शनिवार के निि चौराहे पर से कुछ निटटी लेकर आयें . इस कायय को करते हुए कोई उसे टोके िहीीं . निटटी को सरसोीं के तेल िें गुींथे .गुथे निटटी से
पुरुषाकार िूनतय बिायें . ये काि भी शनिवार को या
रात िें करें . िूनतय २० से ३० सेंटीिीटर की होिी चानहए . बिी िूनतय तो ताम्बे की परात िें रखकर स्थानपत कर िें . िूरत वाले बतयि को एक अलग सी जगह िें रख लें . इसकी रोज़ पूजा करिी होगी.
सामग्री
:
लोबाि ,
लाल चन्दि या लाल नसन्िू र का टीका , सुरिा
विवि
सरसोीं तेल की िीपक , िीला या काला फूल , धुप , ,
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: पहले मूवति पर तेल चढ़ाएं , तेल से नहलाने के बाद टीका एिेम सुरमा
लगायें . काला वतल डालें , काले नीले फूल चढ़ाएं . िुप लोबान जलाएं ,. दीपक जलाएं . दीपक पर काले वटल और अक्षत
फेंके . उसके बाद मीठे तेल में बने पुओ ं का
भोग लगाकर तेल की बत्ती से आरती उतार दें . मूवति से अपनी इवक्षत कामना करें .ताम्बे के बतिन में मूवति पे चढ़ाये तेल में कुछ आटा वमलाकर रोटी बनाकर भैंस को खिला दें .
रोटी गुर वमले चने
की या बेसन की हो उसमे चढे हुए तेल को आटा में वमलाया जा सकता है . फूल आक या ितूरे का हो तो अच्छा.
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