॥ भृग ु स म म ्॥ .. bhRi bhRigu gu sUtram sUtram ..
sanskritdocuments.org April 10, 2015
Document Information Text title : bhRigu sUtram File name : bhrigusUtram.itx Category : sUtra Location Location : doc_z_misc_socio doc_z_misc_sociology_ast logy_astrology rology Author : bhRigu muni Language : Sanskrit Subject : Jyotish Transliterated by : Radu Canahai clradu at yahoo.com Proofread by : Radu Canahai clradu at yahoo.com Latest update : August 02, 2002 Send corrections to :
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् ॥ भृभगृ ु स म म ॥ ॥ भृग ु स म म ्॥ अथ तादादशभावतरवफलमाह ताद ल े रवफलम ् आरय आरय भवत वत ॥ १॥ १॥ पूकृतः तः न े न ेरगी रगी ॥ २॥ म ेधावी धावी सदाचारी वा ॥ ३॥ उंनदरवान ्॥ ४॥ ख ः प ु ुहीनः म हीनः ॥ ५॥ तनब ु ुः ः ॥ ६॥ अभाषी ूवासशीलः स ुखी खी ॥ ७॥ े कीत मान मान ्॥ ८॥ बलनरीत े े वान ्॥ ९॥ नीच े ूतापवान ्॥ १०॥ ेषी जान षी दिरः अकः ॥ ११॥ श ुभ भ े े न दषः ॥ १२॥ स सह ह े ाश े नाथह नाथह््॥ १३॥ क ु ु लीर लीर े े जानवान ्॥ १४॥ रगी ब ु ुदब दब ु ुदाह दाह ्॥ १५॥ मकर िगी ॥ १६॥ े ीजनस ेवी मीन ेीजनस वी ॥ १७॥ काया रव काूजः दारहीनः कृतः तः ॥ १८॥ ेी ी श ुभय भय ुह् ह्आरयवान ्॥ १९॥ 1
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पापय ुत े श ुनीछ े े तृतीय े वष रपीडा ॥ २०॥ श ुभ े न दषः ॥ २१॥ लाद ्तीय े रवफलम ् म ुखरगी ॥ २२॥ पवशतवष राजद ेन ि ेदः ॥ २३॥ उ े े े वा दषः ॥ २४॥ पापय ुत े न ेरगी ॥ २५॥ वान ्रगी ॥ २६॥ श ुभवीत े धनवान ्दषादीन ्पहरती ॥ २७॥ न ेसम ्॥ २८॥ े े े वा बधनवान ्॥ २९॥ ब ुधय ुत े पवनवाक ् ॥ ३०॥ धनाधपः े वामी ॥ ३१॥ शाजः जानवान ्न ेसम ्राजयगँछ ॥ ३२॥ लातृतीय े रवफलम ् ब ुमान ्अन ुजरहतः ेनाशः ॥ ३३॥ पम े वष चत ुरँटादशवष वा कीदा ॥ ३४॥ रकता ॥ ३५॥ पापय ुत े ॅ ातृ मान ्परामी ॥ ३६॥ य ु े श र ॥ ३७॥ कीत मान ्नजधनभगी ॥ ३८॥ श ुभय ुत े सदरव ृः ॥ ३९॥ भावाधप े बलय ुत े ॅातृदीघ य ुः ॥ ४०॥ पापय ुत े पाप ेणव शााशः ॥ ४१॥ श ुभवीनवशानवान ्भगी स ुखी च ॥ ४२॥ लात ुथ रवफलम ्
॥ भृग ु स म ्॥ ेही मनः पीडावान ्॥ ४३॥ हीनाः अहारी जनवरधी उंनद ा शष सव कम न ु क लवान ्॥ ४४॥ बूतासः सापदवीजानसय सः ॥ ४५॥ धनधाहीनः ॥ ४६॥ भावाधप े बलय ुत े े ेकण े क े े लनाप ेा आलकाूाः ॥ ४७॥ पापय ुत े पापवनवशाद ् ान े व हनसः ॥ ४८॥ े ेहीनः ॥ ४९॥ परग ृह एव वासः ॥ ५०॥ लाम े रवफलम ् ेही सम े वष पारवान ्॥ ५१॥ नध नः लद म ेधावी अ ुः ब ुमान ्॥ ५२॥ भावाधप े बलय ुत े प ुसः ॥ ५३॥ राक ेत ुय ुत े सप शापात ्स ुतयः ॥ ५४॥ क ुजय ुत े श ुय ुत े म लात ्॥ ५५॥ श ुभय ुत े न दषः ॥ ५६॥ स य शरभादष ु भः ॥ ५७॥ बलय ुत े प ुसमृः ॥ ५८॥ ला े रवफलम ् अजातः ॥ ५९॥ श ुव ृः धनधासमृः ॥ ६०॥ वशतवष न े वैपरी भवत ॥ ६१॥ श ुभय ुत े न दषः ॥ ६२॥ ृ स ेवी ॥ ६३॥ अहकानन पारक कीत मान ्शकरगी महंनद ेही ॥ ६४॥ ेहारयम ्॥ ६५॥ श ुभय ुत े भावाधप े द
