Acupressure Hindi

March 1, 2017 | Author: brijsing | Category: N/A
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Basic Acupressure in Hindi...

Description

एक्यूप्रश े र ररफ़्लेक्सलजि व प्रजिबिंिं जवद्या एवं इसके कु छ उपचारों पर संजिप्त जवचार

सुजिि कु िार सान्याल द्वारा अंग्रि े ी िें रजचि एवं प्रवीर कु िार गुप्ता द्वारा जिन्दी िें अनुवाददि

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िि ििान वैज्ञाजनक एवं गजििज्ञ सर आइिक न्यूटन (1642-1727) की अजि जवनम्र कथन को याद करें –

“िैं िीवन के अंजिि पड़ाव पर ििसूस करिा हूँ दक िैसे िैने िानव ज्ञान के जवशाल सिुद्र के दकनारे खड़े िोकर भी अपने िीवन पयंि ज्ञान प्राजप्त के प्रयासों से के वल कु छ कं कड़ िी पा सका” इस कथन से प्रेररि िोकर यि लेख सिस्त्राजदद जवशाल सिुद्री ज्ञान के िंथन से प्राप्त एक सूक्ष्ििय कि को पाठकों िें िंाूँटने का एक नम्र प्रयास िै। कोई भी ज्ञान िानविाजि के जलए लाभप्रद िभी िो सकिा िै, ििं वि नैजिक िूल्यों पर आधाररि िो। इसजलए िि इस लेख का श्रीगिेश प्रजसद्ध संस्कृ ि प्राथथना से करिे िैं।

सवे भवन्िु सुजखनि:, सवे सन्िु जनरािय:। सवे भद्राजि पश्यन्िु, िा कश्चेि् दुख भाग भवेि॥् इसका अथथ िै - सभी लोग सुखी रिें, सभी लोग स्वस््य रिें, सभी दूसरो के अच्छे गुिों को देखें , कभी दकसी पर दुख न आए।

ऍक्युप्रश े र

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जवद्या का संजिप्त इजििास :

‘एक्यु’ शदद का अथथ िै ‘सुई’ परन्िु ऍक्युप्रेशर प्रजिबिंिं जवद्या का अथथ िै िथेली और िलवे के ऊपर, नीचे एवं दकनारे पर जस्थि कु छ जवजशष्ट जिंन्दुओं पर जनयंजिि दिंाव का प्रयोग करना। ऍक्युप्रेशर प्रजिबिंिं जवद्या भारि िें पाूँच ििार वर्थ पूवथ जवकजसि हुई जिसका जववरि सुश्रुि संजििा और आयुथवेद िें जिलिा िै। ककिु भारिवासी यि जवद्या को भूल गए, परं िु िंौद्ध जभिु इस ज्ञान को श्रीलंका एवं ित्पश्चाि् चीन और िापान ले गए। उन देशों िें यि जवद्या ऍक्युपंक्चर या शैत्सु रूप िें जवकजसि हुआ। सोलिवीं शिाददी िें उत्तर अिेररका का रे ड इं जडयंस ऍक्युप्रेशर ररफ़्लेक्सलजि व ऍक्युप्रेशर प्रजिबिंिं जवद्या पद्धजि का प्रयोग करिे थे । िंीसवीं शिाददी िें अिेररकी जचदकत्सकों ने इस जवद्या का पुन: व्यापक अनुशीलन एवं परीिा-नीररिा दकया और इस जवद्या का जवकजसि दकया। ऍक्युप्रेशर प्रजिबिंिं जवद्या अन्य प्राकृ जिक उपचारों के सजिि जवश्व स्वास््य संगठन द्वारा िान्यिा प्राप्त िै , जिससे िानव का सावथि (शारीररक एिंं िानजसक) स्वस््यिा व सुस्वास््य को िंनाया िा सकिा िै।

ऍक्युप्रश े र

जवद्या का जसद्धांि :

ईश्वर/प्रकृ जि ने िानव शरीर को एक जवजशष्ट अंिथजनजिि रसायजनक प्रदिया के साथ िंनाया िै , जिससे शरीर रोगों के उपचार िेिु िंाह्य कारिों पर आधाररि न रिे। िानव शरीर िे अम्ल-िार आधार और इसके दिया-प्रजिदिया की विि से एक जवशेर् आंिररक िीवन िंैटरी िोिी िै, िो शरीर के अन्दर िैव ऊिाथ या िैव जवद्युि की सूक्ष्ि िरं गों को उत्पन्न करिी िै। यि िैव जवद्युि या ‘चेिना’ िाथ और पैर की उगंली के अग्र भाग से प्रारम्भ िोकर दस जवजशष्ट रे खाओं या ‘िेरीजडयंस’ द्वारा पूरी िानव शरीर को ढ़किे हुए िजस्िष्क िक िािी िै, और िानव शरीर के पाूँच िूल आधार या ‘पंचभूि’ पृ्वी, िल, अजि,

