अरूप गीता

March 7, 2017 | Author: Arun Kumar Upadhyay | Category: N/A
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अरूप गगीतत पपरथममोऽध्यतयय शशिष्य उवतच अजतन-शतशमरर ततपमो भवरमोग-भयतवहय। यस्य स्मरण मततपररेण नश्यतगीह शदिनरे शदिनरे॥१॥ त्वमरेव शितश्वतर सत्यर शचदितनन्दि-शवधतयकमप। पपररेमतनन्दिमयर शनत्यर सदित जतनपपरदितयकमप॥२॥ भमो गगरमो! त्वर बपरूशह ततवतप सरसतर-सतर-दिशिर्शनमप। यर पशठित्वत नरतय सवर पतरर यतस्यशन्त तत्क्षणततप॥३॥ करेन मतगरण सततर नरतय धमर्श-शववशरर्शततय। यत्नवन्तमो भशवष्यशन्त न इच्छशन्त पगनभर्शवमप॥४॥ गगरुरुवतच शिशण्वन्तग मतनवतय सवर यतप पशच्छथ ममतगपरतय। कथयशस नननर ततवतप सरसतर यमोगदिशिर्शनमप॥५॥ एकदित शिङ्करगी शनत्यत पपशच्छशत महरेश्वरमप। भमो दिरेव! कथय ततवतप कत पनरत वत शिपररेयस्करगी॥६॥ शिङ्कर उवतच ग यर शिपरुत्वत रगीशवतर ततवतप कदित नरेच्छशन्त रन्तवय॥७॥ गगहर यत्ततप कथर वतऽहर कथयतमगीशत ततप शिशण। शिशण ग गगौशर! पपरवक्ष्यतशम शिपररेष्ठि-दिशिर्शन-तत्त्वकमप। न पनरत दिरेवपनरत च गगरुपनरत शवधगीयतरे॥८॥ सवर्श शितस्तपररेष ग यतप पनज्यर वरेदिर सवर्श मयर तथत। तरेन रूपरेण गगरुत्वर पनरनगीयर पपरयत्नतय॥९॥ पतवर्श त्यगवतच त्वमरेव बपरह्मण्यनतथ! वरेदि-शवदत-शवशितरदिय। भनतनतथमो भनतरेशिश्च पपरतण-पपरतणतन्तरमो गगरुय॥१०॥ शवस्ततररेण कथयतग गगरुपनरतशदिकर तथत। कतमदिर ममोक्षदिर शनत्यर सवर्श व्यतशध-शनवतरकमप॥११॥ अङ्कर उवतच अपनवर गगरुजतनर च सवर्श शितस्तपर-स्वरूपकमप। यरे सवर्श दित चरशन्त च लभतरे परमर सगखमप॥१२॥ श तमतचररेत्ततय॥१३॥ आत्मशिगशदर स्थतनशिगशदर पपरतण-पपरशतष्ठितमरेव च। पपरतणतयतमर अन्तबर्शशहमतर्श तक करेशिवतशदिन्यतसर ततवतप कशत्वत भतव-चतगष्टयमप। ऋशष-च्छन्दिमोऽक्षरन्यतसर अरयर्शसस्र कतर-पनवर्शकमप॥१४॥ पगीठितत्मनमो पनरनर च बतहपनरनमरेव च। उपचतरर ततय कग यतर्शत प पपरकग वर्वीत यथतशवशध॥१५॥ पपरतणतऽपतन-सरयतग र च शचन्तनर गगरु-मन्तपरकमप। शतपरगगणतत्मर रपरेशन्नत्यर बपरह्म-स्वरूप-भतवनमप॥१६॥ स्वतत्मनत पनरनर शिपररेष्ठिर परतत्मत च भयतवहय। मनसतशच्चर्शतर तन्नतम गगउ-सप्ततक्षरर तपय॥१७॥ यमो नरय कग रुतरे शनत्यर बपरह्म-जतन-शवशितरदिय। स सदित लभतरे ममोक्षर पतरर गच्छत्यसरशियमप॥१८॥ शिगशचमन्तमो सदित भनत्वत यरे शचन्तयशन्त सत्वरमप। तरे नननर मतनवतय शिपररेष्ठित चल-सरसतर-पतरगतय॥१९॥ पपरततरुत्थतय शनत्यर त्वर स्नतन-तपर्शणकर तथत। चन्दिनतशङ्कतभतलर च गगरुपनरतशदिकर कग रु॥२०॥ एवर भनततत्मभतवरेन रपशन्त यरे शनरन्तरमप। तरे पगननर्श भवन्त्यरेव नरतय रतततय कदितचन॥२१॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर पपरथममोऽध्यतयय॥ शद्वितगीयमोऽध्यतयय ॥ॐ गगरुदिरेवतय शवद्महरे पररबरप ह्मणरे धनमशह तन्नमो गगरुय पपरचमोदियततप॥ ॐ-ॐकतरर शसदमन्तपरर च शवशद मन्तपरतदमक्षरमप। सवर्श मन्तपरर पशरत्यज्य करेवलर पठिनर कग रु॥१॥ ग करर भवरेत॥ प २॥ गग-गगवतर्श कतरर गगरमोवतर्श क्यर गगरमोनतर्श मकमक्षरमप। सवर्श थत कगीत्तर्शनर कतयर सवर्श सख रु-रुदिपरतदतय दिरेवततय सवतर्श शनद्विर्शन्द्विरेनतन्तररेण च। शनगदन्त्यरेक-वतक्यर च गगरमोरक्षरमततपरकमप॥३॥ दिरे-दिरेहर शदिव्यतत्म-सम्भनतर चतगयष्ष्ठिर शववशरर्शतमप। शनगशहगीतरेशन्दिपरयर सवर सदिप शतपरगगणवशरर्शतमप॥४॥ वत-वतसर ततपररैव ततप सवर सगौम्य-शितशन्त-पपरदितयकमप। बपरह्म बपरह्म-शवदतधरर बपरह्मगगणसमगद्भवमप॥५॥ य-यदित सवतर्श णगीशन्दिपरयतशण वशिर नतयतशन्त तत्क्षणततप। गगरु-पपरदित्त-मन्तपरर च पठिशन्स्थरमो भवरेन्नरय॥६॥ शव-शवदतशमच्छशन्त यरे करेशचतप तरे पठिन्तप ततय परमप। सद्गपरन्थर सतधगकशतर च नननर लप्स्यन्तरे शितशन्तकमप॥७॥ दि-दियतपरवशिमो शनत्यर सवर्श रन्तगष ग सन्ततमप। अशखलर स्नरेहमतप्नमोशत सदित लभरेत शितशन्तकमप॥८॥ म-मरणर शिरणर ततवतप नतशस्त रन्म पगनय पगनय। शवशध-शवधतन-मतशशिपरत्य रपय कतयर्शय स्वभतवतय॥९॥ हरे-हरेरम्बतशदि दिरेवतय सवर बद-हस्ततञ्रशल-स्तथत। पनरयशन्त गगरु-स्ततव-दिच्चर्शयन्त्यन्तररेण च॥१०॥ प-पररबरप ह्म परर नतम परर धतम परर सगखमप। परम्नन्दिरर शनत्यर तर गगरुर पपरणमतम्यहमप॥११॥ रर-रङ्गतधरर रगौप्यरूपर शस्मतहतस्यर सगभतशषतमप। सदिप मङ्गलदिर ततवतप सवर्श -शवधतन-कतरकमप॥१२॥ बपर-बपरह्मरर बपरह्म-स्वरूपर बपरह्म-सद्मन्यवशस्थतमप। बपरह्मतख्यर कथयशन्नत्यर गगरुदिरेवर नमतम्यहमप॥१३॥

