CBSE Board Sample Paper (Hindi-A)-2017-18 For Class-X

May 11, 2018 | Author: Nilesh Gupta | Category: N/A
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Description

Sample Paper Class-X Hindi-A 2017-18

A-14(A), Road No.1, Indraprastha Industrial Area, Kota-324005 Tel: 0744-2425408,9116147808 | Website : www.vibrantacademy.com

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र (2017-2018) हिन्दी अ कक्षा दसव ीं

निर्धारित समय 3 घंटे

अधर्कतम अंकः80

सधमधन्य निर्दे श 

इस प्रश्ि पत्र में चधि खंड हैं – क, ख, ग औि घ।



चधिों खंडों के प्रश्िों के उत्ति र्दे िध अनिवधया है ।



यथधसंभव प्रत्येक खंड के प्रश्िों के उत्ति क्रमशः र्दीजिए। खींड – ‘क’

अींक-15

अपहिि अींर् 1

निम्िलिखखत गदयधंश को ध्यधिपूवक ा पढिए औि िीचे लिखे प्रश्िों के उत्ति लिखखए-

8

सुबुदर् वक्तध अपधि ििसमूह कध मि मोह िेतध है , लमत्रों के बीच सम्मधि औि प्रेम

कध केंद्र – बबंर्द ु बि िधतध है । बोििे कध वववेक, बोििे की किध औि पटुतध व्यजक्त

की शोभध है , उसकध आकर्ाण है । िो िोग अपिी बधत को िधई कध पहधड़ बिधकि उपजथथत किते हैं, वे एक ओि िहधाँ सुििे वधिे के र्ैया की पिीक्षध लियध किते हैं, वहीं

अपिध औि र्दस ू िे कध समय भी अकधिण िष्ट ककयध किते हैं। ववर्य से हटकि बोििे वधिों से, अपिी बधत को अकधिण खींचते चिे िधिे वधिों से तथध ऐसे मुहधविों औि

कहधवतों कध प्रयोग कििे वधिों से िो उस प्रसंग में ठीक ही ि बैठ िहे हों, िोग ऊब िधते है । वधणी कध अिश ु धसि, वधणी कध संयम औि संति ु ि तथध वधणी की लमठधस ऐसी शजक्त है िो हि कढठि जथथनत में हमधिे अिक ु ू ि ही िहती है , िो मििे के

पश्चधत भी िोगों की थमनृ तयों में हमें अमि बिधए िहती है । हधाँ, बहुत कम बोििध यध सर्दै व चप ु िगधकि बैठे िहिध भी बुिध है । यह हमधिी प्रनतभध औि तेि को कंु र्द कि र्दे तध है । अतएव कम बोिो, सधथाक औि ढहतकि बोिो। यही वधणी कध तप है। (i)

व्यजक्त की शोभध औि आकर्ाण ककसे बतधयध गयध है ?

2

(ii)

कैसे व्यजक्तयों से िोग ऊब िधते है ?

2

(iii)

वधणी कध तप ककसे कहध गयध है ?

2

(iv)

बहुत कम बोििध भी अच्छध क्यों िहीं है ?

1

(v) 2

‘िधई कध पहधड़ बिधिध’ मुहधविे कध अथा लिखखए।

निम्िलिखखत कधव्यधंश को ध्यधिपव ा पढ़कि पछ ू क ू े गए प्रश्िों के उत्ति लिखखएः-

1 7

क्यध िोकेंगे प्रिय मेर् ये, क्यध ववदयुत–घि के िताि, मुझे ि सधथी िोक सकेंगे, सधगि के गिाि-तिाि।

मैं अवविधम पधथक अिबेिध रूके ि मेिे कभी चिण, शूिों के बर्दिे फूिों कध ककयध ि मैिे लमत्र चयि। मैं ववपर्दधओं में मुसकधतध िव आशध के र्दीप लिए,

कफि मुझको क्यध िोक सकेंगे िीवि के उत्थधि पति। मैं अटकध कब, कब ववचलित मैं, सतत डगि मेिी संबि, िोक सकी पगिे कब मुझको यह युग की प्रधचीि निबि। आंर्ी हो, ओिे वर्धा हों, िधह सुपरिधचत है मेिी,

कफि मुझको क्यध डिध सकेंगे ये िग के खंडि-मंडि। मझ ु े डिध पधए कब अंर्ड, ज्वधिधमखु खयों के कंपि,

