Homeopathy can be an effective low cost medication for masses. इस पु ि सतका मे िनमनिलिखत िवषयो पर िवचार रखे गए है . 1. होिमओपै थ ी को जन सामानय की पै थ ी बनाने के िलए िवचार रख रहा हु . (My thoughts on implementation of Homeopathy on a wide scale in rural areas.) 2. होमीओपै थ ी मे मू ल दवा का एक भी परमाणु नहीं है तो वह काम
कै से करती है ? (How does a homeopathic remedy work when there is not a single molecule of the original medicinal substance.)
3. होिमओपै थ ी मे दवा का चयन कै से िकया जाता है ? (How to select a remedy in homeopathy?) 4. होिमओपै थ ी दवा घर मे कै से बनाये ? (How to make homeopathy meds at home?) 5. होिमओपै थ ी मे खु र ाक को कै से िनधारि रत करते है , दवा खाते वकत
िकन िनबर ध ो का पालन करते है , दवा को दोहराते कब है . (What is one dose, what are the restrictions, when should the dose be repeated.)
6. नाम मात शु ल क पर होिमओ िकलिनक कै से चलाये . (What infrastructure is needed to operate a nominal fee clinic.) 7. होिमओपै थ ी की मु ख य दवाइया. (Main remedies in homeopathy.) यह पु ि सतका आपको होिमओपै थ ी की जानकारी दे ने के िलए िलखी
गयी है . आप िकताब को पढकर जो कोई िनणर य ले ते है उसकी िजममे द ारी आपकी होगी. ले ख क पकट रप से कोई भी िजममे द ारी ले ने से इं क ार करता है .
होिमओपै थ ी को जन सामानय की पै थ ी बनाने के िलए िवचार रख रहा हु . (My thoughts on implementation of Homeopathy on a wide scale in rural areas.) आइये बात करे एक ऐसे पैथी की जो िबलकुल ही ससती है . हा इतनी ससती की िबलकुल मुफत. वह पैथी है होिमओपैथी.
होिमओपैथी मे मल ू दवा का एक परमाणु भी नहीं होता है इसिलए यह संभव है की आपको दवा इतनी ससती िमल सकती है .
होिमओपैथी दवा शरीर के मागरदशरक का काम करती है . इसिलए दवा का सही चयन और एक के बाद दस ू री दवा का कम इसमे बहोत मायने रखता है .
डा. सामुएल हिनमन होिमओपैथी के जनक है . आप एलोपैथी की सवोचच पदवी पाप कर चुके थे. लेिकन एलोपैथी की काम करने की पदित से आपको आपित होने के कारण आपने गहन अभयास और अथक पिरशम के बाद होिमपैथी का िवकास िकया.
होमोओपैथी यिद इतनी ससती है तो उसका पयोग वयापक सतर पर कयो नहीं हो रहा है ? उसकी वजह है की होमोपैथी को दस ू री पैिथयो की तरह पयोग करनी की कोिशश होती है िजससे पिरणाम नहीं िमलते है .
मतलब यह है की हर पैथी के कुछ आधार होते है और उस पैथी के अंतगरत दवा उसी आधार पर दी जाती है . जैसे एलोपैथी मे दवा का वगीकरण ऐसे हो सकता है जैसे... १. ददर को खतम करने वाली दवा २. बुखार को उतारने वाली दवा. ३. नींद लाने वाली दवा. ४. िसटरोइड.
५. िवटािमन सपलीमे टस. तो यिद मरीज को बुखार है तो उसे बुखार उतरने वाली दवा दी जाएगी. यिद उसे नींद नहीं आती है तो नींद आने की गोली दी जाएगी.
एलोपैथी मे आपात पिरिसथित मे िसटरोइड का पयोग भी करते है . जी हा यह बात सच है की सटे रोइड ने एलोपैथी को चमतकािरक शिक पदान की है और यह भी बात सच है की उसके साइड इफेकटस भी भयंकर होते है .
ददर िनवारक शिक तो ददर िनवारक औषिधयो मे होती है लेिकन उसके दषु पिरणाम लीवर, िकडनी जैसे महतवपूणर अंगो पर बडे पैमाने पर हो सकते है .
हम ने यह सब बाते यहाँ इसिलए कही है की लोगो का, खासकर गाव के लोगो का अलोपैथी पर िवशास है . वो जबतक चमकीले कागज मे दवा न दे खे, इंजेकशन न दे खे उनहे तो लगता ही नहीं की दवाखाने आये है .
साहब ऐसा न समझे की हम ये सब बाते िकसी को िनचा िदखने के िलए कह रहे है .
हमारी ऐसी कोई कोिशश नहीं है . हम तो बस इस पक मे कुछ बाते रखना चाहते है की
होिमओपैथी को एक मौका तो दे . और भी बात है की यहाँ गयारं टी वाली कोई बात नहीं है . और मुझ पर जुरमाना वगैरह लगाने की कोई बात ना सोचे. मै आपके सामने एक िवचार रख रहा हु उसपर गौर बस कीिजये.
तो होिमओपैथी मे खास बात कया है , अलग बात कया है इस पर आ जाए. होिमओपैथी मे हर लकण के िलए अलग दवा नहीं दी जाती है . इस मे वयिक के सारे लकण िलए जाते है .
आप आपके पेशंट से िनचे दी हुई बाते पछ ू े. होमोपैथी मे बहुत दवाइयां है . यिद परू ी बात पता नहीं चली तो दवा बताने मे होती है .
िदककत
१. आप का िमजाज कैसा है ? गुससेबाज, ठं डा िदमाग, हर िकसीसे पयार, हर िकसीसे नफरत, या आप
ही बताये कैसे है आप.
२. आपके बदन मे कया कया तकलीफ है जैसे सर ददर , कमर का ददर इतयािद, ददर को ठीक तरहसे पूरा बताये ३. आपको ठं डी का मौसम अचछा लगता है
खुली हवा अचछी लगती है या गमी का
मौसम अचछा लगता है , कया खुदको ढक कर रहते हो
४. िकस वकत आप सुहाना महसस ू करते है और िकस वकत आप ठीक नहीं होते. जैसे सुबह मे आपका िमजाज ठीक होता है और रात को िबगड जाता है . ५. आपकी नींद कैसी है . ६. आपको पसीना िकतना आता है ? जयादा या कम. कहा पर आता है - पेट पर, मह ु पर, सर पर.
७. आपकी पयास कैसी है . आप पानी, गरम पेय और शीत पेय िकतना पीते है . एक बार मे थोडा पीते है या जयादा पीते है . ८. आपकी परे शानी एक जगह बैठने से या आराम करने से बढाती है या घुमने िफरने से, काम करने से बढती है
९. आपका हाजमा कैसा है . हाजमे मे कोई िदककत है . आप रोज िकतनी बार जाते है . पेट पूरा साफ़ होता है या किबजयत रहती है . १०. आप को यौन से सबंिधत कोई िशकायत है कया. ११. यिद आप सी है तो कया आपकी माहवारी ठीक से आती है . कया महीने के महीने आती है . ठीक समय पर. िकतने िदन रहती है .
