hindi muhavre

July 30, 2017 | Author: warezisgr8 | Category: N/A
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अध्याय 26 मुह ावरे और लोकोियाक्तियाँ मुहावरा- कोई भी ऐसा वाकयांश जो अपने साधारण अथर को छोडकर ियाकसी ियावशेष अथर को वयक्ति करे उसे मुहावरा कहते है। लोकोियाक्ति- लोकोियाक्तियाँ लोक-अनुभव से बनती है। ियाकसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाकय मे बाँध ियादया है। ऐसे वाकयो को ही लोकोियाक्ति कहते है। इसे कहावत, जनशुियात आियाद भी कहते है। मुहावरा और लोकोियाक्ति मे अंतर- मुहावरा वाकयांश है और इसका सवतंत रप से पयोग नही ियाकया जा सकता। लोकोियाक्ति संपूणर वाकय है और इसका पयोग सवतंत रप से ियाकया जा सकता है। जैसे-‘होश उड जाना’ मुहावरा है। ‘बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी’ लोकोियाक्ति है। कुछ पचिलत मुहावरे 1. अं ग सं बं ध ी मुह ावरे 1. अंग छूटा- (कसम खाना) मै अंग छूकर कहता हू ँ साहब, मैने पाजेब नही देखी। 2. अंग-अंग मुसकाना-(बहु त पसन होना)- आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था। 3. अंग-अंग टू टना-(सारे बदन मे ददर होना)-इस जवर ने तो मेरा अंग-अंग तोडकर रख ियादया। 4. अंग-अंग ढीला होना-(बहु त थक जाना)- तुमहारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है। 2. अकल-सं बं ध ी मुह ावरे 1. अकल का दशु मन-(मूखर)- वह तो ियानरा अकल का दशु मन ियानकला। 2. अकल चकराना-(कुछ समझ मे न आना)-पशन-पत देखते ही मेरी अकल चकरा गई। 3. अकल के पीछे लठ िलए ियाफरना (समझाने पर भी न मानना)- तुम तो सदैव अकल के पीछे लठ िलए ियाफरते हो। 4. अकल के घोडे दौडाना-(तरह-तरह के ियावचार करना)- बडे-बडे वैजाियानको ने अकल के घोडे दौडाए, तब कही वे अणुबम बना सके। 3. आँ ख-सं बं ध ी मुह ावरे 1. आँ ख ियादखाना-(गुससे से देखना)- जो हमे आँ ख ियादखाएगा, हम उसकी आँ खे फोड देगे। 2. आँ खो मे ियागरना-(सममानरियाहत होना)- कुरसी की होड ने जनता सरकार को जनता की आँ खो मे ियागरा ियादया।

3. आँ खो मे धूल झोकना-(धोखा देना)- ियाशवाजी मुगल पहरेदारो की आँ खो मे धूल झोककर बंदीगृह से बाहर ियानकल गए। 4. आँ ख चुराना-(ियाछपना)- आजकल वह मुझसे आँ खे चुराता ियाफरता है। 5. आँ ख मारना-(इशारा करना)-गवाह मेरे भाई का ियामत ियानकला, उसने उसे आँ ख मारी, अनयथा वह मेरे ियावरद गवाही दे देता। 6. आँ ख तरसना-(देखने के लालाियायत होना)- तुमहे देखने के िलए तो मेरी आँ खे तरस गई। 7. आँ ख फेर लेना-(पियातकूल होना)- उसने आजकल मेरी ओर से आँ खे फेर ली है। 8. आँ ख ियाबछाना-(पतीका करना)- लोकनायक जयपकाश नारायण िजधर जाते थे उधर ही जनता उनके िलए आँ खे ियाबछाए खडी होती थी। 9. आँ खे सेकना-(सुंदर वसतु को देखते रहना)- आँ ख सेकते रहोगे या कुछ करोगे भी 10. आँ खे चार होना-(पेम होना,आमना-सामना होना)- आँ खे चार होते ही वह िखडकी पर से हट गई। 