CBSE Board Sample Paper (Hindi-B)-2017-18 For Class-X

May 11, 2018 | Author: Nilesh Gupta | Category: N/A
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Description

Sample Paper Class-X Hindi-B 2017-18

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प्रतिदर्श प्रश्न पत्र (2017-2018) हिन्दी ब निर्धारित समय 3 घंटे

कक्षा दसव ीं

अधर्कतम अंकः80

सधमधन्य निर्दे श 

इस प्रश्ि पत्र में चधि खंड हैं – क, ख, ग औि घ।



चधिों खंडों के प्रश्िों के उत्ति र्दे िध अनिवधया हैं।



यथधसंभव प्रत्येक खंड के प्रश्िों के उत्ति क्रमशः र्दीजिए। खींड – ‘क’

अींक-15

अपहिि अींर् 1

निम्िलिखखत गदयधंश को ध्यधिपूवक ा पढ़कि दर्दए गए प्रश्िों के उत्ति लिखखए-

संस्कृत में एक कहधवत है कक र्दि ा र्दस ु ि ू िों के िधई के समधि मधमूिी र्दोषों को पहधड़

के समधि बड़ध बिधकि र्दे खतध है औि अपिे पहधड़ के समधि बड़े पधपों को र्दे खते हुए भी िहीं र्दे खतध। सज्िि यध महधत्मध ठीक इससे ववपिीत होते हैं। उिकध ध्यधि र्दस ू िों की बिधय केवि अपिे र्दोषों पि िधतध है । अधर्कधंश व्यजततयों में कोई ि कोई बुिधई अवश्य होती है । कोई भी बिु धई ि होिे पि व्यजतत र्दे वतध की कोदट में आ िधतध है । मिष्ु य को अपिी बिु धइयों को र्दिू कििे कध प्रयत्ि कििध चधदहए, ि कक र्दस ू िों की

कलमयों को िेकि छींटधकशी कििे यध टीकध दटप्पणी कििे कध। अपिे मि की पिख मि को पववत्र कििे कध सबसे उत्तम सधर्ि है । आत्मनििीक्षण आत्मध की उन्िनत कध सवाश्रेष्ठ मधगा है । महधत्मध कबीि िे कहध है कक िब मैिे मि की पड़तधि की तो मझ ु े अपिे िैसध बिु ध कोई ि लमिध। महधत्मध गधाँर्ी िे कई बधि स्पष्ट रूप से कहध थध कक मैिे िीवि में दहमधिय िैसी

बड़ी भूि की है । अपिी भूिों को ध्यधि र्दे िध यध उन्हे

स्वीकधि कििध आत्मबि कध धचह्ि है । िो िोग र्दस ू िों के सधमिे अपिी भूि िहीं मधिते औि ि ही अपिे को र्दोषी स्वीकधि किते है , वे सबसे बड़े कधयि है । जििकध अंतःकिण शीशे के समधि उििध है , उसे झठ अपिी

भूि महसूस हो िधती है । मि

तो र्दपाण है । मि में पधप है तो िग में पधप दर्दखधई र्दे तध है । पववत्र आचिण वधिे

अपिे मि को र्दे खते हैं तो उन्हे िगतध है कक अभी इसमें कोई कमी िह गई है।

9

इसलिए वे अपिे को बुिध कहते हैं। यही उिकी िम्रतध व सधर्िध है । (i)

र्दि ा ु ि

व सज्िि व्यजतत अपिी ककस चधरित्रत्रक ववशेषतध के कधिण लभन्ि कहिधते

2

हैं? (ii)

उन्िनत कध सवाश्रेष्ठ मधगा ककसे व तयों मधिध गयध है ?

2

(iii)

सबसे बड़ध कधयि कौि है ?

2

(iv)

सज्िि व्यजततयों की िम्रतध कध परिचय ककस प्रकधि लमितध है ?

(v)

उपिोतत गदयधंश कध उपयुतत शीषाक लिखखए?