वायु एिंं आकाश को जनयंजिि करिी िै। िैव जवद्युि इस प्रकार िानव शरीर के सभी कायों (शारीररक एवं िानजसक) के जनयंिि व सिंवय करिी िै। िि पूिथिया स्वस््य रििे िै ििं िक जिंना ुककावट के यि िैव ऊिाथ ििारे शरीर िे सिििा से प्रवाजिि िोिी रिे। ििं िैव ऊिाथ कु छ कारिों से शरीर के दकसी अंग िक ठीक प्रकार से निीं पहुूँच पािी िै, िैसे की जवर्ैले पदाथो के ििाव के कारि, िो िंैठेिंैठे काि करने की विि से या असािान्य रिने की जस्थजियों या पररजस्थजियों की विि से िोिा िै, ििं वि अंग िंीिार िो िािा िै और ििें िंीिारी िो िािी िै। िानव शरीर की दस िेरीजडअन्स पर लगभग 900 ऍक्युप्रेशर जिंन्दु िै जिनको दिंाया (ऍक्युप्रेशर) या सुईदािं (ऍक्युपंक्चर) कर िैव ऊिाथ के प्रवाि को िेरीजडअन्स िें िंढ़ा सकिे िै। ऍक्युप्रेशर प्रजिबिंिं जवद्या िें िानव शरीर के के वल िथेली, िलवे और कान के सािने, पीछे और दकनारे अिंजस्थि ऍक्युप्रेशर जिंन्दुओं िोिे िै िो शरीर के जवजशष्ट अंगों के प्रजिजिंम्िं जिंन्दुओं की िरि कायथ करिे िै। इन जिंन्दुओं को दिंा कर िैव ऊिाथ के प्रवाि को िेरीजडअन्स िें िंढ़ा सकिे िै। ििारी िथेजलयाूँ और िलवे ििारे शरीर का जसर से शुुक िोिे हुए नीचे िेुकदण्ड के सिंसे नीचे भाग िक का वास्िजवक प्रजिबिंिं िै। ििारे शरीर िें िथा सभी प्रिुख अंगों के प्रजिबिंिं जिंन्दु ििारी िथेजलयों और िलवों पर अंगों की सापेि जस्थजि एवं िि के अनुसार जस्थि िोिे िै। इस प्रकार हृदय एवं जिल्ली (स््लीन) का प्रजिजिंम्व जिंन्दु िंायें िथेली एवं िलवे पर िोिा िै,

जपत्ताशय (गलदलाडार), जिगर

(जलवर) और उण्डु पुच्छ (अपेंजडक्स) जिंन्दु दायें िाथ एवं िलवे पर िोिे िै। गुदाथ (दकडनी), अिाशय (्यांिीयास) एवं िूिाशय के जिंन्दु दोनों दाएं एवं िंाएं िथेली एवं िलवे पर िोिे िै। आूँख , गला, कान, नाक, हृदय, फे फड़ा (लांस), अिाशय (स्टिाक) के जिंन्दु िथेली/िलवे के ऊपर भाग िें िोिे िै , और िेुकदण्ड, िजस्िष्क िंजिका (िेड नाभथ), दृजष्ट िंजिका

(अपरटक नाभथ) के जिंन्दु िथेली/िलवे के पीछे भाग िें िोिे िै। यदद ििारे शरीर का एक जवशेर् अंग अस्वस्थ िोिा िै, िो िथेली/िलवे पर जस्थि सम्िंंजधि जवशेर् जिंन्दु नरि/कििोर पड़ िािा िै अथाथि

थोड़ा कष्टप्रद िोिा िै। यि कष्ट िंहुि कि िीव्रिा का िो सकिा िै और के वल जिंन्दु का ऊपरी जनयजन्िि दिंाव द्वारा िी अनुभव दकया िािा िै। ििं कु छ कारिों से शरीर के िथेली/िलवे के कोइ प्रजिजिंम्िं (ऍक्युप्रेशर) जिंन्दु िें जवर्ैले पदाथथ या टजक्सन से िुर्ार कि के िंरािंर् दिस्टल (या स्फरटक) िंन िािे िै। ििं िेरीजडअन्स द्वारा िैव ऊिाथ के प्रवाि उस जिंन्दु का संिंंजधि अंग िक ठीक प्रकार से निीं पहुूँच पािी। ििं वि अंग िंीिार िो िािा िै। उस जिंन्दु पर िंार-िंार जनयजन्िि दिंाव से उसका दिस्टल टु ट िािा िै और रक्त प्रवाि के साथ दकड्नी िें पहुूँचिा िै एवं ित्पश्चाि िूिाशय से जनकाल िािा िै। दिंाव से दिस्टल टु टने या फाटने का सिय ििें कष्ट अनुभव िोिा िै। इससे िंीिार अंग िे िैव ऊिाथ के प्रवाि स्वाभाजवक िो िािा िै और वि अंग ठीक िो िािा िै। यदद सभी ऍक्युप्रेशर जिंन्दुओं पर एक सिान जनयंजिि दिंाव डाला िाए िो सम्िंंजधि कििोर अंगों के जिंन्दुओं पर ददथ अनुभव िोगा। इस प्रकार कोई भी िंहुि आसानी से िथेली एवं िलवे के जवजभन्न प्रजिबिंिं जिंन्दुओं को व्यवजस्थि रूप से दिंाकर अपने रोगों के िंारे िें पिा लगा सकिा िै और जनयजिि रूप से नरि/कष्टदायक जिंन्दुओं को दिंाकर अपने रोगों को दूर कर सकिा िै। ऍक्युप्रेशर जिंन्दुओं पर जनयंजिि दािं द्वारा शरीर िे िैव -ऊिाथ या िैव-जवधुि प्रवाि जनयजिि िोिा िै, जिससे शरीर के सम्िंजधि प्रिुख अंग उत्तेजिि िोिा िै, आक्सीिन का प्रवाि िंढ़िा िै एवं जवर् जनकल िािा िैं।इस प्रकार ऍक्युप्रेशर प्रकृ जि का वि जवज्ञान िै िो ििें िानव शरीर की अन्िनिहनजिि प्रदिया द्वारा िैव ऊिाथ के प्रवाि को प्रभाजवि करके स्वास््य को िंेििर करना जसखािी िै। ऍक्युप्रेशर प्रजिबिंिं जवद्या आि आदिी एवं िंच्चों द्वारा अपनाएं िाने के जलए जिंलकु ल सरल पद्धजि िै। जनयजिि प्रयोग से िानजसक एवं शारीररक स्वास््य िंेििर िोिा िै। िोम्योपेथी की िरि ऍक्युप्रेशर प्रजिबिंिं जवद्या िंच्चों, िजिलाओं एवं पुरूर्ों के जलए अत्याजधक लाभकारी िै, िो दकसी िरि का व्यसन निीं करिे। इसे ऐलोपेथी सजिि अन्य जचदकत्सा पद्धजियों के सिपूरक पद्धजि के ुकप िें प्रयोग िें लाई िा सकिी िै।