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जातश ुबाम ्॥ ६६॥ भावाधप े ब ल े श ुनाशः ॥ ६७॥ पतृ ब लः ॥ ६८॥ लम े रवफलम ् ेषी परदाररतह् दारयवान ्॥ ६९॥ ववाहवलनी ेशार ूव ेशः ॥ ७०॥ पव शतवष द ेषी ॥ ७१॥ अभ भनः वनदशीलः दार नाशाब ुः ॥ ७२॥ बलवत एकदा दारवा वान ्॥ ७३॥ श ुनीचवीत े पापय ुत े वीन ैब दारवान ्॥ ७४॥ लादम े रवफलम ् अप ुः न ेरगी ॥ ७५॥ दशम े वष शरोनी ॥ ७६॥ श ुभयत ु े तरहारह्॥ ७७॥ अधनवान ्गमहादनाशः ॥ ७८॥ े ेह रगः ॥ ७९॥ द ातमान ्॥ ८०॥ भावाधप े बलय ुत े इ ेवान ्॥ ८१॥ े े े दीघ य ुः ॥ ८२॥ लावम े रवफलम ् ेवताभः ॥ ८३॥ स य ादद धाम कः अभायः पतृ ेष ी स ुतदारवान ् े े े त पता दीघ य ु ॥ ८४॥ ेवताभः ॥ ८५॥ बधनवान ्तपानशीलः ग ुद नचारपाप े े पपैय ु त े े वा पतृनाशः ॥ ८६॥ श ुभय ुत े वीनवशाा पता दघ य ुः ॥ ८७॥
॥ भृग ु स म ्॥ लाशम े रवफलम ् अादशवष वादकार ेन ूस भवत िाज नसमथ ॥ ८८॥ तः राजूयः सम रतः राजश रः ातमान ्॥ ८९॥ े े े बल परः ॥ ९०॥ कीत ूसः ॥ ९१॥ तटाक ेगप ुरादॄाण ूतासः ॥ ९२॥ पाप े े पापय ुत े पापँटवशात ्कम वकरः ॥ ९३॥ ृ तः ॥ ९४॥ क अनाचारः म क ृ ापी ॥ ९५॥ ेकादश े रवफलम ् लाद बधावान ्पव शतवष वाहनसः ॥ ९६॥ धनवाजािलाज नसमथ ः ूभ ुरतबृजन ेहः ॥ ९७॥ पापय ुत े बधायः ॥ ९८॥ वाहनहीनः ॥ ९९॥ े े े अधकूाबम ्॥ १००॥ वाहन ेशय ुत े ब े े वाधकारः ॥ १०१॥ वाहनयग ेन न बभायवान ्॥ १०२॥ लाादश े रवफलम ् ष शष ग ुरगी ॥ १०३॥ अपायकारी पततः धनहानः ॥ १०४॥ ेशवासी ॥ १०५॥ गहादषकृत ्परद ेवतासः ॥ १०६॥ भावाधप े बलय ुत े वा द शाखट ् वादसम ्॥ १०७॥ पापय ुत े अपायकारी स ुखँाहीनः ॥ १०८॥ षंत ेश ेय ुत े क ुरगय ुतः श ुभय ुत े नव ृः ॥ १०९॥
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पापी रगवृमान ्॥ ११०॥ अथ तादादशभावतचफलमाह ताद ल े चफलम ् पलावयय ुपलः ाधना जलासः ॥ १॥ पदशवष बयाावन ्॥ २॥ म ेषव ृषभकक ल े च ेशा परः ॥ ३॥ धनी स ुखी न ृपालः मृ वक ् ब ुरहतः मृ गाः बली ॥ ४॥ श ुभ े बलवान ्॥ ५॥ ब ुमान ्आरयवान ्वाजालकः धनी ॥ ६॥ ल ेश े बलरहत े ाधमान ्॥ ७॥ श ुभ े आरयवान ्॥ ८॥ लातीय े चफलम ् शभनवान ्बूतापी धनवान असष ॥ ९॥ अादशवष राजर ेण स ेनाधपगः ॥ १०॥ पापय ुत ेवाहीनः ॥ ११॥ श ुभय ुत े बवाधनवान ्॥ १२॥ एक ेनवै प ण च ेण स ण धनवान ्॥ १३॥ अन ेक वावान ्॥ १४॥ लातृतीय े चफलम ् भगनीसामाः वातशरीरी अहीनः अभायः ॥ १५॥ चत ु व शतवष भावप ेन राजदड ेन ि ेदः ॥ १६॥ गमहादहीनः ॥ १७॥ पश ुनः म ेधावी सहदर वृ ॥ १८॥ लात ुथ चफलम ् रााभशः अवान ्ीरसमृः धनधासमृः मतृरगी ॥ १९॥ परीनपानकारी ॥ २०॥
॥ भृग ु स म ्॥ मासः परीललः सवान ्॥ २१॥ प ण च े े बलवान ्मतृदीघ य ुः ीणच े पापय ुत े मातृनाशः ॥ २२॥ वाहनहीनह्बलय ुत े वाहनसः ॥ २३॥ भावाधप े े अन ेकाादवाहनसः ॥ २४॥ लाम े चफलम ् ेवतासः भय पवती ॥ २५॥ ीद चत ्कपवती ॥ २६॥ नम ेलन भवत ॥ २७॥ चत ुादलाभः ीयम ्बीरलाभः सय ुतः बौमः चावान ्ीूजावान ्एकप ुवान ्॥ २८॥ ेवतपासनावान ्॥ २९॥ ीद श ुभय ुत े वीणवशादन ुहसमथ ः ॥ ३०॥ पापय ुत ेणवशाहसमथ ः ॥ ३१॥ प ण च े बलवान ्अदानूीतः अन ेकब ुधूसादैय सः सम कृत ्भायसमृः राजयगी जानवान ्॥ ३२॥ ला े चफलम ् ेही ॥ ३३॥ अधकदािरयद ष शष वधवासमी त पापय ुत े हीनपापकरः ॥ ३४॥ राक ेत ुय ुत े अथ हीनः ॥ ३५॥ घरः श ुकलहवान ्सहदरहीन अमादरगी ॥ ३६॥ पादष ु जलादगडः ॥ ३७॥ तटाकक पापय ुत े रगवान ्॥ ३८॥ ीणच े प न फलान ॥ ३९॥ श ुभय ुत े बलवान ्अरगी ॥ ४०॥ लाम े चफलम ्