म-मदिनर दिमनर ततवतप यरे न कग वर्श शन्त सत्वरमप। गगरु-पतदितम्बगरर तरेषतर कशतरे कण्टक-सङ्कग लमप॥१४॥ ह-हम्यर पपरतसतदि-मतगलर त्यक्त्वत-स्वतदिकरर सगखमप। भनशमय शिय्यतऽत्मनत शनत्यर यमोगरूपर शवधगीयतरे॥१५॥ णरे-नरेदिर मन्तपरस र मतशशिपरत्य यरे भरन्त्यन्यदिरेवकमप। वशथत पनरत भवरेत्तरेषतर वशथत पठिनमरेव च॥१६॥ धगी-धगीवशशदय वदर्शतरे शनत्यर धगीय सवर्श तरप पपरचक्षतरे। धगीहगीनत नरकर लमोकतय पपरयतशन्त चमोपहतस्यततमप॥१७॥ म-मकतर-षटप -स्वरूपकर यरे वत त्यरशन्त सत्वरमप। तरे मनढतय यमोशनरततश्च रगौरव-नरकतशशिपरततय॥१८॥ शह-शहमरेऽशप गपरगीष्मरे शिरशदि वसन्तकरे ततय परमप। सवर्श परप कशशतकर त्यक्त्वत रपशन्त गगरुमन्तपरकमप॥१९॥ त-तन्नतम ततपर मननर तस्य पनरतशदिकर कग रु। ततप त्यक्त्वत नतपरर नतशस्ततस्यतच्चर्शनर शवधगीयतरे॥२०॥ न्नमो-न त्वहर च कदित रतनरे तस्यतरतधन-मन्तपरकमप। करेवलर तस्य स्वरूपर मनमोमध्यरेऽप्यवशस्थतमप॥२१॥ गग-गगणतशिपरयर गगणततगीतर गगणतगतरर च सवर्श तय। सवर्श -गगण-समतयगक्तर तर गगरुर पपरणमतम्यहमप॥२२॥ रु-रुक्षस्वभतवकमो भनत्वत शनष्ठिग रर भतषयशन्त यरे। रुदिशन्त करेवलमरेवर करे न शिशण्वशन्त सन्ततमप॥२३॥ पपर-पपरसतदिर तग यदिरेच्छशन्त यरेऽप्यन्तररेऽप्यवशस्थततय। मनसत वचसत ततवतप पनरयशन्त ततय परमप॥२४॥ चमो-चन्दिपरतशगन-रुदिपर-मरुतय वतसवतश्चतप्सरमो गणतय। गन्धवर्श -यक्ष-रक्षतरशसदिरेवतय पतततल-सरशस्थततय॥२५॥ दि-दिम्भदिपतर्श न्दिकतय सवर कपरूरभतव-समशन्वततय। रतक्षसतश्च वरेततलतस्तग गगरुपनरतव्यवशस्थततय॥२६॥ यत-यतशभय सवतर्श न्तरस्थतशभय दियतशभरन्यसतधकय। पनरयशन्त गगरुर ततवदिन्वरेष्यशत च सन्ततमप॥२७॥ तप-ततप सत्यर गगरुमन्तपरर च ततप सत्यर गगरुनतमकमप। ततप सत्यर गगरुदिरेवस्य आदपनरनमरेव च॥२८॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर शद्वितगीयमोऽध्यतयय॥ तशतगीयमोऽध्यतयय शशिष्य उवतच न रतनरे त्वर बपरूशह सवर शकर ततवतप यमोगसतधनमप। मनढमोऽहर वतमनमो भनत्वत चन्दिपरस्पशितर्श य चमोदतय॥१॥ गगरुरुवतचशिपथर कग रु सवर्श तरप पशरहतसर न कग तपरशचतप। यशदि वत जततगमतयतशस ततप शिशणध्ग व ममतगपरतय॥२॥ यमोगतभ्यतसर यदिरेच्छशन्त यरे ततवतप ममोक्षकतरशक्षणय। यम-शनयमतकरप कशत्वत हृत्शिगशद-सशहततय पगरत॥३॥ एकतसनर समतशशिपरत्य यमोगरकरमोशत मतनवय। गमनरे धतवनरे वतशप न च भनयय कदितचन॥४॥ यथत लमोकतय पपरधतवशन्त तदित तरेषतर शिरगीरकमप। धतस्यशत मनस्तग ततवतप यमोगय कग तपर शवधगीयतरे॥५॥ प ६॥ ततय सनक्ष्मर स्वरूपर च दिपरष्टगर चरेच्छशत यमो रनय। स नननर कमलर वतशप नतनतसनर समतशिपरयरेत॥ यथतशिशक्त यमोगर ततवतप तत्त्वशमच्छशन्त यरे रनतय। आत्मजतनर भवन्त्यरेव नतशस्त सन्दिरेह-मततपरकमप॥७॥ अशवदत-क्लरेशि-शनवतर्श पर शिगद-गगणतशदिकस्तथत। पपरकशटतर भवन्त्यरेव मनमोमध्यरेऽप्यवशस्थततय॥८॥ उपदिरेष्टग य वचमो गपरतहर सदित सगशस्थर-मतनसय। स नननर लभतरे ममोक्षर भगवतय पपरसतदितय॥९॥ शरतरेशन्दिपरयय पगरुषस्तग शनरतहतरमो शनरशगनकय। स यमोगयमो शनगमशितस्तपररे तत्त्वजतनमव्प्नगयततप॥१०॥ यमोगशवतप यमोगसपरष्टग शभय यमोगरूपमो शनगदतरे। तस्य दिशशिर्शत-मतगर च सदित ममोक्षशवधतयकमप॥११॥ शवदिगषत यतप पपरपदतरे ततप सन्मतगर्शय शिगभतवहय। तरेन मतगरण गन्तव्यर नततपर कतय्यर शवचतरणमप॥१२॥ पपरमोक्तर यतप सतप यमोगर ततवतप आत्म-सरशस्थत-मतनसमप। पनरनगीयर पररबरप ह्म परमतप्नमोशत शितशन्तकमप॥१३॥ सवर्श पपरपञ्चशिनन्यर च सवर्श -शितपरु-शववशरर्शतमप। अव्यक्तर ज्यमोशतयपगरुषर पश्यशन्त मगनयस्तदित॥१४॥ प स सगखर लभतरे नननर शरतसवर्श य समन्ततय॥१५॥ शिशक्तमन्तर सदितशिगदर शवद्वितनप सवर्श तरप पनरयरेत। ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर तशतगीयमोऽध्यतयय॥ चतगथमोर्शऽध्यतयय मनय सरयमनर कशत्वत यमोगशरजतसग सज्रनय। तस्यतन्तयकरणर ततवतप शिगदर करमोतग तत्क्षणततप॥१॥ असतररे खलग सरसतररे यतप पदितथर शवधगीयतरे। तद्विन्मम सरगीरर च सवर्श जतनस्य धतरकमप॥