ऍक्युप्रश े र

जवद्या का प्रयोग : दोनों िथेली/िलवे के सािने, पीछे एवं दकनारे पर अिंजस्थि प्रत्येक प्रजिजिंम्िं जिंन्दुओं पर बिंदुवि सिान एवं जस्थर दिंाव पाूँच से छ: िंार रूक रूक कर दे। लगािार एवं ऊटपटांग बिंदुओं को निीं दिंाना चाजिए। अगले बिंदु को िभी दिंाना चाजिए ििं जपछ्ला बिंदु पाूँच से छ: िंार दिंाया िा चुका िो। ददन िें कि से कि एक िंार स्वास््य बिंदुओं को पाूँच से छ: िंार दिंाना चाजिए, परं िु नरि (ददथ) बिंदुओं िें कु छ ज्यादा िंार ददन िें िीन िंार दिंाना चाजिए ििं िक ददथ रूक न िाए।

ऍक्युप्रेशर उं गजलयों (नाखून रजिि) या उजचि गोल आकार की धािु , लकड़ी या ्लाजस्टक के उपकरि द्वारा दकया िा सकिा िै। ‘इं डोिाइन ग्रंजथ’ के प्रभाजवि बिंदु और कु छ अन्य बिंदुओ शरीर के िंहुि अंदर िोिे िै। इन बिंदुओ को गंभीरिा से दिंाने के जलए नुकीले उपकरि की िरूरि पड़िी िै। दिंाव रोगी की उम्र, बलग व स्वास््य के आधार के अनुसार पररवनिहिि िोना चाजिए। यि इस प्रकार िोना चाजिए दक स्वस््य बिंदुओं पर कष्टदायक न िो, परन्िु उसका गिरा अिसास िो। ऍक्युप्रेशर िलवे या पैर पर ज्यादा अच्छा िोिा िै क्योंदक िलवे का िे ि िथेली के िेि से ज्यादा िोने के कारि प्रजिजिंम्िं जिंन्दु िलवे पर िंहुि स्पष्ट ददखिे िै। यघजप पैरो को ऍक्युप्रेशर के पिले और िंाद िें कु छ देर आराि देना चाजिए, यदद ऐसा संभव निी िो िो कु छ जवशेर् िाजलश द्वारा िंिुकाओं (नभथ) को शांि दकया िा सकिा िै। ऍक्युप्रेशर दकसी भी सुजवधािनक आसन चािे िंैठे हुए, लेटे हुए या खड़े हुए और यिाूँ िक दक चलिे हुए भी दकया िा सकिा िै , परं िु प्राय: खाली पेट करना चाजिए। इसजलए प्राि: व सांय काल िे करना उपयोगी िोिा िै। ऍक्युप्रेशर िुख्य भोिन से पूवथ आधे घंटे व िंाद िें एक घंटे िक निीं करना चाजिए। दिंाव सिंसे पिले सोलर ्लेजक्स के प्रजिजिंम्िं जिंन्दु पर डालना चाजिए। सोलर ्लेजक्स ििारे उदर के िध्य िे हृदय, फे फड़ा (लांस) और पेट िेि के िंीच िोिा िै। सोलर ्लेजक्स के िंाद इं डोिाइन ग्लेंड जिंन्दुओं , दफर नरि (ददथ िै) जिंन्दुओं और अंि िें पुन: सोलर ्लेजक्स जिंन्दु को दिंाना चाजिए। आयुवेद िें िथेली व िलवे पर् सोलर ्लेजक्स जिंन्दु भगवान ‘गिपजि’ या ‘नारायि’ के नाि पर िै िो उदर के नीचे के सभी अंगों की स्वास््य की रिा करिा िै। जनयजिि रूप से इसे दिंाने से िानजसक एवं शारीररक संिुलन व आराि िंना रििा िै। ऐसे िी िथेली िें सिंसे ऊपर वाला और जनम्निि िध्य जिंन्दुओं का नाि देवी ‘लक्ष्िी’ और ‘सरस्विी’ के नाि पर िै, जिसके दिंाने से ििश: सुस्िी/आलस्य भागिा िै और स्िरिशजक्त िें सुधार िोिा िै। शास्त्र अनुसार – करशीर्े िंसजि लक्ष्िी, करिुले सरस्विी, करिध्ये गोजिंन्द, प्रभािे जनत्य कर दशथनि् दशथन के साथ-साथ ये िीन जिंन्दुओं को सुयें से दिंाना भी चाजिए सभी इं डोिाइन ग्लेंड के प्रजिजिंम्िं जिंन्दु यथा सोलर ्लेजक्स, जपटू इटरी, पाइजनयल, ऐड्रेनल, थायिस, थायराइड, पैराथायराइड, ्यांिीयास और काि ग्रंजथ जनयजिि रूप से दिंाना चाजिए जिससे स्वास््य अच्छा रिेगा। अन्य प्रिुख जिंन्दु – िजस्िष्क, ह्रदय, लांस, जलवर, दकडनी, पेट, िूिाशय, अपेंजडक्स, कोलन, जलम्पट्ट ग्रंजथ, आूँख, कान, आदद को ददन िें एक िंार अवश्य दिंाना चाजिए। यि लेख के साथ युक्त रं गीन छजवयों (अिेररकन पद्धजि) से ऍक्युप्रश े र जिंन्दुयों को पिचान सकिे िै। यदद कोई अंगों के प्रजिछजव जिंन्दु इन छजवयों िें निी िै िो ििं श्याि-श्वेि छजवयों (भारिीय पद्धजि) से उन जिंन्दु को पिचान सकिे िै।