पदर मे खून जयादा जाता है , कम जाता है या बराबर.
कया आपको पदर के पहले, उसके दौरान या उसके बाद मे कोई िशकायत होती है . जैसे कोथे मे ददर , हाथ पैर मे ददर, बुखार आना, उलटी होना इतयािद. १२. आपकी उम िकतनी है , कद िकतना है , वजन िकतना है . आपको पेशट ं से उपरोक जानकारी लेने के बाद मे ही दवा तय करनी है . यिद आप कहे गे की बुखार है तो ये दवा दे दे ता हु. ददर है तो वह दवा दे दे ता हु तो काम नहीं चलेगा.
होमीओपै थ ी मे मू ल दवा का एक भी परमाणु नहीं है तो वह काम
कै से करती है ? (How does a homeopathic remedy work when there is not a single molecule of the original medicinal substance.)
होमीओपैथी मे मूल दवा का एक भी परमाणु नहीं है तो वह काम कैसे करती है ? जैसे हम आपको पहले बता चुके है की होिमओपैथी शरीर की मागरदशरक है . वह शरीर मे खुद की बदौलत कोई रासायिनक पिरवतरन ला कर शरीर को ठीक नहीं करती है . वह शरीर का आवाहन करती है .
होिमओपैथी के जनक का यह मानना था की शरीर को हर मजर के िलए अलग दवा की जररत नहीं है . उसे समपण ू र लकण के आधार पर केवल एक ही दवा दी जानी चािहए. अब सवाल आता है की उस दवा का चयन कैसे करे . तो उनहोने कहा की उसका चयन केवल एक ही आधार पर हो सकता है . वह आधार ऐसा है . अनेक सवसथ वयिक एक औषधीय
पदाथर को खाए िजसके औषधीय गण ु ो का पिरकण करना है . उस पदाथर को खाने के बाद
वयिकयो मे अलग अलग पकार के लकण पकट होगे. उन सभी लकणो को ठीक से िलखे. इस संकलन के आधार पर मटे िरया मेिडका बनाये. तो मटे िरया मेिडका मे औषधीय ततव को खाने के बाद सवसथ वयिक मे कौनसे लकण उतपनन होते है यह िदया होता है .
इसके अलावा मटे िरया मेिडका मे एक और आधार पर कुछ िलखा जा सकता है . वह
आधार है िकलिनकल अनुभव. याने वह दवा दे ने के बाद पेशट ं के कौनसे रोग ठीक हुए यह िकलिनक के अनुभव बताते है . असवसथ वयिक को जब यही दवा उसकी असवसथता के लकणो के िलए दी जाती है तो वह ठीक हो जाता है .
सबसे बडा अलगपन होिमओपैथी मे यह है की इसमे दवा माता मे नहीं दी जाती है . दवा आपने दे खा होगा की अकसर माता मे दी जाती है जैसे ५ एम जी की गोली, २५ एम जी की गोली. होिमओपैथी मे दवा इस पकार ना दे ने का कारण है उसमे मल ू ततव का भौितक रप मे न होना. केवल मागरदशरन के िलए होना.
डा हिनमन ने मानो दवा बनाने की पदित मे एक कांित कर दी. उनहोने कहा की दवा सथल ू माता मे नहीं बिलक पोटे सी के रप मे िखलाये.
उनहोने कहा की पोटे सी बनाने की दो सकेल है . एक एकस पोटे सी और दस ू री सी पोटे सी. एकस पोटे सी बनाने के िलए मल ू दवा एक भाग ले और जो ततव घोल बनाने का काम
करे गा उसके ९ भाग ले. इनके िमशण को जबरदसत घोल कर शिक पदान करे . जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है १ एकस पोटे सी.
इस १ एकस पोटे सी के घोल से १ भाग ले और घोल के ततव का काम करने वाले ततव
के ९ भाग ले. इनके िमशण को जबरदसत घोल कर शिक पदान करे . जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है २ एकस पोटे सी. इस २ एकस पोटे सी के घोल से १ भाग ले और घोल के ततव का काम करने वाले ततव
के ९ भाग ले. इनके िमशण को जबरदसत घोल कर शिक पदान करे . जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है ३ एकस पोटे सी. इस पकार जब आप कम से आगे बढे गे तो आप को +१ पोटे सी िमलती जायेगी. आपको यिद ३० एकस पोटे सी चािहए तो आपको ३० बार यह िकया करनी पडेगी. सी पोटे सी बनाने के िलए मल ू दवा एक भाग ले और जो ततव घोल बनाने का काम
करे गा उसके ९९ भाग ले. इनके िमशण को जबरदसत घोल कर शिक पदान करे . जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है १ सी पोटे सी.
इस १ सी पोटे सी के घोल से १ भाग ले और घोल के ततव का काम करने वाले ततव के
९९ भाग ले. इनके िमशण को जबरदसत घोल कर शिक पदान करे . जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है २ सी पोटे सी. इस २ सी पोटे सी के घोल से १ भाग ले और घोल के ततव का काम करने वाले ततव के ९९ भाग ले. इनके िमशण को जबरदसत घोल कर शिक पदान करे . जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है ३ सी पोटे सी.
इस पकार जब आप कम से आगे बढे गे तो आप को +१ पोटे सी िमलती जायेगी. आपको यिद ३० सी पोटे सी चािहए तो आपको ३० बार यह िकया करनी पडेगी.
पोटे सी बनाने की यह सब जिटल िकया आपको खुद नहीं करनी है . आज कल पोटे नटे जर मशीने आती है जो अलग अलग पोटे सी बडी आसनी से बनाके दे ती है .
जब पोटे सी ३० सी के आगे िनकल जाती है तो उसमे मल ू दवा का रे णु नहीं होता. उसके पहले मल ू दवा का रे णु उसमे होता है .
घोल बनाने के िलए अलकोहोल का पयोग होता है . आप को होिमओपैथी की दवा घर पर नहीं बनानी है , वह दक ू ान से लानी है . हमारा मकसद होिमओपैथी के पीछे कया िवजान है इसे जानना नहीं है . हमारा मकसद है िकस तरह एक असरकारी दवा छोटे छोटे गावो तक इंटर नेट, कॉल सेणटर इतयािद के माधयम से पहुचाई जाये. हम यहाँ ऐसे असंखय की होिमओपैथी काम करती है .
