शाबर मन्त्र भाग-1 शाबर मन्त्र सिद्धि.pdf

May 10, 2017 | Author: SHABAR MANTRA TANTRA TOTKE | Category: N/A
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शाबर म भाग-1

शाबर म स

गुमा गु व णुः गुद वो महे वरः | गुसाात ् परम,

1

तमै ी गुवे नमः ||

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शाबर म भाग-1

शाबर म स

कृया इस पुतक को इस कार पढ़े : इस पुतक क  येक पंि#त / वा#य को पढ़ने के बाद ज)र उस पंि#त / वा#य पर वचार करे , ज-द बाजी म/ इस प ु तक को मत पढ़े और आप #या महसस ू करते है यह

ज)र

बताये...

हमार6 को शश है क आपको यह प ु तक ग) ु :न शेष ना रहे ... https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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भा7य समान लगे और आपके मन म/ कोई

शाबर म स

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शाबर म$% भाग-1

शाबर म 6

स https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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शाबर म स

य बधु

यह पुतक आपके *लए -कस .कार से काम आएगी ?

इस पुतक के =वारा आप यह जान पाएंगे क शाबर मो क साधना कैसे क जाती है और उह/ कैसे स ?कया जाता है | और आपक लगन, Aा, मेहनत और व:वास से आप शाबर मो को स करके ?कसी भी परे शानी से मु#ती पा सकते हB और दस ु रो को भी परे शाCनयD से मु#त कर सकते हB |

इस भाग म/ आप शि#तशाल6 शाबर मंो, तंD व यंो सEबधी रहयD, बार6?कयो को समझ पाएंगे और शाबर मो के उ=गम, वकास,

सकते है | और अगर आप एक शाबर म साधक है या आपका ऐसा ह6

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चार व ् स, योग, जप Cनयम, सीमाय/ आHद क जानकार6 ात कर

शाबर म भाग-1

शाबर म स

वचार है ?क शाबर म साधना करने का तो यह पुतक आपके लए बहुत ह6 ज)र व ् अटा-य है िजसका क अLययन आपको ज)र ह6 करना चाHहए | आप ने कई बार शाबर मो क साधनाए क होगी और शायद आप सफलता नह6 पा सके या सफलता भी मल6 तो वो भी कुछ ह6 समय के

लए | ऐसा #यD हुआ? कहाँ कमी रह गयी? या #या गलती हो गयी? म

स #यD नह6 हो रहा? ऐसी ह6 अनेक बातो के वतार से समझाया गया है जो क आपको एक सफल साधक बनाने म/ अहम ् भू मका Cनभाएगी |

आज तक आपने कई त म क पुतक/ दे Qख और पढ़6 होगी ले?कन जेसा क मB आपको EBOOK मB मD का संSह दे रहा हूँ वेसी आपने ना तो दे Qख होगी और ना ह6 सुनी होगी | ऐसे ऐसे म, त, य योग इस प ु तक म/ Hदय/ गये है जो?क कई हजारD )पये खचT करने पर भी स महाप) ु ष / भगत लोग ?कसी को नह6 बताते | ये म ऐसे है जो?क छोट6 से

अपना भाव तरु ं त ह6 Hदखाने लगते है |

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छोट6 साधना क पCू तT करने व जप करने से ह6 म के वीर / स आ मा

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शाबर म स

“जय माँ Vवाला नगरकोट काँगड़े वाल6 भवन क कालका काँगड़े वाल6 जय काला गौरा भैरD बाबा जय भौ मया जी महाराज

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(गल ु ाब संह )”

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शाबर म भाग-1

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ग) ु \T]मा ग) ु वT7णःु ग) ु द` वो महे :वरः | ग) ु साTaात ् पर\]म, तमै Aी ग) ु वे नमः || गु)दे व ह6 \]मा, व7णु और शव है | गुbदे व ह6 साaात ् पर\]म है | अतः ऐसे गु)दे व को मB नमकार करके शाबर मं के वषय म/ लख रहा हूँ | म त शा का वषय बहुत ह6 कHठन व जHटल है | वैHदक म शा म/ तो अगQणत म-त है | इसी कार अय धमT – मुिलम, जैन, बु आHद म/ भी ये कम नह6 है | ये म त ाय: लुत होते जा रहे है | कारण क हमारे पूवज T अपने

त म eान को अपने साथ ह6 ले कर

चले गये | अब जो कुछ बी बचा है वो बु कुल ना के बराबर है | बहुत से लोग ये समझते है ?क पुतक का पाठ कर लया, अब हम स साधक / भगत / तांgक बन गये | इन कार क आशा करना बेकार है |

ले?कन जेसा क मB आपको EBOOK मB मD का संSह दे रहा हूँ वेसी आपने ना तो दे Qख होगी और ना ह6 सुनी होगी | ऐसे ऐसे म त योग https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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आज तक आपने कई त म क पुतक/ दे Qख और पढ़6 होगी ,

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शाबर म स

इन पुतकD म/ Hदय/ गये है जो?क कई हजारD )पये खचT करने पर भी स महाप) ु ष लोग ?कसी को नह6 बताते | ये म ऐसे है जो?क छोट6 से छोट6 साधना क पूCतT करने व जप करने से ह6 म के वीर / स आ मा अपना भाव तुरंत ह6 Hदखाने लगते है | शाबर मं क व=याये कई कार क कह6 गयी है | कई तांgक लोग ६४ (64) योpगनी को लेकर चलते है , कई ३ योpगनी को और कई ६८ (68) योpगनी को, तो कई ८४ (84) योpगनी को लेकर चलते है | शाबर मो के अलग अलग फड़ होते है जैसे- औघड़, उ-तनी, पलटनी, बै]या, मरघट वीर, मरह6 माता, दु -हादे व, कावड़ खuड क मैल6, दे सावर6, असावर6, खैर माता आHद आHद | शाबर मं अ यंत ह6 अटपटे शwदD क रचना होती है | िजनके बार बार आवCृ त से यह अ यंत ह6 तीxण भावशाल6 बनकर तनाव pचंता से मिु #त Hदलाते ह6 है | साथ म/ मानवी इyछा को पण ू T करते है | इन मंो के मूलभूत z7टा गु) गोरखनाथ जी है | िजहDने इन मंो क रचना कर

क लत होते है िजनको क जनसाधारण =वारा स करना बहुत ह6 मिु कल कायT है | तथा इनको gबना ग) ु के ना ह6 समझा जा सकता है और ना ह6 https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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अLया म के aे म/ {ांCतकार6 प|रवतTन लाया था | वतुतः वैHदक म

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इह/ स करने का अpधकार6 हो सकता है | म उyचारण भी बहुत कHठन होते है िजनको क gबना }याकरण eान के ठ~क ढं ग से उyचा|रत नह6ं ?कया जा सकता है | तब जाकर शव जी, गु) गोरखनाथ, नाथ पंथी, स साधको आHद ने लोक क-याण के लए इन शाबर मंो का CनमाTण ?कया िजनका कोई भी }यि#त ?कसी भी धमT, जाCत, उ€, ी, पु)ष कोई भी इनका योग बड़ी ह6 आसानी से खद ु ह6 कर सकता है | शाबर मंो क सी के लए वैHदक तांgक मो जैसे कड़े एंव समया पण ू T वधान नह6ं होते है | इनके साथ समय, थान, पा, सामSी, जप संया, हवन आHद क Vयादा जbरत नह6ं पड़ती | कह6ं भी, कभी भी, ?कसी भी िथCत म/ कोई भी इन

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शाबर मंो का योग कर सकता है |

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शाबर म स

शाबर म$%ो क/ उ1पि1त ‘साबर’ या “शबर” शwद का पयाTयवाची अथT Sामीण, अप|र7कृत, अस„य आHद होता है | ‘साबर-त’ – त क SाEय (Sामीण) शाखा है | इसके वतTक भगवान ् शंकर वयं  यaतया नह6ं है , ?कतु िजन स-साधको ने इसका आव7कार ?कया, वे ज)र परम- शव-भ#त अव:य थे | गु) गोरखनाथ तथा गु) मCछदर नाथ ‘साबर-म’ के जनक माने जाते हB | तथा गोरखनाथ जी ह6 म ु यतः शाबर मो के चारक माने जाते है | वे

अपने

तपोबल से वे भगवान ् शंकर के समान पV ू य माने जाते हB | अपनी साधना के कारण वे म-वतTक ऋषयD के समान व:वास और Aा के पा हB | ‘ स’ और ‘नाथ’ सEदायD ने मलकर परEपरागत मD के मूल सातD को लेकर आम बोल-चाल क भाषा को अटपटे वbप दे कर उन शwदD को शाबर मो का दजाT Hदया गया | ‘साबर’-मD म/ ‘दह ु ाई’, ‘गाल6’, ‘आन’ और ‘शाप’, ‘Aा’ और ‘धमक’ इन सबका

योग ?कया जाता है | साधक अपने शाबर म के दे व के

सब कुछ कराना चाहता है | िजस कार एक बालक अपने माता पता से अपनी इिyछत वतु ात करने के लए कुछ भी अनाप-शनाप कह दे ता है https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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समa ‘बालक’ या ‘याचक’ बनकर दे वता को सब कुछ कहता है और उसी से

शाबर म भाग-1

शाबर म स

| और तो और आ:चयT यह है ?क उस साधक क यह ‘दह ु ाई’, ‘गाल6’, ‘आन’ और ‘शाप’, ‘Aा’ और ‘धमक’ भी काम करती है | ‘दह ु ाई’, ‘आन’ का अथT है – सौगध, कसम दे कर कायT करवाने को बाLय करना |

तांgक व ् शाीय योगD म/ इस कार क ‘दह ु ाई’, ‘गाल6’, ‘आन’ और ‘शाप’, ‘Aा’ और ‘धमक’ आHद नह6ं द6 जाती है | ‘साबर’-मD क रचना म/ हमे संकृत, ाकृत, अप†ंश, और कई aेीय भाषाओं का समायोजन

मलता है तो कुछ मD म/ संकृत और मलयालय, कनड़, गुजराती, बंगाल6 या त मल भाषाओं का मpAत )प मलेगा, तो ?कह6ं म/ श ु aेीय भाषाओं क SाEय-शैल6 भी मल जाती है |

हालाँ?क Hहद ु तान म/ कई तरह क भाषाओ का योग }यवहार म/ लाया जाता है ?फर भी इसके बड़े भू-भाग म/ बोल6 जाने वाल6 भाषा ‘Hहद6’

इस मD म/ शाीय मD के समान ‘षˆगयास’ – ऋष, छद, बीज, शि#त, कलक और दे वता आHद क ?{या अलग से नह6ं रहती, अपतु इन

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ह6 है | अतः अpधकांश ‘साबर’ म Hहद6 म/ ह6 दे खने-सुनने को मलते हB |