मझ ु े पधथक कब िोक सके हैं अजनिलशखधओं के िताि। मैं बढ़तध अवविधम नििं ति ति मि में उन्मधर्द लिए,

कफि मुझको क्यध डिध सकेंगे, ये बधर्दि- ववदयुत िताि। (i)

कववतध में आए मेघ, सधगि की गिािध औि ज्वधिधमुखी ककिके प्रतीक हैं ? कवव िे

2

‘शूिों के बर्दिे फूिों कध ककयध ि मैिे चयि’ – पंजक्त कध भधव थपष्ट कीजिए।

2

उिकध संयोिि यहधाँ क्यों ककयध है ? (ii) (iii) (iv)

‘युग की प्रधचीि’ से क्यध तधत्पया है ?

1

उपयक् ुा त कधव्यधंश के आर्धि पि कवव के थवभधव की ककन्हीं र्दो ववशेर्तधओं कध उल्िेख

1

‘उत्थधि पति’ शब्र्द में समधस बतधइए।

1

कीजिए। (v)

खींड – ख

अंक 15

(व्याविारिक व्याकिण) 3 क)

निर्दे शधिुसधि उत्ति लिखखए

अध्यधवपकध िे छधत्रध की प्रशंसध की तथध उसकध उत्सधह बिधयध। (लमश्र वधक्य में बर्दलिए)

1x3=3

ख)

िो ईमधिर्दधि है वही सम्मधि कध सच्चध अधर्कधिी है । (सिि वधक्य में बर्दलिए)

ग)

ज्यों ही घंटी बिी छधत्र अंर्दि चिे गए। (िचिध के आर्धि पि वधक्य भेर्द लिखखए)

4.

निम्िलिखखत वधक्यों में वधच्य परिवताि कीजिए

क)

हम िधत भि कैसे िधगें गे ?

ख)

तधिसेि को संगीत सम्रधट कहते हैं।

ग) घ)

1x4=4

(भधव वधच्य में बर्दलिए) (कताृ वधच्य में बर्दलिए)

उिके दवधिध कैप्टि की र्दे शभजक्त कध सम्मधि ककयध गयध। (कता ृ वधच्य में बर्दलिए)

मधाँ िे अवनि को पढ़धयध (कमा वधच्य में बर्दलिए)

5.

िे खधंककत पर्दों कध पर्द परिचय लिखखए

क)

आि समधि में ववभीर्णों की कमी िहीं है ।

ख)

िधत मे र्दे ि तक बधरिश होती िही।

ग)

हवर्ातध निबंर् लिख िही है ।

घ)

इस पुथतक में अिेक धचत्र हैं।

6 क) ख) ग) घ)

निम्िलिखखत प्रश्िों के उत्ति

1x4=4

निर्दे शधिस ु धि लिखखए

श्रग ंृ धि िस के भेर्दों के िधम लिखखए।

करूण िस कध मूि थथधयी भधव लिखखए। अदभुत िस कध अिुभधव लिखखए।

हधथय िस से संबधर्त कधव्य पंजक्तयधाँ लिखखए। खींड – ‘ग’

7

1x4=4

(पाठ्य पस् ु िक एवीं पिू क पाठ्य पस् ु िक)

निम्िलिखखत गदयधंश को ध्यधिपव ा पढ़कि िीचे ढर्दए गए प्रश्िों के उत्ति लिखखएःू क पढ़िे लिखिे में थवयं कोई बधत ऐसी िहीं जिससे अिथा हो सके। अिथा कध बीि उसमें हिधगि िहीं। अिथा पुरूर्ों से भी होते हैं। अपढ़ों औि पढ़े लिखों, र्दोिों से

अिथा, र्दिु धचधि औि पधपधचधि के कधिण औि ही होते हैं औि वे व्यजक्त ववशेर् कध चधि चिि र्दे खकि िधिे भी िध सकते हैं। अतएव जथत्रयों को अवश्य पढ़धिध चधढहए।

अींक 30

िो िोग यह कहते हैं कक पुिधिे िमधिे में यहधाँ जथत्रयधाँ ि पढ़ती थीं अथवध उन्हे पढ़िे

की मुमधनियत थी वे यध तो इनतहधस से अलभज्ञतध िहीं िखते यध िधि बूझकि िोगों को र्ोखध र्दे ते हैं। समधि की दृजष्ट में ऐसे िोग र्दं डिीय हैं क्योंकक जथत्रयों को नििक्षि िखिे कध उपर्दे श र्दे िध समधि कध अपकधि औि अपिधर् कििध है -समधि की उन्िनत में बधर्ध डधििध है । क) ख) ग)

कुछ िोग थत्री लशक्षध के वविोर् में क्यध तका र्दे ते हैं औि क्यों

2

थत्री लशक्षध के वविोर्ी र्दं डिीय क्यों हैं

1

अिथा कध मूि स्रोत कहधाँ होतध है

8

निम्िलिखखत प्रश्िों के उत्ति संक्षेप में लिखखएः-

क)

र्दे वर्दधि की छधयध औि फधर्दि कधलमि बुल्के के व्यजक्तत्व में क्यध समधितध थी?