मामले पसतुत करे गे िजसमे आप दे खेगे
होिमओपै थ ी मे दवा का चयन कै से िकया जाता है ? (How to select a remedy in homeopathy?) होिमओपैथी मे दवा का चयन कैसे िकया जाता है ? दवा के चयन के दो मुखय आधार है ... १. रे परटरी
२. मटे िरया मेिडका मटे िरया मेिडका मे अनेक दवाओ के लकण िदए हुए है . आप यिद िकसी भी दवा को मटे िरया मेिडका मे दे खते हो तो आप पाएंगे की िजस तरह हमने पेशंट से जानकारी लेने के िलए एक पशावली यहाँ (कृपया पहले के पेज दे खे) दी है उसी पकार हर दवा मे अनेक अनेक लकण िदए जाते है .
जो आदमी मटे िरया मेिडका पहली बार पढता है वह तो बहोत आशयर करता है की इसमे
तो हर दवा हर लकण पर काम करती है . यही होिमओपैथी को काम करने से रोकने वाली सोच है . हर दवा अनेक लकणो पर तभी कर करे गी जब पेशंट के लकण (िसमपटमस) समग रप मे उससे मेल खायेगे.
समग रप से मेल खाने का मतलब यह नहीं है की िजतने लकण मटे िरया मेिडका मे
िदए हुए है वो सब पेशंट मे रहे . उसका मतलब है की पेशंट ने दवा के साथ मेल खाना चािहए. जैसे हर २ टांग वाले आदमी को अिमताभ जैसा नहीं कहा जा सकता. आप दे खेगे की
उसकी हाइट िकतनी है . यिद उसकी हाइट ६ फीट से जयादा है तो भी उसे अिमताभ जैसा नहीं कहा जा सकता यिद वह बहोत मोटा है . अगर उसका रप अिमताभ जैसा है लेिकन
बाते करते वकत यिद वह शालीनता नहीं िदखाता है तो उसे अिमताभ जैसा नहीं कही जा सकता.
लेिकन कोई आदमी यिद अिमताभ की सी अदब रखता है तो उसका रप रं ग िभनन हो
तो भी आप उसे अिमताभ कहे गे. उसी तरह यिद अपने गण ु ो से पैसा बनाने मे यिद कोई आदमी बहोत मािहर है तो आप उसे सिचन ते दल ु कर कहे गे. भले ही उस आदमी ने कभी हाथ मे बलला न पकडा हो.
िकसी पेशंट मे िकसी रे िमडी को दे खना यह एक कला है और वह कला अभयास से ही आती है .
रे परटरी मे लकणो की सिू च होती है . और हर लकण के सामने उन दवाइयो के नाम िदए होते है जो इन लकणो को ठीक करने मे कारगर िसद हुई है . रे परटरी का उपयोग करके हम जो दवा हमे मटे िरया मेिडका के तौलिनक अभयास से सबसे जयादा संयिु कक पतीत होती है उसे चन ु ते है .
हम चार पांच लकणो से रे परटरी का अवलोकन करके बाद मे मटे िरया मेिडका के आधार पर संयुिकक दवा तक पहुचते है . कभी कभी कुछ लकण ऐसे होते है की िजसके िलए दवा की खोज करना बहोत आसान होता है . रे परटरी और मटे िरया मेिडका खोलकर दे खने की जररत नहीं पडती.
जैसे यिद िकसी को एिकसडेट होने से सदमा पहुचता है तो उसकी दवा आिनरका है . एिकसडेट के कारण यिद हडडी की चोट है तो पहले आिनरका लेने के बाद उसने रता लेना चािहए. यिद वह बैठने से अकड जाता है तो रहस टॉकस लेना चािहए.
यिद ऊँगली कट जाती है या ऐसा ही कुछ होता है तो कैले दल ु ा लेना चािहए. जखम बडी है और उसमे सज ु न है तो लेडम पाल लेना चािहए. जखम की वजह से बहोत ददर है तो हायपरीकम लेना चािहए.
यिद आग से या गरम चीज से तवचा जल गयी है तो कैनथैिरस का पयोग करे .
होिमओपै थ ी दवा घर मे कै से बनाये ? (How to make homeopathy meds at home?) आप यिद िकसी होिमओपैथी दवा की दक ू ान पर जाते हो तो आपको दवा दो पकार की िमले गी.
१. िसल की हुई बोतल मे . २. दक ु ानदार आपको बडी बोतल से छोटी बोतल मे दवा डालकर और उसपर दवा का नाम िचपका कर दे गा.
कुछ लोगो का ऐसा मानना है की िसफर जमरन दवा ही अचछी होती है . लेिकन यह धारणा गलत है . अब हमे इस मानिसकता से बाहर िनकलना होगा.
जो दवा िसल पैक मे िमलती है वह १० एम एल, ३० एम एल ऐसे साइज मे िमलती है . आप छुटी दवा लेते है तो ५ एम एल साइज मे भी िमलेगी. यहाँ हम िसफर िलिकवड
डैलश ू न की बात कर रहे है . दवा िलिकवड रप मे खरीदकर बाद मे उससे गोली बनाना ससता पडता है .
५ एम एल छुटी दवा आपको ८-१२ रपये मे िमलेगी. आप १०० गाम शककर के गलोबुलस
(गोली) १० रपये मे खरीद सकते है . आप ३० नमबर के या बीस नंबर के गलोबुलस खरीदे . १० नंबर के गलोबुलस बहोत छोटे होने से लेने मे िदककत होती है . आप चार ३० एम एल की ४ खाली बोतले भी दक ु ान से खरीदे . ये चार बोतले भी आपको १० रपये मे िमलेगी.
चारो बोतलो मे गलोबुलस हाथ से सपशर ना करते हुए भरे . आप चाडी का पयोग कर सकते है . आपके हाथ सवचछ और सूखे होने चािहए. थोडा बहोत सपशर होता है तो भी डर नहीं. जो ५ एम एल दवा आपको िलिकवड डैलश ु न के रप मे िमलेगी उसपर चोच लगी होगी.
आपको चोच से ७-१० बँद ु े चारो बोतलो मे ऊपर से डालनी है . यिद चोच ना भी हो तो
आप सावधानी पूवक र बोतल से एक चौथाई दवा हर गलोबुलस वाली बोतल मे डाले. याद
रहे की आपको गोली पहले डालनी है और डैलश ु न बाद मे टपकाना है . इसके बाद आपको बोतल को ठीक से बंद करना है और जोर से िहलाना है . सौ गाम गलोबुलस को इस तरह आप केवल तीस रपये मे बना सकते है .
एक खुराक मे िसफर एक गोली लेनी है . १०० गाम मे सैकडो गोिलया है . इसीिलए हमने कहा है की यह एकदम ससता इलाज है .
आप दक ु ानदार से िकसी दवा को गलोबुलस के रप मे खरीदते है तो वह आपको ५ गाम गलोबुलस १० रपये मे दे गा.
हमने यहाँ िजन दवाओ की बात की है वह ६ सी पोटे सी से अिधक की पोटे सी वाली दवाइया है . इन दवाइयो के िलिकवड डैलश ु न िमलते है . एकस पोटे सी का िलिकवड डैलश ु न नहीं िमलता. एकस पोटे सी की दवा सीधे दक ु ान से गोली के रप मे खरीदनी पडेगी.
