास वि श्रद्धा से करे, लाभ अविश्य हिोगा ! 5. एक िदन मे एक हिी उपाय करना चािहिए ! यिद एक से जयादा उपाय करने हिों तो छोटा उपाय पहिले करे ! एक उपाय के दौरान दस ू रे उपाय का कोई सामान भी घर मे न रखिे ! LAAL KITAB KE TOTKE IN HINDI यूं तो अभी तक इस बलॉग मे िसफर आपने कथाएं और भगवित कथाएं हिी पढ़ी हिै लेिकन अब इस बलॉग मे मै कुछ िनजी िजंदगी से जुड़ी परेशािनयों के बारे मे भी िलखि रहिा हिू ं. आज का बलॉग दांप्तय जीविन से जुड़ा हिै. यहि कोई काला जाद ू नहिीं लाल िकताब के िसद्ध टोटके माने जा सकते हिै. शराब छुड़ाने का टोटका

•िजन मिहिलायों के पित अिधक शराब का सेविन करते हिै तथा अपनी आय का अिधक िहिस्सा शराब पर लुटाते हिै,उनके िलए यहि सब से सरल उपाय हिै|िजस िदन आपके पित शराब पीकर घर आये और अपने जूते और उनका जूता अपने आप हिी उल्टा हिो जाये तो आप उस जूते के विजन के बराबर आटा लेकर उसकी िबना तविे तथा चकले की मदद से रोटी बनाकर कुते को िखिला दे|कुछ हिी समय मे विहि शराब से घृणा करने लगेगे|यिद ऐसा संजोग लगातार कम से कम तीन िदन हिो जाये तो विहि तुरत ं हिी शराब छोड़ देगे|

•शराब छुड़ाने का एक उपाए यहि भी हिै की आप िकसी भी रिविविार को एक शराब की उस बांड की बोतल लाये जो बांड आपके पित सेविन करते हिै|रिविविार को उस बोतल को िकसी भी भैरवि मंिदर पर अिपर त करे तथा पुन: कुछ रूपए देकर मंिदर के पुजारी से विहि बोतल विािपस घर ले आये|जब आपके पित सो रहिे हिो अथविा शराब के नशे मे चूर हिोकर मदहिोश हिों तो आप उस पूरी बोतल को अपने पित के ऊपर से उसारते हिु ए २१ बार “ॐ नमः भैरविाय”का जाप करे|उसारे के बाद उस बोतल को शाम को िकसी भी पीपल के विृक के नीचे छोड़ आये|कुछ हिी िदनों मे आप चमतकार देखिेगी| •शराब छुडविाने का एक यहि भी उपाय हिै की आप एक शराब की बोतल िकसी शिनविार को पित के सो जाने के बाद उन पर से २१ बार विार ले|उस बोतल के साथ िकसी अनय बोतल मे आठ सो गाम सरसों का तेल लेकर आपस मे िमला ले और

िकसी बहिते हिु ए पानी के िकनारे मे उल्टा गाढ़ दे िजससे बोतलों के ऊपर से जल बहिता रहिे| •गुरूविार को केले पर हिल्दी लगाकर गुर के १०८ नामों के उचचारण से भी पित की मनोविृित बदलती हिै | •केले के विृक के साथ यिद पीपल के विृक की भी सेविा कर सके तो फल और भी जल्दी प्राप्त हिोता हिै| •गृहि कलेश दरू करने के िलए तथा आिथर क लाभ के िलए गेँहिू शिनविार को िपसविाना चािहिए|उसमे प्रित दस िकलो गेँहिू पर सो गाम काले चने डालने चािहिए|

ज‍योितष को मानने विालों मे 'लाल िकताब' का बड़ा महित‍वि हिै। यहि िकताब सम‍पूणर उत‍तर भारत (िहिन‍दी बेल्‍ट) मे िविशेष रूप से लोकिप्रय हिै। कहिा जाता हिै िक इसमे तमाम तरहि की समस्‍याओं से मुिक्ति के सराल उपाय बताए गये हिै। इन टोटकों को बताकर ज‍य ोितषी लोग अक‍स र लोगों को बे वि कू फ बनाया करते हिै। कुछ लाजविाब टोटके देिखिए : नौकरी/धन/अच‍छे कैिरयर के िलए: शु‍क्रविार को एक ताला खिरीदे। खिरीदते समय न तो स्‍वियं ताले को खिोल कर देखिे और न हिी दक ु ानदार को ऐसा करने दे। ताले को लाकर सोने विाले कमरे मे रखि दे। अगले िदन यानी शिनविार को नहिा धो कर मंिदर मे रखि दे और चले आएं । जैसे हिी कोई ताला खिोलेगा, आपकी िकस्‍मत का ताला भी खिल ु जाएगा। बलड प्रेशर/िडप्रेशन से बचने का उपाय: रिविविार के िदन 325 गाम दध ू अपने िसरहिाने रखि कर सोएं । सोमविार को सुबहि उठकर दध ू को पीपल के पेड़ पर चढ़ा दे, 5 रिविविार यहि िक्रया करे, िनिश्चत लाभ हिोगा। (ये क‍या भइया, अब पीपल महिाराज भी दध ू पीने लगे? माना िक दध ू पौिषक हिोता हिै, लेिकन पीपल महिाराज को दध ू चढ़ाने से हिमारा ब‍लड प्रेशर कैसे कम हिो जाएगा? क‍या ब‍लड प्रेशर िडपाटर मेट विे हिी देखिते हिै क‍या?) माईगेन/आधा सीसी का ददर से बचने का उपाय: मंगलविार को सूयोदय के समय िकसी चौराहिे पर जाएं और एक टु कड़ा गुड़ को दांत से दो भागों मे बांट कर दो अलग-अलग िदशाओं मे फेक दे। 5 सप‍ताहि लगातार यहि िक्रया करे, माईगेन मे लाभ हिोगा। (गजब का तरीका बताया हिै भाई। अगर गुड़ खिाने को कहिते , तो कुछ पल्‍ले भी पड़ता। मुझे तो लगता हिै िक यिद गुड़ को चौराहिे पर फेका गया, तो पहिले तो विहिॉं