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मृ भाशी पा न ेकः ा शष ीय ुः ॥ ४१॥ ीललः ीम ल ेन शादपीडा ॥ ४२॥ राजूसादलाभः ॥ ४३॥ भावाधप े बलय ुत े ीयम ्॥ ४४॥ ीणच े कलनाशः प न च े बलय ुत े े एकदारवान ्॥ ४५॥ भगः ॥ ४६॥ लादम े चफलम ् अवाहनवान ्॥ क ्॥ ् तडाकादष ुगडः ॥ ख॥ ् ीम ल ेनब ुजन परागी ॥ ग॥ ् े दीघ य ुः ीन े वा ममाय ुः ॥ घ॥ लावम े चफलम ् बौ ुतवन ्प ुयवान ्॥ ४७॥ तटाकगप ुरदनम ण प ुयकता ॥ ४८॥ प ुभायवान ्॥ ४९॥ प ण च े बलय ुत े बभायवान ्॥ ५०॥ पतृदीघ य ुः ॥ ५१॥ पापय ुत े पाप े े भायहीनः ॥ ५२॥ नपतृमातृकः ॥ ५३॥ लाशम े चफलम ् वावान ्॥ ५४॥ पापय ुत े सव शतवष वधवासम ेन जनवरधी ॥ ५५॥ अतम ेधावी ॥ ५६॥ सकम नरतः कीत मान ्दयावान ्॥ ५७॥ भावाधप े बलय ुत े वश ेसम सः ॥ ५८॥
॥ भृग ु स म ्॥ पापनरत े पापय ुत े वा ृ तः ॥ ५९॥ कम वकरः ॥ ६०॥ ेकादश े चफलम ् लाद बौ ुतवान ्प ुवान ्उपकार ॥ ६१॥ पाशष प ुण बूाबयगः ॥ ६२॥ ग ुणाः ॥ ६३॥ भावाधप े बलहीन े बधन यः ॥ ६४॥ बलय ुत े लाभवान ्॥ ६५॥ लाभ ेच े नपलाभः ॥ ६६॥ श ुय ुत ेन नरवाहन-यग ॥ ६७॥ बवावान ्॥ ६८॥ ेवान ्अन ेकजनरणभायवान ्॥ ६९॥ लाादश े चफलम ् भजनः ायः कपवसन समृमान ् ीयगय ुः अ हीनः ॥ ७०॥ श ुभय ुत े वान ्दयावान ्पापश ुय ुत े पापलकः श ुभमय ुत े ौ ेलकवान ्॥ ७१॥ अथ तादादशभावत भमफलम ्ताद ल े भमफलम ् े ेह ोण भवत ॥ १॥ द ढगाः चरब ुभ षकः ब ृहाभ रपाणः श र बलवान ्म ख ः कपवान ्सभानशय धनवान ् चापलवान ्चरगी धी ज नः ॥ २॥ े े े आरयम ्गावान ्राजसान कीत ः ॥ ३॥ दीघ य ुः ॥ ४॥ पापश ुय ुत े अाय ु ॥ ५॥ प ुवान ्वातश लादरगः म ुखः ॥ ६॥ े ल धनवान ्॥ ७॥
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॥ भृग ु स म ्॥ वावान ्न ेवलासवान ्॥ ८॥ त पापय ुत े पाप े े पापँटय ुत े न े रगः ॥ ९॥ लातीय े भमफलम ् वाहीनः लाभवान ्॥ १०॥ पाधप ेनय ुतः तत च े े ैवपरीभवत ॥ ११॥ श ुभ े परहारः ॥ १२॥ े े े वावान ्॥ १३॥ न े वलासः ॥ १४॥ त पापय ुत े े े पाप े न ेरगः ॥ १५॥ ला ृतीय े भमफलम ् ी भचारणी ॥ १६॥ श ुभ े न दष अन ुजहीनः ॥ १७॥ िलाभः ॥ १८॥ राक ेत ुय ुत े व ेँयासमः ॥ १९॥ े शय ुतः श ुभगः ॥ २०॥ ॅातृ ेष ी असहदरः ॥ २१॥ पापय ुत े पापवीण ेन ॅातृनाशः ॥ २२॥ उ े े श ुभय ुत े ॅाता दीघ य ुः धैय वमवान ्॥ २३॥ य ु े श रः ॥ २४॥ पापय ुत े म े े ध ृतमान ्॥ २५॥ लात ुथ भमफलम ् हिम ्॥ २६॥ अम े वष पार मातृरगी ॥ २७॥ सय ुत े परग ृहवासः ॥ २८॥ नरगशरर ेहीनः धनधाहीनः जीण ग ृहवासः ॥ २९॥ उ े े े श ुभय ुत े म े े वाहनवान ् ेवान ्