२॥ यरेनरतय यमोगशवजतनर न रतनशन्त कदितचन। तरे कथर मम सतदिशश्यर लभन्तरे सततर वत॥३॥ अशप चरेत प पनरनर ततवतप मनसतन्तरमरेव च। यरे न कग वर्श शन्त ततप कतलर कथर यमो रनय सत्वरमप॥४॥ यथत तग मतनवतय सवर शिपररेष्ठितधतरत कथञ्चन। न भवशन्त तथत तरेषतमगीश्वरमोऽशप वगीतस्पशहय॥५॥ आत्मबलर पपरभनतर च न भनयन्तरे ततय परमप। आत्मबलर यतय नतशस्त सगखर तस्य न शवदतरे॥६॥ यमो ततवदितत्मस्वरूपर शनणर्शयन्तगीतररे सदित। दिरेवतगल्यतत्मगगणरैस्तग पनज्यतरे सकलरैरर्शनरैय॥७॥ एवर भनततय नरतस्ततवतप रलमन्तपरतशदिकर तथत। दिदित्यन्तरसशन्नभरे तरे नननर यमोगशवत्तमतय॥८॥ यमोगतभ्यतसर पगनय कशत्वत दिरेवतनप च पशशथवगीर ततय। सतक्षततप सवर पपरकग वर्श शन्त सवर पश्यशत सत्वरमप॥९॥

सवर्श -सतधन-सरयक्ग तत यमोग-शनयगक्त-मतनसतय। यमोगशसशदर पपरतप्नगवशन्त कमोऽन्यस्तरेषतर समतनकय॥१०॥ प यम-शनयम-धत्तर्शव्यतर यमोगशस्थशतर समतप्नगयततप॥११॥ पगरुषमोत्तमय सवर षतर हगपदिरेशिर समतशिपरयरेत। शवद्विशद्भय सह वस्तव्यर परमोपकतरशसदयरे। वरेदिव्णगी समतशशिपरत्य सतनन्दिर शस्थतवतनप भव॥१२॥ प यमोगय तरेषतर मनमोमध्यरे नननर शवदतरेऽसरशियमप॥१३॥ शमष्ट-भतषण-भतवरेन शशिक्षतशथर्शनर शनयमोरयरेत। यमोग-शवदमोत्सगक शवज शिशण ग सत्वरर मद्विचय। यमोगतभ्यतसरेन तरेनरैव सनयर्शतरेरमो शवलभ्यतरे॥१४॥ मतयत-पपरपञ्चकर त्यक्त्वत सङ्गर त्यक्त्वत दिनरतशियय। यमोगर कग वर्श शन्त यरे शनत्यर नननर लभन्तरे शितशन्तकमप॥१५॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर चतगथमोर्शऽध्यतयय॥ पञ्चममोऽध्यतयय शशिष्य उवतच जतनजर शितश्वतर सत्यर गगरुशवश्वर परतत्परमप। अयमोशन-सम्भनतर दिरेवर सवर्श शितस्तपररेष ग सतगरमप॥१॥ भमो गगरमो रगततर नतथ! जतन-तत्त्व-शवशितरदि। बपरूशह मरे गनढवचनर कलगौ शकरवत भशवष्यशत॥२॥ मतनवतय करेन रूपरेण सन्मतगर्शमशधयतशन्त वत। बपरतह्मणतवरै ष्णवतय सवर शिनदिरप -वरै श्यत-स्तथतपररे॥३॥ गगरुरुवतच यतप पपरसङ्गर समतख्यतशह अतगीव गनढनतमकय। अकथ्यर मनमोशभजरयर गनढर गनढतरर सदित॥४॥ अजतनरेभ्यश्च मनखरभ्यमो न कथ्यन्तरे कदितचन। शवजरेष ग करेवलर पपरमोक्तर सदिप जतन-शववदर्शकमप॥५॥ कलतवरतरकमो शनत्यर रनय कग मतगर्शसशर स्थतय। रसतय शनशवर्श रसत भनतत नतरगी स्वधमर्श-वशरर्शतत॥६॥ बपरतह्मणतय वरेदिशवस्मशततय सदिप कग पथमतशशिपरततय। स्वरेष्तमन्तपरर न रपशन्त करेवलर हगीनकमर्शकतय॥७॥ वरै ष्णवतय शवष्णगकतयर च न कग वर्श शन्त कदितचन। सतधवमो यमोशगनय सवर तदित नरेच्छशन्त सत्पथमप॥८॥ मदि-मतत्सयर्श-कपरमोधश्च पपरलमोभनर परतर गशतमप। धमर्श-जतन-मततन्धतश्च मतनवत लमोभकतशमनय॥९॥ शनवर्वीयतर्श भवशत पशथ्वगी सत्कत्तर्शव्य शववशरर्शतत। कपरूरत शनबगर्शशदकतस्ततवतप मशतश्चञ्चलमतनवतय॥१०॥ चतटग वतक्यर सभतमध्यरेऽशनष्ट-शचन्तत-तत्परतय। स्वतथतर्श न्धत मत्तगवतर्श श्चसम्मगखरे शमष्टवतशदिनय॥११॥ तरेष ग शवश्वतसमो नमो कतयर्शय सदित-कग लतन्तररेष ग च। यशदि वत सगखशमच्छशस गगरु-पतदितम्बगरर भर॥१२॥ रटत नतमतवलगीर धशत्वत न कग वर्श शन्त स्वकमर्शकमप। कतशमनगी-कतञ्चनतसक्ततय सन्मतगर्श नरेच्छशन्त कदित॥१३॥ अन्न-रल-वस्तपर-शपपरयतय तममोगगणत भवशन्त च। तरे कदित कतमयन्तरे नमो ईश्वरपनरनर तथत॥१४॥ यजतपय सरेवतपनरत परमतशथर्शक कमर्शशण। न शवदन्तरे सततर मध्यरे परशिपरगी-कततरतस्तथत॥१५॥ गतयतपरगीर सतशवतपरगीर त्यक्त्वत वरेदि-वरै शदिक-पनरनमप। शशिक्षत-दिगीक्षत-शिगदतचतरर कग लतचतरर तथत परमप॥१६॥ वरै श्य-शिनदिरप -क्षशतपरयतश्च सवर रतशत-शववशरर्शततय। सदित स्वधमर्श-नष्टतश्च स्वरेष्ट-मन्तपरर च शवस्मशततय॥१७॥ शशिष्य उवतच भवतत यतप कथनगीयर बपरह्म-सन्यतशसनर पपरशत। परन्तग शकर भशवष्यशत पशशथव्यतय कथयतधगनत॥१८॥ गगरुरुवतच सगखतशन न भवन्त्यरेव सनयर्शस्यमोत्ततप उगपरकय। रतज्यरेष्वरतरकर शनत्यर शहततशहतर न दिपरष्टव्यमप॥१९॥ नतशस्त स्तपरगीणतर कग लतचतरर शवटशपन्य भवशन्त च। नष्त-शवचतर-मतनसतय मतनवत नय-वशरर्शततय॥२०॥ रतरत रतज्यर गगरु-शशिष्यर स्वतशम-स्तपरगीणतर च सन्ततमप। सवर षतमतकतरमो नतशस्त धनरेन कलगौ भवशन्त च॥२१॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर पञ्चममोऽध्यतयय॥ षष्ठिमोऽध्यतयय चक्षगय दिशिर्शनयमोगयञ्च सवर्श दिरप व्यर शवशिरेषतय। एततप सवर शिगदमतहगय तत्त्व-चरेतनमरेव च॥१॥ शनगगर्शणर शनशवर्श शिरेषर च शिगदजतन-स्वरूपकमप। परर बपरह्म परर तरेरय सवर्श रूपरेण दिगीप्यतरे॥२॥ परमतत्मदिरेहस्य शिशक्त-शवशिरेषकस्तथप। शवदतशवदत-शवचतररेष ग नतशस्त सन्दिरेहमततपरकमप॥३॥ तदिप बपरह्म सवर्श -दिपरव्यतणतर सशरशत शवदयत तथत। ऐन्दिपररतशलक तदिप हस्तततप दिशश्यमतनमो शवशधर यथत॥४॥ यदित कपरगीडतर सगसमतप्य स्थतनमगत्सशज्य गच्छत। तदित पगनयर्शथतपनवर करेवलर पशरदिशश्यतरे॥५॥ ग रैय॥६॥ ततमो मतयत पपरकशटतत बपरह्म-रगतप-स्वरूशपणगी। अशभन्नर तमगपतदितनर कथ्यन्तरे सकलरैबर्शध मतयत-सम्बशन्धतर बपरह्म ईश्वरय पशरकथ्यतरे। अशवदयमोद्भतरन सवर रगीवमतहगस्त्तय परमप॥७॥ मतययत तत्त्वमगत्सशज्य शिगद-जतनर ततय परमप। अहङ्कतर-मनमो-बगदगी-शन्दिपरय-सङ्गरेन गच्छशत॥८॥ प ९॥ सवर शन्दिपरय-सगखर भनत्वत कत्ततर्श भमोक्ततऽशिपरयरेऽशप च। शस्थत्वत स्वकमर्शकर कशत्वत पतपर वत पशरवरर्शयरेत॥

रगीवमो बपरह्मरैक-रूपरेण यदित एकत्वर गच्छशत। पनणर्श-जतनर भवत्यरेव मतयत दिनरततप शवनश्यशत॥१०॥ मतयतर रतगशतकगीर त्यक्त्वत स्वल्प-जतनर तथत परमप। शिगदतनन्दि-स्वरूपरेण सतशन्नध्यर लभतरे परतमप॥११॥ शितपरु-स्वभतव-मशिरेषर न शवदतरे कदितचन। आत्मबगशदर भवत्यरेव सवर्श -दिमोष-शववशरर्शतत॥१२॥ सवर्श -सङ्कल्पर सन्त्यज्य शतपरकनटरे नतनत रूपरेण। सदित शचत्तर समतस्थतय पश्यन्तग ततप स्वरूपकमप॥१३॥ दिपरव्यरेतररेष ग तमतहगय सगन्दिरमशतसगन्दिरमप। यय सदित शचन्तयरेशन्नत्यर नननर सगखर सगलभ्यतरे॥१४॥ शनरन्तरर शनशवर्श कल्पर ज्यमोशतरूपर ततय परमप। यमो यमोगगी तर शचदितनन्दिर पश्यशत स सदित सगखगी॥१५॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर षष्ठिमोऽध्यतयय॥ सप्तममोऽध्यतयय शशिष्य उवतच वरेदिरैश्च सवर य पगरुषमोत्तमश्च, सवर ष ग शितस्तपररेष ग महन्मशहम्नय। अनरेक दिरेवतशचर्शतमस्तकतय, तस्मरै नमय शिपरगी गगरुदिरेवकतय॥१॥ रड-चरेतन-हरेतत्ग वरे तत्त्वरे तगौ शवदतरे ततय। ततप शिशणमोशस कथयरेऽहर तस्य स्वरूपमरेव च॥२॥ श्कशतकर शतपरगगणतत्मकर रडतत्त्वर तथत परमप। शनष्कमर्श शनशवर्श कतरर च चरेतनर तग शवधगीयतरे॥३॥ चरेतनततप रडतत्त्व< च जतन-शनयमकर तथत। शवरूपर शवषमर ततवतप दिगयखदिगयस्थर तथतपरमप॥४॥ सत्त्वरे ररय शकपरयतमततपरर शकपरयत नष्टरे तमस्तथत। तमसमो शवषमर वशणरे महत्तत्त्वर पपरचख्यतरे॥५॥ सत्त्व-शिगदगौ महत्तत्त्वर शिगदशचत्तर सगकथ्यतरे। तदितऽहर बगीररूपरेण स्थगीयतरे नततपर सरशियय॥६॥ एतशच्चत्तर भगवतय स्व-गगणतन्तर-सशन्नधमप। सत्त्व-शवशिगदततर त्यक्त्वत सत्त्वशचत्तर वदिशन्त च॥७॥ यमनन्तसरख्यर च यर चङ्कतरमरेव च। शवभतशत बगीररूपर च रगीवतत्त्वर शवधगीयतरे॥८॥ तत्त्व-चरेतन-रूपरेण स्वजतनर पशरदिशश्यतरे। महततत्त्वर गपरहगीतव्यर शनशवर्श शिरेषर यगगतन्तरमप॥९॥ पगरुषय शनशष्कपरयमो भनत्वत शचत्तदिगष्टमो भवरेत प च यय। स्वस्यतन्तररे शकर भवशत तन्नननर रतनगीयततप स तमप॥१०॥ व्यशष्ट-शचत्त-सम्बन्धरेन तत्त्व-चरेतनमरेव च।तमतहगरर्वीवनर ततवतप ततप सरख्यत-नन्तमरेव च॥११॥ शचत्त-समशष्टकतत्तत्त्वर नतमचरैतन्यरसत्वरमप। ईश्वरर बपरह्म परमर सवर्श जर सगगतर तथत॥१२॥ भवतय शिगदस्वरूपततप शिगदबपरह्म तथतपरमप। शनगगर्शणर शनरतकतरर च पररबरप ह्म पपरचक्ष्यतरे॥१३॥ त्वन्मगखततप शिपरवणर कशत्वत सवर्श तत्त्वर महतभनतमप। स्थततगर नरेच्छतम्यहर रततग शियनरे चलचञ्चलरे॥१४॥ सवर्श स्वरूपकर ततवतप सवर्श तश्च शवशितरदिमप। सवतर्श पवगर्शदिर शनत्यर तर गगरुर पपरणमतम्यहमप॥१५॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीत्यतर सप्तममोऽध्यतयय॥ अष्टममोऽध्यतयय शशिष्य उवतच भमो गगरमो कथयस्व मतर वरेदिशवषयकर तथत। यर शिपरुत्वत शचरसगशितन्तर लप्स्यरे यगगतन्तकरे कलगौ॥१॥ गगरुरुवतच पशशथव्यतर वरेदितगरगीयर सशज्यतरे बपरह्मणत पगरत। वरेदिभ्रे यय सशज्यतरे रगतप गततगतर भवत्यहमो॥२॥ तरेभ्यमो नतनत-गशत-भनर्शत्वत कगीट-पतङ्गकत-स्तथत। सशष्टतय पपररतसशरत तरेन बपरह्मतण्ड-मण्डलर ततय॥३॥ वरेदिरेभ्यमो दिरेह एव वरै पपरकतश्यन्तरे ततय परमप। वरेदिशवशधशनर्शत्यर सत्यर वरेदि-चरैतन्य-मतनसय॥