पर मिकखियां आएं गी, िफर चींटे आिद। और चौराहिे के टर ािफक मे दब कर विे िबना विजहि मारे जाएं गे। उनकी हित‍या का दोष िकसपर जाएगा यहि िक्रया करने विाले पर या उपाय बताने विाले पर? इस सविाल पर कोई रौशनी डाल सकता हिै?) रोगों से मुि क्ति का उपाय: रात मे पूविर की ओर अपना िसर करके सोएं । सोते समय एक कटोरी मे थोड़ा सा सेधा नमक रखि ले। इससे आपकी बीमारी मे लाभ हिोगा। (अरे? िकतना आसान और कम खिचर विाला उपाय हिै। अब तो डाक‍टरों की छुटटी। क‍या भारत सरकार ने यहि उपाय नहिीं सुना? व्‍यथर मे कैसर, एडस और लाइलाज बीमािरयों की िरसचर और दविाओं पर अरबों रूपये खिचर कर रहिी हिै। सेधा नमक लगाए, सारी बीमािरयों से मुिक्ति पाए।) व्यापार बढाै़ने का उपाय: सविा िकलो काले चने शुक्रविार की रात मे िभगो दे। अगले िदन उन‍हिे सरसों के तेल मे बना ले। बने हिु ए चने के तीन िहिस्‍से करे। एक िहिस्‍सा घोड़/भैसे को िखिला दे। दस ू रा िहिस्सा कुष्ठ रोगी को िखिला दे और तीसरा िहिस्से को अपने ऊपर से तीन बार उतार कर िकसी चौराहिे पर रखि दे। यहि काम 40 िदन तक लगातार करे। व्‍यापार मे िनिश्चत लाभ हिोगा। (अजब बुड़बक आदमी हिै यहि उपय बताने विाला। सविा िकलो चना, चालीस िदन? अमां व्‍यापार बढ़ेगा या बजट िबगड़ेगा? हिां, इससे अगर िकसी का व्‍यापार चलेगा, तो विहि चने विाला हिोगा। सहिी कहिा न?) मुकदमे मे िविजय पाने का उपाय: मुकदमे मे िविजय पाने के िलए कचहिरी मे थोड़े से चाविल लेकर जाएं । उन चाविलों को कायर विाहिी विाले कक के बाहिर फेक दे। लेिकन ऐसा करते समय इस बात का ध्‍यान रखिे िक ऐसा करते समय आपको कोई न देखिे, अन‍यथा लाभ नहिीं हिोगा। विाहि, क‍या गजब का मामू बनाया हिै। कचेहिरी मे चाविल फेको और कोई देखिे नहिीं। भारत जैसे देश मे (ऐसा सम‍भवि हिै? और हिां, एक सविाल िदमाग मे घूम रहिा हिै, अगर मुकदमे के दोनों पक यहिी काम करे, तो िविजय िकसकी हिोगी? जो ज‍यादा अच‍छी क‍विािलटी के चाविल फेकेगा, या जो ज‍यादा चाविल फेकेगा? अंत मे एक और गम‍भीर सविाल क‍या ऐसा करने से अन‍न का अपमान नहिीं हिोगा?)

पित को विश मे करने का उपाय: पान के हिरे पत‍ते पर चंदन और केसर का पाउडर लगाकर दगु ार माता की मूितर /तस्‍विीर के सामने रखिे तथा चंडी स्‍त्रोत का पाठ करे। पाठ के बाद चंदन और केसर के िमश्रण से माथे पर ितलक लगाएं और पित के सामने जाएं । यिद पित न हिो, तो उसके फोटो के सामने जाएं । तदपु रांत उस पत‍ते को एक जगहि संभाल कर रखि दे। 43 विे िदन सभी एकित्रत पत‍तों को जल मे प्रविािहित कर दे। आपका पित पूणरत: आपके विश मे रहिेगा। (लगता हिै िकसी जंगली आदमी ने यहि उपाय बनाया हिोगा, विनार पित को विश मे करने के िलए क‍या िसयों को िकसी उपाय के करने की आविश्‍यकता हिोती हिै। विे तो सुस्‍विाद ु भोजन, दो मीठे बोल और मनमोिहिनी अदाओं से विैसे हिी गुलाम बन जाते हिै। हिाँ, िजनकी पितनयां रणचण‍डी का रूप ले चुकी हिों, उनके िलए कोई व्‍यविहिािरक उपाय हिो तो बात की जाए।) 35॰ घर मे स्थायी सुखि-समृिद्ध हिेतु पीपल के विृक की छाया मे खिड़े रहि कर लोहिे के बतर न मे जल, चीनी, घी तथा दध ू िमला कर पीपल के विृक की जड़ मे डालने से घर मे लमबे समय तक सुखि-समृिद्ध रहिती हिै और लकमी का विास हिोता हिै। 33॰ अगर िनरनतर कजर मे फँसते जा रहिे हिों, तो श्मशान के कुएं का जल लाकर िकसी पीपल के विृक पर चढ़ाना चािहिए। यहि 6 शिनविार िकया जाए, तो आश्चयर जनक पिरणाम प्राप्त हिोते हिै। 36॰ घर मे बार-बार धन हिािन हिो रहिी हिो तों विीरविार को घर के मुखय दार पर गुलाल िछड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखिी (दो मुखि विाला) दीपक जलाना चािहिए। दीपक जलाते समय मन हिी मन यहि कामना करनी चािहिए की `भिविष्य मे घर मे धन हिािन का सामना न करना पड़े´। जब दीपक शांत हिो जाए तो उसे बहिते हिु ए पानी मे बहिा देना चािहिए। 37॰ काले ितल पिरविार के सभी सदस्यों के िसर पर सात बार उसार कर घर के उतर िदशा मे फेक दे, धनहिािन बंद हिोगी। 38॰ घर की आिथर क िस्थित ठीक करने के िलए घर मे सोने का चौरस िसकका रखिे। कुते को दध ू दे। अपने कमरे मे मोर का पंखि रखिे। 39॰ अगर आप सुखि-समृिद्ध चाहिते हिै, तो आपको पके हिु ए िमटी के घड़े को लाल