जनयजिि टिलना (दौड़ने और भारी कसरि/खेलों से जभन्न) अनेक ऍक्युप्रेशर जिंन्दुओं को उत्तेजिि करिा िै। इससे शरीर िें अजधक आक्सीिन और (शरीर के अन्दर धीर् दिन दिया से कि CO2 िंनने के कारि) कि जवर् ििा िोिा िै, िो भारी कसरि और दौड़ने से िोिा िै। इसजलये अच्छा स्वास््य िंनाये रखने के जलए टिलने को सिंसे अच्छी कसरि और सिंसे अजधक उपयोगी किा गया िै। वृद्ध व्यजक्त, अपनी कु सी पर िंैठे हुए, अपने िलवों को दरी-पट्टी पर रखे लकड़ी के खांचेदार पैर के रोलर पर घुिा सकिे िै और पाूँच जिनट िक प्रत्येक पैर को जििना दिंाव दे सके , दे सकिे िैं। इससे उनके पाचन िंि, गुदाथ, जिगर, फे फड़ा आदद दियाशील रिेगें। इस िरि के लकड़ी के खांचेदार यंि िाथ से उपयोग करने के जलए भी उपलदध िैं। ऊूँची िील वाले च्पल व िूिे पिनने से शरीर के प्रिुख अंगों िें खरािंी या कभी कभी लाइलाि नुकसान करिे िै। इससे कई िरि की गंभीर िंीिाररयाूँ िो िािी िै , िो दवाओं द्वारा भी ठीक निी िोिी। अि: ऊूँची िील वाले च्पल व िूिे निीं पिनने चाजिए। इसी प्रकार छोटे/कसे हुए िूिे कभी कभी पैर की कु छ ग्रंजथयों/जिंन्दुओं को िंहुि अजधक दािं देिे िै। शरीर के प्रिुख अंगों की दियाकलाप को जिंगाड़ देिे िै। अि: इन्िें भी निीं प्रयोग करना चाजिए। इसे लेखक ने स्वयं अनुभव दकया िै। ऍक्युप्रेशर च्पल पिनकर भी दस जिनट से अजधक निीं टिलना चाजिए।

इं डोिाइन ग्रंजथ के प्रजिजिंम्िं जिंन्दुयों के दिंाने का िित्व जपटू ईटरी ग्रंजथ को िास्टर ग्रंजथ कििे िै। इस का अवजस्थजि िस्िक के भीिर ब्रेन के नीचे िै। यि ग्रंजथ िंहु प्रकार के िरिोन जनकालिे िै एवं शरीर का सारे कायथ, अन्य ग्रंजथयों िें सिंवय, शरीर का वृजद्ध, शरीर िे पानी का भारसाम्य, धिनी िें रक्तचाप, यौवन के आरम्भ इत्यादद जनयंिि करिे िै। इस ग्रंजथ का गड़वड़ िोने से िंुखार, िुछाथ इत्यादद िोिे िैं। पाइजनयल ग्रंजथ के अवजस्थजि जपटू इटरी ग्रंजथ के पास िोिा िै। यि ग्रंजथ अन्य ग्रंजथयों के िंृजद्ध को जनयंिि करिा िै। थायराइड ग्रंजथ के अवजस्थजि गले के सािने दो भाग िें िोिा िै। यि ग्रंजथ िें आइजडन रििा िै। यि ग्रंजथ शरीर का सारे कायथ, िाजियों के वृजद्ध, रक्त िें क्यालजसयाि व कलस्टेरल के साम्य, चािरे का स्वास््य, काि अंग का ििजवकास इत्यादद जनयंिि करिा िै। यि ग्रंजथ के उपर ििारे िानजसक अवस्था, शरीर के वृजद्ध और विन, चािरे का कोिलिा, िुख का फु लना, धिनी का निनीयिा इत्यादद पर जनभथर िोिा िैं। पैराथायराइड ग्रंजथ के अवजस्थजि थायराइड ग्रंजथ के अन्दर िै। यि ग्रंजथ रक्त िें क्यालजसयाि व फसफरास के पररिाि जनयंिि करिे िै। इस ग्रंजथ के गड़वड़ िोने से रक्त ििा, शरीर िे बखचाव, िांस पेशी व स्नायू के दिया-कलाप िें िुजश्कल िोिा िैं। ्यांिीयास ग्रंजथ के अवजस्थजि ििारे पेट के जपछे दो भाग िें िै। िंड़ा भाग िंांये िरफ िै। यि ग्रंजथ खाद्य नाली (अन्ि) िें ्यांिीयारटक रस उत्पन्न करिे िै िो दक खाद्य के स्टाचथ को चीनी, फ्याट को फ्यटी आजसड, प्ररटन को आजिनो आजसड िे िंदलिे िै एवं खाद्य िज़ि करने सिायिा करिे िै। यि ग्रंजथ इनसुजलन उत्पन्न करके रक्त िें चीनी की िािा को

