बालक और समाज
September 1, 2017 | Author: Omprakash kashyap | Category: N/A
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समस्या यह है कि जिसे हम सीखना कहते हैं, वह स्थापित मान्यताओं, रीति-रिवाजों, विभिन्न ज्ञान-शैलियों का बोध तथा उसके प्रति ...
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आलेख
ओमपकरश कशकप
बरलक और समरज
कोई भी समाज चाहे जजतना उदार हो, वह हमेशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ा चाहता ह चाहता है कि भविषक भविष्य कवष्य के कि भविष्य के नागरिक के ररक के रूप ममें बालक स ाविष्य कपत मान् कि भविष्यताओं यताओं को समझे,े, उनका पालन करे. उसक- आचार-सयताओंकि भविषहता, र/0तरिक के ररवाज1 को अपनाए त ा त कि भविष्यशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ए तथा तयशुदा म कि भविष्यायशुदा मर्यादाओं यताओं ममें रहकर व्यवहार कर कि भविष्यवहार करे. कि भविष्यह न तो अनए तथा तयशु0चत ह चाहता है न
ह/ असवाभाविष्य कवक. आजखर समाज कि भविषकसी एक व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति कि भविष्या एक कि भविषदन क- रचना तो नह/यताओं ! उसको बनने ममें स चाहता हैकड़ों1 वर्ष यशुदा मर्या लग जाते हज. हजार1 लोग उसक- विष्य कवकासमान अवस ा को बनाए रखने के
0लए जजममेदार होते हज. जबकि भविषक लाख1-करोड़ों1 व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति उसक- आचारसयताओंकि भविषहता जजसे प्रायः पंरपा कि भविष्यिता जिसे प्रायः पयताओंरपरा अ वा र/0त-रिक के ररवाज कहा जाता ह चाहता है, से जए तथा तयशुड़ोंे हो सकते हज. कि भविष्यह डर भी अन् कि भविष्य ा नह/यताओं ह चाहता है कि भविषक समाज
कि भविष्यकि भविषद अपने प्रायः पंरपत कि भविष्येक नागरिक के ररक को त कि भविष्यशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ए तथा तयशुदा 0न कि भविष्यम1, म कि भविष्यायशुदा मर्यादाओं यताओं के पालन से छपट देने लगे तो उसका मपलभपत ढायताओंचा ह/ चरमरा जाएगा. सE कि भविष्यता और सयताओंसका और संस्कृ0त के तब कोई मा कि भविष्यने ह/ नह/यताओं
रहमेंगे. बालक को कि भविष्यह छपट न कि भविषदए जाने के सयताओंबयताओंध ममें एक तकयशुदा मर्या कि भविष्यह भी हो सकता ह चाहता है कि भविषक उसे
समाज के बारे ममें बहए तथा तयशुत-कए तथा तयशुछ सीखना-समझे,ना होता ह चाहता है. कि भविषकसी परयताओंपरा कि भविष्या र/0त-रिक के ररवाज क-
अयताओंत0नयशुदा मर्याकि भविषहत विष्य कवशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ेर्ष ताओं यताओं, उसक- खपविष्य कब कि भविष्य1-खा0म कि भविष्य1 को समझे,ने के बाद ह/ उसक- आलोचनासमीIा करना न् कि भविष्या कि भविष्यसयताओंगत माना जाता ह चाहता है. तदनए तथा तयशुसार बालक से अपेIा होती ह चाहता है कि भविषक सव कि भविष्ययताओं को
कि भविष्योग् कि भविष्य 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ष्य के कि भविष्य दशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ायशुदा मर्याते हए तथा तयशुए उससे जजतना बन पड़ोंे , गए तथा तयशुर-समाज से ग्रहण करे. समाज का कि भविषद कि भविष्या लौटाने को तो उम्र पड़ों/ ह चाहता है.
सए तथा तयशुनने ममें कि भविष्यह बहए तथा तयशुत तकयशुदा मर्यासयताओंगत और आदशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप यशुदा मर्या प्रायः पंरपतीत होता ह चाहता है . समस कि भविष्या कि भविष्यह ह चाहता है कि भविषक जजसे हम
सीखना कहते हज, वह स ाविष्य कपत मान् कि भविष्यताओं यताओं, र/0त-रिक के ररवाज1, विष्य कव0भन्न ज्ञान-शैान-शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप चाहता है0ल कि भविष्य1 का बोध त ा उसके प्रायः पंरप0त अनए तथा तयशुकपलन ह चाहता है. औपचारिक के ररक 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा का अ0धकायताओंशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप विष्य कवद्यार्थी ा कांश विद्यार्थी को समाज अ वा समाज1
क- सE कि भविष्यता, सायताओंसका और संस्कृ0तक विष्य कवशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ेर्ष ताओं यताओं, उपलजSध कि भविष्य1 से परचाने पर खचयशुदा मर्या होता ह चाहता है , उसममें बालक के मौ0लक विष्य कवकास क- बहए तथा तयशुत कम सयताओंभावना होती ह चाहता है . प्रायः पंरपकट ममें हर समाज मौ0लक ज्ञान-शैान को बढ़ावा देने कीावा
देने क- बात करता ह चाहता है. इसके 0न0मत्त भार/-भरकम तामझे,ाम भी रचता ह चाहता है, मगर तब उसका