॥ भृग ु स म ्॥ मातृदीघ य ुः ॥ ३०॥ नीच पापमृ ुय ुत े मातृनाशः ॥ ३१॥ सय ुत े वाहन नावान ्॥ ३२॥ ेषी द ेशपरागी वहीनः ॥ ३३॥ ब ुजन लाम े भमफलम ् नध नः प ुाभावः मा ग राजकपः ॥ ३४॥ षवष आय ुध ेन कदडकालः ॥ ३५॥ व सन जानशीलवान ्॥ ३६॥ मायावादी ॥ ३७॥ तीणधीः ॥ ३८॥ उ े े े प ुसमृः अदायः ॥ ३९॥ राजाधकारयगः श ुपीडा ॥ ४०॥ पापय ुत े पाप े े प ुनाशः ॥ ४१॥ ब ु ॅशादरगः ॥ ४२॥ र ेश े पापय ुत े पापी ॥ ४३॥ वीरः ॥ ४४॥ द प ु यगः ॥ ४५॥ ला े भमफलम ् ूसः ॥ ४६॥ काय समथ ः ॥ ४७॥ श ुहा प ुवान ्सव शत वष ककााद य ुत ऊढवान ्॥ ४८॥ श ुयः ॥ ४९॥ श ुभ श ुभय ुत े श ुभ े प ण फलान ॥ ५०॥ वातश लादरगः ॥ ५१॥ ब ुध े े य ुत े क ुरगः ॥ ५२॥ श ुभंत े परहारः ॥ ५३॥
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॥ भृग ु स म ्॥ लाम े भमफलम ् दार पीडा ॥ ५४॥ पापात पापय ुत ेन च दार हानः ॥ ५५॥ श ुभय ुत े जीवत प ीनाशः ॥ ५६॥ ेशपरः ॥ ५७॥ वद उम े श ुभय ुत े पप े े ईणवशाल नाशः ॥ ५८॥ अथवा चरभचार म ल ेन कलार ीसः ॥ ५९॥ भगच ुनवान ॥ ६०॥ चत ुादमै थ ुनवान ्मपानाूयः ॥ ६१॥ मय ुत े ंत े शच ुन परः ॥ ६२॥ क ेत ुय ुत े रजला ी सगी ॥ ६३॥ तश ुय ुत े बकलनाशः ॥ ६४॥ अवीरः अहारी वाश ुभ े न दषः ॥ ६५॥ लादम े भमफलम ् न ेरगी अधा य ुः परम कृरगः ॥ ६६॥ अप ुवान ्वातश लादरगः दारस ुखय ुतः ॥ ६७॥ ेहारयाम ्दीघ य ु म ुनाद व ृः ॥ ६८॥ श ुभय ुत े द पाप े े पापय ुत े ईणवशाात ाद रगः प क ृ ध वा ॥ ६९॥ ममाय ुः ॥ ७०॥ भावाधपबलय ुत े प न ाय ुः ॥ ७१॥ लावम े भमफलम ् पारम ्॥ ७२॥ भायहीनः ॥ ७३॥ उ े े ग ुदारगः ॥ ७४॥ लाशम े भमफलम ्
॥ भृग ु स म ्॥ जनवभः ॥ ७५॥ भावाधप े बलय ुत े ॅाता दीघ य ुः ॥ ७६॥ वश ेश भायवान ्ानशीलवान ्ग ुभ य ुतः ॥ ७७॥ पापय ुत े कम ववान ्॥ ७८॥ श ुभय ुत े श ुभ े े कम सः ॥ ७९॥ कीत ूतँठावान ्अादशवष िाज न समथ ः ॥ ८०॥ सव समथ ः ढगा चरब ुः पापय ुत े पाप े े कम वकरः ॥ ८१॥ ृ तः ॥ ८२॥ भाय ेश कमशय ुत े महाराजयवरा े पाभष ेकवान ्॥ ८३॥ ग ुय ुत े गजा ैय वान ्॥ ८४॥ ब समृमान ्॥ ८५॥ ेकदश भमफलम ् लाद बकृवान ्धनी ग ुन े राश ुलाभवान ्॥ ८६॥ े ेशय ुत े राजाधपवान ्॥ ८७॥ श ुभयय ुत े माहाराजाधपयगः ॥ ८८॥ ॅातृववान ्॥ ८९॥ लाादश े भमफलम ् ेहः ॥ ९०॥ िाभावः वातपद पापय ुत े दाकः ॥ ९१॥ अथ ताद ादश भावत ब ुधफलमाह ताद ल े ब ुधफलम ् वावान ्ववाहादबौ ुतवान ्॥ १॥ ेश े साव भमः मवादी पशाछाटन अन ेकद समथ ः मृ भाषी वान ्मीदयावान ्॥ २॥ सव शतवष तीथ याायगः बलाभवान ्बवावान ्॥ ३॥ ेह े रगः पपाड ुरगः ॥ ४॥ पापय ुत े पाप े े द
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॥ भृग ु स म ्॥ ेहारयम ्॥ ५॥ श ुभय ुत े श ुभ े े द ेहः तषश पठतह्अहीनः ण काद ेषी न ेरगी ॥ ६॥ सन सदशवष ॅातृणामकलहः ॥ ७॥ वकः ॥ ८॥ उ े े ॅातृसम ्॥ ९॥ ौ ेलक गमत ॥ १०॥ पापय ुत े पापय ुत े नीच पापलक गमत ॥ ११॥ ेवतपासकः ॥ १२॥ शास ुखवज तः ुिद पापमादय ुत े वामन े े हानः ष ेशय ुत े नीच ेशय ुत े वा न दषः ॥ १३॥ अपायवान ्॥ १४॥ पापहा ॥ १५॥ श ुभय ुत े नय ेन धनधाादमान ्धाम क ब ुः ॥ १६॥ अवत ्गणतशाजः सवान ्तक शावढ गाः ॥ १७॥ लाद ्तीय े ब ुधफलम ् प ु समृः वाचालकः व ेदशवचणः ससया सय ुतः धनी ग ुणाः स ुणी पदशवश बवावा वान ्॥ १८॥ बलाभूदः ॥ १९॥ पापय ुत े पाप े े अरनीचग े वावहीनः ॥ २०॥ रवान ्पवनाधः ॥ २१॥ श ुभय ुत ेवीणानी ॥ २२॥ वावान ्॥ २३॥ ग ुणा य ुत े वीत े वा गणतशााधकार ेन सः ॥ २४॥ लात ्तृतीय े ब ुधफलम ् ॅातृमान ्बसवान ्॥ २५॥