४॥ वरेदिस्तग भगवतनप स्वयर वरेदि-शनवर दि एव च। एकतदिशिरेशन्दिपरयर शचत्तर वरेदि करेवलमरेव च॥५॥ वरेदिमो मनमो भवत्यरेव शनवर दि परमतस्तथत। यतपरतमरगरेहस्ततवतप ततप शिशणष्ग व ततय परमप॥६॥ गरेह-शनवर दि-मन्धतरर मनमो-मध्यरेऽप्यवशस्थतमप। वरेदितलमोकमो भवत्यरेव सतशक्षरूपमो दिरेहस्तथत॥७॥ शनवर दिर परमर ततवतप शिनन्यरे रततर करमोशत च। रगीवनर मतयत स्वरूपर कतयय परमय करेवलमप॥८॥ एकतदिशिरेशन्दिपरयर मनय खलग शिनन्यरेऽप्यवशस्थतमप। तस्य सरयमनर कतयर नतत कतयर शवचतरणमप॥९॥ एवर शवशचन्त्य मनसत यय सदित स्थतपयरेन्नननमप। स शितशन्तर शचरमतप्नमोशत सगखमतप्नमोशत शितश्वतमप॥१०॥ सवतर्श शनशन्दिपरयसकलतनप दिमशयत्वतन्तररे तथत। एकतगपरमनसत चरैव सवर्श दित सगखमतप्नगयततप॥११॥ असम्यकप शस्थरसरगरप हगी मनय दिनरन्तकर सदित। शतपरकनटस्थतनर सरशस्थत्य ज्यमोशतरूपर सदित भर॥१२॥ वतयगरूपगतर शचत्तर बन्धनर न महत्तरमप। सगखरेन कतरणर ततवतप इष्टदिरेवर सदित स्मर॥१३॥ सवतर्श रम्भय पशरत्यतज्यय करेवलर तस्य शनगपरहमप। कग वर्श न्तग मतनवतय सवर नतशस्त तस्य समर शकमग॥१४॥ शशिष्य उवतच नमतशम गगरुदिरेवर च भगशक्त-मगशक्त-पपरदितयकमप। शिश्वतप शितशन्तपपरदिरदिरेवर शचर-शितशन्त-शवधतयकमप॥१५॥

॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर अष्टममोऽध्यतयय॥ नवममोऽध्यतयय शशिष्य उवतच ग मप॥१॥ गगरुदिरेवर नमस्कशत्य कथयतमय पगनय पगनय। कथर यतगय भवत्यरेव शकर तस्य फलहरेतक गगरुरुवतच नतनतशवधर फलर ततवतप पपरतप्यतरे यजकमर्शकरैय। तस्मततप यजमो शवधततव्यमो नतशस्त सन्दिरेहमततपरकमप॥२॥ कशञ्चतप शवशधमगपतशशिपरत्य यजस्ततवतप भवत्यगत। शिशण्वन्तग कथयरेऽहर च शिपरुत्वत शितशन्तमतप्नमोशष॥३॥ चतगवरदितशिपरयमो शवपपरतय शनमन्तपरयनप यथतशवशधमप। आगम्य यजशितलतर च पपरकग वर्श शन्त पपरयत्नतय॥४॥ वरेदिसशकप वरेदिजतनतय पगरत यजशवधतयकय। ततप पथर तदिप शवशधर च कशरष्यतमय समन्ततय॥५॥ एवर शवशधमगपतशशिपरत्य यतगमो भवत्यसरशियमप। अन्यरेषतमगपकतरश्च भशवष्यशत न सरशियमप॥६॥ यजशसशदय कशतमो शवद्वितनप यरम्नस्ततय परमप। कथर वत भवनगीयर च शिशण्वन्तग कथयतम्यहमप॥७॥ सवर षतर शितशन्तदिय शनत्यर सवर्श लमोकशिगभङ्करमप। रगीवरे ष ग सवर्श दिरेहरेष ग एकतरूपर शवशशिष्यतरे॥८॥ यजरेष ग पपरथमर ततवतप अन्तयसतधनमगख्यकमप। तद्दशिर्शनर भवत्यरेव ज्यमोतगीरूपरेण शितश्वतमप॥९॥ यजकमर्श समतशशिपरत्य वतयगरर्शलर तथतपरमप। मनय सवतर्श न्तरर ततवतप शिगशदमतयतशत तत्क्षणततप॥१०॥ अशगनमगखमोद्भवर धनमर भगक्र त्वत तग भगवतनप स्वयमप। मरेघरूपरेण पशशथव्यतर शनपततयशन्त सत्वपरमप॥११॥ वरेदिमन्तपरर वरेदिशितस्तपरर वरेदितत्त्वर वरेदिमोद्भतमप न । शनत्यर ततवतप समतनगीय यजर कग वर्श शन्त शनश्चयमप॥१२॥ बशहत्फलर भवरेत प ततवतप शचत्तशितशन्तय ततय परमप। नननर सगखमतप्नमोशत नततपर सरशियमततपरकमप॥१३॥ सवर्श दिरेवतय सगखर यतशन्त यतपर यतगर भवत्यशप। अतमो यजर शवधतनगीयर लमोकतनगगरप हकतरकमप॥१४॥ प १५॥ यजरेऽशस्मनप शिरगीरर सवर सगस्थमतयतशत तत्क्षणततप। आत्मजतनर भवत्यरेवर न शकशञ्चत्तग शवशचन्तयरेत॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर नवममोध्यतयय॥ दिशिममोऽध्यतयय शशिष्य उवतच शकर ततवतप समतशधकतयर सरगीवनतमसरजकमप। बपरूशह त्वर श्लमोकसरख्यरैश्च दिनरर गच्छतग सरशियय॥१॥ मतनसर सवर्श सस्र कतररैय सरस्कशतर यतशत सत्वरमप। समतधरेय पपरतकप व्यवस्थततय शिशण्वन्तग मम पगतरप कतय॥२॥ यदित तग पनवतर्श वस्थतयतर शस्थतशस्तष्ठिशत सन्ततमप। तस्य सरस्कतरसशञ्चतय समतशधस्तस्य वदर्शतरे॥३॥ तत्सरस्कतरर परर ततवतप अन्यसरस्कतरतपरेक्षयत। महत्तरर भवत्यरेव नततपर कतयर शवचतरणमप॥४॥ पपरजत समशधकर ततवतप पपरजतव्यगत्थतनतपरेक्षयत। ततय शिगदमवतप्नमोशत पपरथमर शनश्चयर ततय॥५॥ न तरे सत्वरमप॥६॥ तस्य शिगदत्वमतधतय शचत्तशिगशदर भशवष्यशत। शचत्तशिगदस्रे ततपर तत्त्वर अनगभय न र शवतन्वशत। ततमो ततमो सरस्कतरर च पशरवदर्शतरे शनश्चयमप॥७॥ततप सरस्कतरबलरैश्चरैव पगनय यतमो यतमो तत्त्वभरेदिर अनगभत समतशधपपरजकतय। शिरगीररेऽशस्मनप शवनशत्यशन्त सवर्श सङ्कल्पदितयकतय॥८॥ समतशधपपरजतसम्भनतर सरस्कतरर च ततय परमप। अन्यरेशन्दिपरयभमोगर ततवतप दिनरर पपरयतशत चञ्चलमप॥