Hindi Divas

December 14, 2016 | Author: ShashwatAgarwal | Category: N/A
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Hindi Divas...

Description

आऩ सबी को हहिंदी हदवस की हाहदि क शब ु काभनामे

हहिंदी दे श की सफसे ज्मादा फोरी औय सभझी जानेवारी बाषा है । हहिंदी हभाये दे श को कश्भीय से कन्माकुभायी

तक जोड़ने वारी सिंऩकि बाषा है । भारयशस, पीजी, सयू ीनाभ सहहत कई ववदे शों भें हहिंदी फोरी औय सभझी जा यही है । इसी कायण वषि 2012 भें हहिंदी ऩखवाड़े भें

ही दक्षऺण अफ्रीका भें ववश्व हहिंदी सम्भेरन आमोजजत कयने का ननणिम लरमा गमा। दनु नमाबय भें 60 कयोड़ से अधधक रोग हहिंदी फोरते हैं।

हय वषि 14 लसतिंफय को दे श भें हहन्दी हदवस भनामा जाता है । मह भात्र एक हदन नहीिं फजकक मह है अऩनी

भातब ृ ाषा को सम्भान हदराने का हदन। उस बाषा को सम्भान हदराने का जजसे रगबग तीन चौथाई हहन्दस् ु तान सभझता है , जजस बाषा ने दे श को

स्वतिंत्रता हदराने भें अहभ बलू भका ननबाई। उस हहन्दी बाषा के नाभ मह हदन सभवऩित है जजस हहन्दी ने हभें एक-दस ू ये से जड़ ु ने का साधन प्रदान ककमा।

हहन्दी ना लसपि हभायी भातब ृ ाषा है फजकक मह बायत की याजबाषा

बी है । सिंववधान ने 14 लसतिंफय, 1949 को हहन्दी को बायत की याजबाषा घोवषत ककमा था।इसके फाद सार 1953 भें हहन्दी को हय ऺेत्र भें प्रसारयत कयने के लरमे याष्ट्रबाषा प्रचाय सलभनत, वधाि के

अनुयोध ऩय सन ् 1953 से सिंऩूणि बायत भें 14 लसतिंफय को प्रनतवषि हहन्दी हदवस के रूऩ भें भनामा जाता है ।

ववशुद्ध फाजायीम दफाव के चरते कायोफाय, खेर, ववऻान से जड़ ु ी जानकारयमों को हहिंदी भें ऩयोसने ऩय वववश होना ऩड़ यहा है । तेजी से फढ़ती हहिंदी बाषा भें वेफसाइटें इसके उज्ज्वर बववष्ट्म का सिंकेत हैं।

हहिंदी अफ नई प्रौद्मोधगकी के यथ ऩय सवाय होकय ववश्वव्माऩी फन यही है । उसे ईभेर, ईकॉभसि, ईफक ु , इिंटयनेट, एसएभएस एव वेफ जगत भें फडी सहजता से ऩामा जा सकता है । भाइक्रोसॉफ्ट, गग ू र, सन, माहू, आइफीएभ तथा ओये कर जैसी ववश्वस्तयीम किंऩननमािं अत्मत व्माऩक

फाजाय औय बायी भन ु ापे को दे खते हुए हहिंदी प्रमोग को फढावा दे यही हैं

आज “हहन्दी हदवस” जैसा हदन भात्र एक औऩचारयकता फन कय

यह गमा है । रगता है जैसे रोग गभ ु हो चक ु ी अऩनी भातब ृ ाषा के प्रनत श्रद्धािंजलर अवऩित कयते हैं वयना क्मा कबी आऩने चीनी हदवस मा फ्रेंच हदवस मा अिंग्रेजी हदवस के फाये भें सन ु ा है . हहन्दी हदवस भनाने का अथि है गभ ु हो यही हहन्दी को फचाने के लरए एक प्रमास।

स्वतिंत्रता सिंग्राभ के सभम तो हहिंदी का प्रमोग अऩने चयभ ऩय था। बायतें द ु हरयश्चिंद्र, भश िंु ी प्रेभचिंद, जमशिंकय प्रसाद, हरयशिंकय ऩयसाई,

भहादे वी वभाि, हरयविंश याम फच्चन,सब ु द्रा कुभायी चौहान जैसे रेखकों औय कववमों ने अऩने शब्दों से जन भानस के ह्रदम भें स्वतिंत्रता की अरख जराकय इस सिंग्राभ भें एक भहत्वऩूणि बलू भका ननबाई है ।

भहात्भा गािंधीजी के स्वदे शी आन्दोरन भें तो अिंग्रेजी बाषा का ऩण ू ि रूऩ से त्माग कय हहिंदी बाषा को अऩनामा गमा। हहिंदी बाषा के भाध्मभ से ही रोग एक दस ू या से सिंऩकि कय ऩाए।

तोह आमे आज हभ सफ लभर के हहिंदी का भान फढाने का प्रण रे। आऩ सबी को हहिंदी की फहुत-फहुत शब ु काभनामे।

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