जनयंिि करिे िै। इस ग्रंजथ के गड़िंड़ िोने से डायािंेरटस, िंदिििी एवं िाइपोग्लजसजिया िोिे िैं। थायिस ग्रंजथ के अवजस्थजि थायराइड ग्रंजथ का नीचे छाजि के पीछे िै। यि ग्रंजथ शरीर के रोग प्रजिरोध िििा एिं िंच्चों के जवकास जनयंिि करिे िै। ऐड्रेनल ग्रंजथ के अवजस्थजि दकडनी के उपर िै। जपटू ईटरी ग्रंजथ, यि ग्रंजथ को जनयंिि करिे िै। इस का काि अन्य ग्रंजथयों के साथ सम्िंजधि िै। यि ग्रंजथ ििारे हृदय के पेशी, खाद्य ििि के पेशी, रक्त िें चीनी, सोजडयि एवं खजनि पदाथथ के िािा, ििारा श्वास लेना, लांस िक श्वासनाली के जवश्राि इत्यादद प्रभाजवि करिे िै एवं ििें आत्िजवस्वास एवं लड़ाई के स्पृिा िगािे िै। इस ग्रंजथ का गड़वड़ िोने से शरीर िें प्रोदाि/ज्वाला, अिंसाद/क्लांजि आरथाराइरटस, एसथेिा, एलानिहि, लो-दलडप्रेशर, पेजशयों के जवशृंखला इत्यादद िो सकिा िैं। काि ग्रंजथयों (पुुकर्ों के प्रसस्रेट, बलग व अण्डकोर् एवं जस्त्रयों के जडम्िंकोर्, इउटेरास व फे लोजपयान रटउिं) िें कु छ िरिोन उत्पन्न करिे िै िो शरीर का वृजद्ध, व्यजक्तत्व का जवकास, काि शजक्त, प्रिनन िििा व िान, पुनररज्जीवन िें सिायक िोिा िै।

सािान्य स्वास््य के जलए उपयोगी सुझाव : स्वस्थ नाजभ चि को नाजभ पर उं गली दािंाके रखकर सुिंि जिंस्िर से उठने के पूवथ खाली पेट या खाने के चार-पाूँच घंटे िंाद िें देखना चाजिए। कु छ स्पंदन नाजभ के कें द्र िें अच्छे स्वास््य को दशाथिा िै। इस स्पंदन को ऊपर या नीचे िोने पर यथािि कदि व दस्ि िोिा िै। नाजभ चि को िथेली/िलवे के सोलर ्लेजक्स जिंन्दु को जनयजिि रूप से दिंाव देने से या कु छ अन्य जवजधयों द्वारा नाजभ पर लाना चाजिए। सिि िानजसक िनाव/थकावट, बचिा, अत्याजधक दु:ख/खुशी, स्नायु िनाव और इं सोिजनया, को दूर करने के जलए जनयजिि रूप से रूक-रूक कर कु छ जिनट सोलर ्लेजक्स जिंन्दु (िाथ/िलवा) एवं पैर की िध्य अंगुली का नीचे भाग दिंाएं। दोनों िाथो को िंहुि सख्िी से अंगुजलयों से िंाूँधकर कु छ जिनट रखें िथा अपने ददिाग को िोध, घृिा, िंैरभाव, द्वेर् और िंुरे जवचार से स्विंि रखे। डाइअिंीरटस (िधुिेि) इन सिं िानजसक िनाव/थकावट एवं बचिा से िोिी िै। पार्ककनसन िंीिारी या शरीर के दकसी भाग का कं पन िोने पर (प्राय: िाथों का) कान के जनचले जिस्से से िीन इं च ऊपर जिंन्दुओं को दिंाएं और पिले िंिाए गए िानजसक/थकावट को दूर करने के उपाय भी अपनाएं।

दाएं अग्रिंाहु (कलाई व कु िनी के िंीच) के िध्य परि आवश्यकिा के जिंन्दु को जनयजिि रूप से दो जिनट रोि दिंाने से िंुढ़ापा कि िोिा िै।

सािान्य सदी के जलए, अगूूँठे व ििथनी से िंने U आकार के पर सभी जिंन्दुओं को ददन िें िीन-चार िंार दिंाना चाजिए। प्रत्येक िंार दो जिनट के जलए ििं िक ठीक न िो िाए। कायाथलय और कम््यूटर पर काि करने वालो को िेरूदण्ड की सिस्याओं – पीठ ददथ, गदथन ददथ आदद से िंचने के जलए जनयजिि रूप से अगूूँठे और िथेली के िंाह्य भाग को दिंाएं या िलवे को िंड़े अगूूँठे से लेकर एड़ी िक दिंाएं। यािा के दौरान अकस्िाि अस्वस््य िोने पर िथेली/िलवे के सोलर ्लेजक्स जिंन्दुओं को कु छ जिनट के जलये रूक रूक कर दिंाने से िंहुि आराि जिलिा िै। डाइिंीरटस (िधुिेि) ्यांिीयास ग्लेंड (अिाशय) के काि न करने के कारि या िनाव के कारि िोिा िै। ििं शक्कर को पचाने के जलए पयाथप्त इं सुजलन निीं िंनिी और ििं दकसी कारिवश पयाथप्त ग्लुकोि रक्त से जनकल कर सेरेब्रोस्पाइनल द्रव िे निीं िािी िै, जिससे रक्त िें ग्लुकोि की िािा िंढ़ िािी िै। इस कारि जलम्पट ग्लेंड बिंदु पर दिंाने से ददथ ििसूस िोिा िै , ऐसे रोगी दकडनी, ्यांिीयास, लीभार, पेट, आंि, िूिाशय, एड्रेनल व जलम्पट ग्लेंड बिंदुओं को दिंाएं। यि भी आवश्यक िै दक सभी भोिन चिंा चिंा कर खाएं एवं अजधक से अजधक पेय पदाथथ ले , जिससे लार अजधक िािा िें जनकले और उजचि पाचन िो सके । ज्वर (िंुखार), कैं सर, जसरददथ / िाइग्रेनि और एलािी एक या अजधक िंीिाररयों के लिि िै, जिसके जलए िथेली/िलवे के सभी बिंदुओं को उपचार से पिले एक एक कर दिंाकर पिा लगाना चाजिए दक ददथ के सिी बिंदुओं कौन-कौन से िैं। उसी के अनुसार उन बिंदुओं को और इं डोिाइन ग्लेंडस, दकडनी, लीभार एवं ्यांिीयास के बिंदुओं को जनयजिि दिंाना चाजिए। ठोढ़ी को िंार िंार नीचे की ओर कु छ जिनट दिंाने से , ठोढ़ी के िंीच वाले जिस्से को दिंाने से , पेट को िंार िंार फै लाने/ सुकोड़ने पर, गुदा को िलत्याग से पिले और िंाद िें (सािंुन से या िेल िें भीगी ऊंगली से) साफ रखने पर कदि दूर करने िें सिायिा जिलिी िै और िंावसीर (पाइलस) की सिस्या से िंच सकिे िैं। जनम्न रक्त दािं अिाशय के अजधक काि करने की विि से िोिा िै, जिससे रक्त और सेरेब्रोस्पाइनल द्रव िें ग्लुकोि का स्िर कि िो िािा िै। इससे िजस्िष्क िें ऊिाथ का प्रवाि कि िो िािा िै और िोटर न्यूरोंस शरीर को कििोर िंना देिा िै। ऐसे रोगी जपजनयल, िूिाशय, जिगर, एड्रेनल, अिाशय, काि बिंदुओं को दिंाएं। उच्च रक्त दािं सेरेब्रोस्पाइनल द्रव िें सािान्य लवि की अजधकिा या िनाव से िोिा िै। ििं िीसरी वेंरीकल के िंाह्य द्वार पर जस्थि छोटे वाल्व िे छोटे िंाल की िरि सेल कड़े िोकर द्रव का प्रवाि कें द्रीय स्नायु संस्थान िें अवरूद्ध करिे िैं। जिससे िीसरी वेंरीकल िें सेरेब्रोस्पाइनल द्रव का दािं िंढ़ िािा िै , फलस्वरूप पाइनल ग्लेंड को नुकसान िोिा िै या वि काि करना िंंद कर देिी िै। ऐसे रोगी रूक रूक