ख) ग)

2 2x4=8

लशष्यध िे डिते हुए बबजथमल्िध खधाँ से क्यध कहध? खधाँ सधहब िे उसे कैसे समझधयध?

बधिगोबबि भगत की पत्र ु वर्ू की ऐसी कौि सी इच्छध थी जिसे वे पिू ध ि कि सके? कधिण थपष्ट कीजिए।

घ) 9

‘एक कहधिी यह भी’ िधमक पधठ की िेखखकध मन्िू भंडधिी कध सधढहत्य की अच्छी पुथतकों से परिचय कैसे हुआ?

निम्िलिखखत कधव्यधंश को ध्यधिपूवक ा पढ़कि िीचे ढर्दए गए प्रश्िों के उत्ति लिखखएःबबहलस िखिु बोिे मर्द ृ ु बधिी। अहो मुिीसु महधभट मधिी।। पुनि पुनि मोढह र्दे खधव कुठधरू। चहत उड़धवि फूंकक पहधरू।।

इहधाँ कुम्हड़बनतआ कोउ िधहीं। िे तिििी र्दे खख मरि िधहीं।।

र्दे खख कुठधरू सिधसि बधिध। मैं कछु कहध सढहत अलभमधिध।।

भग ृ ुसुत समुखझ ििेउ बबिोकी। िो कछु कहहु सहौं रिसिोकी सुिमढहसुि हरििि अरू गधई। हमिे कुि इन्ह पि ि सुिधई।।

क) ख)

बर्े पधपु अपकीिनत हधिें । मधितहू पध परिअ तुम्हधिें ।। कोढट कुलिस सम बचिु तुम्हधिध। व्यथा र्िहु र्िु बधिकुठधिध।। िर्क ु ु ि की पिं पिध की क्यध ववशेर्तधएाँ बतधई गई हैं?

2

“इहधाँ कुम्हड़बनतआ कोउ िधहीं। िे तिििी र्दे खख मरि िधहीं।“ कहकि िक्ष्मण िे अपिी

2

प्रथतुत कधव्यधंश में ‘कुम्हडबनतयध’ शब्र्द ककससे लिए प्रयोग ककयध गयध है ?

1

कौि सी ववशेर्तध बतधई है ? ग) 10

निम्िलिखखत प्रश्िों के उत्ति संक्षेप में

लिखखए

क)

‘आत्मकथ्य’ कववतध में िीवि के ककस पक्ष कध वणाि ककयध गयध है

ख)

‘श्री सूयक ा धंत बत्रपधठी नििधिध ‘ दवधिध िधचत कववतध ‘उत्सधह’ के शीर्ाक की सधथाकतध

2x4=8

थपष्ट कीजिए ग) घ)

‘कन्यधर्दधि’ कववतध में वथत्र औि आभर् ू णों को शधजब्र्दक भ्रम क्यों कहध गयध है ?

मख् ु य गधयक एवं संगतकधि के मध्य िड़ ु ी कड़ी अगि टूट िधए तो उसके क्यध परिणधम हो सकते हैं ? थपष्ट कीजिए।

11

‘सधिध-सधिध हधथ िोडड’ पधठ में कहध गयध है कक कटधओ पि ककसी र्दक ु धि कध ि होिध

विर्दधि है । ऐसध क्यों? भधित के अन्य प्रधकृनतक थथधिों को विर्दधि बिधिे में िवयुवकों

4

की क्यध भूलमकध हो सकती है ? थपष्ट कीजिए। अथवध

‘मधतध कध अंचि’ पधठ में वखणात तत्कधिीि ववदयधियों के अिुशधसि से वतामधि युग के ववदयधियो के अिुशधसि की तुििध किते हुए बतधइए कक आप ककस अिुशधसि व्यवथथध को अच्छध मधिते हैं औि क्यों? खींड़ घ