रंग से रंगकर, उसके मुखि पर मोली बांधकर तथा उसमे जटायक्ति ु नािरयल रखिकर बहिते हिु ए जल मे प्रविािहित कर देना चािहिए। 40॰ अखिंिडत भोज पत्र पर 15 का यंत्र लाल चनदन की स्याहिी से मोर के पंखि की कलम से बनाएं और उसे सदा अपने पास रखिे। 41॰ व्यिक्ति जब उनित की ओर अगसर हिोता हिै, तो उसकी उनित से ईष्यारगस्त हिोकर कुछ उसके अपने हिी उसके शत्रु बन जाते हिै और उसे सहियोग देने के स्थान पर विे हिी उसकी उनित के मागर को अविरूद्ध करने लग जाते हिै, ऐसे शत्रुओं से िनपटना अतयिधक किठन हिोता हिै। ऐसी हिी पिरिस्थितयों से िनपटने के िलए प्रात:काल सात बार हिनुमान बाण का पाठ करे तथा हिनुमान जी को लडू का भोग लगाए¡ और पाँच लौग पूजा स्थान मे देशी कपूरर के साथ जलाएँ । िफर भस्म से ितलक करके बाहिर जाए¡। यहि प्रयोग आपके जीविन मे समस्त शत्रुओं को परास्त करने मे सकम हिोगा, विहिीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूितर करने मे सकम हिोंगे। 42॰ कचची धानी के तेल के दीपक मे लौग डालकर हिनुमान जी की आरती करे। अिनष दरू हिोगा और धन भी प्राप्त हिोगा। 43॰ अगर अचानक धन लाभ की िस्थितयाँ बन रहिी हिो, िकनतु लाभ नहिीं िमल रहिा हिो, तो गोपी चनदन की नौ डिलयाँ लेकर केले के विृक पर टाँग देनी चािहिए। स्मरण रहिे यहि चनदन पीले धागे से हिी बाँधना हिै। 44॰ अकस्मात् धन लाभ के िलये शुकल पक के प्रथम बुधविार को सफेद कपड़े के झंडे को पीपल के विृक पर लगाना चािहिए। यिद व्यविसाय मे आिकस्मक व्यविधान एविं पतन की समभाविना प्रबल हिो रहिी हिो, तो यहि प्रयोग बहिु त लाभदायक हिै। 45॰ अगर आिथर क परेशािनयों से जूझ रहिे हिों, तो मिनदर मे केले के दो पौधे (नरमादा) लगा दे। 46॰ अगर आप अमाविस्या के िदन पीला ित्रकोण आकृित की पताका िविष्णु मिनदर मे ऊँचाई विाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ िक विहि लहिराता हिु आ रहिे, तो आपका भागय शीघ हिी चमक उठे गा। झंडा लगातार विहिाँ लगा रहिना चािहिए। यहि अिनविायर शतर हिै।

47॰ देविी लकमी के िचत्र के समक नौ बितयों का घी का दीपक जलाए¡। उसी िदन धन लाभ हिोगा। 48॰ एक नािरयल पर कािमया िसनदरू , मोली, अकत अिपर त कर पूजन करे। िफर हिनुमान जी के मिनदर मे चढ़ा आएँ । धन लाभ हिोगा। 49॰ पीपल के विृक की जड़ मे तेल का दीपक जला दे। िफर विापस घर आ जाएँ एविं पीछे मुड़कर न देखिे। धन लाभ हिोगा। 50॰ प्रात:काल पीपल के विृक मे जल चढ़ाएँ तथा अपनी सफलता की मनोकामना करे और घर से बाहिर शुद्ध केसर से स्वििस्तक बनाकर उस पर पीले पुष्प और अकत चढ़ाए¡। घर से बाहिर िनकलते समय दािहिना पाँवि पहिले बाहिर िनकाले। 51॰ एक हिंिडया मे सविा िकलो हिरी साबुत मूंग की दाल, दस ू री मे सविा िकलो डिलया विाला नमक भर दे। यहि दोनों हिंिडया घर मे कहिीं रखि दे। यहि िक्रया बुधविार को करे। घर मे धन आना शुरू हिो जाएगा। 52॰ प्रतयेक मंगलविार को 11 पीपल के पते ले। उनको गंगाजल से अचछी तरहि धोकर लाल चनदन से हिर पते पर 7 बार राम िलखिे। इसके बाद हिनुमान जी के मिनदर मे चढ़ा आएं तथा विहिां प्रसाद बाटे और इस मंत्र का जाप िजतना कर सकते हिो करे। `जय जय जय हिनुमान गोसाई ,ं कृपा करो गुरू देवि की नांई´ 7 मंगलविार लगातार जप करे। प्रयोग गोपनीय रखिे। अविश्य लाभ हिोगा। 53॰ अगर नौकरी मे तरककी चाहिते हिै, तो 7 तरहि का अनाज िचिड़यों को डाले। 54॰ ऋगविेद (4/32/20-21) का प्रिसद्ध मनत्र इस प्रकार हिै `ॐ भूिरदा भूिर देिहिनो, मा दभं भूयार भर। भूिर घेिदनद िदतसिस। ॐ भूिरदा तयिस श्रुत: पुरूत्रा शूर विृत्रहिन्। आ नो भजस्वि राधिस।।´ (हिे लकमीपते ! आप दानी हिै, साधारण दानदाता हिी नहिीं बहिु त बड़े दानी हिै। आप्तजनों से सुना हिै िक संसारभर से िनराश हिोकर जो याचक आपसे प्राथर ना करता हिै उसकी पुकार सुनकर उसे आप आिथर क कषों से मुक्ति कर देते हिै उसकी झोली भर देते हिै। हिे भगविान मुझे इस अथर संकट से मुक्ति कर दो।) 51॰ िनमन मनत्र को शुभमुहिूतर मे प्रारमभ करे। प्रितिदन िनयमपूविरक 5 माला श्रद्धा से भगविान् श्रीकृष्ण का ध्यान करके, जप करता रहिे -

“ॐ कलीं ननदािद गोकुलत्राता दाता दािरदरयभंजन। सविर मंगलदाता च सविर काम प्रदायक:। श्रीकृष्णाय नम:।।´´ 52॰ भादपद मास के कृष्णपक भरणी नकत्र के िदन चार घड़ों मे पानी भरकर िकसी एकानत कमरे मे रखि दे। अगले िदन िजस घड़े का पानी कुछ कम हिो उसे अन से भरकर प्रितिदन िवििधवित पूजन करते रहिे। शेष घड़ों के पानी को घर, आँ गन, खिेत आिद मे िछड़क दे। अनपूणार देविी सदैवि प्रसन रहिेगीं। 53॰ िकसी शुभ कायर के जाने से पहिले रिविविार को पान का पता साथ रखिकर जाये। सोमविार को दपर ण मे अपना चेहिरा देखिकर जाये। मंगलविार को िमष्ठान खिाकर जाये। बुधविार को हिरे धिनये के पते खिाकर जाये। गुरूविार को सरसों के कुछ दाने मुखि मे डालकर जाये। शुक्रविार को दहिी खिाकर जाये। शिनविार को अदरक और घी खिाकर जाना चािहिये। 54॰ िकसी भी शिनविार की शाम को माहि की दाल के दाने ले। उसपर थोड़ी सी दहिी और िसनदरू लगाकर पीपल के विृक के नीचे रखि दे और िबना मुड़कर देखिे विािपस आ जाये। सात शिनविार लगातार करने से आिथर क समृिद्ध तथा खिश ु हिाली बनी रहिेगी।