11. आँ खो का तारा-(अियातियापय)-आशीष अपनी माँ की आँ खो का तारा है। 12. आँ ख उठाना-(देखने का साहस करना)- अब वह कभी भी मेरे सामने आँ ख नही उठा सकेगा। 13. आँ ख खुलना-(होश आना)- जब संबंिधयो ने उसकी सारी संपित हडप ली तब उसकी आँ खे खुली। 14. आँ ख लगना-(नीद आना अथवा वयार होना)- बडी मुिशकल से अब उसकी आँ ख लगी है। आजकल आँ ख लगते देर नही होती। 15. आँ खो पर परदा पडना-(लोभ के कारण सचाई न दीखना)- जो दस ू रो को ठगा करते है, उनकी आँ खो पर परदा पडा हु आ है। इसका फल उनहे अवशय ियामलेगा। 16. आँ खो का काटा-(अियापय वयियाक्ति)- अपनी कुपवृितयो के कारण राजन ियापताजी की आँ खो का काँटा बन गया। 17. आँ खो मे समाना-(ियादल मे बस जाना)- ियागरधर मीरा की आँ खो मे समा गया। 4. कले ज ा-सं बं ध ी कु छ मुह ावरे 1. कलेजे पर हाथ रखना-(अपने ियादल से पूछना)- अपने कलेजे पर हाथ रखकर कहो ियाक कया तुमने पैन नही तोडा। 2. कलेजा जलना-(तीव असंतोष होना)- उसकी बाते सुनकर मेरा कलेजा जल उठा। 3. कलेजा ठंडा होना-(संतोष हो जाना)- डाकुओं को पकडा हु आ देखकर गाँव वालो का कलेजा ठंढा हो गया। 4. कलेजा थामना-(जी कडा करना)- अपने एकमात युवा पुत की मृतयु पर माता-ियापता कलेजा थामकर रह गए। 5. कलेजे पर पतथर रखना-(दख ु मे भी धीरज रखना)- उस बेचारे की कया कहते हो, उसने तो कलेजे पर पतथर रख िलया है। 6. कलेजे पर साँप लोटना-(ईषयार से जलना)- शीराम के राजयाियाभषेक का समाचार सुनकर दासी मंथरा के कलेजे पर साँप लोटने लगा।

5. कान-सं बं ध ी कु छ मुह ावरे 1. कान भरना-(चुगली करना)- अपने सािथयो के ियावरद अध्यापक के कान भरने वाले ियावदाथी अचछे नही होते। 2. कान कतरना-(बहु त चतुर होना)- वह तो अभी से बडे-बडो के कान कतरता है। 3. कान का कचचा-(सुनते ही ियाकसी बात पर ियावशवास करना)- जो मािलक कान के कचचे होते है वे भले कमर चािरयो पर भी ियावशवास नही करते। 4. कान पर जूँ तक न रेगना-(कुछ असर न होना)-माँ ने गौरव को बहु त समझाया, ियाकनतु उसके कान पर जूँ तक नही रेगी। 5. कानोकान खबर न होना-(ियाबलकुल पता न चलना)-सोने के ये ियाबसकुट ले जाओ, ियाकसी को कानोकान खबर न हो। 6. नाक-सं बं ध ी कु छ मुह ावरे 1. नाक मे दम करना-(बहु त तंग करना)- आतंकवाियादयो ने सरकार की नाक मे दम कर रखा है। 2. नाक रखना-(मान रखना)- सच पूछो तो उसने सच कहकर मेरी नाक रख ली। 3. नाक रगडना-(दीनता ियादखाना)-ियागरहकट ने िसपाही के सामने खूब नाक रगडी, पर उसने उसे छोडा नही। 4. नाक पर मकखी न बैठने देना-(अपने पर आँ च न आने देना)-ियाकतनी ही मुसीबते उठाई, पर उसने नाक पर मकखी न बैठने दी। 5. नाक कटना-(पियातषा नष होना)- अरे भैया आजकल की औलाद तो खानदान की नाक काटकर रख देती है। 7. मुँह -सं बं ध ी कु छ मुह ावरे 1. मुँह की खाना-(हार मानना)-पडोसी के घर के मामले मे दखल देकर हरदारी को मुँह की खानी पडी। 2. मुँह मे पानी भर आना-(ियादल ललचाना)- लडुओं का नाम सुनते ही पंियाडतजी के मुँह मे पानी भर आया। 