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अंगD का वणTन म म/ ह6 सम,समाHहत रहता है | इस लए  येक ‘साबर’ म अपने आप म/ पण ू T होते है | उपदे 7टा ‘ऋष’ के )प म/ गोरखनाथ, लोना चमा|रन, योpगनी, मरह6 माता, असावर6 दे वी, सुलेमान जैसे स-पु)ष हB | कई मD म/ इनके नाम लए जाते हB और कईयD म/ केवल ‘गु) के नाम से ह6 काम चल जाता है | ‘प-लव’ (शाीय मो के अत म/ लगाए जाने वाले शwद आHद) के थान पर ‘शwद साँचा पuड काचा, फुरो म ई:वर6 वाचा’ वा#य ह6 सामायतः रहता है | इस वा#य का अथT है -

“शwद (अaर/LवCन) ह6 स य है , न7ट नह6ं होती | यह दे ह (शर6र) अCन य (हमेशा न रहने वाला) है , बहुत कyचा है |

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हे म | तुम ई:वर क वाणी हो (ई:वर के वचन से कट होवो)”

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शाबर म स

इसी कार ‘मेर6 भि#त गु) क शि#त फुरो म ई:वर6 वाचा’ और उपरो#त वा#य का अथT है “मेर6 भि#त (व:वास/ Aा) क ताकत से | मेरे गु) क शि#त से | हे म | तुम ई:वर क वाणी होकर चलो (ई:वर के वचन से कट होवो)”

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या इससे मलते-जुलते दस ू रे शwद आHद शाबर मD के ‘प-लव’ होते है |

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शाबर म स

अ$य मत के अनुसार शाबर म$%ो क/ उ1पि1त कहा जाता है ?क =वापरयुग म/ भगवान ् Aी कृ7ण क आeा पाकर T ने पशुपCत अ क ाित के लए भगवान ् शव क तपया शुb क अजुन | एक Hदन भगवान ् शव एक शकार6 का भेष बनाकर आये और जब पज ू ा के बाद अजुन T ने सुअर पर बाण चलाया तो ठ~क उसी व‰त भगवान ् शव ने भी उस सुअर को तीर मारा अब दोनD म/ सूअर के हकदार6 का ववाद हो गया और शकार6 )पी शव ने अजुन T से कहा- “मझ ु से य ु करो जो य ु म/ जीत जायेगा सुअर उसी को द6या जायेगा” | अजुन T और भगवान ् शव म/ यु शुb हुआ (इसी यु क महाभारत म/ ?करात यु कहा गया है ) | यु दे खने के लए माँ पावTती भी शकार6 का भेष बना वहां आ गयी और यु दे खने लगी तभी भगवान ् कृ7ण ने अजुन T से कहा- “िजसका रोज तप करते हो वह6 शकार6 के भेष म/ साaात ् खड़े है ” |

अजुन T ने भगवान ् शव के

चरणD म/ pगरकर ाथTना क और भगवान ् शव ने अजुन T को अपना असल6 व)प Hदखाया |

ाथTना क, भगवान शव ने अजुन T को इिyछत वर Hदया, उसी समय माँ पावTती ने भी अपना असल6 व)प Hदखाया | जब शव और अजुन T म/ यु https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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अजुन T भगवान ् शव के चरणD म/ pगर पड़े और पशुपCत अ के लए

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हो रहा था तो माँ भगवती शकार6 का भेष बनाकर बैठ~ थी और उस समय अय शकार6 जो वहाँ य ु दे ख रहे थे उहDने जो मॉस का भोजन ?कया वह6 भोजन माँ भगवती को शकार6 समझ कर खाने को Hदया अत: माता ने वह6 भोजन Sहण ?कया इस लए जब माँ भगवती अपने असल6 bप म/ आई तो उहDने ने भी शकार6ओं से सन होकर कहा- “हे ?करातD मB आप सब से सन हूँ , वर मांगो” | इस पर शकार6ओं ने कहा- “हे माँ हम भाषा }याकरण नह6ं जानते और ना ह6 हमे संकृत का eान है और ना ह6 हम लEबे चौड़े वpध वधान कर सकते है पर हमारे मन म/ भी आपक और महादे व क भि#त करने क इyछा है , इस लए यHद आप सन है तो भगवान शव से हमे ऐसे मं Hदलवा द6िजये िजससे हम सरलता से आप का पूजन कर सके” |

माँ भगवती क सनता दे ख और भीलD क भि#त भावना दे ख कर आHदनाथ भगवान ् शव ने आगे चलकर नाथ सEदाय म/ साबर मD क

माता पावTती को “उदयनाथ” कहा जाता है भगवान ् शव जी ने यह व=या भीलD को दान क और बाद म/ यह6 व=या दादा ग) ु म ये‹नाथ को https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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रचना क | नाथ पंथ म/ भगवान ् शव को “आHदनाथ” कहा जाता है और

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शाबर म स

मल6, उहDने इस व=या का बहुत चार सार ?कया और अय कई करोड़ साबर मD क रचना क उनके बाद उनके श7य ग) ु गोरखनाथ जी ने इस परEपरा को आगे बढ़ाया और नवनाथ एवं चौरासी सD के माLयम से इस व=या का बहुत चार हुआ | और ऐसा भी कहा जाता है ?क योगी काCनफनाथ जी ने 5 करोड़ साबर मD क रचना क और वह6 चपTटनाथ जी ने 16 करोड़ मD क रचना क और योगी जालंधरनाथ जी ने 30 करोड़ साबर मD क रचना क इन योगीयो के बाद अनत कोHट नाथ

सD ने साबर मD क रचना क यह साबर व=या नाथ पंथ म/ गु) श7य परEपरा से मौQखक |रवाज के आधार पर आगे बढ़ने लगी, इस लए साबर मं चाहे ?कसी भी कार का #यD ना हो उसका सEबध ?कसी ना ?कसी नाथ पंथी योगी से अव:य होता है | अतः यह कहना गलत ना होगा ?क

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साबर मं नाथ सD क दे न है |

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शाबर म स

नव नाथ मरण शाबर म$% || ॐ नमो आदे श गु) क | ॐकारे आHद-नाथ, उदय-नाथ पावTती | स य-नाथ \]मा | सतोष-नाथ व7णुः | अचल अचEभे-नाथ | गज-बेल6 गज-कथड-नाथ | eान-पारखी चौर‘गी-नाथ | माया-)पी मyछे ‹-नाथ | जCत-गु) है गोरख-नाथ | घट-घट पuडे }यापी, नाथ सदा रह/ सहाई |

ॐ नमो आदे श ग) ु को ||

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नवनाथ चौरासी सD क दह ु ाई |

शाबर म भाग-1

शाबर म स

नाथ स5.दाय ाचीन काल से चले आ रहे नाथ संदाय को गु) मyछ/ ‹नाथ और उनके श7य गोरखनाथ ने पहल6 बार }यवथा द6 |

गोरखनाथ ने इस

सEदाय के gबखराव और इस सEदाय क योग व=याओं का एकीकरण ?कया |

गु) और श7य को Cतwबती बौ धमT म/ महा सD के bप म/ जाना

जाता है | प|र’राजक का अथT होता है घुम#कड़ |

नाथ साधु-संत दCु नया भर म/

†मण करने के बाद उ€ के अंCतम चरण म/ ?कसी एक थान पर )ककर अखंड धूनी रमाते हB या ?फर Hहमालय म/ खो जाते हB |

हाथ म/ pचमटा,

कमंडल, कान म/ कंु डल, कमर म/ कमरबंध, जटाधार6 धूनी रमाकर Lयान करने वाले नाथ योpगयD को ह6 अवधत ू या स कहा जाता है |

ये योगी

अपने गले म/ काल6 ऊन का एक जनेऊ रखते हB िजसे ' सले' कहते हB | गले म/ एक सींग क नाद6 रखते हB |

इन दोनD को 'सींगी सेल6' कहते हB |

इस पंथ के साधक लोग साि वक भाव से शव क भि#त म/ ल6न रहते नाथ लोग अलख (अलa) शwद से शव का Lयान करते हB |

'आदे श' या आद6श शwद से अ भवादन करते हB |

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परपर

अलख और आदे श शwद

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हB |

शाबर म भाग-1

शाबर म स

का अथT णव या परम पु)ष होता है |

जो नागा (HदगEबर) है वे

भभत ू ीधार6 भी उ#त सEदाय से ह6 है , इह/ Hहंद6 ांत म/ बाबाजी या गोसाई समाज का माना जाता है | का भी माना जाता है |

इह/ उदासी या वनवासी आHद सEदाय

नाथ साध-ु संत हठयोग पर वशेष बल दे ते हB |

इह6ं से आगे चलकर चौरासी और नवनाथ माने गए जो CनEन हB:आठवी सद6 म/ 84 सD के साथ बौ धमT के महायान के व•यान क परEपरा का चलन हुआ |

ये सभी भी नाथ ह6 थे |

व•यान शाखा के अनुयायी स कहलाते थे |

स धमT क

उनम/ से मुख जो हुए

उनक संया चौरासी मानी गई है | नौ नाथ गु) : 1. मyछ/ ‹नाथ 2. गोरखनाथ 3.जालंधरनाथ 4.नागेश नाथ 5.भारती नाथ

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6.चपTट6 नाथ 7.कनीफ नाथ 8.गेहनी नाथ 9.रे वन नाथ |

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शाबर म स

इसके अलावा ये भी हB: 1. आHदनाथ 2. मीनानाथ 3. गोरखनाथ 4.खपरनाथ 5.सतनाथ 6.बालकनाथ 7.गोलक नाथ 8.gब)पaनाथ 9.भतह T ृ |र नाथ 10.अईनाथ 11.खेरची नाथ 12.रामचं‹नाथ | ओंकार नाथ, उदय नाथ, सतोष नाथ, अचल नाथ, गजबेल6 नाथ, eान नाथ, चौरं गी नाथ, म ये‹ नाथ और ग) ु गोरaनाथ | उपयु#त नाथD के ह6 दस ू रे नाम है |

सEभव है यह

बाबा शलनाथ, दादाधूनी वाले,

गजानन महाराज, गोगा नाथ, पंढर6नाथ और सा™ बाब को भी नाथ परं परा का माना जाता है |

उ-लेखनीय है ?क भगवान द ताेय को वै7णव और

शैव दोनD ह6 संदाय का माना जाता है , #यD?क उनक भी नाथD म/ गणना भगवान भैरवनाथ भी नाथ संदाय के अSज माने जाते हB |

सD के महासख ु वाद के वरोध म/ नाथ पंथ का उदय हुआ | क संया नौ है |

इनका aे भारत का पि:चमो तर भाग है |

सD =वारा अपनाये गये पंचमकारD का नकार ?कया | वरोध ?कया |

इहDने

नार6 भोग का

इहDने बा]याडंबरD तथा वणाTAम का वरोध ?कया

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नाथD

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क जाती है |

शाबर म भाग-1

शाबर म स

और योगमारग तथा कृyछ साधना का अनुसरण ?कया | घट वासी मानते हB |

ये ग) ु को ई:वर मानते हB |

मह वपूणT गोरखनाथ हB |

ये ई:वर को घट-

नाथ म/ सवाTpधक

इनक रचना गोरखबाणी नाम से का शत है |

सा6ह1य नाथ सEदाय का उ-लेख व भन aे के SंथD म/ जैसे योग (हठयोग), तं (अवधत ू मत या स मत), आयव ु `द (रसायन pच?क सा), बौ अLययन (सहजयान Cतwबती परEपरा 84 सD म/ ), Hहद6 (आHदकाल के कवयD के bप) म/ चचाT मलती हB | यौpगक SंथD म/ नाथ स : हठद6पका के लेखक वा माराम और इस Sंथ के थम ट6काकार \]मानंद ने हठ द6पका Vयो ना के थम उपदे श म/ 5 से 9 वे :लोक म/ 33 स नाथ योpगयD क चचाT क है | नाथ स कालजयी होकर \]माuड म/ वचरण करते है |