लकमी कौड़ीलकमी कौड़ी का िविशे ष महितवि हिै , इसे अपने घर मे रखिने से लकमी का आकषर ण हिोता हिै ।धन समपदा प्राप्त करने मे सहिायक हिोती हिै । इसे जरर मं ग विाए । व्यापार व्यविसाय मे सफलता के िलए व्यापार विृि द्ध यनत्र बहिु त अचछा काम करता हिै । अगर आपकी द क ु ान ,कारोबार, फे कटरी आिद हिै तो उसमे व्यापार विृि द्ध यनत्र को जरर स्थािपत करे ।इससे व्यापार कई गुन ा बढ़ जाता हिै गाहिक बढ़ते हिै और आय के साधन बढ़ जाते हिै । इस यनत्र को गुर विार के िदन द क ु ान फे कटरी आिद मे स्थािपत करे और िनतय धूप दीप जरर िदखिाये । Posted by ACHARYA AVTAAR SINGH at 9:22 AM 1 comment:

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कया आपको अपने कायर केत्र मे अनाविश्यक दबावि या गलत काम कराने का दबावि पड़ता हिै यिद हिां तो आप िनमन तांित्रक प्रयोग करे ,,आप दबावि तनावि से मुक्ति हिोगे ,आपको भष बनाने ,,आपसे गलत कराने का दबावि कम हिोगा आप सोमविार को दो फूलदार लौग और थोडा सा कपूर ले ,पहिले अपने ईष की िवििधवित पूजा करले ,िफर उस कपूर और लौग को १०८ बार गायत्री मंत्र से अिभमंित्रत करे ,,अब कपूर लोग को जला दे ,अपनी दिष लगातार उस पर बनाए रखिे और गायत्री मंत्र का पाठ करते रहिे ,,जब लौग-कपूर पूरी तरहि जल जाए तब ,उससे बनी भष्म या राखि को इकठा कर ले ,,आप इसे तीन बार [सुबहि,शाम और कायर केत्र मे प्रविेश पर ]अपनी िजहा [[जीभ]] पर थोडा सा लगाए ,,आप के कायर केत्र मे आप पर दबावि ७ िदनों मे कम हिो जाएगा -----------------------------------

आजकल विाहिनों की दघ ु र टना आम बात हिो गयी हिै , सड़क पर हिर कदम सोच समझ कर रखिना पड़ता हिै ,विाहिन की संखया िजस िहिसाब से बढ़ रहिी हिै उसी िहिसाब से दघ ु र टनाये भी बढ़ रहिी हिै । एसे मे अपने जान माल की सुरका हिोना जररी हिै । हिनुमान जी की शिक्ति से संपन विाहिन दघ ु र टना नाशक यनत्र को अपने घर और विाहिन मे स्थािपत करने पर ,,श्री हिनुमान जी की कृपा से विाहिन आिद से दघ ु र टना का भय िबलकुल नहिीं रहिता हिै । सविर त्र रका हिोती हिै । इसे मंगलविार या शिनविार के िदन एक यनत्र घर पर और एक यनत्र अपने विाहिन के आगे के िहिस्से मे कहिी पर भी रखि दे । धुप दीप िदखिा कर पूजा अविश्य करे पहिले । --------------------------------------------------

बजरङग विशीकरण मनत्र “ॐ पीर बजरङी, राम लकमण के सङी। जहिां-जहिां जाए, फतहि के डङे बजाय। ‘अमुक’ को मोहि के, मेरे पास न लाए, तो अञनी का पूत न कहिाय। दहिु ाई राम-जानकी की।” िवििध- ११ िदनों तक ११ माला उक्ति मनत्र का जप कर इसे िसद्ध कर ले। ‘राम-नविमी’ या ‘हिनुमान-जयनती’ शुभ िदन हिै। प्रयोग के समय दध ू या दध ू िनिमर त पदाथर पर ११ बार मनत्र पढ़कर िखिला या िपला देने से, विशीकरण हिोगा।...................................

आकषर ण हिेतु हिनुमद ्-मनत्र-तनत्र

“ॐ अमुक-नामना ॐ नमो विाय-ु सूनविे झिटित आकषर य-आकषर य स्विाहिा।” िवििध- केसर, कस्तुरी, गोरोचन, रक्ति-चनदन, श्विेत-चनदन, अमबर, कपूरर और तुलसी की जड़ को िघस या पीसकर स्याहिी बनाए। उससे दादशदल-कलम जैसा ‘यनत्र’ िलखिकर उसके मध्य मे, जहिाँ पराग रहिता हिै, उक्ति मनत्र को िलखिे। ‘अमुक’ के स्थान पर ‘साध्य’ का नाम िलखिे। बारहि दलों मे क्रमशः िनमन मनत्र िलखिे- १॰ हिनुमते नमः, २॰ अञनीसूनविे नमः, ३॰ विायु-पुत्राय नमः, ४॰ महिा-बलाय नमः, ५॰ श्रीरामेषाय नमः, ६॰ फाल्गुन-सखिाय नमः, ७॰ िपङाकाय नमः, ८॰ अिमतिविक्रमाय नमः, ९॰ उदिध-क्रमणाय नमः, १०॰ सीता-शोक-िविनाशकाय नमः, ११॰ लकमण-प्राण-दाय नमः और १२॰ दश-मुखि-दपर -हिराय नमः। यनत्र की प्राण-प्रितष्ठा करके षोडशोपचार पूजन करते हिु ए उक्ति मनत्र का ११००० जप करे। बहचयर का पालन करते हिु ए लाल चनदन या तुलसी की माला से जप करे। आकषर ण हिेतु अित प्रभाविकारी हिै। ----------------------------------------

सविर कायर िसिद्ध कविच िजस व्यिक्ति को लाखि प्रयतन और पिरश्रम करने के बादभी उसे मनोविांिछत सफलताये एविं िकये गये कायर मे िसिद्ध (लाभ) प्राप्त नहिीं हिोती, उस व्यिक्ति को सविर कायर िसिद्ध कविच अविश्य धारण करना चािहिये। कविच के प्रमुखि लाभ: सविर कायर िसिद्ध कविच के दारा सुखि समृिद्ध और नवि गहिों के नकारातमक प्रभावि को शांत कर धारण करता व्यिक्ति के जीविन से सविर प्रकार के द :ु खि-दािरद का नाश हिो कर सुखि-सौभागय एविं उनित प्रािप्त हिोती हिै।