2 1

2

निम्िलिखखत कधव्यधंश को ध्यधिपूवक ा पढकि पूछे गए प्रश्िों के उत्ति लिखखएः-

2X3=6

िो िहीं हो सके पूणा कधम मै उिको कितध हूाँ प्रणधम।

कुछ कंु दठत औ कुछ िक्ष्य भ्रष्ठ जििके अलभमंत्रत्रत तीि

हुए; िण की समधजप्त से पहिे िो वीि रितत तूणीि हुए उिको प्रणधम। िो छोटी सी िैयध िेकि उतिे कििे को उर्दधधर् – पधि; मि की मि में हो िही, स्वयं हो गए उसी में नििधकधि उिको प्रणधम। िो उच्च लशखि की औि बढ़े िह िह िव-िव उत्सधह भिे । पि कुछ िे िे िी दहम समधधर्; कुछ असफि ही िीचे उतिे उिको प्रणधम। कृतकृत्य िहीं िो हो पधए, प्रत्युत फधाँसी पि गए झूि कुछ ही दर्दि

बीते है , कफि भी यह र्दनु ियध जििको गई भूि ! उिको प्रणधम।

(i)

कवव ककिको प्रणधम कितध है व तयों ?

2

(ii)

‘छोटी सी िैयध से कवव कध आशय है औि उिकध तयध हश्र हुआ ?

2

(iii)

कृतकृत्य कौि िहीं हो पधए? र्दनु ियध िे उिके सधथ तयध व्यवहधि ककयध ? खींड – ख

2 अंक 15

(व्याविारिक व्याकिण) 3 क) ख) (i) (ii) (iii)

शब्र्द औि पर्द में उर्दधिहण सदहत अंति स्पष्ट कीजिए।

2

िीचे लिखे वधतयों कध निर्दे शधिुसधि िचिध के आर्धि पि वधतय रूपधंतिण कीजिए।

3

वह आए तो तम ु नछप िधिध। (सिि वधतय)

गौिव िे अक्षय से िेपधि चििे के लिए कहध (लमश्र वधतय) वह पढ़धई के सधथ-सधथ कधम भी कितध है (संयुतत वधतय)

4. (क) निम्िलिखखत शब्र्दों कध सधमधलसक पर्द बिधकि समधस के भेर्द कध िधम भी लिखखए

ख)

किध में कुशि, जितिध संभव हो

2

निम्िलिखखत समस्त पर्दों कध समधस ववग्रह किके समधस के भेर्द कध िधम लिखखए। संसधि सधगि, सतसई

5. क) (i)

निम्िलिखखत वधतयों को शद ु र् किके लिखखए

4

मुझे एक र्दर् ू कध गिम धगिधस र्दीजिए

(ii)

सधिे र्दे श के िधगरिक कताव्य निष्ठ है

(iii)

िोगी मोहि को कधटकि सेब खखिधओ

(iv)

शहीर्दों कध र्दे श सर्दध आभधिी िहे गध।

ख) (i)

2

रितत स्थधि की पनू ता उधचत मह ु धविे दवधिध कीजिए।

1

िब तक मिष्ु य पि जिम्मेर्दधिी िहीं आती तब तक उसे ___________पतध िहीं चितध। (ii)

‘एक ही िधग अिधपिध’ – मुहधविे कध अथा लिखकि वधतय में प्रयुतत कीजिए

1

खींड – ग

6 (i)

निम्िलिखखत प्रश्िों के उत्ति

र्दीजिए

2+2+1=5

गधाँर्ी िी में िेतत्ृ व की अर्दभुत क्षमतध थी। पधठ धगन्िी कध सोिध के आर्धि पि स्पष्ट कीजिए।

(ii)

धगिधगट कहधिी समधि की ककि ववसंगनतयों की ओि इशधिध किती है ?

(iii)

समद्र ु ककिधिे बैठे हुए ताँतधिध की तंद्रध कैसे टूटी?

7

बड़े भधई सधहब कध चरित्र धचत्रण लिखखए अथवध

5

विीि अिी की चधरित्रत्रक ववशेषतधओं कध वणाि कीजिए 8 (i)

निम्िलिखखत प्रश्िों के उत्ति र्दीजिए

(ii)

सुलमत्रधिंर्दि पंत िी कल्पिध के सुकुमधि कवव है - स्पष्ट कीजिए।

(iii) 9

‘िगतु तपोवि सौ ककए’ र्दोहे के मधध्यम से कवव तयध कहिध चधहते है ?

2 2

कवव सहधयक ि लमििे पि तयध प्रधथािध कितध है ?

1

मिुष्यतध कववतध के मधध्यम से कवव तयध संर्देश र्दे िध चधहते हैं?