3. मुँह खून लगना-(िरशवत लेने की आदत पड जाना)- उसके मुँह खून लगा है, ियाबना िलए वह काम नही करेगा। 4. मुँह ियाछपाना-(लिजजत होना)- मुँह ियाछपाने से काम नही बनेगा, कुछ करके भी ियादखाओ। 5. मुँह रखना-(मान रखना)-मै तुमहारा मुँह रखने के िलए ही पमोद के पास गया था, अनयथा मुझे कया आवशयकता थी। 6. मुँहतोड जवाब देना-(कडा उतर देना)- शयाम मुँहतोड जवाब सुनकर ियाफर कुछ नही बोला। 7. मुँह पर कािलख पोतना-(कलंक लगाना)-बेटा तुमहारे कुकमो ं ने मेरे मुँह पर कािलख पोत दी है। 8. मुँह उतरना-(उदास होना)-आज तुमहारा मुँह कयो उतरा हु आ है।

9. मुँह ताकना-(दस ू रे पर आिशत होना)-अब गेहूँ के िलए हमे अमेिरका का मुँह नही ताकना पडेगा। 10. मुँह बंद करना-(चुप कर देना)-आजकल िरशवत ने बडे-बडे अफसरो का मुँह बंद कर रखा है। 8. दाँत -सं बं ध ी मुह ावरे 1. दाँत पीसना-(बहु त जयादा गुससा करना)- भला मुझ पर दाँत कयो पीसते हो? शीशा तो शंकर ने तोडा है। 2. दाँत खटे करना-(बुरी तरह हराना)- भारतीय सैियानको ने पाियाकसतानी सैियानको के दाँत खटे कर ियादए। 3. दाँत काटी रोटी-(घियानषता, पककी ियामतता)- कभी राम और शयाम मे दाँत काटी रोटी थी पर आज एकदस ू रे के जानी दशु मन है। 9. गरदन-सं बं ध ी मुह ावरे 1. गरदन झुकाना-(लिजजत होना)- मेरा सामना होते ही उसकी गरदन झुक गई। 2. गरदन पर सवार होना-(पीछे पडना)- मेरी गरदन पर सवार होने से तुमहारा काम नही बनने वाला है। 3. गरदन पर छुरी फेरना-(अतयाचार करना)-उस बेचारे की गरदन पर छुरी फेरते तुमहे शरम नही आती, भगवान इसके िलए तुमहे कभी कमा नही करेगे। 10. गले -सं बं ध ी मुह ावरे 1. गला घोटना-(अतयाचार करना)- जो सरकार गरीबो का गला घोटती है वह देर तक नही ियाटक सकती। 2. गला फँसाना-(बंधन मे पडना)- दस ू रो के मामले मे गला फँसाने से कुछ हाथ नही आएगा। 3. गले मढना-(जबरदसती ियाकसी को कोई काम सौपना)- इस बुद ू को मेरे गले मढकर लालाजी ने तो मुझे तंग कर डाला है। 4. गले का हार-(बहु त पयारा)- तुम तो उसके गले का हार हो, भला वह तुमहारे काम को कयो मना करने लगा। 11. िसर-सं बं ध ी मुह ावरे 1. िसर पर भूत सवार होना-(धुन लगाना)-तुमहारे िसर पर तो हर समय भूत सवार रहता है। 2. िसर पर मौत खेलना-(मृतयु समीप होना)- ियावभीषण ने रावण को संबोिधत करते हु ए कहा, ‘भैया ! मुझे कया डरा रहे हो ? तुमहारे िसर पर तो मौत खेल रही है‘। 3. िसर पर खून सवार होना-(मरने-मारने को तैयार होना)- अरे, बदमाश की कया बात करते हो ? उसके िसर पर तो हर समय खून सवार रहता है। 4. िसर-धड की बाजी लगाना-(पाणो की भी परवाह न करना)- भारतीय वीर देश की रका के िलए िसर-धड की बाजी लगा देते है। 5. िसर नीचा करना-(लजा जाना)-मुझे देखते ही उसने िसर नीचा कर िलया।