मदर िटंचर का पयोग इस पकार गोली मे डालकर नहीं करते है . वह सीधा पानी मे
डालकर िपने से या मह ु मे टपकाकर पयक ु होता है . सो मदर िटंचर भी महं गा पडता है .
होिमओपै थ ी मे खु र ाक को कै से िनधारि रत करते है , दवा खाते वकत
िकन िनबर ध ो का पालन करते है , दवा को दोहराते कब है . (What is one dose, what are the restrictions, when should the dose be repeated.)
आइये इन सवालो का एक एक करके जवाब दे ते है . दवा का िनधाररण माता मे नहीं होता है . एक गोली भी वही काम करे गी िजतना सौ गोली
करे गी. इसिलए बेहतर है की एक गोली ले. खचार भी कम आएगा. यह मायने रखता है जब आप असपताल नाम मात शुलक पर चलाते है . कुछ लोगो का यह मानना है की दवा वाटर डोस मे अचछा काम करती है . वाटर डोस बनाने के िलए १ गोली दवा को १ लीटर पानी मे डाले. इसमे से १ चमचा दवा एक
खरु ाक के रप मे ले. मै खद ु वाटर डोस मे दवा नहीं दे ता हु. लेिकन यह बात मैने इसिलए बतायी की वाटर डोस की पदित से आपको यह यकीन हो जायेगा की होिमओपैथी मे माता कोई मायने नहीं रखती.
दस ू रा सवाल है की दवा लेते समय िकन पथयो का पालन करे . दवा को बोतल के ढककन मे बोतल से डाले. दवा को हाथ मे रखकर मह ु मे ना डाले. बोतल के ढककन से ही दवा मुह मे उतारे .
दवा खाने के आध घंटा पहले मह ु को पानी के कुलले से साफ़ करे . दवा खाने के आध
घंटा पहले और आध घंटा बाद मे आपके मुह मे खाने िपने की कोई चीज ना जाये. जैसे सुबह ८ बजे यिद आपको दवा खानी है तो ७.३० बजे पानी से कुलला करे . बेहतर है की मंजन आप दवा खाने के एक घंटा पहले ही कर ले. ७.३० बजे से ८.३० बजे तक आप
कुछ खाए िपए नहीं. पानी भी ना िपए. गुटखा, तमबाखू एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक ना खाए.
होिमओपैथी दवा खाने वाला आदमी कचचा पयाज और कचचा लहसन न खाए. यिद बी पी की िशकायत के कारण कचचा लहसन खाते है तो दवा मे और लहसन मे २ घंटे का अंतर रखे.
कोफफ़ी न िपए, शराब ना िपए. मन को शांत रखे. तीसरा सवाल है की दवा को दोहराया कब जाए. जैसे की मै पहले ही बता चक ू ा हु, होिमओपैथी शरीर के मागरदशरक का काम करती है . वह अपने आप मे कोई शारीिरक िकया मे िकसी रसायन के माधयम से कोई दखल नहीं दे ती है . संयिु कक या िवचार यक ु दवा की ५ खरु ाक १२ घंटे के अंतर से शरीर का मागरदशरन करने मे सकम है . तो पाच खरु ाक ले कर पेशंट को एक हपा इनतजार करना चािहए
उसके पिरणाम का. िजतना िवचार करना है िवचार युक दवा खाने के पहले करे . हडबडी मे
तीन चार दवा एक साथ ले लेना या एक के बाद दस ू री दवा को फटाफट लेना िवचारो मे असतवयसतता की िनशानी है . ऐसा न करे .
आप दवा की शुरआत २०० पोटे सी से कर सकते है . ३० पोटे सी मे आप दवा की अिधक खुराक जैसे पांच के बदले १० ले सकते है .
आपको दस पंधरा िदन तक दे खते रहना है की दवा का पिरणाम कया आता है . यिद पिरणाम अचछा आया था और बाद मे िफर तकलीफ शर ु हो जाती है तो दवा को उसी तरह वापस लेना है .
यिद पिरणाम से आप संतष ु नहीं तो पोटे सी बढाने के या दस ू री दवा के बारे मे सोचे. मै अकसर २०० पोटे सी से शुर करता हु और ऊपर दी हुई पदित का अनुसरण करता हूँ. मै केवल एक गोली एक खुराक के रप मे दे ता हु. यह पदित मेरे िलए अचछा काम कर
रही है . कुछ मामलो मे मैने सीधे १ एम पोटे सी दी. कुछ मामलो मे मैने ३० सी पोटे सी को रोज दोहराया. लेिकन ये मामले बहुत नहीं है .
नाम मात शु ल क पर होिमओ िकलिनक कै से चलाये . (What infrastructure is needed to operate a nominal fee clinic.) साहब, यहाँ मै जो बात कह रहा हु वह डॉकटर लोगो के पित दभ ु ारवना रख कर नहीं. डॉकटर तो पूजय है और वो बेहतरीन काम कर रहे है . भारत के िवशाल रप को दे खते हुए हम यह कोिशश कर रहे है की दरू दराज के इलाको मे झोपड पटीयो मे , शहर से दरू छोटे छोटे गावो मे हम "आरोगय सेवा केद" खोले. ऐसे हर एक केद पर पमुख दवाइया ३० गाम उपलबध होगी. ये दवा १ महीने के िलए पयारप है .
बाद मे इसका िरिफिलंग िकया जाएगा. दवा का यह बकसा हजार रपये से जयादा लागत मे नहीं बनेगा.
इस सेवा केद मे एक वयिक ऐसा बैठेगा जो पेशंट से जानकारी लेना जानता है . उस
जानकारी के आधार पर वह या तो खद ु दवा दे गा या वह एक कॉल सेटर को कॉल करे गा. कॉल सेणटर मे अनभ ु वी डॉकटर होगे. जो दवा का नाम लकणो के आधार पर बताएँगे. आप इस सेवा यज मे िनमन िलिखत रप मे जड ु सकते है . १. सेवा केद का जानकारी लेने वाला सवयंसेवक बनकर.
२. सेवा केद अपने घर मे या िकसी पज ू ा सथल मे कायारिनवत करने के पालक या रकक बनकर.
३. यिद आप डॉकटर है तो आप अपने फ़ोन पर कॉल सेणटर की सेवा एक सवयंसेवक के रप मे दे सकते है . आइये ले जाए होिमओपैथी लोगो के पास हम और आप. यिद भारत के िकसी भी भाग मे उपरोक काम करने मे इचछुक है तो हमे समपकर करे . हमारा ईमेल है .