ये

इन नाथ योpगयD

क व=या दान क जो राजयोग क ाित म/ सीढ़6 के समान है |

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म/ थम नाथ आHदनाथ को माना गया है जो वयं शव हB िजहDने हठयोग

शाबर म भाग-1

शाबर म स

आयुव`द SंथD म/ नाथ सD क चचाT : रसायन pच?क सा के उ पि तकताT के bप ात होता है िजहDने इस शर6र bपी साधन को जो मोa म/ माLयम है इस शर6र को रसायन pच?क सा पारद और अ†क आHद रसायानD क उपयोpगता स ?कया |

पारदाHद धातु घHटत pच?क सा का वशेष वतTन

?कया था तथा व भन रसायन SंथD क रचना क उपरो#त कथन सु स व=वान और pच?क सक महामहोपाLयाय गणनाथ सेन ने लखा है | तं गंथD म/ नाथ सEदाय: नाथ सEदाय के आHदनाथ शव है , मल ू तः समS नाथ सEदाय शैव है |

शाबर तं म/ कपा लको के 12 आचायš क

चचाT है - आHदनाथ, अनाHद, काल, वीरनाथ, महाकाल आHद जो नाथ मागT के धान आचायT माने जाते है |

नाथD ने ह6 तं गंथD क रचना क है |

षोˆश Cन यातं म/ शव ने कहा है ?क - नव नाथD- जडभरत म ये‹नाथ, गोरaनाथ, , स यनाथ, चपTटनाथ, जालंधरनाथ नागाजुन T आHद ने ह6 तंD का चार ?कया है | बौ अLययन म/ नाथ स 84 सD म/ आते है |

राहुल

सहजयानी सD क चचाT क है िजसम/ से अpधकांश स नाथ स योगी है िजनम/ लइ ु पाद म ये‹नाथ, गोरaपा गोरaनाथ, चैरंगीपा चैरंगीनाथ, https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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सांकृ यायन ने गंगा के पुरा वांक म/ बौ Cतwबती परEपरा के 84

शाबर म भाग-1

शाबर म स

शबरपा शबर आHद क चचाT है िजह/ सहजयानी सD के नाम से जाना जाता है | Hहद6 म/ नाथ स : Hहद6 साHह य म/ आHदकाल के कवयD म/ नाथ सD क चचाT मलती है | चचाT है |

अप†ंश, अवह› भाषाओं क रचनाऐं मलती

है जो Hहद6 क ारं भक काल क है |

इनक रचनाओं म/ पाखंड़D आडंबरो

आHद का वरोध है तथा pच त, मन, आ मा, योग, धैय,T मोa आHद का समावेश मलता है जो साHह य के जागCृ त काल क मह वपण ू T रचनाऐं मानी जाती है |

जो जनमानस को योग क शaा, जनक-याण तथा जागbकता

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दान करने के लए था |

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शाबर म भाग-1

शाबर म स

गोरखनाथ ‘गोरखनाथ' या गोरaनाथ जी महाराज 11 वी से 12 वी शताwद6 के नाथ योगी थे | गु) गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का †मण ?कया और अनेकD SथD क रचना क | गोरखनाथ जी का मिदर उ तर दे श के गोरखपुर नगर मे िथत है | गोरखनाथ के नाम पर इस िजले का नाम गोरखपुर पडा है | गु) गोरखनाथ जी के नाम से ह6 नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया है | नेपाल म/ एक िजला है गोरखा, उस िजले का नाम गोरखा भी इह6 के नाम से पड़ा है | माना जाता है ?क ग) ु गोरखनाथ सबसे पहले यह6ं Hदखे थे | गोरखा िजला म/ एक गुफा है जहाँ गोरखनाथ का पग (पद) pचह है और उनक एक मुCतT भी है | यहाँ हर साल वैशाख पुQणTमा को एक उ सव मनाया

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जाता है िजसे 'रोट महो सव' कहते हB और यहाँ मेला भी लगता है |

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शाबर म स

गोरखनाथ जी क/ रचनाएँ डॉ॰ बड़वाल क खोज म/ CनEन लQखत 40 पुतकD का पता चला था, िजह/ गोरखनाथ-रpचत बताया जाता है | डॉ॰ बड़वाल ने बहुत छानबीन के बाद इनम/ थम 14 SंथD को असंHदžध bप से ाचीन माना, #यD?क इनका उ-लेख ायः सभी CतयD म/ मला | तेरहवीं पुतक ‘žयान चŸतीसा’ समय पर न मल सकने के कारण उनके =वारा संपाHदत संSह म/ नह6ं आ सक, परं तु बाक तेरह को गोरखनाथ क रचनाएँ समझकर उस संSह म/ उहDने का शत कर Hदया है | प ु तक/ ये हBसबद6 पद

श7यादशTन ाण सांकल6

आ मबोध अभय माा जोग https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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नरवै बोध

शाबर म भाग-1

शाबर म स

पं‹ह Cतpथ सतवार मंCछ‹ गोरख बोध रोमावल6 žयान Cतलक žयान चŸतीसा पंचमाा गोरखगणेश गो7ठ~ गोरखद त गो7ठ~ (žयान द6पबोध) महादे व गोरखगुि7ट

श7ट पुराण

जाCत भŸरावल6 (छं द गोरख)

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दया बोध

शाबर म भाग-1

शाबर म स

नवSह नवरा अ7टपार या रह रास žयान माला आ मबोध (2) ’त Cनरं जन परु ाण गोरख वचन इं‹6 दे वता मूलगभाTवल6

गोरखसत

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खाणीवाणी

शाबर म भाग-1

शाबर म स

अ7टमु‹ा चौबीस सध षडaर6 पंच अिžन अ7ट च{ अव ल सलूक का?फर बोध

गु गोरखनाथ का समय म य/‹नाथ और गोरखनाथ के समय के बारे म/ इस दे श म/ अनेक व=वानD ने अनेक कार क बात/ कह6 हB |

वतत ु ः इनके और इनके

समसामCयक स जालंधरनाथ और कृ7णपाद के संबंध म/ अनेक दं तकथाएँ

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च लत हB |

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शाबर म भाग-1

शाबर म स

गोरखनाथ और म य/‹नाथ-वषयक समत कहाCनयD के अनुशीलन से कई बात/ प7ट bप से जानी जा सकती हB |

थम यह ?क म य/‹नाथ

और जालंधरनाथ समसाCयक थे; दस ू र6 यह ?क म य/‹नाथ गोरखनाथ के गु) थे और जालांधरनाथ कानुपा या कृ7णपाद के गु) थे; तीसर6 यह क म य/‹नाथ कभी योग-मागT के वतTक थे, ?फर संयोगवश ऐसे एक आचार म/ सिEम लत हो गए थे िजसम/ ियD के साथ अबाध संसगT म ु य बात थी - संभवतः यह वामाचार6 साधना थी;-चौथी यह ?क शुb से ह6 जालांधरनाथ और काCनपा क साधना-पCत म य/‹नाथ और गोरखनाथ क साधनापCत से भन थी |

यह प7ट है ?क ?कसी एक का समय भी मालूम हो

तो बाक सD के समय का पता असानी से लग जाएगा | करने के लए कई युि#तयाँ द6 जा सकती हB |

समय मालूम

एक-एक करके हम उन पर

वचार कर/ | (1) सबसे थम तो म य/‹नाथ =वारा लQखत ‘कौल eान CनणTय’ Sंथ का

लपकाल Cनि:चत bप से स=घ कर दे ता है ?क म य/‹नाथ žयारहवीं

(2) स ु स क:मीर6 आचायT अ भनव गु त ने अपने तंालोक म/ मyछं द वभु को नमकार ?कया है | https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

ये ‘मyछं द वभु’ म य/‹नाथ ह6 हB, यह भी

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शताwद6 के पव T त¢ हB | ू व

शाबर म भाग-1

Cन:चpचत है |

शाबर म स

अ भनव गुत का समय Cनि:चत bप से eात है |

उहDने

ई:वर  या भeा क बह ृ ती विृ त सन ् 1015 ई० म/ लखी थी और {म zोत क रचना सन ् 991 ई० म/ क थी |

इस कार अ भनव गुत सन ्

ईसवी क दसवीं शताwद6 के अंत म/ और žयारहवीं शताwद6 के आरं भ म/ वतTमान थे |

म य/‹नाथ इससे पूवT ह6 आवभूतT हुए हDगे |

िजस आदर

और गौरव के साथ आचायT अ भनव गु तपाद ने उनका मरण ?कया है उससे अनुमान ?कया जा सकता है ?क उनके पयाTत पूवव T त¢ हDगे | (3) पंडत राहुल सांकृ यायन ने गंगा के परु ात वांक म/ 84 व•यानी सD क सूची का शत कराई है | इसके दे खने से मालूम होता है ?क मीनपा नामक स, िजह/ Cतwबती परं परा म/ म य/‹नाथ का पता कहा गया है पर वे वतुतः म य/‹नाथ से अ भन हB राजा दे वपाल के राVयकाल म/ हुए थे | राजा दे वपाल 809-49 ई० तक राज करते रहे | इससे यह स होता है ?क म य/‹नाथ नवीं शताwद6 के मLय के भाग म/ और अpधक से अpधक अं य भाग तक वतTमान थे |

काCनफा के श7य होने से जालंधरपाद क तीसर6 पु:त म/ पड़ते हB |

वे इधर

Cत)मलय क शैल लप से यह तय उदधत ृ ?कया जा सका है ?क द¤aण के https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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(4) गोवंदचं‹ या गोपीचं‹ का संबंध जालंधरपाद से बताया जाता है |

शाबर म भाग-1

शाबर म स

राजा राज/‹ चोल ने मQणकचं‹ को परािजत ?कया था |

बंगला म/ ‘गोवद

चंज/‹ चोल ने मQणकचं‹ के प ु गोवंदचं‹ को परािजत ?कया था |

बंगला

म/ ‘गोवंद चं‹ेर गान’ नाम से जो पोथी उपलwध हुई है , उसके अनुसार भी गोवंदचं‹ का ?कसी दा¤aणा य राजा का यु वQणTत है | समय 1063 ई० -1112 ई० है |

राज/‹ चोल का

इससे अनुमान ?कया जा सकता है ?क

गोवंदचं‹ žयारहवीं शताwद6 के मLय भाग म/ वतTमान थे |

यHद जालंधर

उनसे सौ वषT पूवव T त¢ हो तो भी उनका समय दसवीं शताwद6 के मLय भाग म/ Cनि:चत होता है | चक ु ा है |