९॥ बलहगीनर पपरतक्सरस्कतरर भनत्वत शतष्ठिन्त्यसरशियमप। तद्भतरन बपरूशह सवर चहगीनबलमवतप्नगयततप॥१०॥ यदिप तदिप बपरूशह सवर च शनरुदत्वमवतप्नमोशत। तस्मततप समतशधयमोगश्च सररमोहशत न सरशियमप॥११॥ अस्मततप समतशधपपरजतश्च तस्मततप समतशधसरस्कशतमप। एततप खलग पपरवत्तर्शतरे पगरत तग भगवतनप स्वयमप॥१२॥ शनशवर्श चतर समतशधश्च एतस्मततप रतयतरे सतमप। एतच्च वरेदि शिपररेष्ठिर च सवर्श कमर्शशवधतयकमप॥१३॥ भवततर चरणतब्रर च स्मशत्वत कशत्वत वयर ततय। वन्दिनतच्चर्शनसरयमोगर शचरशितशन्तशवर्श मशण्डततय॥१४॥ सवर्श रन्मकशतर पतपर इह रन्मशन यतप कशतमप। क्षमतगगणमोद्भवरै य सवर नतशियन्तग ततय परमप॥१५॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर दिशिममोऽध्यतयय॥ एकतदिशिमोऽध्यतयय शशिष्य उवतच मत्त्यर यरे मतनवतय सशन्त करेन रूपरेण चतल्यतरे। बशशह मरे ततप श्लमोकरैररेकरैरनरेकरैबर्शहगधत ततय॥१॥ चतगशवर शिवषर्शयक्ग ततय बपरह्मचयतर्श शिरप मरे शस्थतय कन्यतरूपगगणतशन्वतय स्वतमोऽशधकफलपपरदिय॥२॥ इच्छतयमोगयसमगत्पन्नर अन्तररे यस्य पपररेमकमप। तम्र्वर यगवकर ततवतप पशतरूपर शवधगीयतरे॥३॥ अन्यथत यशदि कत्तर्शव्यर कतरक्षशन्त वचनरेन वत। कथशयतगर मनमो नतशस्त ततप शिपरवणमशनशश्चतमप॥४॥ तद्विदिप कग मतरकतस्ततवतप स्वस्वरूपसमशन्वततय। कन्यतर गशह्णन्तग सवर्श तरप नततपर कतयत शवचतरणत॥५॥

परस्वरमोयमर कशत्वत वरेदिवरै शदिकयत शगरत। गशहस्थधमर्शमतधतय सदित शतष्ठिन्तग मशन्दिररे॥६॥ न कशत्वत वगीयर्शसक्ष्र यर यमोगयसन्तशतय करेवलमप। उत्पतद तस्य शशिक्षतर च पपरकग वर्वीत यथतशवशध॥७॥ प ८॥ सवरै श्वयर शवधतनगीयर यथतवतप शिशण ग ततनशप। पपरगीशतपनवतर्श वस्थतनर च शकशञ्चदिशप शचन्तयरेत॥ पपरशिरसत बगशदयगक्तर च भनत्वत दिरेवतशदिशभस्तथत। अनगगरप हतशभमगख्यश्च सदितसगखगी भवरेन्नरय॥९॥ यत्नरे कशतरे दिरेवतस्ततपर सदितस्वतनगगरप हतशन्वतय। भनतभशवष्यजतनर च भशवष्यशत न सरशियय॥१०॥ पगरुषतथर्शबलरैश्चरैव सवर्श दित मतनवस्तथत। शवदतसम्पतदिकर कशत्वत शवशधवतप कगीलतलर यथत॥११॥ अन्नतशदिकर पशरगशह तस्य सरेवनपर करेवलमप। मनसग धमर्शसस्र थतनरे शिरगीरर नगीरमोगर तथत॥१२॥ तस्मततप गशहस्थकमर्शशण शतष्ठिशत यय पगमतनप सदित। शवद्विशद्भय पनज्यतरे स च नतशस्त सन्दिरेह लरेशिकमप॥१३॥ शशिष्य उवतच त्वन्मगखततप शिपरवणर कशत्वत सरसतरसतरमगत्तममप। यर शिपरुत्वत शिपरवणरे चतशप तस्य शितशन्तर पपरयच्छशत॥१४॥ सवतर्श भगीष्टतशभधतनर च सवर्श जतनशवशितरदिमप। त्वतर नमतशम गगरुर ततवतप सरसतरममोक्षकतरकमप॥१५॥ ॥इशतशिपरगीमदिरूपगगीततयतर एकतदिशिमोऽध्यतयय॥ द्वितदिशिमोऽध्यतयय शशिष्य उवतच शकम्भनतर शवशधमतदितय भनपशतश्च सदितशियरे। शतष्ठित्यतपररैव तन्मनलर वशणमोतग तस्य वरर्शनमप॥१॥ रतजय सगस्थतत्मसरशस्थततय सवर्श शितपरूनप शवनश्यशत। श्यरेनशिरगीरय सम्भनय बलवन्तस्तथतपरमप॥२॥ वतयगतल्ग यर रूपर धशत्वत सभतसदिप सवर्श परप तशणनमप। स्वसन्दिरेशिर परर दित्त्वत सदितसगखगी भवत्यशप॥३॥ धमर्शकशतप धमर्शमतगरश्च सवतर्श य पपररतयपपरपतशलततय।धमर्शहगीनमो भवरेत प ततवतप पपररतक्षयत भवशन्त च॥४॥ प ५॥ रतजत सत्यपपरशतजरेन एततप यत्नमो शवधगीयततमप। वरेदिशवदतपपरचतरश्च शितपरूणतर शवरयमो भवरेत॥ यमोदरय प स्ववरेशिमोभनतरैय यतनप धशष्ट्वत शितपरु शिशङ्कतय। भशवष्यशत रणतङ्गरे च नननर दिरेशिरयमोऽशरर्शतय॥६॥ कदितऽसत्यशवनष्तर च कदितऽसन्तगष्टकतय पपररतय। कदित सम्मतनहतशनश्च न भवशन्त कदितचन॥७॥ यस्य वचनशसदश्च सवर्श कतलरेष ग सरशस्थतय। स यमोगयमो भशवतगर भनयय स च सगखमवतप्नगयततप॥८॥ सवर्श दित करमतनगीय रनसरेवत न कतशरतत। तस्मततप यतवतप करर ततवतप न दिततव्यर कदितचन॥९॥ ग तरर च गत्वत फलमवतप्नगयततप॥१०॥ वरेदिशितस्तपरतशदिकर पतठ्यर शवद्विशद्भदिर्शशशिर्शतर गतमप। तस्य मतगतर्श नस प ११॥ शिगदपतकर च भमोक्तव्यर शितस्तपरमोक्तर शवशधपनवर्शकमप। शचत्तर तग शितशन्तमतयतशत पपररतनतर सगखर सम्भवरेत॥ ग ग सवर ष शितस्तपररेष सगचतगरर च सवतर्श ङ्गसगन्दिरवपन रमोगदिगयखहगीनमप। गगणरेष ग सत्सग सदिप शिमोभमतनमप तमरेव भनपर गपरहणर समन्तततप॥१२॥ सवर्श परप रतश्च नगीरमोगतय भशवष्यशन्त समन्ततय। कथर तमरेव शवचतयर वरेदिरैय सह ततय परमप॥