॥ भृग ु स म ्॥ पदशवष ेप ुय ुतः ॥ २६॥ धनलाभवान ्॥ २७॥ स ुणशाली ॥ २८॥ भावाधप े बलय ुत े दीघ य ुः ध ैय वान ्॥ २९॥ भावाधप े ॅातृपीडा भीतमान ्॥ ३०॥ बलय ुत े ॅाता दीघ य ुः ॥ ३१॥ लात ुथ ब ुधफलम ् हचापवान ्धयै वान ्वशालाः पतृमतृसय ुतः ॥ ३२॥ जानवान ्स ुखी ॥ ३३॥ शडशवष िापहारप ेण अन ेक वाहनवान ्॥ ३४॥ भावाधप े बलय ुत े आलका ूाः ॥ ३५॥ राक ेत ुशनय ुत े वाहनारवान ्॥ ३६॥ ेषी कपटी ॥ ३७॥ ेस ुखवज तः ब ुक ुल लाम े ब ुधफलम ् मात ुलगडःमादस ु वम ेधवी मध ुरभाषी ब ुमान ्॥ ३८॥ भावाधप े पापय ुत े बलहीन ेप ुनाशः ॥ ३९॥ अप ु दप ुाूः पापकम मवादी ॥ ४०॥ ला े ब ुधफलम ् राजप ः वावः दाकः ववादश रः ॥ ४१॥ शष बराज ेह भवत ॥ ४२॥ पादलखकः ॥ ४३॥ क ुज नीलक ुादरगी ॥ ४४॥ शनराय ुत े क ेत ुय ुत े वातश लादरगी जातश ुकलहः ॥ ४५॥ भावाधप े बलय ुत े जातूबलः ॥ ४६॥ अरनीच जातयः ॥ ४७॥
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॥ भृग ु स म ्॥
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लाम े ब ुधफलम ् मातृसम ्अााढ धम जः उदारमतः ॥ ४८॥ दगवौ ुतकीत ः राजप ः ॥ ४९॥ तश ुभय ुत े चत ु व शतवष आलकाूाः ॥ ५०॥ कलमतः ॥ ५१॥ अभभणः ॥ ५२॥ भाव ेश े बलय ुत े एकदारवान ्॥ ५३॥ दार ेश े ब ल े पाप े पाप क ुजादय ुत े कलनाशः ॥ ५४॥ ीजातक े पतनाशः कल क ुरगी ॥ ५५॥ अपवत ्॥ ५६॥ लादम े ब ुधफलम ् आय ुकारकः ब े ेवान ्॥ ५७॥ सप ुवान ्॥ ५८॥ पव शतवष अन ेकूतासः ॥ ५९॥ कीत ूसः ॥ ६०॥ भावाधप े बलय ुत ेप न य ुः ॥ ६१॥ अरनीचपापय ुत े अाय ुः ॥ ६२॥ अथवा उ े े वा श ुभय ुत े प ण य ुः ॥ ६३॥ लावम े ब ुधफलम ् बूजासः ॥ ६४॥ व ेदशावशारदः सीत पाठकः दायवान ् धाम कः ूतापवान ्बलाभवान ् पतृ दीघ य ुः ॥ ६५॥ तपानशीलवान ्॥ ६६॥ लाशम े ब ुधफलम ् सम सः भैय वान ्बलकीत मान ्बचतवान ्॥ ६७॥ अाव शतवष न ेरगवान ्॥ ६८॥
॥ भृग ु स म ्॥ उ े े ग ुय ुत ेऽमाद बकम वान ्॥ ६९॥ ् तः अनाचारः ॥ ७०॥ अरपापय ुत े म ढकम ववान ृ ेकादश े ब ुधफलम ् लाद बमलूदः ॥ ७१॥ अन ेक ूका कार ेण धनवान ्॥ ७२॥ ेप ुधनवान ्दयावान ्॥ ७३॥ एकनव शतवष पर पाप पापय ुत े हीनम ल ेन धनलपः ॥ ७४॥ उ े े श ुभम ल ेन धनवान ्॥ ७५॥ लादश े ब ुधफलम ् जानवान ्॥ ७६॥ वतरणशाली ॥ ७७॥ पापय ुत े चलः ॥ ७८॥ ेषी ॥ ७९॥ न ृपन श ुभय ुत ेन धम म ल ेन धनयः ॥ ८०॥ वाहीनः ॥ ८१॥ अ तादादशभावत ग ुफलमाह ताद ल े ग ुफलम ् े े शशााधकारी ॥ १॥ व ेदी बप ुवान ्स ुखी चराय ुः जानवान ्॥ २॥ उ े प न फलान ॥ ३॥ षडशवष महाराजयगः ॥ ४॥ अरनीचपापाना े े पापाय ुत े वा नीचकम वान ्॥ ५॥ मनलवान ्माय ुः प ुहीनः जनपरागी ेषी सारवान ्पाप ेशभगी ॥ ६॥ कृतः गव ँठः बजन लाद ्तीय े ग ुफलम ् धनवान ्ब ुमान ्इभाषी षडशवष धनधासमृः बूाबवान ्उ े े धन ुष िमान ्॥ ७॥