म य/‹नाथ का समय और भी पहले Cनि:चत हो

जालंधरपाद उनके समसामCयक थे |

इस कार अनेक क7ट-

क-पना के बाद भी इस बात से पूवव T त¢ माणD क अyछ~ संगCत नह6ं बैठती है | (5) व•यानी स कuहपा (काCनपा, काCनफा, काहूपा) ने वयं अपने गानD पर जालंधरपाद का नाम लया है | Cतwबती परं परा के अनुसार ये भी राजा दे वपाल (809-849 ई०) के समकाल6न थे | इस कार जालंधरपाद का समय

(6) कंथड़ी नामक एक स के साथ गोरखनाथ का संबंध बताया जाता है | ‘बंध pचंतामQण’ म/ एक कथा आती है ?क चौल# ु य राजा मल ू राज ने एक https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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इनसे कुछ पव ू T ठहरता है |

शाबर म भाग-1

शाबर म स

मूले:वर नाम का शवमंHदर बनवाया था | सोमनाथ ने राजा के Cन य Cनयत वंदन-पज ू न से संतु7ट होकर अणHह-लपरु म/ अवतीणT होने क इyछा कट क | फलवbप राजा ने वहाँ gपु)ष-ासाद नामक मंHदर बनवाया |

उसका

बंधक होने के लए राजा ने कंथड़ी नामक शैव स से थTना क |

िजस

समय राजा उस स से मलने गया उस समय स को बुखार था, पर अपने बख ु ार को उसने कंथा म/ सं{ा मत कर Hदया |

कंथा काँपने लगी |

राजा ने पूछा तो उसने बताया ?क उसी ने कंथा म/ Vवर सं{ मत कर Hदया है |

बड़े छल-बल से उस Cनःपह ृ तपवी को राजा ने मंHदर का बंधक

बनवाया |

कहानी म/ स के सभी लaण नागपंथी योगी के हB, इस लए

यह कंथड़ी Cन:चय ह6 गोरखनाथ के श7य ह6 हDगे |

‘बंध pचंतामQण’ क

सभी CतयD म/ लखा है ?क मूलराज ने संवत ् 993 क आषाढ़6 पूQणTमा को राVयभार Sहण ?कया था |

केवल एक Cत म/ 998 संवत ् है |

इस Hहसाब

से जो काल अनुमान ?कया जा सकता है , वह पव T त¢ माणD से CनधाT|रत ू व Cतpथ के अनुकूल ह6 है |

ये ह6 गोरखनाथ और म य/‹नाथ का काल-

CनणTय करने के ऐCतहा सक या अT-ऐCतहा सक अधार हB |

परं तु ायः

य न ?कया जाता है |

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दं तकथाओं और सांदाCयक परं मपराओं के आधार पर भी काल-CनणTय का

शाबर म भाग-1

शाबर म स

इन दं तकथाओं से संब ऐCतहा सक }यि#तयD का काल बहुत समय जाना हुआ रहता है |

बहुत-से ऐCतहा सक }यि#त गोरखनाथ के साaात ्

श7य माने जाते हB |

उनके समय क सहायता से भी गोरखनाथ के समय

का अनुमान लगाया जा सकता है |

g\žस ने इन दं तकथाओं पर आधा|रत

काल और चार मोटे वभागD म/ इस कार बाँट लया है (1) कबीर नानक आHद के साथ गोरखनाथ का संवाद हुआ था, इस पर दं तकथाएँ भी हB और प ु तक/ भी लखी गई हB | यHद इनसे गोरखनाथ का काल-CनणTय ?कया जाए, जैसा ?क बहुत-से पंडतD ने भी ?कया है , तो चौदहवीं शताwद6 के ईषत ् पूवT या मLय म/ होगा | (2) गूगा क कहानी, पि:चमी नाथD क अनुAुCतयाँ, बँगाल क शैव-परं परा और धमTपूजा का संप‹ाय, द¤aण के पुरात व के माण, eाने:वर क परं परा आHद को माण माना जाए तो यह काल 1200 ई० के उधर ह6 जाता है | तेरहवीं शताwद6 म/ गोरखपुर का मठ ढहा Hदया गया था, इसका ऐCतहा सक सबूत है , इस लए Cनि:चत bप से कहा जा सकता है ?क

पहले तो यह काल होना ह6 चाHहए |

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गोरखनाथ 1200 ई० के पहले हुए थे | इस काल के कम से कम सौ वषT

शाबर म भाग-1

शाबर म स

(3) नेपाल के शैव-बौ परं परा के नर/ ‹दे व, के बापाराव, उ तर-पि:चम के रसालू और होदो, नेपाल के पव ू T म/ शंकराचायT से भ/ ट आHद आधा|रत काल 8वीं शताwद6 से लेकर नवीं शताwद6 तक के काल का Cनद` श करते हB | (4) कुछ परं पराएँ इससे भी पव T त¢ Cतpथ क ओर संकेत करती हB | ू व

g\žस

दस ू र6 Aेणी के माणD पर आधा|रत काल को उpचत काल समझते हB, पर साथ ह6 यह वीकार करते हB ?क यह अंCतम CनणTय नह6ं है |

जब तक

और कोई माण नह6ं मल जाता तब तक वे गोरखनाथ के वषय म/ इतना ह6 कह सकते हB ?क गोरखनाथ 1200 ई० से पव ू ,T संभवतः žयारहवीं शाताwद6 के आरं भ म/ , पूव¢, बंगाल म/ ादभ ुT हुए थे | ु त

परं तु सब मलकर

वे Cनि:चत bप से जोर दे कर कुछ नह6ं कहते और जो काल बताते हB, उसे अय माणD से अpधक यिु #तसंगत माना जाए, यह भी नह6ं बताते |

मBने

नाथ संदाय म/ Hदखाया है ?क ?कस कार गोरखनाथ के अनेक पूवव T त¢ मत उनके =वारा वCतTत बारहपंथी संदाय म/ अंतभ# ुT त हो गए थे |

इन

संदायD के साथ उनक अनेक अनुAुCतयाँ और दं तकथाएँ भी संदाय म/ इस लए अनुACु तयD के आधार पर ह6 वचार करने वाले

व=वानD को कई कार क परEपरा-वरोधी परं पराओं से टकराना पड़ता है |

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व7ट हु™ |

शाबर म भाग-1

शाबर म स

परं तु ऊपर के माणD के आधार पर नाथमागT के आHद वतTकD का समय नवीं शताwद6 का मLय भाग ह6 उpचत जान पड़ता है |

इस मागT म/

पूवव T त¢ स भी बाद म/ चलकर अंतभ# ुT त हुए हB और इस लए गोरखनाथ के संबंध म/ ऐसी दजTनD दं तकाथाएँ चल पड़ी हB, िजनको ऐCतहा सक तय मान लेने पर Cतpथ-संबंधी झमेला खड़ा हो जाता है |

गु गोरखनाथ भारत म/ नाथ Hहंद ू मठ आंदोलन के एक भावशाल6 संथापक थे उहDने म य/‹नाथ क दो उ-लेखनीय श7यD म/ से एक के bप म/ माना जाता है |

उनके अनुयाCययD भारत के Hहमालयी राVयD, पि:चमी और मLय

राVयD और गंगा के मैदानी इलाकD के साथ ह6 नेपाल म/ पाए जाते हB |

इन

अनुयाCययD योpगयD, गोरखनाथी, दशTनी या कनफ ता कहा जाता है | उनक जीवनी का ववरण अeात और ववाHदत हB | Hagiographies

Hदखाई Hदया के बाहर ?कसी से भी अpधक के bप म/ उसे वणTन है | इCतहासकारD राVय गोरखनाथ 2 सहzाwद6 सीई क पहल6 छमाह6 के दौरान

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एक मानव शaक और समय के कानूनD जो अलग अलग उ€ म/ प ृ वी पर

शाबर म भाग-1

शाबर म स

कुछ समय से रहते थे, ले?कन वे जो इस सद6 म/ सहमत नह6ं हB |

14 वीं

सद6 क Grierson के अनुमान को 12 वीं सद6 को g\žस '11th- से पुरात व और पाठ र/ ज के आधार पर अनुमान है | गोरखनाथ Hहंद ू परं परा म/ एक महा-योगी (या महान योगी) माना जाता है |

उहDने कहा ?क एक व श7ट आLयाि मक सांत या एक वशेष स य

पर जोर नह6ं था, ले?कन जोर दे कर कहा ?क स य और आLयाि मक जीवन के लए खोज मू यवान और आदमी का एक सामाय लxय है | गोरखनाथ समाpध और एक क अपनी आLयाि मक स य तक पहुंचने के लए एक साधन के bप म/ योग, आLयाि मक अनुशासन और आ मCनणTय का एक नैCतक जीवन का समथTन ?कया | उनके अनुयाCययD को भी, सैय, इलामी और g\Hटश औपCनवे शक शासन के Qखलाफ उ पीड़न का वरोध माशTल आटT और उyच अpधका|रयD के Qखलाफ ल¤aत Cत?{या वक सत करने के लए 14 वीं सद6 के बाद से योा तपवी आंदोलन का Hहसा रह चुके के लए  स हB |

लोकय हो गया है , मठD और उसे करने के लए समपTत मंHदर भारत के कई राVयD म/ , वशेष bप से गोरखपरु के eponymous शहर म/ म/ पाया https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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गोरखनाथ, उनके वचारD और योpगयD Sामीण भारत म/ अ यpधक

शाबर म भाग-1

गया |

शाबर म स

शहर6 कुल6न वगT म/ , आंदोलन गोरखनाथ =वारा थापत ?कया गया

उपहास ?कया गया है |

1.लूHहपा,

2.लो-लप,

3.वbपा,

4.डोEभीपा, 5.शबर6पा,

6.सरहपा,

7.कंकाल6पा,

8.मीनपा,

9.गोरaपा, 10.चोरं गीपा,

11.वीणापा,

12.शांCतपा

13.तंCतपा,

14.चम|रपा,15.खंˆपा,

16.नागाजुन T ,

17.कराहपा,

18.कणT|रया,

19.थगनपा, 20.नारोपा,

21.श लपा,

22.Cतलोपा,

23.छपा,

24.भ‹पा 25.दोखंpधपा,

26.अजोpगपा,

27.कालपा,

28.घोिEभपा,

29.कंकणपा,30.कम|रपा,

31.ड/pगपा,

32.भदे पा,

33.तंघेपा,

34.कुक|रपा,35.कुस ू लपा,

36.धमTपा

37.मह6पा,

38.अpचंCतपा,

39.भलहपा, 40.न लनपा,

41.भुसुकपा,

42.इं‹भूCत,

43.मेकोपा,

44.कुड़ा लया,

45.कम|रपा,

46.जालंधरपा,

47.राहुलपा,

48.धमT|रया

49.धोक|रया,

50.मेHदनीपा,

51.पंकजपा,

52.घटापा, 53.जोगीपा,

54.चेलक ु पा,

55.गंड ु |रया,

56.लpु चकपा,

57.Cनगण ुT पा, 58.जयानंत,

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यहां तुत है Cतwबत के 84 सD नाम -