१३॥ बपरह्मचयर्शवरप तरैयर्शक्ग तमो यतवतप पञ्चतशिवषर्शकमप। स एव स्वगीकशतमो भनपमो नततपर सन्दिरेहलरेशिकय॥१४॥ शशिष्य उवतच रतरत गगणतशदिकर शिपरुत्वतऽस्मतकर शिपरुशतय पशवशतपरतत। भनत्वत शितशन्तरवतप्नमोशत सवर्श दित त्वतर भरतमहरे॥१५॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर द्वितदिशिमोऽध्य्यय॥ तपरयमोदिशिमोऽध्यतयय शशिष्य उवतच ग र च सवर्श कतयर्शशवधतयकमप। दिदितशत यय क्षणमरेव तर नमतशम गगरुर परमप॥१॥ सवर्श तरप सवर्श सख यगगरेऽशस्मनप पतपसरसतररेऽसतररे लमोकचयर तथत। करेन सगखर तथत शितशन्तय पपरतप्स्यसरे बपरूशह तर चलमप॥२॥ स तर शवदतधनर चरैव सम्पतदिनमोत्सगकमो रनय। स नननर सगखमतप्नमोशत नततपर सरशियमततपरकमप॥३॥ तस्मततप पशशथवगीसम्भनततनप दिपरव्यतनप नगीत्वत ततय परमप। पपरतशणनतमतत्मलतभर च दिगीयतरे शवदिगषतर मतमप॥४॥ ततय सगखसमस्तर च शितशन्तय सवतर्श न्तकर तथत। पपरतप्नमोशत पगरुषषर्शभ पशरपनणर्शमनन्तरमप॥५॥ ईश्वरमोपदिरेशिर ततवतप यदित मनगष्यकतस्तदित। पशशथवगीरलतनलर सवर न शवन्दिशन्त गगणतन्तरमप॥६॥ मगख्यजतनर सगखर चरैवर शितशन्तसवतर्श थर्शसतधकमप। पपरतप्स्यन्तरे कथर तत्त्वर करेवलर दिगयखवदर्शनमप॥७॥ रततपरगीणतर शिरेषयतमरे च उत्थतय परमषर्शभ। आलस्यकर पशरत्यज्य मगखधगौतर शवधगीयतरे॥८॥ अजतनमो दिशरदिपरस्ततवतप कथर दिनरर भवशन्त च। सहषर्शवदिनमो भनत्वत शवभगशश्चन्तनगीयय सदित॥९॥ ग पर धशत्वत वषर्शणर पपरभवत्यहमो॥१०॥ यज्ज्वलर अशगनसरयमोगततप क्षगदिरप कणर बवशत च। पगनवतर्श यरू तस्मततप वतयगरूपर धशत्वत नरतणतर सगखदिर सतमप। अन्यथत हगीनकतयर्शश्च भनत्वत शितशन्तनर्श पपरतप्नगयततप॥११॥

भगवतनप स्वसत्ततर ततवतप व्यतशप्त गगणमोच्चयर तथत। सनयमोर्श वतयगरूपमो भनत्वत शकपरयतरे शनरशिशक्ततय॥१२॥ न र्शस्ततय परमप। तरेष ग सवर्श शिशक्तर चरैव समगद्भतरन भवशत च॥१३॥ तरेष ग पपरधतनमरेवर च वतयगसय मनगष्यतभगीष्ट शसद्ध्यथर तर च गशह्णततग सत्वरमप। तमरेव शिरणर ततवतप सवर्श शितशन्तशवधतयकमप॥१४॥ एततप वशत्ततन्तमशखलर शिपरुत्वत सगखत्वमगीहतरे। रन्म धन्यर भवत्यरेव धन्यस्तवतशभवदर्शकय॥१५॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर तपरयमोदिशिमोध्यतयय॥ चतगदिर्शशिमोऽध्यतयय शशिष्यत उचगय तव पतदितब्रयगगलर तव सगौम्यशनदिशिर्शनमप। तवतशक्षयगगमसकलर शचन्तयतशम समन्ततय॥१॥ यमोगर तर कथयतम्यशस्म दिनरर शतष्ठितग सरशियय। यर शिपरुत्वतप्यन्यकतयर च कग वर्श शन्त ततय परमप॥२॥ गगरुरुवतच सवर्श कशतप सवर्श कतयर च शिरगीरर च तथत परमप। त्यक्त्वत शनशश्चन्तवदिप भनयस्तदित यमोगमो शनगदतरे॥३॥ इशन्दिपरयतशण च सवतर्श शण सवर्श कशम्णर्श यत्नतय। शनरुद्ध्य वशशत्तसकलर तन्नननर यमोगमगच्यतरे॥४॥ कतमवतसनयत यगक्तर शचत्तवशशत्तशनर्शगदतरे। स्वप्नमो रतगपरतप सगषशग प्तश्च शतपरधत वशत्तरेव्यर्शवशस्थततय॥५॥ शतपरधतरूपत्वमतधतय हृद्दरेशिरेऽप्यवशतष्ठिशत। तर सरयम्य शचत्तर ततवतप सन्तय चरेष्टशन्त सत्वरमप।६॥ बशहय सगन्दिरदिशश्यर च दिशष्ट्वरेशन्दिपरयगणतस्तथत। आकषर्शयशन्त ततप ततवतप सवर्श बन्धनरेऽवशस्थतमप॥७॥ एतद्दमनर कत्तर्शव्यर बशहशनर्शयसरणर तथत। शनवतयर्श शचत्तवशशत्तर च ततप पपरभगचरणर ततय॥८॥ गमनर यमोगशमत्यरेव कथ्यतरे नततपर सरशियय। अन्यथत दिगयखमतयतशत नननर नननर न सरशियय॥९॥ शचत्तशिगशदर वशथत ततवतप न भवशत कदितचन। तशन्नरुदर वशथत ततवतप कथर यमोगत्वमगच्यतरे॥१०॥ म्लतनवस्तपरर यथत रङ्गर कशत्वत पशरष्कशतर तथत। भवत्यरेव मनस्ततवतप शिगदर सदितत्मसशञ्चतय॥११॥ यमशनयमकर कशत्वत सतधनर सवर्श कतलकमप। शहरसत कतमस्तथत लमोभमो यथत पतपमलर तथत॥१२॥ इशन्दिपरयरेष ग पदितथर च सदित शवदिनरणर कशतमप। हृत्स्थर चरैतन्यपगरुषर नननर लक्ष्यसरेऽसरशियमप॥१३॥ शशिष्य उवतच सवर्श पतपहरर दिरेवर आशधव्यतशधशनवतरणमप। कशततकशततपहतरकर बपरह्म बगद्ध्यथर्शदितयकमप॥१४॥ तर नमतममो गगरुर पपरभगर शितश्वतर शितशन्तदितयकमप। यमोगर शिपरुत्वत मगखतम्बगरततप नतस्त्यगद्गततगर मनस्ततय॥१५॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर चतगदिर्शशिमोऽध्यतयय॥ पञ्चदिशिमोऽध्यतयय शशिष्य उवतचपपरणम्य परमतथर च गगरुदिरेवतशङ्घपरपङ्करमप। नमतमय पपरणतत भनत्वत सदिप पपरश्नगीकशततन्तररे॥