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आकषर ण एविं विशीकरण के प्रबल सूयर मनत्र १॰ “ॐ नमो भगविते श्रीसूयारय हीं सहिस-िकरणाय ऐं अतुल-बलपराक्रमाय नवि-गहि-दश-िदक्-पाल-लकमी-देवि-विाय, धमर -कमर -सिहितायै ‘अमुक’ नाथय नाथय, मोहिय मोहिय, आकषर य आकषर य, दासानुदासं कुर-कुर, विश कुर-कुर स्विाहिा।” िवििध- सुयरदेवि का ध्यान करते हिु ए उक्ति मनत्र का १०८ बार जप प्रितिदन ९ िदन तक करने से ‘आकषर ण’ का कायर सफल हिोता हिै। --------------------------------------------------------------------

श्री यंत्र" सबसे महितविपूणर एविं शिक्तिशाली यंत्र हिै। "श्री यंत्र" को यंत्र राज कहिा जाता हिै कयोिक यहि अतयनत शुभ फ़लदयी यंत्र हिै। जो न केविल दस ू रे यनत्रो से अिधक से अिधक लाभ देने मे समथर हिै एविं संसार के हिर व्यिक्ति के िलए फायदेमंद सािबत हिोता हिै। पूणर प्राण-प्रितिष्ठत एविं पूणर चैतनय यक्ति ु "श्री यंत्र" िजस व्यिक्ति के घर मे हिोता हिै उसके िलये "श्री यंत्र" अतयनत फ़लदायी िसद्ध हिोता हिै उसके दशर न मात्र से अन-िगनत लाभ एविं सुखि की प्रािप्त हिोित हिै। "श्री यंत्र" मे समाई अिदितय एविं अदश्य शिक्ति मनुष्य की समस्त शुभ इचछाओं को पूरा करने मे समथर हिोित हिै। िजस्से उसका जीविन से हिताशा और िनराशा दरू हिोकर विहि मनुष्य असफ़लता से सफ़लता िक और िनरनतर गित करने लगता हिै एविं उसे जीविन मे समस्त भौितक सुखिो िक प्रािप्त हिोित हिै। "श्री यंत्र" मनुष्य जीविन मे उतपन हिोने विाली समस्या-बाधा एविं नकारातमक उजार को दरू कर सकारतमक उजार का िनमारण करने मे समथर हिै। "श्री यंत्र" की स्थापन से घर या व्यापार के स्थान पर स्थािपत करने से विास्तु दोष य विास्तु से समबिनधत परेशािन मे नयन ु ता आित हिै वि सुखि-समृिद्ध, शांित एविं ऐश्वियर िक प्रिप्त हिोती हिै।

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मै सभी िमञो से कहिना चाहिता हिु ँ िक समस्याओ से परेशान न हिो ये आयेगी और चली जायेगी मन मे रखिने से ये बस जायेगी, और आपके जीविन को िदशाहिीन करेगी आप विैिदक मंत्रो यंत्रो के उपाय करे इससे गहि दशा भी सुधर जायेगी और आपके समसत काँयो की िसिध्द भी हिोगी हिमारे विैिदक जयोितष उपायो के साथ साथ हिमारे यहिा जनमपित्रका भी बनाई जाती हिै आज हिी समपकर करे । और आप हिमारे पास से अिभमिनत्रत श्रीगणेशजीयंत्र॰ श्रीलकमीजीयंत्र॰श्रीकुबेरदेवितायंत्र ॰ सविॅिसिध्ददायकयंत्र॰ व्यापारविृिधयंत्र ॰नविगहिआिदयंत्र॰आिभचारनाशकयंत्र॰घरमेसुखिशािनतदायकयंत्र॰॰इतयािद कायो ं के िलए संपकर करे॰ नोट-ये मेरा शौक हिी नहिी अिपतु मेरी जीिविका भी हिै| अतः िनशुल्क की आशा ना करे॰ धनयविाद....…. .PROVIDE YOUR DETAILS Name/Gender Birth Date Birth Time Birth Place Query...

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..कनकधारा यंत्र आज के यगु मे हिर व्यिक्ति अितशीघ समृद्ध बनना चाहिता हिै। धन प्रािप्त हिेतु प्राण-प्रितिष्ठत कनकधारा यंत्र के सामने बैठकर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से िविशेष लाभ प्राप्त हिोता हिै। इस कनकधारा यंत्र िक पूजा अचर ना करने से ऋण और दिरदता से शीघ मुिक्ति िमलती हिै। व्यापार मे उनित हिोती हिै, बेरोजगार को रोजगार प्रािप्त हिोती हिै। श्री आिद शंकराचायर दारा कनकधारा स्तोत्र िक रचना कुछ इस प्रकार िक हिै, िजसके श्रविण एविं पठन करने से आस-पास के विायम ु ंडल मे िविशेष अलौिकक िदव्य उजार उतपन हिोती हिै। िठक उसी प्रकार से कनकधारा यंत्र अतयंत दल ु र भ यंत्रो मे से एक यंत्र हिै िजसे मां लकमी िक प्रािप्त हिेतु अचूक प्रभाविा शाली माना गया हिै। कनकधारा यंत्र को िविदानो ने स्वियंिसद्ध तथा सभी प्रकार के ऐश्वियर प्रदान करने मे समथर माना हिै। जगदगुर शंकराचायर ने दिरद बाहण के घर कनकधारा स्तोत्र के पाठ से स्विणर विषार कराने का उलेखि गंथ शंकर िदिगविजय मे िमलता हिै।

कनकधारा मंत्र:- ॐ विं श्रीं विं ऐं हीं-श्रीं कलीं कनक धारयै स्विाहिा'

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Posted by ACHARYA AVTAAR SINGH at 9:20 AM No comments:

Object 3

Monday, July 16, 2012 संतान प्रािप्त के उपाय

सं त ान प्रािप्त के सरल उपाय

हिमारे ऋिष महििषर य ों ने हिजारो साल पहिले हिी सं त ान प्रािप्त के कु छ िनयम और सयम बताये हिै ,सं स ार की उतपित पालन और िविनाश का क्रम पृथ् विी पर हिमे श ा से चलता रहिा हिै ,और आगे