शाबर म भाग-1

शाबर म स

59.चपTट6पा

60.चंपकपा,

61. भखनपा,

62.भ लपा, 63.कुम|रया,

64.जब|रया,

65.मQणभ‹ा,

66.मेखला,

67.कनखलपा,

68.कलकलपा,

69.कंत लया

70.धहु लपा,

71.उध लपा, 72.कपालपा,

73.?कलपा,

74.सागरपा,

75.सवTभaपा,

76.नागोबोpधपा,

77.दा|रकपा

78.पुत लपा,

79.पनहपा,

80.कोका लपा,

81.अनंगपा,

82.लxमीकरा,

83.समद ु पा और 84.भ लपा |

41

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शाबर म भाग-1

शाबर म स

शाबर म$%ो के .कार मD के मुय पांच कार है 1. बल साबर – इस कार के साबर म कायT स के लए योग होते है | इन म/  यaीकरण नह6ं होता | केवल िजस इyछा से जप ?कया जाता है वह इyछा पूणT हो जाती है | इह/ कायT स मं भी कहा जाता है | यह मं सभी कार के कमš को करने म/ सaम है | अतः इस कार के मD म/ }यि#त दे वता से कायT स के लए ाथTना करता है | साधक एक याचक के bप म/ दे वता से याचना करता है | 2. बभTर साबर – इस कार के साबर म भी सभी कार के कायš को करने म/ सaम है पर यह बल साबर मD से अpधक ती’ माने जाते है | बभTर साबर मD म/ साधक दे वता से याचना नह6ं करता अपतु दे वता से सौदा करता है | इस कार के मD म/ दे वता को गाल6, Aाप, दह ु ाई और

कहा जाता है ?क मेरा अमुक कायT होने पर मB आपको इसी कार भ/ ट दं ग ू ा | यह मं बहुत Vयादा उS होते है |

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धमक आHद दे कर काम करवाया जाता है | दे वता को भ/ ट द6 जाती है और

शाबर म भाग-1

शाबर म स

3. बराट6 साबर – इस कार के साबर मD म/ दे वता को भ/ ट आHद ना दे कर उनसे जबरदती काम करवाया जाता है | यह मं वयं स होते है पर गु)मुखी होने पर ह6 अपना पूणT भाव Hदखाते है | इस कार के मंD म/ साधक याचक नह6ं होता और ना ह6 सौदा करता है | वह दे वता को आदे श दे ता है ?क मेरा अमुक कायT तुरंत करो | यह म मुय bप से योगी काCनफनाथ जी के कापा लक मत म/ अpधक च लत है | कुछ योगD म/ योगी अपने जुते पर मं पढ़कर उस जुते को जोर जोर से नीचे जमीन पर मारते है तो दे वता को चोट लगती है और मजबूर होकर दे वता कायT करता है | 4. अढै या साबर – इस कार के साबर मं बड़े ह6 बल माने जाते है और इन मD के भाव से  यaीकरण बहुत ज-द6 होता है |  यaीकरण इन मD क मुय वशेषता है और यह मं लगभग ढ़ाई पंि#तयD के ह6 होते है | अpधकतर अढै या मD म/ दह ु ाई और धमक का भी इतेमाल नह6ं ?कया जाता पर ?फर भी यह पूणT भावी होते है |

म/ सaम है िजस कार “बारह भाई मसान” साधना म/ बारह के बारह मसान दे व एक साथ दशTन दे जाते है | अनेक कार के दे वी दे वता इस मं के https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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5. डार साबर – डार साबर म एक साथ अनेक दे वताओं का दशTन करवाने

शाबर म भाग-1

शाबर म स

भाव से दशTन दे जाते है जैसे “चार वीर साधना” इस मागT से क जाती है और चारD वीर एक साथ कट हो जाते है | इन मD क िजतनी शंसा क जाए उतना ह6 कम है | यह Hद}य सयD को दे ने वाले और हमारे इ7ट दे वी दे वताओं का दशTन करवाने म/ पूणT bप से सaम है | गु) अपने कुछ वशेष श7यD को ह6 इस कार के मD का eान दे ते है |

मं% जप के .कार :—— सामायतया ?कसी भी वैHदक, तंो#त या शाबर म जपने के तीन कार बताये जाते हB िजनका वणTन हम/ SंथD म/ मला है , वे इस कार से हB 1. वाpचक जप :- वह होता है िजसम/ वैHदक, तंो#त या शाबर म का प7ट उyचारण ?कया जाता है | कुछ शाबर मो म/ इस वpध का योग 2. उपांशु जप- वह होता है िजसम/ वैHदक, तंो#त या शाबर म जपते हुए थोडी बहुत जीभ व हDठ Hहलते हB, उनक LवCन फुसफुसाने जैसी तीत होती है | जो ?कसी अय }यि#त को फूस-फूस क LवCन सुनाई तो दे सकती है

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?कया जाता है वशेषत: सपTम gबyछु आHद के वष उतारने म/ |

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शाबर म स

ले?कन साफ़ साफ़ शwदD को समझ नह6 सकता | और Vयादातर शाबर मो म/ इसी वpध का अ यpधक चलन है | 3. मानस जप- इस जप म/ वैHदक, तंो#त या शाबर म उyचारण करते समय हDठ या जीभ नह6ं Hहलते, अपतु मन ह6 मन म का जाप होता है | इस वpध का योग उठते-बैठते, चलते-?फरते ?कसी भी अवथा म/ ?कया जा सकता है | इस वpध म/ समय, थान, िथती आHद क कोई पाबंद6 नह6 होती | वशेषत: लोक क-याण, ई7ट म, गु) म आHद का जप इसी

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वpध से ?कया जाता है |

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शाबर म भाग-1

शाबर म स

शाबर मो क स के लए मह वपूणT तय इनके उपर सyची व अटूट आथा, व:वास है | ?फर भी इनसे कुछ साधारण Cनयम इस कार से है -

शाबर म$% साधना स5बंधी के =नयम, त>य व =नद श

 शाबर म साधना को ?कसी भी जाCत, वणT, आयु का पु)ष या ी कर सकती है । जाCत, धमT आयु, लंग आHद क कोई पाबंद6 नह6 है अपतु ये म सबके लए समान bप से उपलwध है |  “गोपनीयं, गोपनीयं य नतः”

क शaा हमेशा Lयान म/ रख/ | अपनी

साधना क चचाT, साधना के दौरान उ पन अनुभव आHद ?कसी से ना कह/ | ये सब बाते गुत रखे | और गु त bप से ह6 अपनी साधना जार6 रखे |  व:वास सबसे बड़ी चीज हB इस लए पहले खुद पर व:वास रखे और जो म आप सख रहे हB, उन पर भी व:वास रखे | gबना व:वास के आप

पर अटूट व:वास करके ह6 कायT ारEभ करे |

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म स नह6 पा सकते हो | अत: म शा, म, वpध, ई7ट आHद

शाबर म भाग-1

शाबर म स

 शाबर मंो क साधना ?कसी भी शCनवार, रववार, मंगलवार, होल6, Hदवाल6, शवराg, Aीकृ7ण जमा7टमी, Sहण तथा ?कसी भी शुभ महूतT के Hदन अथवा रात म/ , अपने घर के पूजा थल पर, एकांत म/ , CनजTन थान पर, नद6 ?कनारे , :मशान आHद आपक सुवधा अनुसार या म म/ वQणTत थान पर इनक साधना क जा सकती है |  शाबर मंो क साधना अगर 1 से Vयादा HदनD क हो तो एक Cनि:चत समय तय करके ह6 साधना करे | अगर Hदन के समय CनधाT|रत करते है तो िजतने HदनD क साधना है उतने ह6 Hदन उसी समय साधना करनी चाHहए | अत: राg 10 से 3 बजे तक का समय ह6 रखे ता?क आप दै Cनक दCु नया-दार6 से मु#त होकर आराम से साधना कर सको |  साधना करने से पहले अपने शर6र, मन, व आHद क वyछता को सुCनि:चत करे | Hदन भर पहने हुए कपड़ो म/ साधना ना करे |  साधना के व#त मन शांत रखे | कोई pचंता, भय, उ=वेग आHद को मन म/ जगह मत दे |  िजस Hदन साधना करनी हो उस Hदन अपनी इyछानुसार नान आHद

साधना क जा सकती हB | यHद आप नान आHद करने म/ असमथT है तो

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करके ?कसी वyछ थान या अपने ई7ट दे व के सामने शाबर म क

शाबर म भाग-1

शाबर म स

आप अपनी अंजुल6 (हथेल6) म/ थोडा सा साफ़ जल ले करके इस म का 7 बार जप करके अपने आस-पास, आसन पर, पज ू ा सामSी आHद पर Cछडके |

ॐ अपवः पवो वा सवाTवथां गतोSप वा । यः मरे त पुuडर6काaं स बा]या„यतरः शुpचः ।।  साधना के लए आप काला कEबल, कुश आHद के आसन का योग कर सकते हB | मुयतः काला कEबल ठ~क रहे गा | वो भी अyछुत होना चाHहए, दै Cनक उपयोग म/ नह6ं लाना चाHहए तथा आप ह6 उसका इतेमाल आसन क तरह करे , अय ?कसी और को उस पर बैठने, ओढ़ने न दे |  शाबर म के जप से पहले अपने Aी गु) जी से अनुमCत ात करे क आप इस तरह क साधना करना चाहते है ,

“@या मै वो शाबर म$% साधना कर सकता हु?”  शाबर म के जप से पहले गु), गणेश, ई7ट आHद क पूजा कर के उनसे सpध म/ सहायक होने के लए ाथTना करे |

इनके वतTक वयं स साधक रहे हB। इतने पर भी कोई Cन7ठावान ्

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 इन मD क साधना म/ ग) ु क इतनी आव:यकता नह6ं रहती, #यD?क

शाबर म भाग-1

शाबर म स

साधक गु) बन जाए, तो कोई आपि त नह6ं #यD?क ?कसी होनेवाले नक ु सान, हाCन आHद से वह बचा सकता है ।  साधना करते समय ?कसी भी रं ग क धुल6 हुई धोती पहनी जा सकती है तथा ?कसी भी रं ग का आसन उपयोग म/ लया जा सकता है | ले?कन उpचत होगा यHद gबना सला हुआ व धारण करे |  साधना म/ जब तक म का जप चल रहा हो तब तक द6पक जलना चाHहए और हर अलग साधना के लए नये द6पक क आव:यकता नह6ं होती हB उसी एक द6पक के सामने कई मD क साधना क जा सकती है ।  अगरब ती या धूप ?कसी भी कार क यु#त हो सकती है , ?कतु शाबर साधना म/ गूगल तथा लोबान क अगरब ती या धूप क वशेष मह ता मानी गई है ।  शाबर मो को स करते समय या योग करते समय कभी भी जोर से मत पढ़े केवल आपक िज]वा चलनी चाHहए और हDठ Hहलने चाHहए, आपके मुख से फूस-फूस-फुफुफुस-फुसस जैसी ह6 ढकनी Cनकलनी