[email protected]
होिमओपै थ ी की मु ख य दवाइया. (Main remedies in homeopathy.) हम अपना धयान होिमओपैथी की पमख ु दवाओ पर केिनदत करे . होिमओपैथी मे सैकडो
दवाइयाँ है . सैकडो दवाओ मे उलझने से बेहतर है की तीस दवाओ की गहन जानकारी कर ले. Natrum Mur Kreosotum Symphytum Myristica Rhus Tox Bryonia Ledum Pal Apis Conium Arsenicum Album Antimonium Crud Thuja Carbo Veg Kali Carb Sepia Phosphoric Acid Hepar Sulph Silicea Phosphorus Nux Vomica Sulphur Lycopodium
Calcarea Carb Pulsatilla Tissue salt remedies 1. Kali Mur 2. Natrum Sulph 3. Natrum Phos 4. Calc Fluorica 5. Ferrum Phos 6. Calc Sulphurica 7. Kali Sulph 8. Mag Phos 9. Kali फोस 10. Calc Phos
बायो के मीक दवाइया ( Bio Chemic Medicines). जैसे की हमने दे खा की होिमओपैथी मे दवा को समग लकणो के आधार पर ढूंढा जाता है . यह पिकया कही कभी जिटल हो जाती है . डा. शज ु लर ने बायो केमीक दवाओ को पेश
िकया. इनहे िटशु सालट भी कहते है . यह बारा कार हर िटशु मे पाए जाते है . इनको िनचली पोटे सी जैसे ३ एकस, ६ एकस, १२ एकस मे पयोग िकया जाता है . इनका पयोग २-३ दवा को एक साथ लेकर भी करते है . होिमओ पैथी मे समगता के आधार पर केवल एक ही
दवा दी जाती है . दवाओ मे जो समबनध होते है उनहे धयान मे रखकर एक के बाद दस ू री दवा दे सकती है . कभी कभी यह पिकया जिटल होने से इस सरल पदित का िवकास
िकया गया. लेिकन यह पदित होिमओपैथी िजतनी कारगर नहीं है और थोडी खचीली भी है . आप को गोली दक ू ान से खरीदनी पडती है . आप िलिकवड खरीदकर उससे घर मे गोली नहीं बना सकते. काली मुर
कबज, नजला, बुखार नैटरम सलफ़
डायिरया, नजला, बुखार, एिसिडटी
वयिक गरम वातावरण पसंद करता है तो काम करने की संभावना अिधक है .
नैटरम
फोस
डायिरया, एिसिडटी कैलक फलओ ु रइका
दात ददर , हडडी की कमजोरी फेरम
फोस
बख ु ार, खन ू की कमी, थकावट कैलक
सलफ
फोडे, पीब का बनना काली सलफ़ िपमपलस, चमर िवकार मैग फोस तेजी से उठने वाला ऐसा ददर िजसमे िजस अंग मे ददर हो रहा है उसे जोर से दबाने पर आराम होता है . काली फोस
िनराशा, तनाव, अतयिधक मानिसक शम कैलक फोस
हडडी की कमजोरी. हडडी मे फोडा बनना. दात की कमजोरी. नैटरम मरु
अतयािधक गमी होना, चमर रोग, पसीना आना, कबज होना. िसिलिशया
हडडी की कमजोरी, फोडा, मसुडो की समसयाए.
नै ट रम मर (Natrum Mur)
जब वयिक दीघर काल से दःु ख के बोझ तले दबा हुआ होता है . यह वयिक कलातमक हो सकता है . यह दस ु रे के ददर का अहसास रखने वाला हो सकता है . जब यह ददर मे होता है तो दस ु रे से सहानुभूित नहीं चाहता.
यह नमक का जयादा पयोग करने वाला हो सकता है . इसे खाना खाते समय बहोत पसीना आने की संभावना है .
जो बुखार पलट पलट कर आता है उसमे यह दवा काम कर सकती है . गमी की अित से जो दषु पिरणाम होते है उनमे भी यह पयक ु होती है . सी को रक पदर मे अिधक साव होने की संभावना है . तेल वाली तवचा पर यह दवा काम करने की समभावना है . सख ु ी खुजली मे यह काम कर सकती है .
िकओसोटम (Kreosotum) यह दवा पयुक होती है जब साव जलन पैदा करने वाला होता है . जैसे रक पदर का साव या शेत पदर का साव जो जलन पैदा करता है .
सी के योनी मे होने वाली खुजली भी इस दवा का लकण है .
बचचो के दात सडना, काले होना इसमे भी यह दवा काम करने की संभावना रखती है .
िसमफायटम (Symphytum) यह हडडी जोड दवा है . जब हडडी टूटने के बाद मे उसे पलासटर मे बाँध िदया जाता है तो इस दवा के सेवन से हडडी जड ु ने की िकया जलदी होती है .
हडडी पर हुए घाव से जब आस पास सज ु न आ जाती है तब भी यह पयुक होती है .
मायिरसिटका (Myristica) यह पीब को बहार िनकलने की एक जबरदसत दवा है . जब फोडे को पकाकर फोडने की बात होती है तो इसे िसलीिशया और हे पर सलफ़ से जयादा पभावशाली माना जाता है .
यह िफसटुला (भगंदर) मे पयुक होती है . आप समझ गए होगे की जहा पीब है वहा यह काम कर सकती है .
रहस टॉकस (Rhus Tox) यह वयिक जब एक जगह िसथर होता है तो उसके बदन मे और जोडो मे ददर बढ जाता है . सुबह उठने के बाद वह अकड जाता है . बैठने से भी अकड जाता है . वयिक को जब चोट लगती है तो उसमे अकडन अकसर आती है इसिलए इस दवा को चोट के बाद पयुक िकया जाता है . सदी खासी और गले मे खराश भी यहाँ संभव है . यह वयिक बािरश के िदनो मे या ठणड के िदनो मे बदतर हो जाता है . तवचा मे खुजली हो सकती है .
बायोिनया (Bryonia) इस दवा को तब इसतेमाल करे जब वयिक हलचल से शरीर मे और जोडो मे ददर महसूस करे .
वह एकदम िसथर रहना चाहता है . थोडी हलचल से भी उसके ददर मे बढौतरी होती है . वह काम को जाता तो है नहीं पर काम की बाते बहोत करता है . यह वयिक िचडिचडा हो सकता है .
उसे गले मे तकलीफ हो सकती है . मुह सख ु ा हुआ हो सकता है . वह गले से बलगम िनकलना तो बहुत चाहता है पर िनकलता बहोत कम है . उसे सरददर हो सकता है . चककर आ सकते है .
वह ठं डी और खुली हवा पसंद करता है . गमी से उसकी परे शानी बढती है .
उसे सास की तकलीफ हो सकती है . चलने िफरने से या रात के वकत बढ सकती है .
ले ड म पाल (Ledum Pal) यह दवा याद करे जब िकसी नोक वाली चीज से घाव होकर वहा सुजन आ जाती है .
वात िवकारो मे जहा सज ु न होती है और कीडा काटने जैसा ददर होता है तो यह दवा उपयक ु िसद हो सकती है .