आ कि भविष्योजन एकपIी कि भविष्य होता ह चाहता है. उसक- खास सए तथा तयशुविष्य कवधाएयताओं अ0भजन-वगयशुदा मर्या से आगे बढ़ावा देने की ह/ नह/यताओं पातीयताओं . 0नणायशुदा मर्या कि भविष्यक पद1 पर विष्य कवराजजत अ0भजन समाज के बहए तथा तयशु सयताओंख्यक वर्ग कि भविष्यक वगयशुदा मर्या को बहए तथा तयशुत आसानी से छोटे छोटे गए तथा तयशुट1 ममें बायताओंट देते हज. इतने छोटे कि भविषक सयताओंख्यक वर्ग कि भविष्याबल ममें कह/यताओं अ0धक होने के बाबजपद जनसाधारण सव कि भविष्ययताओं को शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप विष्य की एक व्यक्ति-विष्य कवह/न मान लेता ह चाहता है. कि भविष्यह/ विष्य कवXास उसको समझे,ौतावाद/ बनाए
रखता ह चाहता है. 0नणायशुदा मर्या कि भविष्यक पद1 पर विष्य कवराजमान अ0भजन वगयशुदा मर्या समाज क- कए तथा तयशुल पपयताओंजी एवयताओं सयताओंसाधन1 का उप कि भविष्योग अपने वगकांश विद्यार्थी कि भविष्य कि भविषहत1 क- पप0तयशुदा मर्या हेतए तथा तयशु करता ह चाहता है . बालक के सयताओंबयताओंध ममें अ0भजन मान0सकता, उसको भविष्य कवष्य के कि भविष्य का अ0भजन बनाने के प्रायः पंरपलोभन के बहाने , कि भविषYलहाल 0नणयशुदा मर्या कि भविष्य प्रायः पंरपकि भविषनिर्णय प्रक्रि कि भविष्या से कि भविषकनारे कर देने क- होती ह चाहता है. पपयताओंजी आधारिक के ररत समाज1 ममें जहायताओं हर नई खोज पपयताओंजीप0त क- 0तजोर/ को
भरने के काम आती ह चाहता है, समाज, सE कि भविष्यता और सयताओंसका और संस्कृ0त के कमजोर पI1 पर चचायशुदा मर्या कि भविष्या तो कनह/यताओं जाती अ वा उसके मा कि भविष्यने इस प्रायः पंरपकार बदल कि भविषदए जाते हज कि भविषक अपनी सत्ता और पहए तथा तयशुयताओंच के
अनए तथा तयशु0चत इसतेमाल से अ0भजन वगयशुदा मर्या दारा अजजयशुदा मर्यात व चाहता हैभव-सयताओंपदा, मान-सममान आकि भविषद उसका अ0धकार मान 0लए जाते हज. अ0भजन वगयशुदा मर्या क- चालाक- से अनजान जनसमाज दरए तथा तयशु वस ा को अपनी 0न कि भविष्य0त मानने लगता ह चाहता है. कि भविष्यह आव\ कि भविष्यक नह/यताओं कि भविषक जजस चालाक- को बड़ोंे समझे, न पाएयताओं
उसको बालक एकाएक समझे, ले, लेकि भविषकन कि भविष्यकि भविषद अपनी प्रायः पंरपखर बए तथा तयशुविष्य क -चेतना से सब कए तथा तयशुछ देखता, महसपस करता हए तथा तयशुआ कोई बालक उस अवस ा ममें कि भविष्यकि भविषद कोई प्रायः पंरप0तकि भविषनिर्णय प्रक्रि कि भविष्या दजयशुदा मर्या कराना चाहे तो उसे
कि भविष्यए तथा तयशुवा होने; कम से कम उस उम्र तक इयताओंतजार करना पड़ोंता ह चाहता है , जब उसके 0नणयशुदा मर्या कि भविष्य को कानपन के दा कि भविष्यरे ममें परखा जा सके. तब तक वह परिक के ररवार त ा अन् कि भविष्यान् कि भविष्य जजममेदारिक के रर कि भविष्य1 ममें इतना गहरा Yयताओंस चए तथा तयशुका होता ह चाहता है कि भविषक समझे,ौते और समपयशुदा मर्याण से अलावा कए तथा तयशुछ सोच ह/ नह/यताओं पाता.
ज्ञान-शैान क- खोज एवयताओं सयताओंविष्य कवतरण के 0लए सव कि भविष्ययताओं को समविष्य कपयशुदा मर्यात मानने वाले आकाद0मक
सदन1 का ढायताओंचा भी इससे अलग नह/यताओं ह चाहता है. पर/Iा ममें पपछे गए प्रायः पंरपश्न के उत्तर ममें छात्र कि भविष्यकि भविषद अपनी
मजकांश विद्यार्थी से कए तथा तयशुछ 0लख आए तो उसे पास होने क- उममीद छोड़ों देनी चाकि भविषहए. बालक को ज्ञान-शैानाजयशुदा मर्यान के 0लए उतसए तथा तयशुक करने के बजा कि भविष्य वह उसके सोच एवयताओं आचरण क- कि भविषदशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ा 0नधायशुदा मर्यारिक के ररत करने पर
जोर देता ह चाहता है. 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा का काम ह चाहता है—बालक क- 0चयताओंतन-शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप विष्य की एक व्यक्ति को ऊजयशुदा मर्याजसवत करना, न कि भविषक उसको विष्य कव0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ष्ट दा कि भविष्यर1 तक सी0मत करना. इसके बावजपद बालक क- र0च के Iेत्र1 क- पहचानकर अपनी उदारता का दम भरनेवाले समाज भी 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा और सयताओंसकार के माध् कि भविष्यम से त कि भविष्यशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ए तथा तयशुदा
व्यवहार कर कि भविष्यवस ा से अनए तथा तयशुकपलन क- सीख ह/ दे पाते हज . बालक के आलोचनातमक विष्य कववेक को उभारने क- को0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप क- ह/ नह/यताओं जाती. अपनी ओं र से वह कए तथा तयशुछ मौ0लक करना चाहे तो डायताओंटकर चए तथा तयशुप
करा कि भविषद कि भविष्या जाता ह चाहता है. हयताओंसकर टाल देना समझे,दार/ कह/ जाती ह चाहता है. कि भविष्यह मनोव चाहता हैज्ञान-शैा0नक सत कि भविष्य ह चाहता है कि भविषक मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य बाल कि भविष्यावस ा से लेकर कि भविषकशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ोरावस ा तक सवायशुदा मर्या0धक सचेतन, सयताओंवेदनशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ील, जजज्ञान-शैासए तथा तयशु एवयताओं मौ0लक होता ह चाहता है. अपने आसपास के परिक के ररवेशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप को समझे,ने क- उसक- जजज्ञान-शैासा इस अवस ा ममें