भी

चलता रहिे ग ा। इस क्रम के अनदर पहिले जड चे त न का जनम हिोता हिै ,िफ़र उसका पालन हिोता हिै और समयानुस ार उसका िविनास हिोता हिै । मनुष् य जनम के बाद उसके िलये चार पुर षाथर सामने आते हिै ,पहिले धमर उसके बाद अथर िफ़र काम और अनत मे मोक, धमर का मतलब पूज ा पाठ और अनय धािमर क िक्रयाओं से पूर ी तरहि से नहिी पोतना चािहिये ,धमर का मतलब मयारद ा मे चलने से हिोता हिै ,माता को माता समझना िपता को िपता का आदर दे न ा अनय पिरविार और समाज को यथा िस्थित आदर सतकार और सबके प्रित आस्था रखिना हिी धमर कहिा गया हिै ,अथर से अपने और पिरविार के जीविन यापन और समाज मे अपनी प्रितष्ठा को कायम रखिने का कारण माना जाता हिै ,काम का मतलब अपने दारा आगे की सं त ित को पै द ा करने के िलये सी को पित और पुर ष को पतनी की कामना करनी पडती हिै ,पतनी का कायर धरती की तरहि से हिै और पुर ष का कायर हिविा की तरहि या आसमान की तरहि से हिै ,गभारध ान भी सी को हिी करना पडता हिै ,विहि बात अलग हिै िक पादपों मे अमर बे ल या द स ू रे हिविा मे पलने विाले पादपों की तरहि से कोई पुर ष भी गभारध ान करले । धरती पर समय पर बीज का रोपड िकया जाता हिै,तो बीज की उतपित और उगने विाले पे ड का िविकास सुच ार रूप से हिोता रहिता हिै ,और समय आने पर उचचतम फ़लों की प्रािप्त हिोती हिै ,अगर विषार ऋतु विाले बीज को गीष्म ऋतु मे रोपड कर िदया जाविे तो विहि अपनी प्रकृ ित के अनुस ार उसी प्रकार के मौसम और रखि रखिावि की आविश्यकता को चाहिे ग ा,और नहिी िमल पाया तो विहि सूखि कर खितम हिो जाये ग ा,इसी प्रकार से प्रकृ ित के अनुस ार पुर ष और सी को गभारध ान का कारण समझ ले न ा चािहिये । िजनका पालन करने से आप तो सं त ानविान हिोंगे हिी आप की सं त ान भी आगे कभी द खि ु ों का सामना नहिीं करेग ा…

कु छ राते ये भी हिै िजसमे हिमे समभोग करने से बचना चािहिए .. जै से अषमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुदर श ी, पूि णर म ा और अमविाश्या .चनदाविती ऋिष का कथन हिै िक लड़का-लड़की का जनम गभारध ान के समय सी-पुर ष के दायां-बायां श्विास िक्रया, िपं ग ला-तूड़ ा नाड़ी, सूयर स् विर तथा चनदस्विर की िस्थित पर िनभर र करता हिै। गभारध ान के समय सी का दािहिना श्विास चले तो पुत्र ी तथा बायां श्विास चले तो पुत्र हिोगा।

यिद आप पुत्र प्राप्त करना चाहिते हिै और विहि भी गुण विान, तो हिम आपकी सुि विधा के िलए हिम यहिाँ माहिविारी के बाद की िवििभन राित्रयों की महितविपूणर जानकारी दे रहिे हिै । मािसक सावि रकने से अं ि तम िदन (ऋतुक ाल) के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एविं 16 विीं राित्र के गभारध ान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एविं 15 विीं राित्र के गभारध ान से कनया जनम ले त ी हिै । १- चौथी राित्र के गभर से पै द ा पुत्र अल्पायु और दिरद हिोता हिै । २- पाँच विीं राित्र के गभर से जनमी कनया भिविष्य मे िसफर लड़की पै द ा करेग ी। ३- छठविीं राित्र के गभर से मध्यम आयु विाला पुत्र जनम ले ग ा। ४- सातविीं राित्र के गभर से पै द ा हिोने विाली कनया बांझ हिोगी। ५- आठविीं राित्र के गभर से पै द ा पुत्र ऐश्वियर श ाली हिोता हिै । ६- नौविीं राित्र के गभर से ऐश्वियर श ािलनी पुत्र ी पै द ा हिोती हिै । ७- दसविीं राित्र के गभर से चतुर पुत्र का जनम हिोता हिै। ८- गयारहिविीं राित्र के गभर से चिरत्रहिीन पुत्र ी पै द ा हिोती हिै। ९- बारहिविीं राित्र के गभर से पुर षोतम पुत्र जनम ले त ा हिै। १०- ते र हिविीं राित्र के गमर से विणर सं क र पुत्र ी जनम ले त ी हिै । ११- चौदहिविीं राित्र के गभर से उतम पुत्र का जनम हिोता हिै । १२- पं द हिविीं राित्र के गभर से सौभागयविती पुत्र ी पै द ा हिोती हिै। १३- सोलहिविीं राित्र के गभर से सविर ग ण ु सं प न, पुत्र पै द ा हिोता हिै । सहिविास से िनविृत हिोते हिी पतनी को दािहिनी करविट से 10-15 िमनट ले टे रहिना चािहिए, एमदम से नहिीं उठना चािहिए। कई बार प्रायः दे खि ने मे आया हिै की िविविाहि के विषो बाद भी गभर धारण नहिीं हिो पाता या बार-बार गभर प ात हिो जाता हिै , जयोितष मे इस समस्या या दोष का एक प्रमुखि कारण पित या पतनी की कंु डली मे सं त ान दोष अथविा िपतृ दोष हिो सकता हिै या घर का विास्तुद ोष भी हिोता हिै , िजसके कारण गभर धारण नहिीं हिो पाता या बार-बार गभर प ात हिो जाता हिै जयोितष- विास्तु शास मे कु छ ऐसे प्रमुखि दोष बताये गए हिै िजनके कारण सं त ान की प्रािप्त नहिीं हिोती या विं श विृि द्ध रक जाती हिै | इस समस्या के पीछे की विास्तिविकता..कया हिै इसका शासीय और जयोितषीय आधार कया हिै ये आप अपनी जनम कंु डली के दारा जानकारी प्राप्त कर सकते हिै

...

इसके िलए आप हििरविं श पुर ाण का पाठ या सं त ान गोपाल मं त्र का जाप करे या िकसी अछे िविदान से कराये .