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॥ भृग ु स म ्॥ पापय ुत े वावः ॥ ८॥ ् चनः अनृतूयः ॥ ९॥ चरवनवान व नीच े े पापय ुत े मपानी ॅः ॥ १०॥ क ुलनाशकः ॥ ११॥ कलारय ुः प ुहीनः ॥ १२॥ ला ृतीय े ग ुफलम ् अतः ाॅतृ वृः दायवान ्स सकरः ॥ १३॥ ब ुदषकरः ॥ १४॥ अशष याासः ॥ १५॥ भावाधप े बलय ुत े ॅातृदीघ य ुः ॥ १६॥ भावाधप े पापय ुत े ॅातृनाशः ॥ १७॥ भ ैय हीनः जदब ुः दिरः ॥ १८॥ लात ुथ ग ुफलम ् स ुखी े ेवान ्ब ुमान ्ीरसमृः सनाः म ेधावी ॥ १९॥ भावाधप े बलय ुत े भृग ुचय ु े श ुभवग न नरवाहनयगः ॥ २०॥ ब ेः अवाहनयगः ग ृहवरवान ्॥ २१॥ पापय ुतः पापनः वशात ् ेवाहनहीनः ॥ २२॥ परग ृहवासः ेहीनः मातृनाशः ब ु े षी ॥ २३॥ लाम े ग ुफलम ् ब ुचात ुय वान ्वशाल ेणः वामी ूतापी अदानूयः क ुलूयः अादशवष राजार ेण स ेनाधप यगः ॥ २४॥ प ुसमृः ॥ २५॥ भावाधप े बलय ुत े पाप े े अरनीचग े प ुनाशः ॥ २६॥ एकप ुवान ्॥ २७॥ धनवान ्॥ २८॥ राजार े राजम ल ेन धनयः ॥ २९॥
॥ भृग ु स म ्॥ रक ेत ुय ुत े सप शापात ्स ुतयः ॥ ३०॥ श ुभ े परहारः ॥ ३१॥ ला े ग ुफलम ् श ुयः जातव ृः पाददश न ोणशरीरः श ुभय ुत े रगाभावः ॥ ३२॥ पापय ुत े पाप े े वातशैादरगः ॥ ३३॥ म े े राय ुत े महारगः ॥ ३४॥ लाम े ग ुफलम ् वाधन ेशः बलाभूदः चाधकः ववान ् पातोभय ुतकलः ॥ ३५॥ भावाधप े बलहीन े राक ेत ुशनक ुजय ुत े पापवीणाकलारम ्॥ ३६॥ श ुभय ुत े उ े े एकदारवान ्कलारा बववान ्स ुखी चत ुशष ूतासः ॥ ३७॥ लादम े ग ुफलम ् ृ कारी ॥ ३८॥ अाय ुः नीचक पापय ुत े पततः ॥ ३९॥ भावाधप े स ुभय ुत े र े दीघ य ुः ॥ ४०॥ बलहीन े अाय ुः ॥ ४१॥ वधवासम भवत ॥ ४२॥ पापय ुत े सदशवष पर उ े े दीघ य ुः बलहीनः अरगी यगपषः वान ् व ेदशावचणः ॥ ४३॥ लावम े ग ुफलम ् धाम कः ॥ ४४॥ तपी साध ुताढः धनकः पशजकता प ुदीघ य ुः सम सः अन ेकूतावान ्बजनपालकः ॥ ४५॥ लाशम े ग ुफलम ्
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॥ भृग ु स म ्॥ धाम क श ुभकम कारी गीतापाठकः ययतावान ्ूढकीत ः बजनप ः ॥ ४६॥ भावाधप े बलय ुत े वश ेषत ुसः ॥ ४७॥ पापय ुत े पाप े े कम वः ॥ ४८॥ ृ तयाालाभहीनः ॥ ४९॥ ेकादश े ग ुफलम ् लाद वान ्धनवान ्बलाभवान ्ाशष अाढः ॥ ५०॥ अन ेक ूतासः ॥ ५१॥ श ुभपापय ुत े गजलाभः ॥ ५२॥ भायव ृः चय ुत े न ेपलाभः ॥ ५३॥ लाादश े ग ुफलम ् नध नः पठतः अप ुः गणतशाजः सगी ॥ ५४॥ ोणी अययः ॥ ५५॥ श ुभय ुत े उ े े ग लकूाः ॥ ५६॥ पापय ुत े पापलकूाः ॥ ५७॥ धम म ल ेन धनयः ॄाणीसगी गभ नीसगमी ॥ ५८॥ अथ तादादश भावत भृग ुफलमाह ताद ल े भृग ुफलम ् गणतशाजः ॥ १॥ दीघ य ुः दारूयः वालारूयः पलावयूयः ग ुणवान ्॥ १२॥ ीूयः धनीवान ्॥ ३॥ श ुभय ुत े अन ेक भ षणवान ्॥ ४॥ ेहः ॥ ५॥ ण काद पापवीतय ुत े नीचागत े चरवनवान ्॥ ६॥ ेादरगवान ्॥ ७॥ वात भावाधप े राय ुत े ब ृहीज भवत ॥ ८॥ वाहन े श ुभय ुत े गजाैय वान ्॥ ९॥