5

अथवध

10

कि चिे हम कफर्दध गीत में गीतकधि िे िवयुवकों को तयध संर्देश दर्दयध है ?

समधि में रिश्तों की तयध अहलमयत है ? हरिहि कधकध पधठ के आर्धि पि बतधइए अथवध ‘लमत्रतध औि आत्मीयतध िधनत व भधषध के बर्िों से पिे होते है ’ – टोपी शुतिध पधठ

5

के आर्धि पि अपिे ववचधि व्यतत कीजिए। खींड़ घ (लेखन) 11 क)

निम्िलिखखत में से ककसी एक ववषय पि 80 से 100 शब्र्दों में अिच् ु छे र्द लिखखए-

5

आि कध युवध संसधि – यव ु धओँ में अर्दम्य सधहस व शजतत, िधगरूकतध, र्दे श के प्रनत प्रेम

ख)

संयुतत परिवधि – आि की आवश्यकतध – युवध पीढ़ी को रिश्तों कध ज्ञधि, लमि-िुि कि िहिे की भधविध, अच्छे संस्कधिों कध ग्रहण, बुिुगों की उपजस्थनत व महत्तध,

ग)

अकेिपि से मुजतत

स्विोिगधि-प्रगनत की ओि – भधितीय अथाव्यवस्थध, समय की मधाँग, युवध प्रनतभध को निखििे कध मौकध

12

आपके ववदयधिय कध पस् ु तकधिय ववलभन्ि प्रकधि की पस् ु तकों से भिध हुआ है पिं तु दहन्र्दी पत्र-पत्रत्रकधओं कध अभधव है । दहन्र्दी की पत्र-पत्रत्रकधओं व उच्चकोदट कध सधदहत्य

5

मंगवधिे के लिए ववदयधिय के प्रर्धिधचधया को पत्र लिखखए अथवध आपके इिधके के पधका में कई अिधधर्कृत खोंमचे वधिो िे डेिध बसध लियध है उन्हे हटधिे के लिए िगि निगम के अधर्कधिी को पत्र लिखखए। 13

आप अपिे ववदयधिय के सधचव है व ववदयधिय में दर्दवधिी मेिध आयोजित कििध चधहते हैं। उससे संबंधर्त छधत्रों के लिए 25-30 शब्र्दों में सूचिध लिखखए।

5

अथवध

आप अपिे इिधके के गिीब बच्चों को प्रत्येक शनिवधि िवववधि निशुल्क पढ़धिध चधहते 14

हैं। उससे संबंधर्त सूचिध िधिी कीजिए

ग्यधहिवीं कक्षध में ववषयों के चयि से संबंधर्त मधाँ व पुत्री के बीच िगभग 50 शब्र्दों में संवधर्द लिखखए।

5

अथवध सड़को पि फैिी गंर्दगी के प्रनत धचंतध व्यतत किते हुए र्दो छधत्रों के बीच िगभग 50 शब्र्दों में संवधर्द लिखखए। 15

आप अपिध पिु धिध कम्प्टूयि बेचिध चधहते है उससे संबंधर्त 25-50 शब्र्दों कध ववज्ञधपि तैयधि कीजिए।

अथवध

5

आप अपिी बहि के लिए एक स्कूटि खिीर्दिध चधहते हैं । उससे संबंधर्त 25-50 शब्र्दों कध ववज्ञधपि तैयधि कीजिए।

प्रतिदर्श उत्तर िालिका

सत्ाांि परीक्षा - 2017-18 हिन्दी- ‘ब’ कक्षा दसव ां

समय 3 घंटे

अधिकतम अंकः 80

खांड – ‘क’ 1

अपहिि अांर्

(i)

दर् ज ु न

अांक-15 2x4, 1x1 =

9

केवल दस ू रों की बुराइयों, दोषों में समय बबाजद, सज्र्न केवल अपने दोषों व

2

आत्मननरीक्षण आत्मा की उन्ननत का सवजश्रेष्ठ सािन, अपने मन की परख मन को

2

कममयों को दे खकर उन्हें सुिारने में प्रयासरत। (ii)

पववत्र करने का उत्तम सािन। यही आत्मबल का पररचय। (iii)