12. हाथ-सं बं ध ी मुह ावरे 1. हाथ खाली होना-(रपया-पैसा न होना)- जुआ खेलने के कारण राजा नल का हाथ खाली हो गया था। 2. हाथ खीचना-(साथ न देना)-मुसीबत के समय नकली ियामत हाथ खीच लेते है। 3. हाथ पे हाथ धरकर बैठना-(ियानकममा होना)- उदमी कभी भी हाथ पर हाथ धरकर नही बैठते है, वे तो कुछ करके ही ियादखाते है। 4. हाथो के तोते उडना-(दख ु से हैरान होना)- भाई के ियानधन का समाचार पाते ही उसके हाथो के तोते उड गए। 5. हाथोहाथ-(बहु त जलदी)-यह काम हाथोहाथ हो जाना चाियाहए। 6. हाथ मलते रह जाना-(पछताना)- जो ियाबना सोचे-समझे काम शुर करते है वे अंत मे हाथ मलते रह जाते है।

7. हाथ साफ करना-(चुरा लेना)- ओह ! ियाकसी ने मेरी जेब पर हाथ साफ कर ियादया। 8. हाथ-पाँव मारना-(पयास करना)- हाथ-पाँव मारने वाला वयियाक्ति अंत मे अवशय सफलता पाप करता है। 9. हाथ डालना-(शुर करना)- ियाकसी भी काम मे हाथ डालने से पूवर उसके अचछे या बुरे फल पर ियावचार कर लेना चाियाहए। 13. हवा-सं बं ध ी मुह ावरे 1. हवा लगना-(असर पडना)-आजकल भारतीयो को भी पिशचम की हवा लग चुकी है। 2. हवा से बाते करना-(बहु त तेज दौडना)- राणा पताप ने जयो ही लगाम ियाहलाई, चेतक हवा से बाते करने लगा। 3. हवाई ियाकले बनाना-(झूठी कलपनाएँ करना)- हवाई ियाकले ही बनाते रहोगे या कुछ करोगे भी ? 4. हवा हो जाना-(गायब हो जाना)- देखते-ही-देखते मेरी साइियाकल न जाने कहाँ हवा हो गई ? 14. पानी-सं बं ध ी मुह ावरे 1. पानी-पानी होना-(लिजजत होना)-जयोही सोहन ने माताजी के पसर मे हाथ डाला ियाक ऊपर से माताजी आ गई। बस, उनहे देखते ही वह पानी-पानी हो गया। 2. पानी मे आग लगाना-(शांियात भंग कर देना)-तुमने तो सदा पानी मे आग लगाने का ही काम ियाकया है। 3. पानी फेर देना-(ियानराश कर देना)-उसने तो मेरी आशाओं पर पानी पेर ियादया। 4. पानी भरना-(तुचछ लगना)-तुमने तो जीवन-भर पानी ही भरा है। 15. कु छ ियामले -जुले मुह ावरे 1. अँगूठा ियादखाना-(देने से साफ इनकार कर देना)-सेठ रामलाल ने धमर शाला के िलए पाँच हजार रपए दान देने को कहा था, ियाकनतु जब मैनेजर उनसे मांगने गया तो उनहोने अँगूठा ियादखा ियादया।

2. अगर-मगर करना-(टालमटोल करना)-अगर-मगर करने से अब काम चलने वाला नही है। बंधु ! 3. अंगारे बरसाना-(अतयंत गुससे से देखना)-अियाभमनयु वध की सूचना पाते ही अजुरन के नेत अंगारे बरसाने लगे। 4. आडे हाथो लेना-(अचछी तरह काबू करना)-शीकृषण ने कंस को आडे हाथो िलया। 5. आकाश से बाते करना-(बहु त ऊँचा होना)-टी.वी.टावर तो आकाश से बाते करती है। 6. ईद का चाँद-(बहु त कम दीखना)-ियामत आजकल तो तुम ईद का चाँद हो गए हो, कहाँ रहते हो ? 7. उँ गली पर नचाना-(वश मे करना)-आजकल की औरते अपने पियातयो को उँ गिलयो पर नचाती है। 8. कलई खुलना-(रहसय पकट हो जाना)-उसने तो तुमहारी कलई खोलकर रख दी। 9. काम तमाम करना-(मार देना)- रानी लकमीबाई ने पीछा करने वाले दोनो अंगेजो का काम तमाम कर ियादया। 10. कुते की मौत करना-(बुरी तरह से मरना)-राषरदोही सदा कुते की मौत मरते है। 11. कोलहू का बैल-(ियानरंतर काम मे लगे रहना)-कोलहू का बैल बनकर भी लोग आज भरपेट भोजन नही पा सकते। 