अींक 20

(लेखन) 12

निम्िलिखखत में से ककसी एक ववर्य पि ढर्दए गए संकेत बबंर्दओ ु ं के आर्धि पि िगभग 200 से 250 शब्र्दों में निबंर् लिखखए

क)

ख)

ग)

थवच्छ भधित

एक कर्दम थवच््तध की ओि



प्रथतधविध



थवच्छतध कध महत्व



वतामधि समय में थवच्छतध को िेकि भधित की जथथनत



थवच्छ भधित अलभयधि कध आिं भ एवं िक्ष्य



उपसंहधि

ऊिधा की बढ़ती मधाँग : समथयध औि समधर्धि 

प्रथतधविध



ऊिधा के पधिं परिक स्रोतों कध समधप्त होिध



िवीि स्रोतों की आवश्यकतध



हमधिी ऊिधा पि निभाितध



उपसंहधि

सधमधजिक संिधि (सोशि िेटवककिंग) विर्दधि यध अलभशधप 

प्रथतधविध



सोशि िेटवककिंग के िधभ



सोशि िेटवककिंग से हधनियधाँ

10

  13

उधचत प्रयोग के लिए सुझधव उपसंहधि

आपकी कक्षध के कुछ छधत्र छोटी कक्षधओं के ववदयधधथायों को सतधते हैं। इस समथयध के बधिे में प्रधचधया िी को पत्र लिखकि बतधएाँ औि कोई उपधय भी सझ ु धइए

5

अथवध

आि ढर्दि-प्रनतढर्दि सूचिध औि संचधि मधध्यम िोगों के बीच िोकवप्रय होते िध िहे हैं। ऐसे में पत्र िेखि पीछे छूटतध िध िहध है । पत्र िेखि कध महत्व बतधते हुए अपिे लमत्र को पत्र लिखखए 14

आपके शहि में ववश्व पुथतक मेिे कध आयोिि होिे िध िहध है । इसके लिए 25 से 50 शब्र्दों में ववज्ञधपि तैयधि कीजिए।

अथवध आपकी बड़ी बहि िे एक संगीत लसखधिे की संथथध खोिी है । इसके लिए 25 से 50 शब्र्दों में ववज्ञधपि तैयधि कीजिए।

5

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र (2017-2018) हिन्दी अ कक्षा दसव ीं उत्तर सींकेि खींड – ‘क’

अींक-15

1

अपहिि अींर्

8

(i)

बोलने का वििेक और कला-पटुता को व्यक्तत की शोभा और आकर्षण कहा गया है ।

2

विर्य से हटकर बोलने िालों से, अपनी बात को अकारण खीिंचते चले जाने िालों से

2

इसी के कारण िह मित्रों के बीच सम्िान और प्रेि का केन्द्र-बबिंद ु बन जाता है । (ii)

लोग ऊब जाते है । (iii) (iv)

अनुशामसत, सिंयमित, सिंतुमलत, सार्षक और हहतकर बोलना िाणी का तप है ? बहुत कि बोलना हिारी प्रततभा और तेज को किंु द कर दे ता है ।

2 1

(v)

‘राई का पहाड़ बनाना’ – बढा-चढाकर बात करना।

1

2

अपहिि काव्ाींर्

7

(i)

भीर्ण बाधाओिं और सिंकटों के प्रतीक हैं। कवि ने इनका सिंयोजन सिंघर्षशीलता और

2

हहम्ित को हदखाने के मलए ककया है । (ii)

कवि ने हिेशा सिंघर्ो और चन ु ौततयों का कहिन िागष चन ु ा। उन्द्होनें कभी फूलों का

2

‘युग की प्राचीर’ का आशय है – सिंसार की बाधाएँ।

1

अर्ाषत सुख-सुविधा का िागष नहीिं चन ु ा। (iii) (iv)

साहस और सिंघर्षशीलता।

1

(v)

उत्र्ान-पतन, उत्र्ान और पतन िें द्ििंद सिास है ।

1

खींड – ख

अिंक 15

(व्ाविाररक व्ाकरण) 3

रचना के आधार पर िातय भेद

क)

जब अध्यावपका ने छात्रा की प्रशिंसा की तो उसका उत्साह बढ गया।

ख)

ईिानदार ही सम्िान का सच्चा अधधकारी है ।

ग)

मिश्र िातय।

4.