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चाHहए |

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शाबर म स

 जहाँ तक सEभव हो शाबर मो को एक ह6 साँस म/ कहने क आदत डाले |  जहाँ ‘Hदशा’ का Cनद` श न हो, वहाँ पूव या उ1तर Hदशा क ओर मुख करके साधना करनी चाHहए | मारण, उyचाटन, अ भचार आHद द¤aणा भमुख होकर कर/ | मुसलमानी मD क साधना पि:चमा भमुख होकर कर/ |  जहाँ ‘माला’ का Cनद` श न हो, वहाँ कोई भी ‘माला’ योग म/ ला सकते हB। ‘)‹ाa क माला सव¹ तम होती है । तथा मुसलमानी मD म/ ‘हकक’ (काल6 या सफेद) क माला योग कर/ | माला संकार आव:यक नह6ं है | अगर जbर6 ह6 हो तो गौम ू , गंगाजल, आHद से साफ़ करके योग करे | एक ह6 माला पर कई मD का जप ?कया जा सकता है |  शाबर मD क साधना म/ Sहण काल का अ यpधक मह व है | अपने सभी मD से Sहण काल म/ कम से कम एक बार हवन अव:य करना चाHहए | इससे वे जाSत रहते हB | तथा साल म/ 1, 2 बार ज)र पहले

स ?कये हुए मो को शुभ समय म/ जप-हवन आHद ज)र करे | इससे

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उनक शि#त बरकरार रहे गी |

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शाबर म स

 हवन के लये म के अत म/ ‘वाहा’ लगाने क आव:यकता नह6ं होती | जैसा भी म हो, पढ़कर अत म/ 21, 41, 108 बार गूगल, लोहबान व हवन सामSी से आहुCत द/ |  ‘शाबर’ मD पर पूणT Aा होनी आव:यक है | अधूरा व:वास या मD पर अAा होने से फल नह6ं मलता |  साधना काल म/ एक समय भोजन कर/ िजससे क आलस नह6ं होगा और नींद क समया उ पन नह6ं होगी |  \]मचयT-पालन कर/ | म-जप करते समय वyछता का Lयान रख/ |  साधना काल के दौरान झट ू , लालच, छल - कपट व ?कसी क बरु ाई या चुगल6 ना करे और ना ह6 ?कसी का अपमान करे वशेषकर कया, ी, संत }यि#त आHद | बड़े-बुजुग,T संत-महा मा, गु)जन लोगो का स कार करे व ् उनका आशीवाTद ात करे |  साधना Hदन या राg ?कसी भी समय कर सकते हB। इन साधनाओं म/ समय क Cतबधता नह6ं होती, हाँ ?फर भी एक बात ज)र बताना चाहूँगा क िजस समय कोई एक साधना शुb क है और वो एक Hदन से समय पहले Hदन क थी |

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अpधक क साधना है तो वो परू 6 साधना उसी समय करनी होगी िजस

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शाबर म स

 कई लोगो को साधना के दौरान कुछ भयानक अनुभव होए हB ले?कन इनसे घबराना नह6ं चाHहए ये सफT मन का डर होता हB | अगर ?कसी भयानक अनुभव, º:य आHद से डर कर भाग खड़े होते हो तो ?कसी बड़ी मुसीबत म/ पड़ सकते हो | अत: इन सबसे CनभTय होकर ह6 साधना करने का यास करे |  धेयT और साहस से जप करे | Cन7ठा से ह6  येक कायT म/ स मलती हB |  शबर मो क साधना म/ CनEबू क ब ल ज)र ह6 दे नी चाHहए | म पढ़ते हुए CनEबू को काट कर हवन क अिžन म/ Cनचोड दे ना चाHहए | और ना|रयल क भी ब ल दे नी चाHहए |  शाबर ‘म’ जैसा लखा है वैसा ह6 पढ़ना / जप करना हB | इनमे Hु ट Cनकालकर इनमे कोई काट छांट नह6ं करनी है | िजस तरह आपको Hदया गया है वैसा ह6 जप करे |  म का जाप कह6ं भी कर सकते हB, घर पर, दे वालय म/ , अपने ई7ट दे व के सEमुख, एकात थान पर जहाँ मानव का संचार बहुत ह6 कम हो | जाए, तो ?कसी कार क हाCन नह6ं होती।

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 यHद शाबर म क साधना अधरू 6 छूट जाए या साधना म/ कोई कमी रह

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शाबर म स

 शाबर मो को कभी भी जोर से सभा, लोगो के बीच म/ मत बोले | ऐसा करने से म क शि#त चल6 जाती है |  साधना करते हुए आपको जो भी अनुभव, साधना या दे वी-दे वता आHद से सEबिधत सपने आHद को ?कसी के साथ कभी साँझा न करे | केवल गु) या समतु-य साधक से इस वषय पर चचाT करे |  शाबर मो को Aा पa, शौक आHद के समय योग करने से बचे | अगर बहुत ह6 Vयादा अटालय ितpथ हो तभी इनका योग करे अयथा

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इनक शि#त जा सकती है और आपको पुन: इनको स करना पड़ेगा |

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शाबर म भाग-1

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शाबर मं % साधना मD गु  क/ आवयकता वैसे ये साधनाएँ gबना गु) के भी क जा सकती हB | इन साधनाओं म/ वैसे तो गु) क भू मका कोई मुय नह6 होती, इन साधनाओं म/ आपक पवता, व:वास, ºढ़ता, लगन व मेहनत ह6 म ु य गरु हB | ?फर भी अगर कोई Cन7ठावान ् साधक गु) बन जाए, तो कोई आपि त नह6ं #यD?क वह ?कसी होने वाले नुकसान से वह बचा सकता है | तथा हमारा उpचत मागTदशTन कर सकता हB | ग) ु बनाने या उनका हाथ आपके सर पर होने से तथा उनका आशीवाTद आपके पास होने से मन म/ आ मव:वास का वकास होता हB और यह6 व:वास साधना म/ सफलता क ओर अSसर करता रहता हB | शाबर मं साधना के लए गु) धारण करना Aे7ट व Hहतकर होता है | गु), साधना से उठने वाल6 उजाT को Cनयंgत और संतु लत करता है िजससे साधना म/ ज-द6 सफलता मल जाती है |

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इसके अपने ई7ट दे व, दे वी का बीज म जाप भी लाभदायक होता है |

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शाबर म भाग-1

शाबर म स

शाबर मं% साधना मD ग ु स5ब$धी .न वैसे ये साधनाएँ gबना ग) ु के भी क जा सकती हB | इन साधनाओं म/ वैसे तो गु) क भू मका कोई मुय नह6 होती, इन साधनाओं म/ आपक पवता, व:वास, ºढ़ता, लगन व मेहनत ह6 मुय गु) हB |

. ?फर भी अगर आपका मन नह6 माने gबना गु) के साधना करने को तब #या ?कया जाय ? ऊ. ?कसी अyछे साधक / साpधका, या त के जानकर को खोजो और उनसे Cनवेदन करे आपका गु) बनने का अथवा आपको साधना सEबधी Cनयम आHद व ् अय सभी उपाय, बचाव, वpध आHद बताये | . अगर कोई भी गुणी, सyचा साधक / साpधका आपको त व=या

सखाने को राजी न हो तो ? ऊ. अगर कोई भी गुणी, सyचा साधक / साpधका आपको त व=या

सखाने को राजी न हो तो कोई बात नह6, Cनराश मत होईये आप अपने आपक ाथTना फल क भांCत पक जाएगी तब आपके गु) वयं ह6 आपको खोजते हुए आ जाय/गे | िजस कार एक वa ृ के फल पकने पर वे वयं

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ई7ट से ाथTना करे क ज-द ह6 आपको आपके गु) से मला दे | और जब

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शाबर म स

?कसी पaी को यौता नह6 दे ते वरन पaी वयं उस फल तक खींचे चले आते है ठ~क उसी कार आपके गु) भी आपक ओर खींचे चले आएंगे | . अगर कोई भी साधक / साpधका आपको त व=या सखाने के बदले आपसे bपय/ का आSह करे तो ? ऊ. अगर कोई भी साधक / साpधका आपसे )पय/ आHद क मांग करे वो भी म, त व=या सखाने के Cन मत, तो मेरे अनुमान से इसे साधक / साpधका केवन धन के साधक है ना क त के | िजहDने आपको अभी कुछ सखाया ह6 नह6 तो उह/ ?कस चीज़ के )पये आHद दे ? हाँ ये ज)र हो सकता है क त म/ यु#त क जाने वाल6 सामSी आHद क लागत तो आपको ह6 वहन करनी पड़ेगी | ऊस िथती म/ आपको सामSी आHद हे तु कुछ मु‹ा भी खचT करनी पड़ती है | और भगत समाज के लोग तो ज)र ह6 आपसे भ/ ट पूजा क मांग कर/ गे ले?कन वो सब तो तभी ठ~क रहे गा जब वह आपको कुछ म, त आHद का eान दे और आप से कुछ साधनाए करवा कर आपको सफलता के मागT “हाँ” अब आप कुछ सीख गये हो | उस समय ज)र आपको गु) द¤aणा के bप म/ गु) क भ/ ट-पूजा आHद दे नी होती है और वो भी गु) क परEपरा के https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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पर अSसर करे और जब आपको भी आ मव:वास क ाित हो जाय क

शाबर म भाग-1

शाबर म स

अनुसार बा?क यHद आप और भी Vयादा कुछ दे ने क सोचते हो तो अपनी तरफ से आप भ/ ट-पूजा आHद के आलावा अपने गु) को दे सकते हो | जो भ/ ट-पूजा आHद आपके गु) जी मांग करते है असल म/ वह भ/ ट-पूजा आHद आपके गु) Aी अपनी ई7ट दे व-दे वी आHद को ह6 अपTत करते है ऐसे म/ आप गु) को भी अलग से मान (उपहार भ/ ट) दे | यHद आपको सyचे गु) Aी मल जाय/गे तो वे आपसे ?कसी भी चीज़ क मांग नह6 कर/ गे और न ह6 आपसे Vयादा बाते कर/ गे, केवल आपको म आHद दे कर दरू हो जाय/गे | ?फर आप चाहे तो उसे ?कसी भी तरह योग करे | . आपको लाख ढूंढने पर भी कोई गु) नह6 मलते, अगर मल भी जाये तो लालची, लोभी ह6 मलते है , ऐसे म/ #या करे ? ऊ. ऐसे म/ आप शांत होकर बैठ जाय | िजतने गु)ओ से आप मलोगे, आप उनके }यवहार, सोच आHद से Cनराश होकर भटकोगे ह6 | . ले?कन ?फर भी आप म/ लोकHहत के क-याण हे तु साधना करने क बल इyछा है परतु गु) नह6 मलने के कारण आप साधना करने से वंpचत है ऊ. ऐसी िथती म/ केवल एक ह6 बात Lयान रखे क िजसका कोई नह6 होता उसका केवल भगवान होता है | और इस बात का ह6 मन म/ Cन:चत करके https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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तो #या करे ?