चरम पर होती ह चाहता है. उसका जजतना उप कि भविष्योग ज्ञान-शैानाजयशुदा मर्यान और ज्ञान-शैान क- विष्य कव0भन्न प 0त कि भविष्य1 को
0सखाने, सयताओंवारने, बालमन क- कमजोरिक के रर कि भविष्य1 को सामने लाने ममें कि भविषक कि भविष्या जा सके , उतना ह/ लोककि भविषहत ममें ह चाहता है. अब इसे हम अतीत के प्रायः पंरप0त अपना अ0तरेक- सममोहन कहमें अ वा नएपन को
अपनाने का डर, जो परयताओंपरा के माध् कि भविष्यम से प्रायः पंरपाप्त सए तथा तयशुविष्य कवधाओं यताओं , उन सए तथा तयशुविष्य कवधाओं यताओं के 0छन जाने के भ कि भविष्य से जन्मते हज, जो हमार/ अपनी कि भविष्योग् कि भविष्यता, कौशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ल के बजा कि भविष्य विष्य कवरासत ममें प्रायः पंरपाप्त हए तथा तयशुई हज—हम बालक को स ाविष्य कपत परयताओंपराओं यताओं एवयताओं सयताओंसका और संस्कृ0त के मानक1 से जोड़ोंे रखने ममें ह/ अपनी भलाई
समझे,ते हज. मामपली विष्य कवचलन पर हमार/ धड़ोंकनमें बढ़ावा देने की जाती हज . कि भविष्यह भपल जाते हज कि भविषक जीवन केवल सामाजजक, सायताओंसका और संस्कृ0तक मानक1 दारा अनए तथा तयशुशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ा0सत नह/यताओं होता. वह समाज क- भौ0तक
सयताओंपदा, उतपादन त ा उपभोग से भी 0न कि भविष्ययताओंविष्य कत्रत होता ह चाहता है . बालक घर से बाहर जाता ह चाहता है तो परयताओंपरा एवयताओं सयताओंसका और संस्कृ0त उसके मनस ् पर सवार होते हज, जबकि भविषक भौ0तक सए तथा तयशुविष्य कवधाएयताओं त ा अन् कि भविष्य प्रायः पंरपलोभन आयताओंख1 के सामने. उनका आकर्ष यशुदा मर्याण इतना जबरदसत होता ह चाहता है कि भविषक व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति अपने
मनोभाव1 क- उपेIा करके भी उनममें डपब जाना चाहता ह चाहता है . सामाजजक-सायताओंसका और संस्कृ0तक सयताओंरIण और विष्य कवकास के नाम पर द/ गई 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा वहायताओं बहए तथा तयशुत कारगर नह/यताओं होती. सव कि भविष्ययताओं को सYलता क- दौड़ों ममें बनाए रखने के 0लए बालक चीज1 को पपर/ तरह समझे,ने के बजा कि भविष्य केवल उसका नाटक करने
लगता ह चाहता है. आरयताओं0भक सYलता बौविष्य क कता के इस छदम ् को उत्तरोत्तर विष्य कवसतार देती ह चाहता है . बाजार के
प्रायः पंरपलोभन व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति और समपह दोन1 पर लगभग एक ज चाहता हैसा प्रायः पंरपभाव डालते हज . विष्य कव0भन्न प्रायः पंरपकार के दबाव1 के बीच केवल सपचना समा और संस्कृ
होने को ज्ञान-शैानवान होना मान 0ल कि भविष्या जाता ह चाहता है . बालक के
मौ0लक सोच, समाज के सयताओंपकयशुदा मर्या ममें आने पर जन्मी मौ0लक उद्भावनाओं ावनाओं यताओं क- अक्सर अनदेखी सर अनदेखी
कर द/ जाती ह चाहता है. इस तरह समाज के लगभग एक-चौ ाई सदस कि भविष्य 0नणयशुदा मर्या कि भविष्य प्रायः पंरपकि भविषनिर्णय प्रक्रि कि भविष्या से कट जाते हज.
जजस प्रायः पंरपकार माता-विष्य कपता सयताओंतान ममें अपना भविष्य कवष्य के कि भविष्य देखते हज , समाज भी नागरिक के ररक1 ममें
अपना भविष्य कवष्य के कि भविष्य सए तथा तयशुरजIत रखने का सपना देखता ह चाहता है . लोकतायताओंविष्य कत्रक समाज1 ममें बालक को जन्म के सा
नागरिक के ररकता सयताओंबयताओंधी अ0धकार प्रायः पंरपाप्त हो जाते हज. इनममें अ0भव्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति का अ0धकार भी
सजमम0लत ह चाहता है. कि भविष्यहायताओं एक अ0तसवाभाविष्य कवक प्रायः पंरपश्न छोड़ोंा जा सकता ह चाहता है कि भविषक लोकतायताओंविष्य कत्रक समाज1 ममें
जो अ0धकार बड़ों1 को प्रायः पंरपाप्त होते हज , क्सर अनदेखी कि भविष्या उतने ह/ अ0धकार बच्चों कोच1 को भी प्रायः पंरपाप्त होते हज ? इसका तातका0लक उत्तर नकारातमक होगा. खए तथा तयशुलेपन का दावा करने वाले समाज1 ममें भी बालक के
का कि भविष्ययशुदा मर्याकार/ अ0धकार बहए तथा तयशुत सी0मत होते हज. उसक- वासतविष्य कवक अ0धकारिक के ररता 18 वर्ष यशुदा मर्या का होने तक
प्रायः पंरपतीकातमक ह/ रहती ह चाहता है. इसके पीछे तकयशुदा मर्या प्रायः पंरपा कि भविष्यिता जिसे प्रायः एक ज चाहता हैसे होते हज. उस सम कि भविष्य हम कि भविष्यह विष्य कबसार देते हज कि भविषक हमने जाने-अनजाने मौ0लक ज्ञान-शैान क- आमद के 0लए सबसे बड़ोंा और महत्त्वपूर्वपपणयशुदा मर्या दरवाजे बयताओंद कर कि भविषदए हज. कि भविष्यह qrक ह चाहता है कि भविषक बालक बौविष्य क क विष्य कवकास क- आरयताओं0भक अवस ा ममें होता