Posted by ACHARYA AVTAAR SINGH at 11:50 PM No comments:

Object 4

Sunday, July 15, 2012

totke गाय को घास िखिलाने से कष द रू हिोते हिै , पं ि छयों को दाना डालने से रोजगार अचछा चलता हिै , कु तों को रोटी दे ने से द श्ु मन द रू भागते हिै , चींिटयों को आहिार दे ने से कजर म क्ति ु रहिते हिै , मछिलयों को आटा गोली चुग ाने से समृि ध आती हिै

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Posted by ACHARYA AVTAAR SINGH at 10:59 PM No comments:

Object 5

आकषरण +++++++ आिदतय िदलाएं नौकरी पाने मे सफलता इं ट रव्यू दे ते समय नविर स हिो जाते हिै ? आपकी जॉब नहिीं लग पा रहिी हिै , आप अके ले हिी ऐसे नहिीं हिै िजसे इस तरहि की समस्या हिै। अिधकांश लोग इं ट रव्यू दे ते समय नविर स हिो जाते हिै । यिद आप इं ट रव्यू दे ने से पहिले नीचे िलखिा उपाय करेगे तो इं ट रव्यू मे आप नविर स नहिीं हिोंगे और सकसे स भी िमले ग ी। प्रयोग शुक ल पक के प्रथम रिविविार से शुरू करे। बारहि गुल ाब के फू ल ले क र एक सफे द कपड़े पर रखि ले । एक सफे द कागज पर रोली से यहि मं त्र िलखिे - ऊँ घृण ीं हीं आिदतय श्रीं - मं त्र को धूप -दीप से पूि जत करे। मं त्र बोलते जाएं और एक-एक फू ल सफे द रूमाल से उठाकर मं त्र िलखिे उस सफे द कागज पर रखि दे । बारहि फू लों को इस तरहि पूि जत करे और कागज पर रखिते जाएं । इस तरहि यहि प्रयोग बारहि िदन तक दोहिराएं और फू लों को बहिती नदी मे प्रविािहित करे। शीघ हिी इं ट रव्यू मे सकसे स िमले ग ी।

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आकषर ण एविं विशीकरण के प्रबल सूयर मनत्र १॰ “ॐ नमो भगविते श्रीसूय ारय हीं सहिस-िकरणाय ऐं अतुल -बल-पराक्रमाय नवि-गहि-दश-िदक् पाल-लकमी-दे वि -विाय, धमर -कमर -सिहितायै ‘अमुक ’ नाथय नाथय, मोहिय मोहिय, आकषर य आकषर य , दासानुद ासं कु र-कु र, विश कु र-कु र स्विाहिा।” िवििध- सुयर दे वि का ध्यान करते हिु ए उक्ति मनत्र का १०८ बार जप प्रितिदन ९ िदन तक करने से ‘आकषर ण ’ का कायर सफल हिोता हिै । २॰ “ऐं िपनस्थां कलीं काम-िपशािचनी िशघं ‘अमुक ’ गाह गाह, कामे न मम रपे ण विश्विै ः िविदारय िविदारय, दाविय दाविय, प्रेम -पाशे बनधय बनधय, ॐ श्रीं फट् ।” िवििध- उक्ति मनत्र को पहिले पविर , शुभ समय मे २०००० जप कर िसद्ध कर ले । प्रयोग के समय ‘साध्य’ के नाम का स्मरण करते हिु ए प्रितिदन १०८ बार मनत्र जपने से ‘विशीकरण’ हिो जाता हिै। ............. -------------------------------------------------------

शत्रु-मोहिन “चनद-शत्रु राहिू पर, िविष्णु का चले चक्र। भागे भयभीत शत्रु, दे खिे जब चनद विक्र। दोहिाई कामाका दे वि ी की, फँू क-फँू क मोहिन-मनत्र। मोहि-मोहि-शत्रु मोहि, सतय तनत्र-मनत्र-यनत्र।। तुझे शंक र की आन, सत-गुर का कहिना मान। ॐ नमः कामाकाय अं कं चं टं तं पं यं शं हीं क्री श्रीं फट् स्विाहिा।।” िवििधः- चनद-गहिण या सूयर -गहिण के समय िकसी बारहिों मास बहिने विाली नदी के िकनारे , कमर तक जल मे पूविर क ी ओर मुखि करके खिड़ा हिो जाए। जब तक गहिण लगा रहिे , श्री कामाका दे वि ी का ध्यान करते हिु ए उक्ति मनत्र का पाठ करता रहिे । गहिण मोक हिोने पर सात डु बिकयाँ लगाकर स्नान करे। आठविीं डु बकी लगाकर नदी के जल के भीतर की िमटी बाहिर िनकाले । उस िमटी को अपने पास सुर िकत रखिे । जब िकसी शत्रु को सममोिहित करना हिो, तब स्नानािद करके उक्ति मनत्र को १०८ बार पढ़कर उसी िमटी का चनदन ललाट पर लगाए और शत्रु के पास जाए। शत्रु इस प्रकार सममोिहित हिो जाये ग ा िक शत्रुत ा छोड़कर उसी िदन से उसका सचचा िमत्र बन जाएगा।....................... ----------------------------------------------------

आकषर ण हिे त ु हिनुम द्-मनत्र-तनत्र “ ॐ अमुक -नामना ॐ नमो विायु -सून विे झिटित आकषर य -आकषर य स्विाहिा।” िवििध- के सर, कस्तुर ी, गोरोचन, रक्ति-चनदन, श्विे त -चनदन, अमबर, कपूर र और तुल सी की जड़ को िघस या पीसकर स्याहिी बनाए। उससे दादश-दल-कलम जै स ा ‘यनत्र’ िलखिकर उसके मध्य मे , जहिाँ पराग रहिता हिै , उक्ति मनत्र को िलखिे । ‘अमुक ’ के स्थान पर ‘साध्य’ का नाम िलखिे । बारहि दलों मे क्रमशः िनमन मनत्र िलखिे - १॰ हिनुम ते नमः, २॰ अञनी-सून विे नमः, ३॰ विायु-पुत्र ाय नमः, ४॰ महिा-बलाय नमः, ५॰ श्रीरामे ष ाय नमः, ६॰ फाल्गुन -सखिाय नमः, ७॰ िपङाकाय नमः, ८॰ अिमतिविक्रमाय नमः, ९॰ उदिध-क्रमणाय नमः, १०॰ सीता-शोक-िविनाशकाय नमः, ११॰ लकमण-प्राणदाय नमः और १२॰ दश-मुखि -दपर -हिराय नमः। यनत्र की प्राण-प्रितष्ठा करके षोडशोपचार पूज न करते हिु ए उक्ति मनत्र का ११००० जप करे। बहचयर का पालन करते हिु ए लाल चनदन या तुल सी की माला से जप करे। आकषर ण हिे त ु अित प्रभाविकारी हिै। ................ ----------------------------------------------------------------------