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शाबर म स

आप जब तक आपको उpचत स=गु) क ाित नह6 हो जाती तब तक आप भगवान जी या मा लक का सहारा लेकर साधना मागT म/ उतर सकते हो िजसक एक वpध है िजससे क आप शाबर म, वैHदक म या तंो#त म क साधना करने के हकदार हो सकते हो | हालाँ?क वैसे शाबर मो क साधनाएँ gबना गु) के भी क जा सकती हB | इन साधनाओं म/ वैसे तो गु) क भू मका कोई मुय नह6 होती, इन साधनाओं म/ आपक पवता, व:वास, ºढ़ता, लगन व मेहनत ह6 मुय गु) हB | ले?कन जब बात आती है वैHदक मो क और तंो#त मो क तो उनके लए तो गु) क अCनवायTता है , gबना गु) के आप वैHदक, तंो#त मो क साधना म/ म जप करने के हकदार नह6 होते | . #या ?कसी दे वी-दे वता, ई7ट आHद को गु) बनाया जा सकता है ? ऊ. जब तक आपको सह6 ग) ु नह6 मलते और आप केवल लोकक-याण के

लय कई साधको-गु)जनD के पास से Cनराश होकर लोटते हो तो ऐसे म/ यHद आप सह6 म/ लोक क-याण क भावना रखते हो तो आप ?कसी भी दे वीदे वता-ई7ट आHद को अपना गु) बना सकते है | . यह कैसे सEभव है क ?कसी दे वी-दे वता, ई7ट आHद को गु) बनाया जा ऊ. यह gबलकुल सEभव है अगर आप सच म/ अपने ई7ट-कुलदे वी-कुलदे वता आHद से सyचा ेम करते है तो ऐसे म/ आप उनको अपना गु) बना सकते https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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सकता है ?

शाबर म भाग-1

शाबर म स

है | उदहारण के तौर पर आप महाभारत के एकल}य को ह6 दे ख ल6िजये िजहDने गु) के समीप गए gबना ह6 और ?कसी भी तरह क शaा, द6aा, वpध आHद ात ?कये gबना ह6 कैसे महारथ हा सल क थी...... कैसे ? ......एक मूCतT को अपना गु) मानकर ह6 तो......ले?कन उहDने मूCतT को कोई Cनज¢व न मानकर सyची आथा, ेम, श7यभाव से गु) पूजन, गु) मान कर ह6 तो अ„यास ?कया था | िजसका प|रणाम यह हुआ क जो गु) के साCनLय म/ रहकर शaा Sहण कर रहे थे वे सभी श7य एकल}य के आगे फके पड़ गये...... यह सब कैसे हुआ.....? इसका केवल यह6 जवाब है क साधक (एकल}य) क गु) भि#त, Cन7ठा, व:वास, लगन, आथा और गु)ेम िजसने उनको धनुवT=या म/ पारगत बना Hदया | इसी तरह यHद आपको गु) नह6 मलते या जो सह6 साधक है वो आपके लोक-क-याण क भावना क पूCतT म/ आपका साथ नह6 दे ते तो आप एकल}य क भांCत गु) भि#त, Cन7ठा, व:वास, लगन, आथा और गु)-ेम से म साधना के मागT पर चल सकते हो और समत चराचर शि#तया आपके मागT को रोकने का यास भी नह6 करे गी | जbरत है तो केवल गु)

. अपने ई7ट कुल के दे वी-दे वता आHद को गु) ?कस कार बनाया जाय और उनसे म द6aा वpध कैसे पूणT होगी (आप द6¤aत कैसे होगे) ?

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भि#त, Cन7ठा, व:वास, लगन, आथा और गु)-ेम क |

शाबर म भाग-1

शाबर म स

ऊ. अगर आप अपने ई7ट या कुल के दे वी-दे वता आHद को गु) बनाना चाहते है और लोक क-याण क भावना से म साधना म/ उतरना चाहते हो तो बहुत ह6 बHढ़या है बजाय यहाँ वहाँ भटकने से | ई7ट या कुल के दे वी-दे वता आHद को गु) बनाने क वpध-

»

पहले कोई शुभ महूत,T Hदवस आHद का चयन करे अगर आप वयं CनणTय लेने म/ असमथT है तो शु#ल-पa म/ गु)वार/वीरवार के Hदन का चयन करे |

»

ातः नान आHद करके अपने मिदर के थान के समa या ई7ट के समa पूवT अथवा उ तर Hदशा क ओर मुख करके बैठे |

» »

सामाय पूजन सामSी धूप-द6प, नैवेध-साद, फल-फुल, कुमकुम आHद का पहले से ह6 बंध करके रखे | सवTथम गणपCत जी क पूजा अचTना करे और उनसे अपने कायT म/ सहायता क अज¢ पेश करे और उह/ लˆडू आHद का भोग लगाए |

»

गाय के दे शी घी का द6पक Vव लत करे , धूप-द6प आHद से सामाय पूजा करे |

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गणपCत जी व ् अपने ई7ट दे वी-दे वता- स पु)ष-गु) आHद क

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शाबर म स

अपने सीधे हाथ म/ थोडा सा साफ़ जल लेकर उसमे साबुत चावल (अaत) रखे, Lयान रखे क  येक चावल साबुत हो, खंडत ना हो कोई भी |

»

अब 3 बार कहे ......... ॐ व7णुः ॐ व7णुः ॐ व7णुः मB___आपका नाम______ आज ____Hहंद6 माह का नाम____ क _____अमुक____Cतpथ और _____अमुक____वार को आपको और समत  यaअ यa गणD को शाaी मानकर _____अमुक____दे वी/दे वता को अपने गु) के bप म/ वीकार कर रहा हु | मेरे Aी गु) ____अमुक दे व/दे वी __ व ् आप सभी मेरे इस लोक-क-याण के कायT म/ सहायक बने |

उदाहरण :

ॐ व7णुः ॐ व7णुः ॐ व7णुः मB अनुज शमाT

आज चै माह क शु#ल अ7टमी सोमवार को आपको और समत  यa-अ यa गणD को शाaी मानकर Aी दग ु ाT दे वी को

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अपने गु) के bप म/ वीकार कर रहा हु | मेरे Aी गु) दग ु ाT दे वी व ् आप सभी मेरे इस लोक-क-याण के कायT म/ सहायक बने |

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शाबर म भाग-1

»

शाबर म स

ऐसा कहते हुए वो जल जमीन पर छोड़ दे | अब अपने ई7ट गु)/दे व/दे वी/ सपु)ष के समa ?कसी शु कागज/भोजप आHद पर कुमकुम/केसर/गोरोचन आHद से ई7ट का मूल म लख कर रखे | यहाँ सपु)ष से ता पयT ?कसी ऐसे भगत/गु) से है िजनको आप ग) ु बनाना चाहते हो ले?कन वे आपसे दरू है या शुxम bप म/ है जैसे Aी गोरखनाथ जी, गु) मCछ½नाथ जी, वामा aेपा जी, गंगा राम अघोर6 जी, रामकृ7ण जी आHद | उदहारण के तौर पर आप इनमे से कोई भी म का चयन कर सकते है – अगर आप Aी हर6/ व7णु जी को अपना गु) बनाना चाहते है तो आप इस म को ात करे – ॐ नारायणाय वGहे वासुदेवाय धीम6ह त$नो व णुः .चोदयात ्।

शव अथवा ॐ नम: शवाय

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ॐ प¾चव#ाय व¿हे महादे वाय धीमHह तनो )‹ः चोदयात ्।

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शाबर म स

कृ7ण ॐ दे वकनदाय व¿हे वासुदेवाय धीमHह तनो कृ7णः चोदयात ्। दग ु ाTॐ दं ू दग ु ाTयै नम: काल6ॐ ि#लं काल6 महाकाल6 नम: ?कसी स पु)ष/गु) वशेष – ॐ नमो _____ गु) दे वाय नम: इ याHद आप अपने इ7ट के म का चयन करे |

»

अब अपने ई7ट गु)/दे व/दे वी/ सपु)ष आHद से गु) म दान

»

ाथTना करने के बाद उस लखे हुए म को उठाकर अपने ई7ट गु)/दे व/दे वी/ सप) ु ष के सामने ह6 उसका 11 बार उyचारण करे | इतना करने पर आपक द6aा संकार पूणT हो जायेगा |

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करने क ाथTना करे |

शाबर म भाग-1

शाबर म स

और आप म जप करने के अpधकार6 हो जाय/गे ले?कन सीमा म/ रहकर ह6 म योग करे ?कसी स पु)ष से बहस मत कर लेना िजसक शि#त आपसे Vयादा हो |

»

अब आप अपने ई7ट गु)/दे व/दे वी/ सपु)ष के मुय म का कम से कम एक लाख क संया म/ जप व ् दस हजार क संया म/ हवन, बालक/\ा]मण/सVजनD को भोजन. म7ठान आHद से सन करे इससे आपका म स हो जायेगा | यह6 आपका गु) म होगा जो?क आपके हर काम म/ हमेशा आगे

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रहे गा | और आपक रaा करे गा |

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शाबर म स

शाबर म$%ो को *सI कैसे करD  येक साधना के कुछ Cनयम होते है , इसी कार शाबर म साधनाओं म/ भी कुछ वशेष Cनयम होते है | इन CनयमD का पालन ?कये gबना स मलना बहुत मुि:कल होता है और यHद इन CनयमD का पालन ?कया जाएँ तो शाबर साधनाएँ ज-द6 स हो जाती है | िजस कार वैHदक र6Cत म/ करयास, अंगयास आHद का मह व है , उसी कार शाबर साधनाओं म/ आसन जाप और शर6र कलन का मह व है | आप लोगो क सुवधा के लए आसन जाप क आसान वpध द6 जा रह6 है | ?कसी भी साधना को करने से पहले इन मंो का योग अव:य कर/ | यह मं वयं

स है , इह/ स करने क कोई आव:यकता नह6ं है | ?फर भी रaा म को पहले से ह6 स कर लया जाय तो अpधक Hहतकर होगा |

बंध आपने कर लया हो तो CनEन लQखत वpध से अपनी ?{या शुb करे –

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जब कभी आप साधना करने का मन बना लो सभी सामSी आHद का

शाबर म भाग-1

शाबर म स

शाबर म$% जप साधना हे तु सामJी द6पक-बाती गाय का शु घी / तेल (सरसD/Cतल) या जैसा म वpध म/ दशाTया गया हो | धूप-अगरबती ई7ट मCू तT/फोटो जल का कलश माला )‹ाa/हक़क या जैसा म वpध म/ दशाTया गया हो | नैवेथ- मठाई या जैसा म वpध म/ दशाTया गया हो | फूल-माला आHद साधना हे तु व िजस रं ग का म वpध म/ दशाTया गया हो | कEबलासन वयं के लए व ् अय साफ़ कपड़ा ई7ट के आसन हे तु

गुžगल/लोहबान धुनी

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लकड़ी का पाटा/चौक ई7ट/यं आHद थापना हे तु |

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शाबर म स

व ् अय वशेष सामSी जो क वशेष म क वpध म/ दशाTयी गयी हो | अगर इतनी सामSी बंध करने का सामयT नह6 हो तो साधारण सी पूजा आराधना करके ई7ट, गु), गणपCत जी से साधना म/ सफलता हे तु ाथTना

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करके आप साधना परु े हसÁ-लास व ् सनता के साथ शb ु कर दे |