ह चाहता है. वह द0ए तथा तयशु न कि भविष्यादार/ के मामल1 ममें, विष्य कवशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ेर्ष कर उन मामल1 ममें जजन्हमें उसका समाज मान् कि भविष्यता देता
ह चाहता है, उतनी जानकार/ नह/यताओं रखता जजतनी सामान् कि भविष्यतिता जिसे प्रायः बड़ोंे रखते हज , परयताओंतए तथा तयशु कि भविष्यह भी सच ह चाहता है कि भविषक उम्र क- आरयताओं0भक अवस ा ममें वह सवायशुदा मर्या0धक मौ0लक और न चाहता है0तक होता ह चाहता है . उ0चत कि भविष्यह/ ह चाहता है कि भविषक उसकमौ0लकता का लाभ उqा कि भविष्या जाए. अपने परिक के ररवेशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप के बारे ममें बालक जो सोचता, महसपस करना
ह चाहता है, उसको अ0भव्यवहार कर कि भविष्यी एक व्यक्ति करने के 0लए उतसाकि भविषहत कि भविषक कि भविष्या जाए. इसके रासते क्सर अनदेखी कि भविष्या ह1, उनका 0नधायशुदा मर्यारण समाज अपनी परिक के ररजस 0त कि भविष्य1 के अनए तथा तयशुसार कर सकता ह चाहता है . कि भविष्यह सयताओंभव ह चाहता है कि भविषक उन अनेक
मामल1 ममें जजन्हमें द0ए तथा तयशु न कि भविष्यादार/ कहा जाता ह चाहता है, बालक क- जानकार/ अत कि भविष्यलप हो, कए तथा तयशुछ न हो तो
भी कि भविष्यह प्रायः पंरपकि भविषनिर्णय प्रक्रि कि भविष्या बालक को अपने समाज और राष्ट्र के बारे ममें सोचने , उसको जोड़ोंे रखने ममें
मददगार 0स
होगी. उसके आतमविष्य कवXास और नागरिक के ररकबोध, जजसका इन कि भविषदन1 बड़ों1 ममें भी
अभाव ह चाहता है, आशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ानए तथा तयशुकपल वा और संस्कृविष्य क
होगी. तदनयताओंतर 0छट-पए तथा तयशुट कि भविषटtपजण कि भविष्य1 के रूप ममें भी उसक- ओं र से
ज्ञान-शैान क- जो आमद होगी, वह अनपqr होगी. मगर बालक को तब तक उपेजIत रखा जाता ह चाहता है , जब तक उसक- ज्ञान-शैान-विष्य कपपासा द0ए तथा तयशु न कि भविष्यादार/ के रयताओंग ममें रयताओंगकर मयताओंद नह/यताओं पड़ों जाती.
बालक का जीवन अनए तथा तयशुशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ा0सत हो इसके 0लए जजममेदार परिक के ररवार एवयताओं समाज मानव-
व्यवहार कर कि भविष्यवहार को सयताओंसका और संस्कृ0त एवयताओं परयताओंपराओं यताओं के अनए तथा तयशुरूप बनाए रखने पर जोर देते हज . ताकि भविषक इन सयताओंस ाओं यताओं का स ाविष्य कपत ढायताओंचा I0तह/न बना रहे . उसममें कि भविषकसी प्रायः पंरपकार का विष्य कवकार उतपन्न न हो. लेकि भविषकन जजन मपल कि भविष्य1 को आधार बनाकर बालक से सयताओंसका और संस्कृ0त एवयताओं परयताओंपराओं यताओं से जए तथा तयशुड़ोंे रहने का
आग्रह कि भविषक कि भविष्या जाता ह चाहता है, उनका कि भविषकताबी आकर्ष यशुदा मर्याण कि भविष्य ा यशुदा मर्या के आगे बगलमें झे,ायताओंकता नजर आता ह चाहता है . सकपल ममें जब बालक को पता चलता ह चाहता है कि भविषक उसक- 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा के 0लए माता-विष्य कपता को मोट/ रकम का भए तथा तयशुगतान करना पड़ोंा ह चाहता है....जजन बच्चों कोच1 के माता-विष्य कपता भए तथा तयशुगतान करने ममें असम यशुदा मर्या
े, वे बच्चों कोचे
पाqशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ाला नह/यताओं आ पाए हज, अ वा जब वह घर आए क ावाचक को कमयशुदा मर्याकायताओंड के बीच-बीच ममें दान के 0लए आग्रह करते, दजIणा के वजन से पपजा का सवरूप त कि भविष्य होते देखता ह चाहता है . कि भविषYर जब वह देखता ह चाहता है कि भविषक उसका एक 0नबए तथा तयशुविष्य क यशुदा मर्या पड़ोंोसी केवल अपनी शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ानदार कोqr, बड़ों/ गाड़ों/ के कारण समाज ममें प्रायः पंरप0तविष्य कतिष्ठित ह चाहता है. पए तथा तयशुनिता जिसे प्रायः जब वह पाता ह चाहता है कि भविषक कोरा ज्ञान-शैानाजयशुदा मर्यान उसक- 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा का अभीतिष्ठि नह/यताओं
ह चाहता है. माता-विष्य कपता उसको डाॅक्टर, उसको डाॅक्सर अनदेखी टर, इयताओंजी0न कि भविष्यर कि भविष्या बड़ोंा अ0धकार/ बनाना चाहते हज, जजसके 0लए पढ़ावा देने कीाई जरूर/ ह चाहता है; कि भविष्यानी ज्ञान-शैान का उसका आ कि भविष्योजन ज्ञान-शैान के 0लए न होकर दस प र1 से सपधायशुदा मर्या ममें आगे बने रहने के 0लए ह चाहता है . और जब वह पाता ह चाहता है कि भविषक कि भविषकताब1 ममें पढ़ावा देने की/ न चाहता है0तकता भर/ बातमें
व्यवहार कर कि भविष्यवहार ममें कोई मा कि भविष्यने नह/यताओं रखतीयताओं , तब पए तथा तयशुसतक1 से उसका जी उचटने लगता ह चाहता है . जजज्ञान-शैासावा और संस्कृविष्य कत्त कमजोर पड़ों जाती ह चाहता है. पर/Iा ममें कि भविषकसी भी तरह अ0धक से अ0धक अयताओंक लाना उसका लक्ष्य बन ज कि भविष्य