॥ भृग ु स म ्॥ े े महाराजयगः ॥ १०॥ र े षायाधप ेश ु े ब ल े ीय ॥ ११॥ चलभायः ॥ १२॥ रब ुः ॥ १३॥ लाद ्तीय े भृग ुफलम ् धनवान ्क ु ट ुी स ुखजनः वनयवान ्॥ १४॥ न े े वलासधनवान ्स ुम ुखः ॥ १५॥ ावान ्परपकारी ॥ १६॥ षष उमीलाभः ॥ १७॥ भावाधप े ब लः ःान े न ेवपरी भवत ॥ १८॥ शशय ुत े नशाः क ु ट ुहीन न ेरगी धननाशकरः ॥ १९॥ लाृतीय े भृग ुफलम ् अतः दायवान ्ॅातृव ृः ससः पात ् सहदराभावः ॥ २०॥ म ेण ॅातृतरः वभगपरः ॥ २१॥ भावाधप े बलय ुत े उ े े ॅातृव ृः ःान े पापय ुत े ॅातृनाशः ॥ २२॥ लात ुथ भृग ुफलम ् शभनवान ्ब ुमान ्ॅातृस स ुखी मावान ्॥ २३॥ शष अवाहनूाः ॥ २४॥ ीरसमृः भावाधप े बलय ुत े अालकाकनकचत ुरादः ॥ २५॥ तपापय ुत े पाप े े अरनीचग े बलहीन े े ेवाहनहीनः ॥ २६॥ मातृ ेशवान ्॥ २७॥ कलारभगी ॥ २८॥ लाम े भृग ुफलम ्
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॥ भृग ु स म ्॥ ब ुमान ्मी स ेनापतः ॥ २९॥ मातामही ायवनदार प ुवान ्॥ ३०॥ राजसानी मी स ुजः ीूसताव ृः ॥ ३१॥ तपापय ुत े पाप े े अरनीचग े ब ुजाय ुतः प ुाशः ॥ ३२॥ तश ुभय ुत े ब ुमान ्नीतम ुसः वाहनयगः ॥ ३३॥ लाष े भृग ुफलम ् जातूजास श ु यह् प ुपवान ्॥ ३४॥ अपायकारी मायावादी रगवान ्आय प ुवान ्॥ ३५॥ ः श ुपापय ुत े नीच े भावाधप े बलय ुत े श ुजात भाव ेश े े श ुजातनाशः ॥ ३६॥ लाम े भृग ुफलम ् अतकामकः म ुखच ुकः ॥ ३७॥ ेषी अथ वान ्परदाररतः वाहनवान ्सकलकाय नप ुणः ी सधान जनब ुकलः ॥ ३८॥ पापय ुत े श ु े े अरनीचग े कलनाशः ॥ ३९॥ ववाहयम ्॥ ४०॥ बपापय ुत े अन ेककलार ूाः ॥ ४१॥ प ुहीनः ॥ ४२॥ ेश े बववान ्॥ ४३॥ श ुभय ुत े उ े े े त ुल े कलद कलम ल ेन बूाबयगः ीगः ॥ ४४॥ लादम े भृग ुफलम ् स ुखी चत ुथ वष मातृगः ॥ ४५॥ अध य ुः रगीहतदारवान ्अस ुः ॥ ४६॥ श ुभ े े प ुण य ुः ॥ ४७॥ त पापय ुत े अाय ुः ॥ ४८॥ लावम े भ ृग ुफलम ् धम कः तपी अन ुनपरः ॥ ४९॥
॥ भृग ु स म ्॥ ेबमलणः धम भगवृः स ुतदारवान ्॥ ५०॥ पाद पतृ दीघ य ुः ॥ ५१॥ त पापय ुत े परवान ्॥ ५२॥ पापय ुत े पाप े े अरनीचग े धनहानः ॥ ५३॥ ग ुदारगः ॥ ५४॥ श ुभय ुत े भायवृः ॥ ५५॥ महाराजयगः ॥ ५६॥ वाहनकाम ेशय ुत े महाभायवान ्अााद वाहनवान ्॥ ५७॥ वालारूयः ॥ ५८॥ लाशम े भृग ुफलम ् बूतापवान ्पापय ुत े कम वकरः ग ुब ुधचय ुत े अन ेकवाहनारहणवान ्॥ ५९॥ अन ेकऋत ुसः ॥ ६०॥ दगवौ ुतकीत ः अन ेकराजयगः बभायवान ्वाचालः ॥ ६१॥ ेकादश े भृग ुफलम ् लाद वान ्बधनवान ्भ मलाभवान ्दयावान ्श ुभय ुत े अन ेक वाहनयगः ॥ ६२॥ पापय ुत े पापम लद ्धनलाभः ॥ ६३॥ श ुभय ुत े श ुभम ुलात ्नीच पापर ेशादयग े लाभहीनः ॥ ६४॥ लाादश े भृग ुफलम ् बलदािरयवन ्॥ ६५॥ पपय ुत े वषयपरः ॥ ६६॥ श ुभय ु ेत ्बधनवान ्॥ ६७॥ ँाखादसवान ्श ुभलकूाः पापय ुत े नरकूाः ॥ ६८॥ अथ तादादश भावत शनफलमाह ताद ल े शनफलम ्
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॥ भृग ु स म ्॥