एपीस (Apis). यह वयिक मधु मकखी काटने जैसी पीडा का अनुभव करता है . इसे पयास कम लगती है और उसे ठं डा पानी िपने की इचछा होती है . वह ठं डी और खुला हवा पसंद करता है और बंद कमरे मे घुटन महसूस करता है . यह वयिक अतयंत कामासक हो सकता है . तवचा के रोगो मे जब मुधू मकखी काटने जैसा अनुभव
होता है और ठं डक से राहत
होती है तो इस दवा को याद करे .
सी के सतन पर इस दवा का अचछा पभाव दे खा गया है . यिद उसे सतन मे ददर होता है या गाठे होती है .
कोिनयम (Conium) यह वयिक कमजोरी महसस ू करता है .
यह दवा तब कारगर िसद होती है जब आदमी को जबरन यौन संबंधो से िवमुख रहने के कारण अनेक वयािधया होती है .
इस दवा का असर सी के वक सथलो पर दे खा गया है . वक सथल के कै सर पर भी इसको काम करते हुए दे खा गया है .
इस दवा का िवशेष लकण यह मान सकते है कैलक काबर की तुलना मे की इसमे सी को पदर मे खून कम जाता है .
शरीर के िहससो मे झन ु झन ु ी भी हो सकती है . धीरे धीरे यिद लकवा उभरता है तो इस दवा को याद करे .
पुरषो मे मदारनगी की कमी दे खी जा सकती है .
असे ि नकम आलबम (Arsenicum Album) यह असवसथता की दवा है . बेचैनी की दवा है . पेशंट को जब अतयािधक िचंता सताती है तो इसे न भल ू े. कै सर का या अनय िकसी जिटल रोग का रोगी अपने अंितम िदनो मे जब अतयािधक पीडा झेलता है तो ऊँची पोटे सी मे पयक ु होने से यह दवा आराम िदलाती है . इस वयिक को ठणड अिधक लगती है और वह ओढे रहना पसंद करता है . गलत आहार से जब फ़ूड पोइसिनंग
होता है तो यह दवा काम करती है . वैसे इस वयिक
को लूज मोशन हो सकता है . ऐसा भी हो सकता है की पैखाना ठीक से न हो और बकरी की तरह थोडा थोडा हो.
इस दवा की सबसे बडी िवशेषता यह है की इसमे आदमी शरीर के िविभनन िहससो मे
जलन महसूस करता है और खुद को गरम बनाये रखने से ही राहत महसूस करता है . यह िवरोधाभास है लेिकन यही पेशंट के साथ होता है . यिद इस पकार का पेशंट आपके सामने है तो बडी संभावना है की यह दवा काम करे गी. चमर रोगो पर यह अचछा असर िदखाती है . सी को पदर मे भारी साव हो सकता है . वयिक को रात मे नींद न आने की िशकायत हो सकती है . वयिक कमजोरी महसूस करता है और काम करने के बाद बेहद थक जाता है .
एं ट ीमोिनयम कड (Antimonium Crud) यह भी मससे की अगणी दवा मे से एक है . कबज की तकलीफ हो सकती है . एिसिडटी की भी तकलीफ हो सकती है . सर के ऊपर से नहाने से सरददर होना इसका एक िवशेष लकण है . यह वयिक गस ु सेबाज हो सकता है . छोटी छोटी बातो पर िचड सकता है . कबज और डायिरया उसे अलट पलट कर हो सकता है .
इस दवा का एक मख ु य लकण है की पेशंट की जीभ सफ़ेद होती है . खटा खाने की पविृ त इसमे होती है .
थू ज ा (Thuja) यह मससो की एक अगणी दवा है . यह वयिक ठनडे और नमी भरे मौसम मे बदतर हो जाता है . इसे सरददर की तकलीफ हो सकती है . यह वयिक िनराश हो सकता है . पेट मे कबज की तकलीफ हो सकती है . सी को माहवारी मे कम साव हो सकता है . सफ़ेद पानी की तकलीफ हो सकती है .
काबो वहे ज (Carbo Veg). इसे तब याद करे जब वयिक लमबे समय से बीमार चल रहा है . जब उसकी पाचन वयवसथा नाजुक हो जाती है .
उसे पतले दसत होते है . या पेट ठीक से साफ़ नहीं होता. उसके पेट मे गैस बहोत बनती है
और वह ऊपर की तरफ आती है . इन पिरिसथितयो मे सास के फूलने से इस दवा को याद करे . िहचकी आना या डकार आना भी इसका लकण हो सकता है .
सी के तलवे यिद पदर काल मे गरम हो जाते है तो यह इसका एक अजीब लकण है .
काली काबर (Kali Karb) इस वयिक को हर चीज जहा की तहा चािहए. चीजे इधर उधर हुई की इसका िमजाज िबगडा. बचचे को जनम दे ने के बाद माता को जो िचडिचडापन और अनय समसया होती है उसमे इस दवा को याद करे .
इस वयिक को पैखाना सखत होता है . बवासीर की परे शानी हो सकती है . औरत को जो बार बार पेशाब जाना पडता है रात मे , पसूित के बाद, तो इस पिरिसथित मे यह दवा काम कर सकती है .
कमर की हडडी के ददर मे इसे याद करे . इस वयिक को सास की तकलीफ हो सकती है .
से ि पया (Sepia). यह दवा उन लोगो की है जो अपने ही लोगो पर गुससा तान कर रहते है या रठ जाते है . ऐसे लोगो से िजनसे पेम करना चािहए और मधुर समबनध रखना चािहए. खास कर यिद
पित या पती अपने जीवन साथी को दे खना भी पसंद नहीं करते है तो इस दवा को याद करे .
समभोग के तुरंत बाद यिद सी या पुरष बदतर हो जाते है तो इसे याद करे . हा और
दवाइयाँ भी है . इस पैथी मे हमेशा धयान रखे की तौलिनक अभयास और समगता को भुलाकर आप सही दवा चुन नहीं सकते है . मिहला को माहवारी मे रक कम जा सकता है . माहवारी अिनयिमत हो सकती है . पदर के खून मे गाठे हो सकती है . इस वयिक को कबज रहती है . पैखाना सखत होता है . बवासीर की िशकायत भी हो सकती है . यह वयिक एिसिडटी से भी गिसत हो सकता है . राित को नींद ठीक न आने की भी संभावना है . इसे गरम मौसम अचछा लग सकता है . पर ठनडे पानी से नहाना यह पसंद कर सकता है .
फोसफोिरक एिसड (Phosphric Acid). इस का पयोग होता है थकान मे . जब आदमी थक जाता है िकसी दख ु द घटना के होने के बाद.