बन जाता ह चाहता है. प्रायः पंरपकारायताओंतर ममें सकपल सपधायशुदा मर्या का म चाहता हैदान बन जाता ह चाहता है , पढ़ावा देने कीाई महज औपचारिक के ररकता. ज्ञान-शैान और ज्ञान-शैानाजयशुदा मर्यान के अ0तरिक के ररी एक व्यक्ति बालक ऐसे व चाहता हैकजलपक और आसान माग्पिक और आसान मार्गों क- खोज ममें जए तथा तयशुट
जाता ह चाहता है, जो उसको सपधायशुदा मर्या ममें बनाए रख सकमें. चपयताओंकि भविषक वह सव कि भविष्ययताओं को अपने ह/ ज चाहता हैसे कि भविष्यए तथा तयशुवाओं यताओं से
0घरा हए तथा तयशुआ पाता ह चाहता है, जो सव कि भविष्ययताओं सपधायशुदा मर्या ममें आगे 0नकलने को आतए तथा तयशुर हज . सपधायशुदा मर्या धीरे-धीरे प्रायः पंरप0तकि भविषदयताओंदता ममें ढलने लगती ह चाहता है. सामाजजक-सायताओंसका और संस्कृ0तक मपल कि भविष्य1, परयताओंपराओं यताओं के प्रायः पंरप0त उसका विष्य कवXास कमजोर
पड़ोंने लगता ह चाहता है. व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति सह कि भविष्योगपपणयशुदा मर्या परिक के ररवेशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ममें पपरा जीवन विष्य कबता सकता ह चाहता है , सपधायशुदा मर्या के बीच वह अ0धक लयताओंबा नह/यताओं चल पाता. आधा-अधपरा ज्ञान-शैान मन ममें आतमह/नता क- जस 0त को जन्म देता
ह चाहता है. धीरे-धीरे वह परिक के ररवार, पड़ोंोसी और 0मत्र-सयताओंबयताओं0ध कि भविष्य1 के प्रायः पंरप0त सयताओंदेह करने लगता ह चाहता है. उनसे 0नपटने के 0लए विष्य कवकलप1 क- तलाशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप करता ह चाहता है . परिक के ररणामसवरूप ज्ञान-शैान क- मौ0लक साधना से
उसका विष्य कवXास उq जाता ह चाहता है. 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा के मा कि भविष्यने केवल कि भविषडग्री प्रायः पंरपाप्त करने तक सी0मत रह जाते हज . उस अवस ा ममें धनाजयशुदा मर्यान क- ललक सामाजजक-सायताओंसका और संस्कृ0तक उपादान1 पर भार/ पड़ोंने लगती ह चाहता है . बालक उसी को अपना लक्ष्य बन ज कि भविष्य मान लेता ह चाहता है.
कि भविषकशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ोरावस ा के दौरान बालक ममें सपधायशुदा मर्या क- भावना जन्म ले लेती ह चाहता है . उसक- शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ए तथा तयशुरआत परिक के ररवार से होती ह चाहता है. पए तथा तयशुत्र परिक के ररवार ममें सव कि भविष्ययताओं को विष्य कपता का उत्तरा0धकार/ मानने लगता ह चाहता है . वह चाहता ह चाहता है कि भविषक बड़ोंे उसके 0नणयशुदा मर्या कि भविष्य का सममान करमें . लेकि भविषकन कि भविष्यकि भविषद उसको लगे कि भविषक बड़ों1 क- 0नगाह
ममें उसके 0नणयशुदा मर्या कि भविष्य का कोई मपल कि भविष्य नह/यताओं ह चाहता है. तब उसे qेस पहए तथा तयशुयताओंचती ह चाहता है . उस सम कि भविष्य उसके सामने
केवल दो रासते होते हज. कि भविष्या तो वह बड़ों1 के 0नणयशुदा मर्या कि भविष्य का सममान करते हए तथा तयशुए अपने सोच और
इच्चों कोछाओं यताओं को सी0मत रखे त ा व कि भविष्यसक होने तक बड़ों1 के मामल1 ममें रा कि भविष्य देने ममें सयताओं कि भविष्यम बरते . दस प रा कि भविष्यह कि भविषक कि भविषकसी क- भी परवाह न कर वह मनमानी करे . वह/ करे, जजसे उ0चत मानता ह चाहता है. अ0धकायताओंशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप मामल1 ममें पहली जस 0त से समझे,ौता कर 0ल कि भविष्या जाता ह चाहता है . लेकि भविषकन कि भविष्यकि भविषद वह अपने 0लए दस प रा रासता अपनाता ह चाहता है तब समाज ममें विष्य कवIोभ प चाहता हैदा होने क- सयताओंभावना बढ़ावा देने की जाती
ह चाहता है. सवयशुदा मर्याकए तथा तयशुशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ल ज चाहता हैसे हालात पहली जस 0त ममें भी नह/यताओं होते . इस0लए कि भविषक सवायशुदा मर्या0धक सकि भविषनिर्णय प्रक्रि कि भविष्य और
जागरूक मान0सक अवस ा ममें दस प र1 के 0नणयशुदा मर्या कि भविष्य पर अवलयताओंविष्य कबत बालक धीरे -धीरे अपना 0नणयशुदा मर्या कि भविष्य सामर कि भविष्ययशुदा मर्या खोने लगता ह चाहता है. सामाजजक-सायताओंसका और संस्कृ0तक एकता और समरस विष्य कवकास के 0लए कि भविषहतकर तो कि भविष्यह/ ह चाहता है कि भविषक बालक समाज, सयताओंसका और संस्कृ0त एवयताओं परयताओंपरा के आधार पर बने सयताओंबयताओंध1 को प्रायः पंरपा 0मक एवयताओं
उतपादन, उपभोग, विष्य कवपणन आकि भविषद के आधार पर 0न0मयशुदा मर्यात सयताओंबयताओंध1 को कि भविषदती कि भविष्यक माने . मगर मौ0लक सोच, आतमविष्य कवXास क- कमी के कारण ऐसा अक्सर अनदेखी सर नह/यताओं हो पाता. इससे प्रायः पंरपा 0मकताओं यताओं क- अदला-बदली होने लगती ह चाहता है त ा व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति व चाहता है कि भविष्यविष्य की एक व्यक्तिता को बढ़ावा देने कीावा देने वाले प्रायः पंरपलोलन1 का 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप कार हो जाता ह चाहता है.