काली काली महिा-काली, इनद की बे ट ी, बहा की साली। पीती भर भर रक्ति पयाली, उड़ बैठ ी



पीपल की डाली। दोनों हिाथ बजाए ताली। जहिाँ जाए विज की ताली, विहिाँ ना आए द श्ु मन हिाली। द हिु ाई कामरो कामाखया नै न ा योिगनी की, ईश्विर महिादे वि गोरा पाविर त ी की, द हिु ाई विीर मसान की।।” िवििधः- प्रितिदन १०८ बार ४० िदन तक जप कर िसद्ध करे। प्रयोग के समय पढ़कर तीन बार जोर से ताली बजाए। जहिाँ तक ताली की आविाज जाये ग ी, द श्ु मन का कोई विार या भूत , प्रेत असर नहिीं करेग ा।..... -----------------------------------------------------------------------

शूक र-दनत विशीकरण मनत्र “ ॐ हीं कलीं श्रीं विाराहि-दनताय भै र विाय नमः।” िवििध- ‘शूक र-दनत’ को अपने सामने रखिकर उक्ति मनत्र का हिोली, दीपाविली, दशहिरा आिद मे १०८ बार जप करे। िफर इसका ताबीज बनाकर गले मे पहिन ले । ताबीज धारण करने विाले पर जाद ूटोना, भूत -प्रेत का प्रभावि नहिीं हिोगा। लोगों का विशीकरण हिोगा। मुक दमे मे िविजय प्रािप्त हिोगी। रोगी ठीक हिोने लगे ग ा। िचनताएँ द रू हिोंगी और शत्रु परास्त हिोंगे । व्यापार मे विृि द्ध हिोगी।............. -----------------------------------------------------------------------

Posted by ACHARYA AVTAAR SINGH at 10:58 PM No comments:

Object 6

Pandit Ashu Bahuguna कािमया िसनदूर -मोहिन मनत्र“हिथे ल ी मे हिनुम नत बसै , भै र बसे कपार। नरिसं हि की मोिहिनी, मोहिे सब सं स ार। मोहिन रे मोहिनता विीर, सब विीरन मे ते र ा सीर। सबकी नजर बाँध दे , ते ल िसनदूर चढ़ाऊँ तुझे । ते ल िसनदूर कहिाँ से आया ? कैलास-पविर त से आया। कौन लाया, अञनी का हिनुम नत, गौरी का गने श लाया। काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार। िबनदा ते ल िसनदूर का, दुश्मन गया पाताल। दुहि ाई किमया िसनदूर की, हिमे दे खि शीतल हिो जाए। सतय नाम, आदे श गुर की। सत् गुर , सत् कबीर। िवििध- आसाम के ‘काम-रप कामाखया, के त्र मे ‘कामीया-िसनदूर ’ पाया जाता हिै। इसे प्राप्त कर लगातार सात रिविविार तक उक्ति मनत्र का १०८ बार जप करे। इससे मनत्र िसद्ध हिो जाएगा। प्रयोग के समय ‘कािमया िसनदूर ’ पर ७ बार उक्ति मनत्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाए। ‘टीका’ लगाकर जहिाँ जाएँ गे , सभी विशीभूत हिोंगे । .

* यिद एक महिीने मे 5 शिनविार या 5 रिविविार या 5 मं ग लविार आए तो राजा का नाश हिोता हिै। * रात मे कौविे बोले , िदन मे गीदड़ बोले तो अविश्य हिी कोई बड़ा उपदवि हिोगा। * मोर िविशे ष आतुर हिोकर बोले और मट्ठा-खिटा हिो जाए तो समझो िक पानी बरसने विाला हिै। * भोजन के बाद पे श ाब करना और उसके बाद बाएं करविट सोना बड़ा िहितकारक हिै।

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भूरे रंग की हििथनी, गं जे िसर की सी और पौष मास की विषार बड़े भागय से िमलती हिै ।

* यिद साविन के महिीने मे शुक्र का दशर न न हिो तो बड़ा भारी अकाल पड़े ग ा। * यिद मोर पं खि या तीतर के पर के समान बादल उठे तो अविश्य हिी विषार हिोगी। * यिद घड़े का पानी गरम प्रतीत हिो, िचिडै़य ा धूल मे नहिाए और चींटी अं डे ले क र चले तो शीघ हिी भरपूर विषार हिोगी।



बरगद के पते पर अपनी कोई भी शुभ मनोकामना िलखि कर जल पविारहि करने

से शुभ फल अविश्य िमलते हिै



Posted by ACHARYA AVTAAR SINGH at 12:10 PM

Om hram anjanisuthaya angushtabhyam nama Om hrem Rudhra murthaye tharjaneebhyam nama Om hroom Rama dhoothaya madhyamabhyam nama Om hraim Vayu puthraya anamikabhyam nama Om Hroum Agni garbhaya kanishtikabhyam nama Om hrah Brahmasthra nivaranaya kara thala kara prushtabhuam nama Ithi kara nyasa Om Hram salutations to son of Anjana at the thumb Om Hreem salutations to Rudhra murthy through fore finger Om Hroom salutations to messenger of Rama through middle finger Om Hraim salutations to son of vayu through fourth finger Om Hroum salutations to he who has fire within him through little finger

Om Hrah salutations to he who cures Brahmasthra through the entire palm. Adha Hrudhayadhi nyasa (Now signs on the heart) Om Hraam Anjani suthaaya hrudhayaya nama Om Hreem Rudhra moorthaye sirase swaha Om Hroom Rama dhoothaya Shikaayai vashat Om Hraim Vayuputhraya kavachaya hoom Om Hroum Agnigarbhaya nethra thrayaya voushat Om Hrah Brahmasthra nivaranaya asthraya phat Ithi hrudhayadhi Shadanga nyasa Chant Om Hraam son of Anjana and touch the heart Chant Om Hreem RudhraMurthy and touch the head Chant Om hroom messenger of Rama and touch your hair Chant Om Hraim son of Vayu and imagine it is your armour Chant Om Hroum He who has fire in him and touch the eyes Chant Om Hrah he who cures Brahmasthra



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