१॥ ग र च तस्य कतयर तथतपरमप। वशण ग तत्सवर्श मशखलर सदिरैव दिनरततपतहमप॥२॥ शवदिगषतर सवर्श गण गगरुरुवतच कदित धमर्शशवहगीनर च कदित शनन्दिगककतयर्शकमप। अन्यर तदिगपदिरेशिर च कतयर सदित शवधतयकमप॥३॥ शवदतचतगदिर्शशिर ततवतप शितस्तपरसवर्श मतय परमप। पशठित्वत सवर्श वरेदिर च समतनतहतर्श भवशन्त च॥४॥ ईश्वरगगणकतयर च सदितन्कनलकतयर्शकमप। सदित सत्त्वगगणरैयर्शक्ग तर तममोररमोशवहन्तशकय॥५॥ तमरेव पगरुषर वरेदि शवद्वितनप सदिरैव करेवलमप। यर पपरतप्य नरकतय सवर धन्यत भवशन्त तत्क्षणततप॥६॥ सत्कमर्शकर सदित कतयर सदित मङ्गलशचन्तनमप। सत्पततपररे दितनशमत्यथर कतयर चञ्चलमरेव च॥७॥ स्वशपतरर तथतन्यतरश्च पगतरप कलतपरकन्यकतय। शशिक्षतसरस्कतरकर दित्त्वत पशथकप शकपरयतरेऽसतप पथततप॥८॥ पगरुषतथर्शशितर चरैव बगशदरुत्तमसम्भवत। धन्यपदितख्यसरयक्ग तर तर शवद्वितनप वरेदि सत्वरमप॥९॥ यदित सतप सत्यमरेवर च शनणर्वीतमोऽभनत प स्वयर ततय। सत्यर गशहगीत्वतऽसत्यर च त्यक्त्वत शितशन्तमवतप्नगयततप॥१०॥ सवर्श शवदतध्ययनर च सदित सतप सङ्गकमर्शकमप। शवधतनगीयर सदितकतलर शरतरेशन्दिपरयस्ततय परमप॥११॥ ग शमच्छततमप॥१२॥ कशपयत शवषयर त्यक्त्वत शिरगीरस्यतत्मरमोगकमप। पगरुषतथर्शब्लरैश्चरैव शवदतथर्शसख प स शवद्वितनप तग सदितकतलर सद्गगणर तस्य करेवलमप॥१३॥ अन्यरेषतर दिगयखसरयक्ग तय यय सदिप सगखमरेवरेच्छरे त। शशिष्य उवतच अशखलपतपमो यस्य दिशिर्शनमततपरकततप। अगत्वत मगशक्तयर्शदितयतशत तर नमतशम गगरूत्तममप॥१४॥ सवर्श शवदतशवशिपरदिर सवर्श वरेदिशरहतगपरकमप। सवर्श सङ्कल्परशहतर तर गगरर प पपरणमतम्यहमप॥१५॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर पञ्चदिशिमोऽध्यतयय॥ षमोडशिमोऽध्यतयय

शशिष्य उवतच बपरूशह गगरमो तदिरेवर च रन्ममशत्यगसशन्धक्षतमप। करेन भतवरेन पतरङ्गत जतशननय कथयन्तग मरे॥१॥ सरसतरर शवशितलर शवश्वर पतररगममोत्सगकमो रनय। शकर कमर्श करणर ततवतप शकर वत तस्य शनदितनकमप॥२॥ गगरुरुवतच शपपरयजशपपरयआवर च दिगयखरेष्वशचन्त्यमतनसय। भमो भक्टत शनगगढर तत्त्वर शिपरुत्वत ममोक्षमवतप्नमोइ॥३॥ सनयर्शस्वशिशक्तसवर च दित्त्वत पशथ्वगीतलरे सतमप। पनज्यफलतशदिकर पक्त्वत नतशस्त गवर्श य क्षणर परमप॥४॥ ग रैय। अन्यरेषतर शितशन्तभतवर च दिदितशत नततपर सरशियय॥५॥ तस्मततप जतशनगणतय सवर स्वशिशक्तसम्भवरै गर्शण कपरूरस्वभतवर त्यक्त्वत सदिप शस्मतयगततननमप। भनत्वत कशत्वत परर शितशन्तर दिधततग च समन्ततय॥६॥ सदिरैव भगवदिपरूपर शचन्तशयत्वतन्तररे ततय। शितन्तय सङ्कल्पसन्त्यतगय सवर्श कतयर्शशवधतयकय॥७॥ परमोपकतरकतयर च शिश्वतप शनशश्चन्तमतनसय। अशहरसतशचन्तनर ध्यरेयर करेवलर आत्मशचन्तनमप॥८॥ लगब्धशहरसतत्मकर सवर्श दितरुणर दिगयखदकमप। पररेषतमपकतरर च कदित न कग रु दिगष्करमप॥९॥ शितस्तपरतनगसतरतय सवर कमर्श कशत्वत तथतपरमप। अन्यथत दिगयखमतयतशत नतशस्त सन्दिरेहमततपरकमप॥१०॥ मतयतममोहर पशरत्यज्य इशन्दिपरयशरतमो भवन्तग अ। स्वरेष्टशचन्तत करणगीयत सदितसगौभतगयवशदर्शतत॥११॥ बदपद्मतसनर कशत्वत नतसतगपररे नयनर ततय। दित्त्वतभगीष्टफलतथतर्श य गगरुपपरदित्तमक्षरमप॥१२॥ रपनप घशततशदिकर ततवतप रगहमोतग कशष्णमण्डलरे। नननर पनणर्शत्वमतप्नमोशत पनणर्शपरप तणत भवशन्त च॥१३॥ शिगदस्फशटकमतलतर च धशत्वतस्वकरपल्लवरे। शतपरकनटतन्तगर्शतर दिरेवर शचन्तशयत्वत क्षणर ततय॥१४॥ यततपरतयतर पशथ शनदिपरतयतर यदित तदित यथत तथत। सवर्श दित भगवन्तर च शचन्तयन्तग समन्ततय॥१५॥ मततशगभतर्श त प शवशनगर्शत्य यदितलमोकर सगपश्यशत। तदितरभ्यतशतभक्त्यत च शवभगमन्तपरर रपन्तग च॥१६॥ बतल्यपगौगण्डगरेहस्थर व्नपपरस्थतन्तकर ततय। सवर्श दित स्र्वदित चरैव तस्य मन्तपर शवधगीयतरे॥१७॥ अधगनरैव रनतय सवर यदित वशदत्वर गच्छशत। तदित स्वहस्तकम्परेन धमर्शगतनर पपरकग वर्श शन्त॥१८॥ गगरुपपरदित्तमन्तपरर च यदित शशिशक्षतत गच्छशत। तदितधमर गपरहगीतव्यर नननर नतस्त्यतपर सरशियय॥१९॥ शशिष्यत उचगय हृदियतभ्यन्तरस्थर चषट्चकपरशस्थरकतरकमप। सवर्श गर सवर्श शितस्तपरजर तर गगरुर पपरणमतम्यहमप॥२०॥ ॥इशत शिपरगीमदिरूपगगीततयतर षमोडशिमोऽध्यतयय॥ समतप्तमोऽयर गपरन्थय

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