12. खाक छानना-(दर-दर भटकना)-खाक छानने से तो अचछा है एक जगह जमकर काम करो। 13. गडे मुरदे उखाडना-(ियापछली बातो को याद करना)-गडे मुरदे उखाडने से तो अचछा है ियाक अब हम चुप हो जाएँ । 14. गुलछरे उडाना-(मौज करना)-आजकल तुम तो दस ू रे के माल पर गुलछरे उडा रहे हो। 15. घास खोदना-(फुजूल समय ियाबताना)-सारी उम तुमने घास ही खोदी है। 16. चंपत होना-(भाग जाना)-चोर पुिलस को देखते ही चंपत हो गए। 17. चौकडी भरना-(छलाँगे लगाना)-ियाहरन चौकडी भरते हु ए कही से कही जा पहु ँचे। 18. छकके छुडा़़ना-(बुरी तरह परािजत करना)-पृथवीराज चौहान ने मुहममद गोरी के छकके छुडा ियादए। 19. टका-सा जवाब देना-(कोरा उतर देना)-आशा थी ियाक कही वह मेरी जीियावका का पबंध कर देगा, पर उसने तो देखते ही टका-सा जवाब दे ियादया। 20. टोपी उछालना-(अपमाियानत करना)-मेरी टोपी उछालने से उसे कया ियामलेगा? 21. तलवे चाटने-(खुशामद करना)-तलवे चाटकर नौकरी करने से तो कही डू ब मरना अचछा है। 22. थाली का बैगन-(अिसथर ियावचार वाला)- जो लोग थाली के बैगन होते है, वे ियाकसी के सचचे ियामत नही होते। 23. दाने-दाने को तरसना-(अतयंत गरीब होना)-बचपन मे मै दाने-दाने को तरसता ियाफरा, आज ईशवर की कृपा है। 24. दौड-धूप करना-(कठोर शम करना)-आज के युग मे दौड-धूप करने से ही कुछ काम बन पाता है। 25. धिजजयाँ उडाना-(नष-भष करना)-यियाद कोई भी राषर हमारी सवतंतता को हडपना चाहेगा तो हम उसकी धिजजयाँ उडा देगे। 26. नमक-ियामचर लगाना-(बढा-चढाकर कहना)-आजकल समाचारपत ियाकसी भी बात को इस पकार नमकियामचर लगाकर िलखते है ियाक जनसाधारण उस पर ियावशवास करने लग जाता है। 27. नौ-दो गयारह होना-(भाग जाना)- ियाबली को देखते ही चूहे नौ-दो गयारह हो गए। 28. फँू क-फँू ककर कदम रखना-(सोच-समझकर कदम बढाना)-जवानी मे फँू क-फँू ककर कदम रखना चाियाहए।

29. बाल-बाल बचना-(बडी कियाठनाई से बचना)-गाडी की टककर होने पर मेरा ियामत बाल-बाल बच गया। 30. भाड झोकना-(योही समय ियाबताना)-ियादली मे आकर भी तुमने तीस साल तक भाड ही झोका है। 31. मिकखयाँ मारना-(ियानकममे रहकर समय ियाबताना)-यह समय मिकखयाँ मारने का नही है, घर का कुछ काम-काज ही कर लो। 32. माथा ठनकना-(संदेह होना)- िसंह के पंजो के ियानशान रेत पर देखते ही गीदड का माथा ठनक गया। 33. ियामटी खराब करना-(बुरा हाल करना)-आजकल के नौजवानो ने बूढो की ियामटी खराब कर रखी है। 34. रंग उडाना-(घबरा जाना)-काले नाग को देखते ही मेरा रंग उड गया। 35. रफूचककर होना-(भाग जाना)-पुिलस को देखते ही बदमाश रफूचककर हो गए। 36. लोहे के चने चबाना-(बहु त कियाठनाई से सामना करना)- मुगल समाट अकबर को राणापताप के साथ टककर लेते समय लोहे के चने चबाने पडे। 37. ियावष उगलना-(बुरा-भला कहना)-दय ु ोधन को गांडीव धनुष का अपमान करते देख अजुरन ियावष उगलने लगा। 38. शीगणेश करना-(शुर करना)-आज बृहसपियातवार है, नए वषर की पढाई का शीगणेश कर लो। 39. हजामत बनाना-(ठगना)-ये ियाहपपी न जाने ियाकतने भारतीयो की हजामत बना चुके है। 