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ेहः ॥ १॥ वातपद उ े प ुरामाधपः धनधा समृः ॥ २॥ पतृधनवान ्॥ ३॥ वाहन ेशकम श े े बभायम ्॥ ४॥ महाराजयगः ॥ ५॥ चमसा े भ ुकी वृः ॥ ६॥ श ुभ े नवृः ॥ ७॥ लाद ्तीय े शनफलम ् िाभावः दारयम ्॥ ८॥ पापय ुत े दारवनामठाधपः अ ेवान ्न ेरगी ॥ ९॥ ला ृतीय े शनफलम ् ॅातृहानकारकः ॥ १०॥ अः व ृः ॥ ११॥ उ े े ॅातृव ृः ॥ १२॥ तपापय ुत े ॅातृ ेष ी ॥ १३॥ लात ुथ शनफलम ् मातृहानः मातृवान ्॥ १४॥ सहानः नध नः ॥ १५॥ उ े े न दशः ॥ १६॥ अाीलावरही ॥ १७॥ े मातृदीघ य ुः ॥ १८॥ ल ेश ेम सवान ्॥ १९॥ र ेशय ु े मरम ्॥ २०॥ स ुखहानः ॥ २१॥ लाम े शनफलम ्
॥ भृग ु स म ्॥ प ुहीनः अतदिरी व ृः दप ुी ॥ २२॥ े े ीूजासः ॥ २३॥ ग ु े ीयम ्॥ २४॥ त थू माप ुा तीया प ुवती ॥ २५॥ े ीभय ु ः ॥ २६॥ बलय ुत े म ला े शनफलम ् अजातः श ुयः ॥ २७॥ ेशार सारी ॥ २८॥ धनधासमृः क ुजय ुत े द अराजयगः ॥ २९॥ भयगाचचगभः ॥ ३०॥ े अर वातरगी श लोणद ेही ॥ ३१॥ र ेश े म लाम े शनफलम ् शनीरदषकरः कृशकलः व ेँयासगवान ्अतखी उ े ेगत े अन ेकीसगी ॥ ३२॥ क ेत ुय ुत े ीसगी ॥ ३३॥ क ुजय ुत े शच ुनपरः ॥ ३४॥ श ुय ुत े भगच ुनपरः ॥ ३५॥ परीसगी ॥ ३६॥ लादम े शनफलम ् पादाय ुः दिरी श िीरतः स ेवकः ॥ ३७॥ उ े े दीघ य ुः ॥ ३८॥ अरनीचग े भावाधप े अाय ुः ॥ ३९॥ काभगी ॥ ४०॥ लावम े शनफलम ् पततः जीणारकरः एकनचार शष तटाकगप ुरनमण का ॥ ४१॥ उ े े पतृदघ य ुः ॥ ४२॥
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॥ भृग ु स म ्॥
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पापय ुत े ब ल े परवान ्॥ ४३॥ लाशम े शनफलम ् पव शतवष गाायी अतः पशरीरी ॥ ४४॥ पापय ुत े कम वकरः श ुभय ुत े कम सः ॥ ४५॥ ेकादश े शनफलम ् लाद बधनी वकरः भ मलाभः राजप जकः ॥ ४६॥ उ े े े वा वान ्॥ ४७॥ महाभाययगः बधनी वाहनयगः ॥ ४८॥ लाादश े शनफलम ् पततः वकलः ॥ ४९॥ पापय ुत े न े ेदः ॥ ५०॥ श ुभय ुत े स ुखी स ुन ेः प ुयलकूाः ॥ ५१॥ पापय ुत े नरक ूाः ॥ ५२॥ अपायकारी नध नः ॥ ५३॥ अथ तादादश भावत राक ेः फलमाह ताद ल े राक ेः फलम ् मृतूस तः ॥ १॥ म ेषव ृषभकक राश े ावान ्॥ २॥ बभगी ॥ ३॥ अश ुभ े श ुभ े म ुखल नी ॥ ४॥ लातीय े राक ेः फलम ् ेहाधः प ुशकः ँयामवण ः ॥ ५॥ नध नः द पापय ुत े च ुब ुक े लानम ्॥ ६॥ ला ृतीय े राक ेः फलम ् तलनावम ुिकिवसमृवान ्॥ ७॥
॥ भृग ु स म ्॥ श ुभय ुत े कठलानम ्॥ ८॥ लात ुथ राक ेत ुफलम ् बभ षणसमृः जायाय स ेवकः मातृ ेशः पापय ुत े नय ेन ॥ ९॥ श ुभय ुत े न दषः ॥ १०॥ लाम े राक ेः फलम ् प ुाभावः सव शापात ्स ुतयः ॥ ११॥ नाग ूतया या प ुाूः ॥ १२॥ पवनाधः म ग राजकपः ामवासी ॥ १३॥ ला े राक ेः फलम ् धीरवान ्अतस ुखी ॥ १४॥ इय ुत े राजीभगी ॥ १५॥ नध नः चरः ॥ १६॥ लाम े राक ेः फलम ् दारय त े ूथमीनाशः तीए कल े ग ुाधः ॥ १७॥ पापय ुत े गडः ॥ १८॥ श ुभय ुत े गडनवृः ॥ १९॥ नयम ेन दारयम ्॥ २०॥ श ुभय ुत े एकम ेव ॥ २१॥ लादम े राक ेः फलम ् अतरगी शष य ुान ॥ २२॥ श ुभय ुत े पचारशष भावाधप े बलय ुत े ेषवष णवा जीवतम ्॥ २३॥ लावम े राक ेः फलम ् प ुहीनः श िीसगी स ेवकः धम हीनः ॥ २४॥ लाशम े राक ेः फलम ् वत ुसमः ॥ २५॥
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