कर पाइनल, एड्रेनल, अिाशय, थायराइड और पैराथायराइड, जपटू टरी, प्रोस्टेट, गभाथशय के बिंदुओं को िथेली एवं िलवे िें दिंाएं। घुटने िें ददथ के जलए, रूक रूक कर लगभग एक जिनट दोनों पैरों की दूसरी व चौथी अंगुली के नीचे वाले जिस्से को( दकसी भी िरफ से) , पैर की चार रे खाओं के सभी बिंदु (ऊपर की ओर) उं गजलयों की चार संजध के स्थान से शुुक करके पैर के अंि िक, और दोनों घुटनों के अंदर िंीच के बिंदु और िंािरी नीचे वाले स्थान के बिंदुओं को दिंाएं। िेरूदण्ड िें ददथ के जलए, अगूूँठे और िथेली के िंाह्य भाग को दिंाएं या िलवे को िंड़े अगूूँठे से लेकर एड़ी िक दिंाएं िथा अगूूँठे और ििथनी उं गली के िंीच के जनम्निि बिंदु से कलाई के िध्यिक (िथेली के पीछे) या पैर के सम्िंजधि बिंदुओं को दिंाएं। जशवबलग िुद्रा के प्रजिददन दो-िीन िंार कु छ जिनट करने से सदी, खाूँसी, फे फडों की सिस्या, िलवायु पररविथन के जनयंिि और शरीर के िापिान िंढ़ने से अजिररक्त वसा को जपघलने/ िटाने िें सिायिा जिलिी िै। ज्वर (िंुखार) और कैं सर एक या अजधक िंीिाररयों के लिि िै, जिसके जलए िथेली/िलवे के सभी बिंदुओं को उपचार से पिले एक एक कर दिंाकर पिा लगाना चाजिए दक ददथ के सिी बिंदु कौन से िैं। उसी के अनुसार उन बिंदुओं को और इं डोिाइन जशवबलग िुद्रा

ग्लेंडस, जिगर, गुदाथ एवं अिाशयके बिंदुओं को जनयजिि दिंाना चाजिए।

ठोढ़ी को िंार िंार नीचे की ओर कु छ जिनट दिंाने से , ठोढ़ी के िंीच वाले जिस्से को दिंाने से , पेट को िंार िंार फै लाने/सुकोड़ने पर, गुदा को िलत्याग से पिले और िंाद िें (सािंुन से या िेल िें भीगी ऊंगली से) साफ रखने पर कदि दूर करने िें सिायिा जिलिी िै और िंावसीर की सिस्या से िंच सकिे िैं।

आपािकालीन पररजस्थयों से जनपटने के जलए उपयोगी सुझाव : रोग के लिि

उपचार (एक्युप्रश े र प्रजिजिंम्िं दिंाना)

ददल िेिी से धड़कना/ दोनों िाथ की कलाई एवं िथेली (िंीच वाली छािी िे ददथ उं गली के नीचे) के ह्र्दय व दकनारे वाले बिंदु को दिंाएं।

जचि िे दशाथना

ऐंठन / िरोड़

दोनों कान के नीचे वाला जिस्सा + इं डोिाइन ग्रंजथ के बिंदुओं को दिंाएं।

चक्कर आना / साइनस दोनों भौि के िंीच के बिंदु को दिंाएं। दोनों अगूठ ूँ ों िें िेि ददथ के अंदर व िंािरी दकनारे , संिंंजधि पैर के अगूूँठे और दोनों कान के बिंदुओं को दिंाएं।

ह्रदय एवं छािी के सिस्या

ह्रदय, जसर की िंजिका, थायराइड, पैराथायराइड, गला, गदथन, िंायी िाथ की कलाई एवं कोिनी के िंीच के पीछे वाले िध्य बिंदु को दिंाएं।