अकाद0मक 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा प्रायः पंरपाचीन एवयताओं आधए तथा तयशु0नक सE कि भविष्यता के अयताओंतर को केवल समाज क- भौ0तक प्रायः पंरपग0त तक सी0मत कर देती ह चाहता है. बालक को कि भविष्यह तो बता कि भविष्या जाता ह चाहता है कि भविषक मानव-सE कि भविष्यता के दस-बारह हजार वर्ष ्पिक और आसान मार्गों ममें मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य क- भौ0तक उपलजSध कि भविष्यायताओं क्सर अनदेखी कि भविष्या हज , इस बीच विष्य कवकास क- कि भविषकतनी
लयताओंबी कि भविष्यात्रा उसने त कि भविष्य क- ह चाहता है. पर दो लाख वर्ष यशुदा मर्या पहले से लेकर बारह हजार वर्ष यशुदा मर्या पहले तक; कि भविष्यानी जब सE कि भविष्यता क- नई-नई शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ए तथा तयशुरआत हए तथा तयशुई को प्रायः पंरपका और संस्कृ0त के सा
ी, उत्तरजीविष्य कवता के 0लए मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य के आकि भविषद वयताओंशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ज1
कि भविषकतने सयताओंघर्ष यशुदा मर्या करने पड़ोंे ह1गे ? कि भविष्यह जानकार/ उसको कि भविष्या तो द/ नह/यताओं जाती
कि भविष्या उसे एक-दो वाक्सर अनदेखी कि भविष्य1 ममें समेट कि भविषद कि भविष्या जाता ह चाहता है . भविष्य कवष्य के कि भविष्य को लेकर भी हमारे समसत आकलन तकनीक और प्रायः पंरपौद्यार्थी ो0गक- कि भविष्य विष्य कवकास पर कमेंकि भविषकेंद्रित होते हज . तदनए तथा तयशुसार हम पचास-सौ वर्ष यशुदा मर्या बाद जजन
नए उपकरण1 के आविष्य कवष्य के कार क- सयताओंभावना ह चाहता है , का अनए तथा तयशुमान तो आसानी से लगा लेते हज . लेकि भविषकन इतनी अव0ध ममें समाज, सयताओंसका और संस्कृ0त और परयताओंपराओं यताओं ममें क्सर अनदेखी कि भविष्या बदलाव हो सकते हज, कि भविष्या होने चाकि भविषहए
इसे लेकर गयताओंभीर विष्य कवमशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप यशुदा मर्या न केवल बालक बजलक बड़ों1 के सतर पर भी नदारद होता ह चाहता है . हम कि भविष्यह माने रहते हज कि भविषक सयताओंसका और संस्कृ0त जड़ों अवधारणा ह चाहता है . उसका जो सवरूप आज ह चाहता है वह/ आगे पचास-सौ वर्ष यशुदा मर्या बाद भी बना रहेगा. सयताओंसका और संस्कृ0त और परयताओंपराओं यताओं के वे प्रायः पंरपतीक जो समाज क- एकजए तथा तयशुटता के
0लए जजममेदार कहे जा सकते हज, जजनके आधार पर समाज सयताओंगकि भविषqत होता आ कि भविष्या ह चाहता है, क्सर अनदेखी कि भविष्या वे
आगे भी इसी तरह बने रहमेंगे? कि भविष्यकि भविषद नह/यताओं तो उनका व चाहता हैकजलपक रूप क्सर अनदेखी कि भविष्या हो सकता ह चाहता है , इसपर हम चए तथा तयशुtपी साधे रखते हज.
जवाब ममें कहा जा सकता ह चाहता है कि भविषक कि भविष्ये 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा के ऐसे Iेत्र हज , जहायताओं मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य आज भी बहए तथा तयशुत
कम जान पा कि भविष्या ह चाहता है. उसका जजतना भी ज्ञान-शैान ह चाहता है, वह अनए तथा तयशुमानाधारिक के ररत ह चाहता है. उसको प्रायः पंरपमाजणक 0स
करने के 0लए उपलSध ऐ0तहा0सक साक्ष्य बन ज कि भविष्य बहए तथा तयशुत कम कि भविष्या अप कि भविष्यायशुदा मर्याप्त हज . कि भविष्यह सच भी ह चाहता है. तब
0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा का एक दा0 कि भविष्यतव कि भविष्यह भी ह चाहता है कि भविषक बालक को उन Iेत्र1 क- जानकार/ भी द/ जाए जहायताओं , मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्यता क- ज्ञान-शैानोपलजSध कि भविष्यायताओं अत कि भविष्यलप अ वा नगण्य हैं. सुकर कि भविष्य हज . सए तथा तयशुकरात का अपने बारे ममें कि भविष्यह कहना, ‘मए तथा तयशुझे,े अपने अज्ञान-शैान का ज्ञान-शैान ह चाहता है’ इस सयताओंबयताओंध ममें प्रायः पंरपेरक हो सकता ह चाहता है . दस प रे 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा का काम केवल
कि भविष्यह नह/यताओं होता कि भविषक वह अपनी खोज1, उपलजSध कि भविष्य1 और प्रायः पंरपग0त से बालक को परचाए, उसका कि भविष्यह कतयशुदा मर्याव्यवहार कर कि भविष्य भी होना चाकि भविषहए कि भविषक वह ज्ञान-शैान के अयताओंधकपप1 क- ओं र इशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ारा करते हए तथा तयशु ए बालक को उसक- 0नष्य के पविष्य कत्त के 0लए प्रायः पंरपवा और संस्कृत्त करे. उसक- प्रायः पंरपश्नाकए तथा तयशुलता को विष्य कवसतार दे. बालक अपने और
समाज के अज्ञान-शैान के बारे ममें भी जाने , कि भविष्यह व्यवहार कर कि भविष्यवस ा भी कि भविषकसी न कि भविषकसी रूप ममें होनी चाकि भविषहए. इसका अभाव सयताओंसका और संस्कृ0त और भौ0तक प्रायः पंरपग0त के बीच लयताओंबी सयताओंवादह/नता के रूप ममें सामने आता ह चाहता है.