इस वयिक को डायिरया हो सकता है . संभव है ऐसा डायिरया की उसके बाद आदमी थके
या न थके. उसे रस िपने मे आनंद आता है . जलदी बाल सफ़ेद होना भी इसका लकण है . सी को लमबा पदर होना संभव है . अतयिधक भोग मे िलप होने से पर ु षो मे जो थकान आती है उसमी भी यह पयुक हो सकता है .
हे पर सलफ़ (Hepar Sulph) यह दवा िसिलिशया से काफी मेल खाती है . यह वयिक बहोत ही गुससेबाज है और बदारशत करना इसका सवभाव नहीं है . इस वयिक के फोडे से बदबद ू ार पीब िनकल सकता है . छोटी पोटे सी मे यह दवा पीब िनकलने का काम करती है तो बडी पोटे सी मे घाव सुखाने का काम करती है .
यह वयिक ठणड नहीं बदारशत करता और कफ से भर जाता है . इसके कान से पतला मवाद िनकल सकता है .
िसलीिशया (Silicea) िसलीिशया को याद करते है फोडो मे . पसीने का अतयिधक आना भी इसकी याद िदलाता है .
हडडी, दात और मसुडो पर भी इसका बडा असर दे खा गया है . यह वयिक सहमा सहमा सा हो सकता है . लेिकन एक अवसथा मे यह बहोत िजदी हो सकता है . ऐसा भी हो सकता है की िवपरीत शारीिरक पिरिसथित मे यह पिरशम करने की शिक रखता है .
शरीर की लघत ु ा इस मे पायी जा सकती है . यह छोटे कदवाला और दब ु ला पतला हो सकता है .
इसके पैर मे दरारे हो सकती है . ऐसी दरार जो पानी से बढ जाती है . वैसे भी इस वयिक की तकलीफ पानी से और ठं डी से बढ सकती है . इस वयिक के मह ु मे फोडे हो सकते है . बदन पर भी फोडे हो सकते है . इसे कबज की िशकायत हो सकती है . पैखाना बडी मुिशकल से बाहर आता है . बाहर आने के बाद िफर अनदर िखसक जाता है .
इस वयिक को पेशाब मे जलन हो सकती है . बचचे को पढाई के बाद जो िसरददर होता है उसे िसलीिशया ठीक कर सकता है . भगंदर याने िफसटुला की यह एक बडी औषिध है . सी को रक पदर अिधक मात मे हो सकता है . शेत पदर की िशकायत भी हो सकती है . नजला मे यह दवा काम कर सकती है .
फोसफोरस (Phosphorus) यह वयिक जब अपनी सकारातमक अवसथा मे होता है तो कोमल हदय वाला, पेम भाव से पिरपण ू र ऐसा होता है . यह िदखने मे खब ु सरू त और अदाओ मे मोहक होता है . जब वह अपनी नकारातमक अवसथा मे जाता है तो िचडिचडा हो जाता है . यह भी संभव है की वह बहोत कामक ु हो जाए. लकणो की चंचलता यहाँ दे खी जा सकती है . ऐसा भी संभव है की इस वयिक का शारीिरक िवकास अपनी उम के िहसाब से अिधक होने से उसमे कमजोरी होती है . इस वयिक के फेफडे कमजोर हो सकते है . और उसे टी.बी. का इितहास होने का भी अंदेशा है .
दात के ददर पर यह काम करती है . डेिटसट के यहाँ दात िनकालने के बाद यिद रक पवाह रकता नहीं है तो यह दवा पयुक होती है .
औरतो मे यिद बूंद बूंद पदर लमबे काल तक होता है तो यह दवा काम कर सकती है . मदो मे संभव है की कामक ु ता बढने से मदारनगी मे कमी आ जाये. ऐसी संभावना है की इस वयिक को िबसतर पर लेटने के बाद काफी समय तक नींद नहीं आये. यह वयिक खुली हवा और ठं डक पसंद करता है . पानी कम िपता है . आइस कीम खाना पसंद करता है .
इस वयिक को रात मे डर लग सकता है . भूख की कमी और पीिलया पर भी इसका पभाव है .
नकस वोिमका (nux vomica) यह आधिु नक यग ु की जीवन पणाली मे बहोत काम आने वाली दवा है . आदमी जब तेज रफ़तार की िजंदगी मे पद और पैसे के पीछे भागता है तो उसे वयायाम करने का समय
नहीं होता, घर के बाहर खाना पडता है . उसका धयान विरषो ने जो टागेट िदए है उसे पण ू र करनी की ओर होता है . उसके हात लगता है िचडिचडापन, भाग दौड, बैठे बैठे काम और िनराशा.
यह वयिक गुससेबाज होता है और उठक पठक करने की ओर उसकी पविृ त हो सकती है .
उसके सवभाव मे मद ु ा नहीं होती है . अतयिधक िनराशा के कारण वह आतमहतया के िलए ृ त भी पवत ृ हो सकता है .
पैखाने के िलए जाना लेिकन पैखाना करने मे असमथर होना इसका मुखय लकण है . अथारत ऐसा लगता तो है की पैखाना होगा लेिकन होता नहीं है . यही बात पेशाब के साथ भी हो सकती है .
इस वयिक की भख ू कम हो सकती है या खतम हो सकती है . उसे कबज और डायिरया अलट पलट कर हो सकता है .
उसी पकार जब कोई आदमी अंगेजी दावा खाता है और उसके भयंकर साइड एफफेकटस मे झल ु सता है तब भी यह दवा राहत दे ती है . यह सर ददर जैसे की माइगेन सर ददर पर अचछा असर िदखाती है . िदन के समय दे खने मे तकलीफ होना भी इसका एक लकण है . सी को माहवारी के वकत यिद बार बार पैखाना जाने की इचछा होती है पर कुछ होता नहीं है तो उस दौरान उसे जो दस ू री िशकायत होती है उसपर भी दवा काम करे गी. यह बवासीर की मानी हुई दवाइयो मे से एक है . यह दवा लेते वकत पेशंट काफी न िपए. काफी इसका असर खतम करती है .
सलफर (Sulphur) एक जबरदसत दवा िजसे खुजली हो तो सभी याद करते है . शरीर के भीतर की उथल
पुथल को बाहर की ओर फेकती है . जब दस ू री दवा िवचार युक होने के बावजूद भी काम नहीं करती है तो शरीर की पितिकयातमक शिक को जगाने के िलए सलफर का पयोग िकया जाता है . लाल लाल खुजली. इतनी खुजली की खुजलाते रहे , खुजलाते रहे . ओर बाद मे और तकलीफ. तवचा की जलन, शरीर की जलन.
यह वयिक बडी ही गहन बाते करता है . बडी ही ततव की बाते. ऐसा ततव जो बाकी लोग बडी मुिशकल से समझ पाते है . कहता है मैला कुचला कपडा बहोत अचछा है . बाकी लोग दे ख कर है रान है . कुछ दशाओ मे आदमी लमपट भी हो सकता है . बेिहसाब लमपट.