साूँस उखड़ना एवं िूच्छाथ

ह्रदय, िजस्िष्क, िानजसक िंजिका, जपटूटरी, पाइनल, जसर िंजिका जिंन्दुओं को दिंाएं।

अचानक उच्च रक्त दािं

दोनों कानों के छेदों को दोनो िाथ की छोटी वाली ऊंगजलयों से रूक रूक कर दोिीन जिनट दिंाना या जझझोडना चाजिए।

जिरगी / दौरा

दोनों कानों के नीचे वाले जिस्से, नाक के नीचे िध्य जिंन्दु, िानजसक िंजिका, सभी इं डोिाइन ग्लेंड + अंजिि दो ऊंगजलयाूँ (दोनों िाथ/पैर) की दिंाएं।

अजनयंजिि उत्तेिना

दाएं िाथ के अगूूँठे के अन्दर के पिले संजध/िोड़ को दिंाएं।

धक्का/लकवा/पिाघाि

दोनों अगूूँठों (िाथ और पैर) के अगले भाग को और अगले भाग के ठीक नीचे वाले िेि को और दूसरी ऊंगजलयों सके अग्र भाग को दिंाएं। ह्रदय, फे फड़ा, गुदाथ, जिगर, िेरूदण्ड जिंन्दुओं को भी दिंाएं। दोनों टखनों के ठीक पीछे का िेि

िंेिोश िो िाना

दोनों िाथ की छोटी ऊंगली के नाखून के नीचे एवं ह्रदय जिंन्दु को दिंाएं।

जसरददथ / िाइग्रेन

जनयजिि रूप से दोनों िाथ/पैर के अगूूँठो एवं अन्य ऊंगजलयों के अगले भाग की िाजलश करें। साथ िी सभी ऊंगजलयों की िाजलश करें। अगूूँठे व ििथनी के िंीच के भाग पर ऊपर की ओर और िाथ/पैर की चार रेखाओं के सभी जिंन्दुओं के दिंाएं। ऊंगजलयों के िोड़ों से िाथ/पैरों के अंि िक (जचि के अनुसार)

गदथन एवं कं धों के ददथ जचि के अनुसार के जलए

सािान्य रोगों के जलए उपयोगी सुझाव : रोग

एक्युप्रश े र जिंन्दु (दिंाने के जलए)

टी.िंी. और जनिोजनया

बल्ि ग्रंजथ व फे फड़ा के जिंन्दुओं को दिंाएं।

खट्टापन / उच्च रक्त दािं

िूिाशय, जिगर एवं ऐड्रेनल बिंदुओं को दिंाएं।

के श जगरना

दोनों िाथों के नाखूनों को रगड़ना।

दस्ि / िैिा / पेजचश

िजस्िष्क िंजिका, जपटूटरी, पाइनल बिंदु और सभी ऊंगजलयों/ अगूूँठो के अग्र भाग को दिंाएं।

सािान्य सदी / खाूँसी

सदी, फे फड़ा एवं पेट के बिंदु और िाथ/पैर के अगूूँठे व पिली ऊंगली के िंीच ‘U’ पर िंने सभी बिंदु दिंाएं।

ज्यादा गिी से सदी

सदी एवं ऐड्रेनल बिंदुओं को दिंाएं।

जसरददथ, जसर िें ठण्डी

िजस्िष्क, िानजसक िंजिका, जसर िंजिका बिंदुओं को दिंाएं।

अस्थिा

गला, पेट, ऐड्रेनल, फे फड़ा के बिंदुओं को दिंाएं।

एलिी

एपेंजडक्स (पीछे) बिंदु दिंाएं।

िलेररया

गुदाथ, जिल्ली, सदी, िजस्िष्क, िानजसक िंजिका, जपटूटरी, गदथन, पाइनल, जसर

िंजिका, गले के बिंदुओं को दिंाएं। चेचक

जपत्ताशय, जिगर, ऐड्रेनल एवं थाइनस बिंदुओं को दिंाएं।

टाइफायड

गुदाथ, जिगर, जपत्ताशय, पेट, आूँि के बिंदुओं को दिंाएं।

िंवासीर

िंवासीर एवं सोलर ्लेजक्सस बिंदुओं को दिंाएं।

गुदे िें संििि

जलम्पि ग्रंजधयाूँ एवं गुदाथ बिंदुओं को दिंाएं।

पीजलया एवं जिगर िें सिस्या, गालस्टोन

आूँि, कोलन, जपत्ताशय, जिगर, थाथिस, अिाशय, पेट एवं ऐड्रेनल बिंदुओं को

अल्सर, खट्टापन, गैस की सिस्या

आूँि, जपत्ताशय, जिगर एवं ऐड्रेनल बिंदुओं को दिंाएं।

रक्त एवं िजियों िें पिन

स्पलीन, जलम्पि ग्रंजध और िेरूदण्ड बिंदुओं को दिंाएं।

छोटे िंच्चों के रोने पर

ह्रदय, िजस्िष्क, िानजसक िंजिका, जपटूटरी, पाइनल, जसर िंजिका, गदथन,

दिंाएं।

जपत्ताशय, जिगर, पेट के बिंदुओं को दिंाएं। गरठया / िोड़ों की सूिन

थायराइड, पैराथायराइड, प्रोस्टेट, प्रिनन अंग के बिंदु को दिंाएं।

संजधवाि / लकवा / धक्का

उपयुथक्त बिंदु + ह्रदय बिंदु को दिंाएं।

िांसपेशी बखचाव / िोच िीन िध्य ऊंगली (पैर या िाथ की) के नीचे वाले आधार को + िंड़े अगूूँठे (पैर या (पैर या िाथ की) िाथ की) के िंािरी दकनारे + िाथ/पैर की चार रेखाओं के सभी बिंदु (ऊपरी िरफ) + घुटनों/कोिनी से ऐड़ी/कलाई िक के पीछे के कें द्र बिंदु पर दिंाएं। त्वचा सम्िंधी रोग