भौ0तक सए तथा तयशुख-सए तथा तयशुविष्य कवधाओं यताओं के सा
असए तथा तयशुरIा एवयताओं अस ा0 कि भविष्यतव क- भावना गहरे तक जए तथा तयशुड़ों/
होती ह चाहता है, इस0लए सए तथा तयशुरIा और स ा0 कि भविष्यतव क- चाहत ममें व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति समाज और सयताओंसका और संस्कृ0त से जए तथा तयशुड़ोंा
रहना चाहता ह चाहता है. जो सव कि भविष्ययताओं परिक के ररवतयशुदा मर्यान क- परयताओंपरा से कटे हए तथा तयशुए होते हज . ज्ञान-शैान क- मौ0लक साधना
से कटे समाज आतमविष्य कवXास क- कमी के 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप कार होते हज . वे पपयताओंजीवाद/ हमल1 को झे,ेल पाने ममें असम यशुदा मर्या होते हज. इस0लए वे कि भविष्या तो उसके आकर्ष यशुदा मर्याण ममें बहने लगते हज अ वा उसको अपने 0लए
हा0नकारक मानकर उससे कि भविषकनारा कर लेते हज. कई बार ऊहापोह और असमयताओंजस क- जस 0त बन जाती ह चाहता है. ऐसे हालात ममें समाज ममें कि भविष्यकि भविषद बदलाव आता भी ह चाहता है तो मात्र नवीन प्रायः पंरपौद्यार्थी ो0गक- के अनए तथा तयशुप्रायः पंरप कि भविष्योग को लेकर. वे इसी से सयताओंतए तथा तयशुष्ट होकर बाजार के हा 1 का जखलौना बने रहते हज.
इस समस कि भविष्या का समाधान क्सर अनदेखी कि भविष्या हो? सयताओंसका और संस्कृ0त क- ग0तशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ीलता को बनाकर क चाहता हैसे रखा
जाए? बालक क- कोमलता, 0न\छलता, न चाहता है0तकता और सहृद कि भविष्यता का लोककि भविषहत ममें लाभ क चाहता हैसे उqा कि भविष्या जाए? क्सर अनदेखी कि भविष्या कोई ऐसा रासता भी सयताओंभव ह चाहता है जजसपर चलकर सयताओंसका और संस्कृ0त और सE कि भविष्यता क-
ग0तशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ीलता के अयताओंतर को पाटा जा सकता ह चाहता है ? ऐसा क चाहता हैसे सयताओंभव हो कि भविषक सयताओंसका और संस्कृ0त सE कि भविष्यता कअनए तथा तयशुगामी न होकर सहगामी बन जाए! परिक के ररवतयशुदा मर्यान-प्रायः पंरपवाह अकजलपत और आकजसमक न होकर
आकजलपत हो! इसके 0लए आव\ कि भविष्यक ह चाहता है कि भविषक बालक अपने भविष्य कवष्य के कि भविष्य के प्रायः पंरप0त आXसत रहे . उसके मन ममें डर और अकेलेपन ज चाहता हैसे मनोभाव पनपने न पाएयताओं . 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्तितव 0नमायशुदा मर्याण और बौविष्य क क
उqान दोन1 को एकसमान, एक सा
महत्त्वपूर्व दे. ज्ञान-शैानाजयशुदा मर्यान आस ावाद/ दरए तथा तयशु ाग्रह1 से पपर/ तरह
मए तथा तयशुी एक व्यक्ति हो. बालक क- परवरिक के ररशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप विष्य कवX नागरिक के ररक क- तरह हो. ‘ज्ञान-शैान सत कि भविष्य ह चाहता है और सत कि भविष्य आतमा क-
आव\ कि भविष्यकता’— आइयताओंसटाइन के कि भविष्ये शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Sद उसके मन-मजसतष्य के क ममें उतर जाने चाकि भविषहए. लेकि भविषकन ज्ञान-शैानवान होने का अ यशुदा मर्या कि भविष्यह नह/यताओं ह चाहता है कि भविषक व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति विष्य कव0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ष्टताबोध का 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप कार होकर रह जाए. खए तथा तयशुद को बाक- लोग1 से ऊपर समझे,ने लगे और केवल अपनी सए तथा तयशुख -सए तथा तयशुविष्य कवधाओं यताओं को जीवन क- 0सविष्य क
मान ब चाहता हैqे. उसको जानना चाकि भविषहए कि भविषक अकेले व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति का न तो कोई वतयशुदा मर्यामान ह चाहता है , न भविष्य कवष्य के कि भविष्य. अहयताओंकार हो कि भविष्या प्रायः पंरपेम, सौहादयशुदा मर्या हो अ वा ईष्य के कि भविष्यायशुदा मर्या, मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य को अपने मनोभाव1 के प्रायः पंरपदशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप यशुदा मर्यान के 0लए दस प र1 क- जरूरत पड़ोंती ह/ ह चाहता है.
मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य ने अभी तक जो अजजयशुदा मर्यात कि भविषक कि भविष्या ह चाहता है , वह उन महापए तथा तयशुरर्ष 1 क- देन ह चाहता है जो लोककि भविषहत
को व्यवहार कर कि भविष्यविष्य की एक व्यक्ति-सए तथा तयशुख से बड़ोंा मानते
े. मानवजीवन क- सए तथा तयशुखम कि भविष्य बनाने के 0लए जजन्ह1ने अपने
सए तथा तयशुख, सममान क- कभी परवाह न क-, बजलक अक्सर अनदेखी सर उसक- उपेIा ह/ करते रहे . अतिता जिसे प्रायः जरूर/ ह चाहता है कि भविषक ज्ञान-शैान का आ कि भविष्योजन, प्रायः पंरपदशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप यशुदा मर्यान सवयशुदा मर्याकल कि भविष्याण के 0लए हो. बग चाहता हैर समानताबोध के कि भविष्यह सयताओंभव
नह/यताओं. इस0लए बालक को समझे,ा कि भविष्या जाना चाकि भविषहए कि भविषक, ‘सब आयताओंखमें मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य के विष्य कवचार1 तक पहए तथा तयशुयताओंचने के दार हज ....न तो मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य जा0त का अ0धकायताओंशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप भाग अपनी पीq पर काकि भविषq कि भविष्यायताओं कसबा कर उतपन्न हए तथा तयशुआ ह चाहता है; और न कए तथा तयशुछ
ोड़ोंे से विष्य कवशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ेर्ष ा0धकार प्रायः पंरपाप्त लोग ईXर क- द कि भविष्या से बपट पहने
और एड़ों लगाए ह/ उतपन्न हए तथा तयशुए हज कि भविषक वे उन लोग1 पर तए तथा तयशुरयताओंत सवार/ गायताओंq सकमें .’ ( ामस ज चाहता हैYसयशुदा मर्यान). सत्ता का चरिक के ररत्र सद चाहता हैव अलपसयताओंख्यक वर्ग कि भविष्यकवाद/ होता ह चाहता है. उसपर विष्य कवराजमान लोग सद चाहता हैव इस
प्रायः पंरप कि भविष्यत्न ममें रहते हज कि भविषक 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप खर पर कम से कम लोग1 क- भागीदार/ रहे . सत्ता के चरिक के ररत्र को बालक उससे अनए तथा तयशुकपलन करके नह/यताओं सीख सकता. कि भविष्यह तभी सयताओंभव ह चाहता है, जब उसममें प कि भविष्यायशुदा मर्याप्त आलोचना-विष्य कववेक हो.
