Anandlife - Rang Chikitsa (Colour Therapy)

March 17, 2017 | Author: Anandlife Anand | Category: N/A
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पािणयो का संपूणर शरीर रंगीन है। शरीर के समसत अवयवो का रंग अलग-अलग है। शरीर की समसत कोिशकाएँ भी रंगीन है। शरीर का कोई अंग रगण (बीमार) होता है तो उसके रासायिनक दवयो के साथ-साथ रंगो का भी असंतुलन हो जाता है। रंग िचिकतसा उन रंगो को संतुिलत कर देती है िजसके कारण रोग का िनवारण हो जाता है। शरीर मे जहा भी िवजातीय दवय एकितत होकर रोग उतपन करता है, रंग िचिकतसा उसे दबाती नही अिपतु शरीर के बाहर िनकाल देती है। पकृित का यह िनयम है िक जो िचिकतसा िजतनी सवाभािवक होगी, उतनी ही पभावशाली भी होगी और उसकी पितिकया भी नयूनतम होगी। सूयर की रिशमयो मे 7 रंग पाए जाते है1. लाल, 2. पीला, 3. नारंगी, 4. हरा,

5. नीला, 6.आसमानी, 7. बैगनीी

उपरोकत रंगो के तीन समूह बनाए गए है -

1. लाल, पीला और नारंगी 2. हरा 3. नीला, आसमानी और बैगनी पयोग की सरलता के िलए पहले समूह मे से केवल नारंगी रंग का ही पयोग होता है। दूसरे मे हरे रंग का और तीसरे समूह मे से केवल नीले रंग का। अतः नारंगी, हरे और नीले रंग का उपयोग पतयेक रोग की िचिकतसा मे िकया जा सकता है।

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नननननन ननन नन ननन नन नननननग कफजिनत खासी, बुखार, िनमोिनया आिद मे लाभदायक। शास पकोप, कय रोग, एिसडीटी, फेफड़े संबध ं ी रोग, सनायु दुबरलता, हृदय रोग, गिठया, पकाघात (लकवा) आिद मे गुणकारी है। पाचन तंत को ठीक रखती है। भूख बढ़ाती है। िसतयो के मािसक साव की कमी संबध ं ी किठनाइयो को दूर करती है। ननन ननन नन ननन नन नननननग खासतौर पर चमर रोग जैसे- चेचक, फोड़ा-फु ंशी, दाद, खुजली आिद मे गुणकारी साथ ही नेत रोिगयो के िलए (दवा आँखो मे डालना) मधुमेह, रकतचाप िसरददर आिद मे लाभदायक है। नननन ननन नन ननन नन नननननन शरीर मे जलन होने पर, लू लगने पर, आंतिरक रकतसाव मे आराम पहुँचाता है। तेज बुखार, िसरददर को कम करता है। नीद की कमी, उचच रकतचाप, िहसटीिरया, मानिसक िविकपतता मे बहुत लाभदायक है। टािसल, गले की बीमािरया, मसूड़े फूलना, दात ददर, मुँह मे छाले, पायिरया घाव आिद चमर रोगो मे अतयंत पभावशाली है। डायिरया, िडसेनटरी, वमन, जी मचलाना, हैजा आिद रोगो मे आराम पहुँचाता है। जहरीले जीव-जंतु के काटने पर या फूड पॉयजिनंग मे लाभ पहुँचाता है। यह िचिकतसा िजतनी सरल है उतनी ही कम खचीली भी है। संसार मे िजतनी पकार की िचिकतसाएँ है, उनमे सबसे कम खचर वाली िचिकतसा है। दवाओं की िनमाण की िवधि िजस रंग की दवाएँ बनानी हो, उस रंग की काच की बोतल लेकर शुद पानी भरकर 8 घंटे धूप मे रखने से दवा तैयार हो जाती है। बोतल थोड़ी खाली होनी चािहए व ढकन बंद होना चािहए। इस पकार बनी हुई दवा को चार या पाच िदन सेवन कर सकते है। नारंगी रंग की दवा भोजन करने के बाद 15 से 30 िमनट के अंदर दी जानी चािहए। हरे तथा नीले रंग की दवाएँ खाली पेट या भोजन से एक घंटा पहले दी जानी चािहए। N दवाNकी माता- पतयेक रंग की दवा की साधारण D खुD राक 12 वषर से ऊपर की उम वाले वयिकत के िलए 2 औंस यानी 5 तोला होती है। कम आयु वाले बचचो को कम माता देनी चािहए। आमतौर पर रोगी को एक िदन मे तीन खुराक देना लाभदायक है।

सफेद बोतल के पानी पर िकरणो का पभाव सफेद बोतल मे पीने का पानी 4-6 घंटे धूप मे रखने से वह पानी कीटाणुमुकत हो जाता है तथा कैिलशयमयुकत हो जाता है। अगर बचचो के दात िनकलते समय वही पानी िपलाया जाए तो दात िनकलने मे आसानी होती है।

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