40. शैतान के कान कतरना-(बहु त चालाक होना)-तुम तो शैतान के भी कान कतरने वाले हो, बेचारे रामनाथ की तुमहारे सामने ियाबसात ही कया है ? 41. राई का पहाड बनाना-(छोटी-सी बात को बहु त बढा देना)- तियानक-सी बात के िलए तुमने राई का पहाड बना ियादया। कु छ पचिलत लोकोियाक्तियाँ 1. अधजल गगरी छलकत जाए-(कम गुण वाला वयियाक्ति ियादखावा बहु त करता है)- शयाम बाते तो ऐसी करता है जैसे हर ियावषय मे मासटर हो, वासतव मे उसे ियाकसी ियावषय का भी पूरा जान नही-अधजल गगरी छलकत जाए। 2. अब पछताए होत कया, जब ियाचियाडयाँ चुग गई खेत-(समय ियानकल जाने पर पछताने से कया लाभ)- सारा साल तुमने पुसतके खोलकर नही देखी। अब पछताए होत कया, जब ियाचियाडयाँ चुग गई खेत। 3. आम के आम गुठिलयो के दाम-(दगु न ु ा लाभ)- ियाहनदी पढने से एक तो आप नई भाषा सीखकर नौकरी पर पदोनियात कर सकते है, दस ू रे ियाहनदी के उचच साियाहतय का रसासवादन कर सकते है, इसे कहते है-आम के आम गुठिलयो के दाम। 4. ऊँची दक ु ान फीका पकवान-(केवल ऊपरी ियादखावा करना)- कनॉटपलेस के अनेक सटोर बडे पिसद है, पर सब घियाटया दजे का माल बेचते है। सच है, ऊँची दक ु ान फीका पकवान। 5. घर का भेदी लंका ढाए-(आपसी फूट के कारण भेद खोलना)-कई वयियाक्ति पहले कांगेस मे थे, अब जनता (एस) पाटी मे ियामलकर कागेस की बुराई करते है। सच है, घर का भेदी लंका ढाए। 6. िजसकी लाठी उसकी भैस-(शियाक्तिशाली की ियावजय होती है)- अंगेजो ने सेना के बल पर बंगाल पर अिधकार कर िलया था-िजसकी लाठी उसकी भैस। 7. जल मे रहकर मगर से वैर-(ियाकसी के आशय मे रहकर उससे शतुता मोल लेना)- जो भारत मे रहकर

ियावदेशो का गुणगान करते है, उनके िलए वही कहावत है ियाक जल मे रहकर मगर से वैर। 8. थोथा चना बाजे घना-(िजसमे सत नही होता वह ियादखावा करता है)- गजेद ने अभी दसवी की परीका पास की है, और आलोचना अपने बडे-बडे गुरजनो की करता है। थोथा चना बाजे घना। 9. दध ू का दध ू पानी का पानी-(सच और झूठ का ठीक फैसला)- सरपंच ने दध ू का दध ू ,पानी का पानी कर ियादखाया, असली दोषी मंगू को ही दंड ियामला। 10. दरू के ढोल सुहावने-(जो चीजे दरू से अचछी लगती हो)- उनके मसूरी वाले बंगले की बहु त पशंसा सुनते थे ियाकनतु वहाँ दगु रध के मारे तंग आकर हमारे मुख से ियानकल ही गया-दरू के ढोल सुहावने। 11. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी-(कारण के नष होने पर कायर न होना)- सारा ियादन लडके आमो के िलए पतथर मारते रहते थे। हमने आँ गन मे से आम का वृक की कटवा ियादया। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। 12. नाच न जाने आँ गन टेढा-(काम करना नही आना और बहाने बनाना)-जब रवीद ने कहा ियाक कोई गीत सुनाइए, तो सुनील बोला, ‘आज समय नही है’। ियाफर ियाकसी ियादन कहा तो कहने लगा, ‘आज मूड नही है’। सच है, नाच न जाने आँ गन टेढा। 