किबजयत की िशकायत हो सकती है . या एक दस ु ह उठकर ू री पिरिसथित भी संभव है . सब जोर से भागना पडता है पैखाने के िलए. सीट पर पहोचते ही धप धप कर के िगरता है . पेशाब मे जलन हो सकती है . जांघ मे खुजली हो सकती है . सी को मािसक साव मे जलन हो सकती है . सफ़ेद पानी से जलन हो सकती है . जब सी रजो िनविृ त की अवसथा मे होती है तो इस दवा को याद करे . अनयथा भी सी को रक का बहाव माहवारी मे कम होता है .
बहोत अिधक पसीना आ सकता है . यह दवा हिनमन की तीन दवा की ितकडी का एक महतवपूणर भाग है . उस ितकडी की अनय दो दवाइया है कैलक. काबर. और लायको.
इन दवाइयो का कम सलफर, कैलक, लायको, सलफर ऐसा ही होना चािहए. अथारत आप सलफर के बाद लायको न दे और कैलक के बाद सलफर न दे .
यह दवा नकस वोिमका के आगे पीछे भी बिढया काम करती है . यह वयिक बहोत नहाना धोना पसंद नहीं करता. इसे सदी खासी की तकलीफ हो सकती है . खुजली को ठं डक से राहत पहुचती है . वैसे ये ओढ कर सोना पसंद नहीं करता. लेिकन बहोत ठं डी भी पसंद नहीं करता है . बािरश के िदनो मे तवचा की परे शानी बढ सकती है .
लायकोपोिडयम (Lycopodium) यह वयिक घबराया हुआ है . यह चलाख है दाव पेच जानता है . दब ु ला हो सकता है . पेट की हालत से परे शान है . पेट मे गैस बनता है . िकडनी सटोन की तकलीफ मे इस दवा ने बहोत नाम कमाया है .
यह वयिक यिद सी है तो उसे माहवारी मे अिनयिमतता हो सकती है . उसे पदर मे खून कम जा सकता है या बहोत जयादा रक बह सकता है .
िसयो की दािहनी अंडकोष की पथरी मे भी यह दवा काम करने की संभावना रखती है . यह पलसािटला की सहयोगी दवा है . उसके आगे या पीछे अचछा काम करती है . यह शरीर की दािहनी ओर होने वाली गडबडी की दवा है .
तवचा के ऊपर भी इसका असर िदखता है . शीत िपत पर यह असर करती है .
कबज की बडी दवा है . कबज और डायिरया अलट पलट कर आने की तकलीफ भी हो सकती है . पेट मे गैस बनती है ओर िनचे की ओर से छूटती है . वयिक को डकार और िहचकी आ सकती है .
यह वयिक पानी कम िपता है . ठं डा पानी पीना पसंद नहीं करता. भोजन भी गरम चाहता है .
भूख का कम होना पाया जाता है . कभी कभी बहोत जयादा भूख भी दे खी जा सकती है . एिसिडटी की तकलीफ दे खी जाती है .
रात को बारा बजे के बाद वह राहत महसूस कर सकता है . वह डरावने सपने दे खता है
और रात को डरता है . पेशाब बार बार होती है . पेशाब पर से िनयंतण खो सकता है . गिठया वात से पीिडत हो सकता है वयिक.
उसे चककर आ सकते है . सरददर हो सकता है .
कै लके िरया काबर (Calcarea Carb) यह वयिक मोटा होता है . हलचल करने मे सस ु त होता है . कमजोर हडडीवाला होता है . या
ऐसे भी हो सकता है की उसका पोषण िकसी कारण से हो न रहा हो. वह बहोत कमजोरी महसूस कर सकता है . उसकी गंिथयो मे सज ु न हो सकती है . इस वयिक को िचंता सताती है . वह घुटन महसस ू करता है . िचडिचडापन होता है . यिद यह वयिक मिहला है तो उसे पदर बहोत लमबा आ सकता है . उसके पदर मे बहोत खून जाने की संभावना भी होती है . उसे शेत पदर की तकलीफ भी हो सकती है .
यिद यह वयिक पुरष है तो उसमे वासना अिधक और उसे पूणर करने की शिक का अभाव हो सकता है .
उसे गरम मौसम अचछा लगता है . ठं डी से या बािरश के मौसम मे उसे तकलीफ होती है . वह पानी काफी िपता है . ठं डा पानी पसंद करता है . उसे कबज की िशकायत होती है . पैखाना सखत और बडा होता है . बवासीर की तकलीफ भी हो सकती है . उसे डायिरया हो सकता है .
सीधी चढने से उसकी सास फूलती है . उसे सास की तकलीफ हो सकती है . उसकी सदी से नाक बह सकती है या बंद हो सकती है . उसे जोर से खासी आती है और खसते वकत उसके छाती मे ददर होता है . उसकी टोिसलस मे सुजन हो सकती है .
उसे रात मे नींद की तकलीफ सता सकती है . वह डरावने सपने दे ख सकता है .
पलसािटला (Pulsatilla) यह वयिक एक मद ू ार नहीं है . हा उसका ृ ु सवभाव का वयिक है . वह तेज तरारर या खंख
सवभाव बदलता जरर रहता है . ऐसा सवभाव या तो छोटे बचचे का होता है या तो अपने घर के लोगो से पेम भाव रखने वाले गिृ हणी का. बात की सक ू मता को समझे, ऐसा नहीं है की कोमल सवभाव के आदमी को गुससा नहीं आएगा. उसे गुससा आता है पर उसमे भी अपनी कोमलता और चंचलता बनाये रखता है .
यह वयिक यिद सी है तो उसे सामानयतः माहवारी अिनयिमत रप से आती है या पदर मे रक कम जाता है या पदर कम िदन रहता है . इस मिहला को शेत पदर की तकलीफ भी हो सकती है . इस वयिक को कबज नहीं रहती है . ऐसा भी हो सकता है की हरबार उसे पैखाना अलग िकसम का हो.
हा इसे एसीिडटी की िशकायत हो सकती है . इस वयिक को पयास कम होती है . वह पानी कम िपता है . उसके होठ सूखे हुए हो सकते है . वह ठं डा पानी पसंद करता है . इस वयिक को ठं डी हवा और मौसम भाता है . वह गमी के कारण घुटन महसूस करता है . उसकी तकलीफ एक जगह बैठने से बढती है . यिद यह वयिक अपनी टाँगे िनचे लटकाकर बैठता है तो असवसथ हो जाता है .
उसे हरदम ऐसा लगता है की वह कुछ ताकद दे ने वाली चीजे खाए. वह तेल से बनी हुई चीजे पचाने मे कमजोर है और टोिनक यिद लेता है तो खुद के िलए िदककत पैदा करता है .
उसे सदी की िशकायत हो सकती है . उसकी नाक टपक सकती है या बंद हो सकती है . सास लेने मे भी िदककत हो सकती है .