िाच्य

1x3=3

1x4=4

क)

हिसे रात भर कैसे जागा जाएगा।

ख)

तानसेन को सिंगीत सम्राट कहा जाता है ।

ग)

उन्द्होंने कैप्टन की दे शभक्तत का सम्िान ककया।

घ)

िाँ द्िारा अितन को पढाया गया।

5.

पद पररचय

क)

विभीर्णों – जाततिाचक सिंज्ञा, बहुिचन, पुक््लिंग, सिंबिंधकारक।

ख) ग) घ) 6 क) ख) ग) घ)

1x4=4

दे र तक – कालिाचक किया विशेर्ण, ‘होती रही’ किया की विशेर्ता बता रहा है । मलख रही है – सकिषक किया, स्त्त्रीमलिंग, एकिचन, ितषिान काल, कतष त िाच्य

अनेक – अतनमशचत सिंख्यािाचक विशेर्ण, पक्ु ्लिंग, बहुिचन, ‘धचत्र’ विशेष्य का विशेर्ण रस

1x4=4

श्रग िंत ार रस के भेद – सिंयोग श्रग िं त ार रस, वियोग श्रग िं त ार रस। करूण रस का स्त्र्ायी भाि शोक है ।

अद्भुत रस का अनुभाि – रोिािंच, आँखे फाडकर दे खना, काँपना, गदगद होना। हास्त्य रस

हार्ी जैसी दे ह है , गैंडे जैसी खाल। तरबज ू े सी खोपड़ी, खरबज ू े से गाल।।

7. क)

खींड – ‘ग’

(पाठ्् पुस्िक एवीं पूरक पाठ्् पुस्िक)

स्त्त्री मशक्षा के विरोध िें यह तकष दे ते हैं कक पुराने जिाने िें यहाँ क्स्त्त्रयाँ पढती न र्ीिं और उनके पढने पर रोक र्ी। ऐसा िे इसमलए कहते है तयोंकक िे इततहास से

अींक 30 2

अनमभज्ञ हैं। ख)

अनर्ष का िूल स्रोत ककसी व्यक्तत के चररत्र िें होता है । कुसिंस्त्कार, कुसिंगतत, कुक्त्सत

2

ऐसे लोग क्स्त्त्रयों को तनरक्षर रखकर सिाज का अपकार करते हैं तर्ा सािाक्जक

1

विचार उसे अनर्ष करने के मलए प्रेररत करते हैं। ग)

उन्द्नतत िें बाधा ड़ालते हैं। 8 क)

दे िदार की छाया शीतल और िन को शािंत करने िाली होती है । फादर लेखक और उसके साधर्यों के सार् हँ सी िजाक िें तनमलषप्त शामिल रहते, गोक्ष्ियों िें गिंभीर बहस करते तर्ा उनकी रचनाओिं पर बेबाक राय दे ते। घरे लू उत्सिों और सिंस्त्कार िें

बड़े भाई और पुरोहहत जैसे खडे होकर आशीर्ों से भर दे ते। इसी कारण लेखक को फादर की उपक्स्त्र्तत दे िदार की छाया जैसी लगती र्ी।

2x4=8

ख)

मशष्या ने बबक्स्त्ि्ला खाँ को फटी लुिंगी पहने हुए दे खकर डरते हुए कहा कक आपकी इतनी प्रततष्िा है , अब तो भारत रत्न भी मिल चक ु ा है और आप फटी लुिंगी पहने

रहते हैं। मशष्या के ऐसा कहने पर उस्त्ताद बबक्स्त्ि्ला खाँ साहब ने उसे सिझाते हुए कहा कक िीक है आगे से नहीिं पहनें गे, ककिंतु बनाि मसिंगार िें लगे रहते तो शहनाई कैसे होती। ग)

बालगोबबन भगत की पत्र ु िधू की इच्छा र्ी कक िह अपने पतत की ित्त यु के बाद

बालगोबबन भगत के पास ही रहे तयोंकक िह बढ ु ापे िें अपने ससरु की सेिा करना घ)

चाहती र्ी, ककिंतु भगत अपनी पुत्रिधु का पुनविषिाह कराने के पक्ष िें र्े।

हहन्द्दी की प्राध्यावपका शीला अग्रिाल के सिंपकष िें आने के बाद िन्द्नू भिंड़ारी का साहहत्य की अच्छी पुस्त्तकों से पररचय हुआ। शीला अग्रिाल ने िात्र पढने को, चन ु ाि करके पढने िें बदला।

9. क)