13. ियाबन माँगे मोती ियामले, माँगे ियामले न भीख-(माँगे ियाबना अचछी वसतु की पाियाप हो जाती है, माँगने पर साधारण भी नही ियामलती)- अध्यापको ने माँगो के िलए हडताल कर दी, पर उनहे कया ियामला ? इनसे तो बैक कमर चारी अचछे रहे, उनका भता बढा ियादया गया। ियाबन माँगे मोती ियामले, माँगे ियामले न भीख। 14. मान न मान मै तेरा मेहमान-(जबरदसती ियाकसी का मेहमान बनना)-एक अमेिरकन कहने लगा, मै एक मास आपके पास रहकर आपके रहन-सहन का अध्ययन करँगा। मैने मन मे कहा, अजब आदमी है, मान न मान मै तेरा मेहमान। 15. मन चंगा तो कठौती मे गंगा-(यियाद मन पियावत है तो घर ही तीथर है)-भैया रामेशवरम जाकर कया करोगे ? घर पर ही ईशसतुियात करो। मन चंगा तो कठौती मे गंगा। 16. दोनो हाथो मे लडू-(दोनो ओर लाभ)- महेद को इधर उचच पद ियामल रहा था और उधर अमेिरका से वजीफा उसके तो दोनो हाथो मे लडू थे। 17. नया नौ ियादन पुराना सौ ियादन-(नई वसतुओं का ियावशवास नही होता, पुरानी वसतु ियाटकाऊ होती है)- अब भारतीय जनता का यह ियावशवास है ियाक इस सरकार से तो पहली सरकार ियाफर भी अचछी थी। नया नौ ियादन, पुराना नौ ियादन। 18. बगल मे छुरी मुँह मे राम-राम-(भीतर से शतुता और ऊपर से मीठी बाते)- सामाजयवादी आज भी कुछ राषरो को उनियात की आशा ियादलाकर उनहे अपने अधीन रखना चाहते है, परनतु अब सभी देश समझ गए है ियाक उनकी बगल मे छुरी और मुँह मे राम-राम है। 19. लातो के भूत बातो से नही मानते-(शरारती समझाने से वश मे नही आते)- सलीम बडा शरारती है, पर उसके अबबा उसे पयार से समझाना चाहते है। ियाकनतु वे नही जानते ियाक लातो के भूत बातो से नही मानते। 20. सहज पके जो मीठा होय-(धीरे-धीरे ियाकए जाने वाला कायर सथायी फलदायक होता है)- ियावनोबा भावे का ियावचार था ियाक भूियाम सुधार धीरे-धीरे और शांियातपूवरक लाना चाियाहए कयोियाक सहज पके सो मीठा होय। 21. साँप मरे लाठी न टू टे-(हाियान भी न हो और काम भी बन जाए)- घनशयाम को उसकी दषु ता का ऐसा मजा चखाओ ियाक बदनामी भी न हो और उसे दंड भी ियामल जाए। बस यही समझो ियाक साँप भी मर जाए और लाठी भी न टू टे। 22. अंत भला सो भला-(िजसका पिरणाम अचछा है, वह सवोतम है)- शयाम पढने मे कमजोर था, लेियाकन

परीका का समय आते-आते पूरी तैयारी कर ली और परीका पथम शेणी मे उतीणर की। इसी को कहते है अंत भला सो भला। 23. चमडी जाए पर दमडी न जाए-(बहु त कंजूस होना)-महेदपाल अपने बेटे को अचछे कपडे तक भी िसलवाकर नही देता। उसका तो यही िसदानत है ियाक चमडी जाए पर दमडी न जाए। 24. सौ सुनार की एक लुहार की-(ियानबर ल की सैकडो चोटो की सबल एक ही चोट से मुकाबला कर देते है)कौरवो ने भीम को बहु त तंग ियाकया तो वह कौरवो को गदा से पीटने लगा-सौ सुनार की एक लुहार की। 25. सावन हरे न भादो सूखे-(सदैव एक-सी िसथियात मे रहना)- गत चार वषो ं मे हमारे वेतन व भते मे एक सौ रपए की बढोतरी हु ई है। उधर 25 पियातशत दाम बढ गए है-भैया हमारी तो यही िसथियात रही है ियाक सावन हरे न भागो सूखे।

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