बालक के सयताओंपपणयशुदा मर्या विष्य कवकास के 0लए आव\ कि भविष्यक ह चाहता है कि भविषक समाज उसके मौ0लक विष्य कवकास को बढ़ावा देने कीावा दे. उसममें समाज को समझे,ने और बरतने क- कि भविष्योग् कि भविष्यता सवतिता जिसे प्रायः विष्य कवक0सत होने दे . ताकि भविषक वह अवसर पड़ोंने पर वह उनपर उqने सवाल1 पर ताकि भविषकयशुदा मर्याक प्रायः पंरप0तकि भविषनिर्णय प्रक्रि कि भविष्या दे सके . उसे उसकसीमाओं यताओं और Iमताओं यताओं से सा -सा
परिक के रर0चत कराए. उनका अ0धकतम इसतेमाल करने क-
प्रायः पंरपेरणा दे. बालक समाज एवयताओं सयताओंसका और संस्कृ0त क- उप कि भविष्यो0गता पर उqनेवाले प्रायः पंरपश्न1 का उत्तर देने ममें सव कि भविष्ययताओं को असम यशुदा मर्या पाता ह चाहता है कि भविष्या उस सम कि भविष्य अपने भीतर ग्ला0न, आतमविष्य कवXास क- कमी कि भविष्या कए तथा तयशुयताओंqा का
अनए तथा तयशुभव करता ह चाहता है, तो वह कि भविषदती कि भविष्यक सयताओंबयताओंध1 को ह/ प्रायः पंरपा 0मक समझे,ने लगेगा. ज चाहता हैसा कि भविषक इन कि भविषदन1 हो रहा ह चाहता है. इस0लए उसे समझे,ाए कि भविषक उसक- तरह समाज भी विष्य कवकासमान अवस ा ममें ह चाहता है . सE कि भविष्यता, सयताओंसका और संस्कृ0त कि भविष्या परयताओंपराओं यताओं का कोई भी विष्य कवधान ऐसा नह/यताओं जजसक- समीIा न हो सके . सोच को पपवायशुदा मर्याग्रह-मए तथा तयशुी एक व्यक्ति रखने के 0लए उसको समझे,ा कि भविष्या जाए कि भविषक धमयशुदा मर्या एक कए तथा तयशुकि भविषटल राजनी0त ह चाहता है ,
जजसममें सत्ता का हा0सल करने का सपना अगले जन्म तक टाल कि भविषद कि भविष्या जाता ह चाहता है . कि भविष्यह भी कि भविषक न चाहता है0तकता धमयशुदा मर्या क- चेर/ नह/यताओं ह चाहता है. वह मानवता का लक्ष्य बन ज कि भविष्य ह चाहता है. धमयशुदा मर्या तो उसका लIण मात्र ह चाहता है.
उप कि भविष्यए तथा तयशुी एक व्यक्ति अवसर पर बालक को कि भविष्यह भी बताएयताओं कि भविषक धरती पर कोई भी वसतए तथा तयशु ऐसी नह/यताओं ह चाहता है
जो मनए तथा तयशुष्य के कि भविष्य के 0लए 0नविष्य कर्ष
हो. मगर उसका कि भविष्यह अ0धकार दस प र1 के अ0धकार क- सए तथा तयशुरIा ममें ह/
सयताओंभव ह चाहता है. हम कि भविष्यकि भविषद कोई वा और संस्कृI लगाते हज, तभी हममें Yल खाने का अ0धकार ह चाहता है. दस प र1 के श्रम
पर जीना, कि भविषकसी भी तरह परावलयताओंबी होना मानवी गरिक के ररमा के प्रायः पंरप0तकपल ह चाहता है . बालक जब खए तथा तयशुद को समझे, लेगा तो समाज को भी समझे, लेगा. तब उसक- प्रायः पंरप0तकि भविषनिर्णय प्रक्रि कि भविष्या सकारातमक होगी. तभी वह अपने विष्य कववेक का अ0धकतम उप कि भविष्योग कर सकेगा. समाज आज जजस प्रायः पंरपकार भ कि भविष्य, कए तथा तयशुयताओंqा, न चाहता हैरा\ कि भविष्य, हताशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ा, नकारातमक सोच त ा सायताओंसका और संस्कृ0तक अपसयताओंसकरण से त्रसत ह चाहता है , उसके 0नदान का रासता
भी सवतिता जिसे प्रायः खए तथा तयशुलता जाएगा. लेकि भविषकन बालक क- 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iा अकेले उसका विष्य कवर्ष कि भविष्य नह/यताओं ह चाहता है . वह हम बड़ों1 से भी जए तथा तयशुड़ोंा ह चाहता है. इस0लए जो हम बालक से चाहते हज , जजस रूप ममें उसको ढालना चाहते हज,
भविष्य कवष्य के कि भविष्य ममें जजस तरह के समाज क- कलपना करते हज , उसके 0लए क्सर अनदेखी कि भविष्या हम सव कि भविष्ययताओं त चाहता है कि भविष्यार हज ? कि भविष्यह/ वह पहेली ह चाहता है, जजसममें बालक और समाज दोन1 का भविष्य कवष्य के कि भविष्य 0छपा ह चाहता है . जजसके रहस कि भविष्य को बपझे,ना आज के समाजविष्य कवज्ञान-शैा0न कि भविष्य1 और 0शा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप Iाशा चाहता है कि भविष्य के नागरिक के रूप ाज्षाशास्त्रि कि भविष्य1 के 0लए सबसे बड़ों/ चए तथा तयशुनौती ह चाहता है .
© ओमपकरश कशकप
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