दे िता, ब्राहण, भगिान के भतत और गाय इन सभी पर रघुकुल के व्यक्तत अपनी

2

लक्ष्िण ने कहा हिें कुम्हड़े के छोटे पौधे की तरह ित सिझझए, जो तजषनी के

2

िीरता का प्रदशषन नहीिं करते हैं। ख)

हदखाने से िुरझा जाता है । इस प्रकार लक्ष्िण ने अपनी तनभीकता और िीरता को प्रदमशषत ककया। ग)

प्रस्त्तत ु काव्यािंश िें यह शब्द बहुत किजोर और तनबषल व्यक्ततयों के मलए प्रयोग ककया गया है ।

10 क) ‘आत्िकथ्य’ कविता िें कवि ने जीिन के यर्ार्ष और अभाि पक्ष का िणषन ककया है । उसका िन खाली गागर के सिान है । ख)

1 2x4=8

कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसमलए रखा गया है तयोंकक बादल िर्ाष करके पीडडत प्यासे जन की आकािंक्षा को पूरा करके उनके जीिन िें आशा, उत्साह तर्ा नई चेतना का सिंचार करते हैं।

ग)

शब्दों के भ्रि की तरह नारी जीिन भर िस्त्त्र और आभूर्णों के िोहपाश िें बिंघी रहती

हैं। इसमलए कवि ने िस्त्त्राभूर्णों को ‘शाक्ब्दक भ्रि’ कहकर उन्द्हें नारी जीिन का बिंधन िाना है । घ)

अगर कड़ी टूट गई तो िख् ष पण ु य गायक का गायन सफलतापि ू क ू ष नहीिं हो पाएगा। जब िख् ु य गायक अपने सरु ों से भटकने लगेगा तो कोई स्त्र्ायी को सिंभालने िाला नहीिं होगा।

11

‘कटाओ’ को अपनी स्त्िच्छता और नैसधगषक सौंदयष के कारण हहिंदस्त् ु तान का

क्स्त्िट्जरलैंड कहा जाता है । यह सुिंदरता आज इसमलए विद्यिान है तयोंकक यहाँ कोई

4

दक ु ान आहद नहीिं है , इस स्त्र्ान का व्यिसायीकरण नहीिं हुआ है । ‘कटाओ’ अभी तक पयषटक स्त्र्ल नहीिं बना है । प्रकततत अपने पूणष िैभि के सार् यहाँ हदखाई दे ती है । आज के नियुिक विशेर् अमभयान चलाकर प्राकतततक स्त्र्ानों को गिंदगी-िुतत करके

अपना योगदान दे सकते हैं। िे पयषटकों तर्ा अन्द्य लोगों को प्राकतततक िातािरण की सुरक्षा के प्रतत जागरूक करने िें िहत्िपूणष भूमिका तनभा सकते हैं। अर्िा

‘िाता का अिंचल’ पाि िें क्जस विद्यालय का िणषन है िहाँ अध्यापक बच्चों की वपटाई करके, उन्द्हें शारीररक दिं ड दे कर अनुशासन िें रखते र्े। आज के विद्यालयों िें

शारीररक दिं ड दे ना िक्जषत है । आजकल विद्याधर्षयों को सिझा बुझा कर अनुशासन िें रखा जाता है । विद्यालय िें परािशषदाता की तनयुक्तत की जाती है । परािशषदाता

शैक्षक्षक िागषदशषन दे कर छात्रों को आत्ि-सिायोजन तर्ा सिाक्जक सिायोजन िें सहायता प्रदान करते हैं। आज के विद्यालयों िें जो अनश ु ासन व्यिस्त्र्ा है िह परु ाने तरीके से अधधक अच्छी है ।

खींड़ घ

अींक 20

(लेखन) 12 क)

10 तनबिंध लेखन  

भार्ा शुद्धता

2 अिंक

िातय-विन्द्यास

1 अिंक



विर्यिस्त्तु(सिंकेत बबिंदओ ु िं के आधार पर)

4 अिंक

सिग्र प्रभाि

2 अिंक

पत्र लेखन प्रारिं भ और अिंत की औपचाररकताएँ विर्यिस्त्तु

14

1 अिंक

  13

प्रस्त्तुतत

भार्ा शुद्धता

1+1=2 2 अिंक़ 1 अिंक

विज्ञापन लेखन प्रारूप

2 अिंक

विर्यिस्त्तु

2 अिंक़

भार्ा

5

1 अिंक

5

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