एंडोिाइन ग्रंजथ, जिगर, गुदाथ, स््लीन, पेट के बिंदुओं को दिंाएं। जवटाजिन-सी वाले फल एवं कच्ची सजदियाूँ ले। िछली, ्याि, लिसुन, जसरस, फल, दिी, छाछ न ले।

िुिाूँसे / जसदफजलस/ काि रोग/ िंुढ़ापा / गभाथशय / रक्त स्त्राव/ स्िन / बलग उत्थान

जलम्पि ग्रंजध, प्रोस्टेट/गभाथशय एवं सभी काि बिंदुओं को दिंाएं।

िंच्चों का जिंस्िर िें पेशािं करना

दोनों छोटी ऊंगजलयों के दो बिंदुओं (नाखून के नीचे) आधे घंटे िक सोने के पिले दिंाएं।

लगािार खाूँसी

दोनों िध्य ऊंगजलयों के नाखूनों के नीचे दशाथए गए बिंदु को दिंाएं।

अजधक विन / िोटापा

दोनों कान के िीन अन्दर के बिंदु, थायराइड, पैराथायराइड, प्रोस्रेट बिंदुओं को दिंाएं।

टोंजसल / गलसुआ

अगूूँठे और पिली ऊंगली के िंीच के िोड़ का बिंदु एवं बिंदु से िथेली/िलवे को िोड़ने वाली रेखा को बिंदुओं और संिंजधि बिंदु पैर, गला, थायराइड, पैराथायराइड एवं सदी के बिंदुओं को दिंाएं।

कान की सिस्या

कान, जलम्पि ग्रंजथ, िंीच की ऊंगली से छोटी ऊंगली िक के बिंदु एवं िंीच की एवं छोटी ऊंगली के आधार बिंदुओं को दिंाएं।

दाूँि ददथ की सिस्या

सभी ऊंगजलयों के अग्रभाग और पैर और िाथ िें अन्य जिंन्दुओं िीन जचिों के अनुसार दिंाएं।

Press points for Toothache

िीभ एवं गले की सिस्या

गले एवं जलम्पि ग्रंजथ बिंदुओं को दिंाएं।

िंन्द नाक

िीन दशाथए गए बिंदु (िाथे पर एक, दो नाक के सिंसे नीचे दकनारे पर) पर दिंाएं।

आूँख की सिस्या

टाूँगों, एड़ी, जनिम्िं, पैर लड़खड़ाना, जपण्डली िें शून्यिा एवं ऐंठन

गदथन और कं धे दे ददथ के जलए चौथी पंजक्त के सभी जिंन्दु एवं िाइगेन एवं सभी पंजक्तयों के जिंन्दुओं को दिंाएं।

अगूूँठे एवं िथेजलयों के िंािरी िेि को दिंाएं। पैर िें िंड़े अगूूँठे से एड़ी िक, अगूठ ूँ े से पिली ऊंगली के िंीच रोक पर के न्द्र िक, जसयेररक िंजिका रेखा के सभी बिंदु, टखना के िंािरी िरफ, िंड़े अगूूँठे के पास वाली िीन ऊंगजलयों को दिंाना या िाजलश करना।

साइरटका के जलए दोनों िलवों के अन्दर व सभी ओर के िें सभी जिंन्दुओं को दिंाएं।

साइरटका के जलए जचि िें दशाथयें सभी जिंन्दुओं को दिंाएं। एवं घुटना घुटने की सिस्या के जलए जचि िें दशाथयें गए के न्द्र जिंन्दु को दिंाएं।

Acupressure Reflexology treatment/training Many Naturopathy Institutes and Socio-religious Organizations at Mumbai, Kolkata Pune, Baroda, Chandigarh and other places provide treatment also conducts regular training courses on Acupressure Reflexology. Many individuals like Dr. Devendra Bora & Dhiren Gala and Lady Madhuri Ben provide Acupressure Reflexology treatment and also conducts part time training course at Mumbai and also at other places, if invited. Books on Acupressure Reflexology 1. Health In Your Hands, Volume I & II by Shri Devendra Vora, M.D.

(Translation of Volume - I is available in many Indian languages) 2. Acupressure, Do-it-yourself therapy by Dr. Attar Singh, Acupressure Health Centre, Chandigarh 3. Be Your Own Doctor With Acupressure And Be Your Own Doctor With Foot Reflexology + Many other relevant Books - All by Dr. Dhiren Gala (All published by Navneet Publications) 4. Many other books, available mostly from USA and UK Publications. Addresses of Kubal Pharmecy and Zorastrian Homeopathy Pharmecy (Good sources of Acu Pressure & Magento-therapy tools/accessories & books in Mumbai) (1) Kubal Pharmecy / Vanupadma, Telephone Nos : 022 – 24381256 / 24370588 From the Dadar West Rail Station (starting points of several parallel roads), enter Ranade Road, walk straight, cross the Bus Rasta, walk further till you get R K Vaidya Road on the right, walk through R K Vaidya road a few minutes till you see the Pharmecy on the left (total 7 to 10 minutes walk from Dadar Rail Station). (2) Zorostrian Homeopathy Pharmecy, 590 – 592 J S S Road, Princess Street Junction near Parcy Fire Temple, Girgaon, Mumbai – 2, Telephone No : 2645079 From Marine Line East Rail station (W. R.) walk towards Lohachar, see the Pharmecy on the left side near First Traffic Signal.

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