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शाबर म स

म$% का जाप करने क/ वKध िजस Hदन साधना करनी हो उस Hदन अपनी इyछानुसार नान आHद करके ?कसी वyछ थान या अपने ई7ट दे व के सामने शाबर म क साधना क जा सकती हB | यHद आप नान आHद करने म/ असमथT है तो आप अपनी अंजल ु 6 (हथेल6) म/ थोडा सा साफ़ जल ले करके इस म का 7 बार जप करके अपने आस-पास, आसन पर, पूजा सामSी आHद पर Cछडके |

ॐ अपवः पवो वा सवाTवथां गतोSप वा । यः मरे त पुuडर6काaं स बा]या„यतरः शुpचः ।।

आसन Lबछाते हुए इस म$% का जाप करे और आसन को नमकार करे

अंतर म ढाई कंकर जय शव शंकर ||

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|| ॐ नमो आदे श Aी गुbजी को

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शाबर म स

अब आसन पर बैठ कर आसन जाप पढ़े

|| सत नमो आदे श गb ु जी को आदे श ॐ गुbजी मन माb मैदा कb कb चकनाचूर पांच महे :वर आeा करे तो बैठू आसन पूर Aी नाथ जी गb ु जी को आदे श आदे श आदे श || पज ू ा परू 6 होने के बाद आसन उठाते हुए इस म का जाप करे

कर लेना चाHहए | इसके बाद ह6 अय म का जप कर/ |

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?फर शाबर मो क साधना म/ पहले सवाथT साधना म का 21 बार जप

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शाबर म स

वाथ साधना म$% || ग) ु सठ ग) ु सठ ग) ु हB वीर ग) ु साहब सुमरौ बड़ी भांत

स‘pग टोरD बन कहŸ मन नाऊ करतार सकल ग) ु क हर भजे घ›ा पाकर उठ जाग चेत सEहार Aी परम हं स ||

इस के बाद गणेश जी का Rयान करते हुए एक माला जप करे -

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|| व{तुuडाय हुं||

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शाबर म स

इस के बाद =न5न म$% से 6दशाओं का बंधन करD -

|| व• {ोधाय महादताय दश Hदशो बंध बंध हूँ फ वाहा ||

इस के बाद दे ह रaा के मं को 11 बार पढ़े ...

दे ह रा क/ मं% CनEन मो को ?कसी भी शCनवार या मंगलवार को हनुमान जी वषयक Cनयमो का पालन करके तथा ’त रख कर 1000 जप करके इनको स कर ले ?फर 3 या 7 बार पढकर अपने शर6र पर फूंक मारे व दोनD हाथो को पुरे शर6र पर फेर/ | इससे आपक रaा होगी कोई भी शि#त आप को नुकसान नह6 पहुंचाएगी | १. ||ॐ नमः व• का कोठा ई:वर कंु जी, \]मा का ताला मेरे आठो याम का यती हनुमत रखवाला || https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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िजसमे पuड हमारा पैठा

शाबर म भाग-1

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२. || उ तर बांधो, दि#खन बांधो, बांधो मर6 मसानी डायन भूत के गुण बांधो, बांधो कुल प|रवार नाटक बांधो, चाटक बांधो, बांधो भुइयां बैताल नजर गज ु र दे ह बांधो, राम दह ु ाई फेरD ||

३. ||जल बांधो, थल बांधो, बांधो अपनी काया सात सौ योpगनी बांधो, बांधो जगत क माया दह ु ाई कामb कामाaा नैना योpगनी क दह ु ाई गौर पारवती क, दह ु ाई वीर मसान क ||

४. || जीवन मरण है तेरो हात भैरो वीर तू हो जा मेरे साथ gबगाड़ न पावे कोई मेरो काज दह ु ाई लूना चमा|रन क https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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रQखयो वीर तुम भ#त क लाज

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दह ु ाई कामया माई क दह ु ाई गौरा पावTती क चौरासी सो को आदे श आदे श आदे श ||

इस के बाद CनEन म को जपते हुए हाथ म/ एक लोहे क/ -कल या गेU लेकर अपने चारो ओर एक गोल घेरा बना ले-

घेरा बनाने क/ मं%-

|| जो घेड़ा तोड़ घर मह घुसे र#त काल6 उसका र#त चुसे दह ु ाई माँ कामया क दह ु ाई माँ कामया क

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दह ु ाई माँ कामया क ||

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शाबर म स

इतना करने के बाद आप मुWय म$% का जाप शुU कर दे िजसे आप

स करना चाहते हो | उपरो#त बाते आपको शाबर म को स करने हे तु अव:य ह6 Lयान म/ रखनी हB | ?फर जब म का Cनि:चत जप व ् हवन आHद (यHद अCनवायT हो) पण ू T हो जाय तो आसन उठाने का म

%$|| ॐ सत नमो आदे श गुbजी को आदे श ॐ गb ु जी ॐ तरो तरो महे :वर करणी उतारो पार संत चले घर अपने मंHदर जय जयकार Aीनाथजी

गुbजी को

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आदे श आदे श आदे श ||

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साबर मं%ो को जगाना 1. यHद सभा, लोगो के बीच म/ साबर म को जोर से बोल Hदए जाये िजससे क आपके शwदD को कोई भी सुन ले तो साबर म अपना भाव छोड़ दे ते है | 2.यHद ?कसी ?कताब से उठाकर म जपना शुb कर दे तो भी साबर म अपना पण ू T भाव नह6ं दे ते | 3.साबर म अशु होते है इनके शwदD का कोई अथT नह6ं होता #यD?क यह Sामीण भाषा म/ होते है | यHद इह/ श ु कर Hदया जाये (शwदD को सुधारकर या शwद बदलकर या }याकरणीय दोष दरू करके) तो यह अपना भाव छोड़ दे ते है | 4.दशTन के लए यHद इनका योग ?कया जाये तो यह अपना भाव छोड़ दे ते है |

अपना पूणT भाव नह6ं दे ते |

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5.यHद केवल आजमाइश के लए इन मंो का जप ?कया जाये तो यह म

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ऐसे और भी कई कारण है | उpचत यह6 रहता है ?क साबर मंो को गु)मुख से ात करे #यD?क गु) साaात शव होते है और साबर मंो के जमदाता वयं शव है | शव के मख ु से Cनकले म असफल हो ह6 नह6ं सकते |

मB यहाँ साबर मंो को जगाने क एक अनुभूत वpध लख रहा हूँ | साबर मंो के सु त होने का कारण कुछ भी हो इस वpध के बाद साबर म पण ू T bप से भावी होते है |

|| सत नमो आदे श | गुbजी को आदे श

ड़ार शाबर बभTर जागे जागे अढै या और बराट https://powerfulshabarmantra.blogspot.in

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ॐ गुbजी

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मेरा जगाया न जागे तो तेरा नरक कंु ड म/ वास दह ु ाई शाबर6 माई क दह ु ाई शाबरनाथ क आदे श गु) गोरख को ||

वpध : इस म को CतHदन गोबर का कंडा सल ु गाकर या धुना लगाकर उस पर गुगल डाले और इस म का 108 बार जाप करे | जब तक म जाप हो गुगल सुलगती रहनी चाHहये | यह ?{या आपको 21 Hदन करनी है | अyछा होगा आप यह म अपने गु) के मुख से ले या ?कसी योžय साधक

आeा जbर ले |

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के मख ु से ले | ग) ु कृपा ह6 सव¹प|र है कोई भी साधना करने से पहले ग) ु

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योग वpध : जब भी कोई साधना करे तो इस म को जप से पहले 11 बार पढ़े और जप समात होने पर 11 बार दोबारा पढ़े म का भाव बढ़ जायेगा |

म$% बार बार *सI करने पर भी *सI न हो तो =न5न .योग अपनाए .योग - 1 यHद कोई म बार बार स करने पर भी स न हो तो ?कसी भी मंगलवार या रववार के Hदन उस म को भोजप या कागज़ पर केसर म/ गंगाजल मलाकर अनार क कलम से या बड़ (वट वa ृ ) के पेड़ क कलम से

लख ले | ?फर ?कसी लकड़ी के फ›े पर नया लाल व gबछाएं और उस व पर उस भोजप को थापत करे | घी का द6पक जलाये , अिžन पर

इस म को 108 बार जपे

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गुगल सुलगाये और शाबर6/असावर6 दे वी या माँ पावTती का पूजन करे और

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|| सत नमो आदे श | गुbजी को आदे श ॐ गुbजी ड़ार शाबर बभTर जागे जागे अढै या और बराट मेरा जगाया न जागे तो तेरा नरक कंु ड म/ वास दह ु ाई शाबर6 माई क दह ु ाई शाबरनाथ क आदे श गु) गोरख को || ?फर िजस म को जगाना है उसे 108 बार जपे और दोबारा ?फर इसी

घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे | िजस लाल कपडे पर भोजप थापत ?कया गया है उस लाल कपडे को घड़े के अदर रखे और भोजप को भी घड़े

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(उपरो#त) म का 108 बार जप करे | लाल कपडे दो मंगवाए और एक

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के अदर रखे | दस ु रे लाल कपडे से भोजप का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पज ू न करे और शाबर6 माता से म जगाने के लए ाथTना करे और उस कलश को बहते पानी म/ बहा दे | घर से इस कलश को बहाने के

लए ले जाते समय और पानी म/ कलश को बहाते समय िजस म को जगाना है उसका जाप करते रहे | यह ?{या एक बार करने से ह6 भाव दे ती है पर ?फर भी इस ?{या को 3 बार करना चाHहये मतलब रववार को ?फर मंगलवार को ?फर दोबारा रववार को |

.योग - 2 यह उपाय बहुत क व:वसनीय और सफलतादायक है यHद कोई म अनेक य न करने पर भी स न हो तो ?कसी भी रववार क राg लगभग 11बतTन पहले से राख़ से साफ़ ?कया हुआ रखे और असावर6 दे वी या माँ पावTती

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12 बजे के आस पास घी का द6पक जलाये, सामने पाटे /चौक पर कांसे का

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का पूजन करे और इस इिyछत म को 108 बार जपे तथा अिžन पर गुžगल सल ु गाये जब जप पूरा हो जाय तो खैर क लकड़ी लेकर उस कांसे के बतTन पर हार करके उसे अपनी थानीय भाषा म/ 9 बार यह कहते हुए बजाएं

हे म शि#त जागत ृ हो ! ?फर अगले Hदन सुबह एक रोट6, सwजी साद आHद लेकर ?कसी भैरव/ शव मिदर म/ जाकर रोट6, सwजी आHद वाह6 राख़ दे और साद बyचो म/ बाँट दे | आप वयं वो साद न खाय और ना ह6 घर लेकर आये |

.योग - 3 यHद कोई म अनेक य न करने पर भी स न हो तो रववार के Hदन मिदर आHद म/ बैठ कर अपने इिyछत म को अपनी अना मका अंगल ु 6 से आसन पर बैठे हुए म को हवा म/ लखे ऐसा 108 बार एक ह6 बैठक म/

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करे | इससे भी म जागत ृ होकर स हो जाता है |

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