दस ू रों के सामने अपनी गलनतयों को नर्र अंदार् करके उन्हे छुपाना या अपनी भूल

2

सज्र्न व्यक्तत अपने मन को टटोलते है । गााँिी व कबीर र्ैसे सज्र्न व्यक्तत सबसे

2

न मानना न स्वयं को दोषी स्वीकार करना सबसे बडी कायरता। (iv)

पहले स्वयं को परखते थे। सज्र्न व्यक्तत को लगता है कक अभी भी शायद उनमें कोई कमी रह गई है । (v)

“बुरा र्ो दे खन मैं चला, बुरा न ममलया कोय”

2

अपठठत काव्यांश

(i)

कवव का उन लोगों का प्रणाम र्ो अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सके। यद्वप

1 2X3=6 2

उन्होंने अपनी ओर से परू ा प्रयास ककया था, पर पररक्स्थनतवश उन्हे इक्छछत लक्ष्य की प्राक्प्त न हो सकी। यह बात दे श को स्वतंत्र करवाने के संदभज में कही गई। (ii)

छोटी सी नैया से कवव का आशय है सीममत सािनों के बलबूते पर उन लोगों ने

2

सागर को पार करने की ठानी थी। यह सागर अंग्रेर्ी साम्राज्य था, दे शभतत उससे सीममत सािनों के बलबूते पर टतकर लेना चाह रहे थे। (iii)

र्ो व्यक्तत अपने लक्ष्य को पाने में असफल रहे अब वे अंग्रेर्ो द्वारा पकडे र्ाने पर

2

फााँसी के फंदे पर झूल गए। कुछ ठदन बीतने के बाद दनु नया उनको भूल गई, हााँ कवव को उनका स्मरण अवश्य है ।

खांड – ख 3 क)

वणों के मेल से बना स्वतंत्र साथजक ध्वनन समूह ‘शब्द’ कहलाता है । र्ब वही शब्द व्याकरणणय ननयमों के अनस ु ार वातय में प्रयत ु त होते हैं तब वही शब्द पद बन र्ाता है ।

2

ख) (i)

सरल – उनके आने पर तुम नछप र्ाना।

3

(ii)

ममश्र - गौरव ने अक्षय से कहा कक वह भी नेपाल चले

(iii)

संयुतत - वह पढ़ता भी है और काम भी करता है ।

4. (क)

कलाकुशल - त्तपुरूष समास

½ x4=2

संसाररूपी सागर – कमजिारय

½ x4=2

यथासंभव-अव्ययी भाव समास ख) 5 (क) (i)

सात सौ दोहों का समाहार – द्ववगु समास मुझे गरम दि ू का एक धगलास दीक्र्ए।

(ii)

दे श के सारे नागररक कतजव्य ननष्ठ है ।

(iii)

रोगी मोहन को सेब काटकर णखलाओ

(iv)

दे श शहीदों का सदा आभारी रहे गा।

5 (ख) (i) (ii)

मुहावरा – आटे दाल का भाव मालूम होना या अन्य कोई उपयुतत मुहावरा

4

1

एक ही बात को बार-बार कहना व उपयत ु त वातय

1

गााँिी र्ी के नेतत्ृ व में लाखों लोग एकर्ुट, अंग्रेर्ी शासन की नीद हराम, अनेक

2

समार् में व्याप्त भ्रष्टाचार, उछच वगज का दबदबा, अक्स्थरता, भाई भतीर्ावाद व

2

खांड – ‘ग’

6 (i)

आंदोलन, र्न सािारण ने बढ़-चढ़कर गााँिी र्ी का साथ ठदया। (ii)

लोगों का अवसरवादी होना। (iii) 7

वामीरो के मिरु गीत से ताँतारा की तंद्रा टूटी।

बडे भाई साहब का चररत्र – छोटे भाई के प्रनत ववशेष स्नेह, स्वयं की इछछाओं पर ननयत्रंण, र्ीवन की समझ स्वयं को छोटे भाई के मलए आदशज बनाने का प्रयास अनश ु ामसत।

8 (i)

5

अथवा

वर्ीर अली, साहसी, क्रोिी/गस् ु सैल, न्यायवप्रय अनश ु ामसत, र्ााँबार् वीर बद् ु धिमान

ववपरीत पररक्स्थनतयों में र्ीवों द्वारा आपसी वैर भुलाकर ममल-र्ुलकर रहने के संदेश

2

कववता में प्रकृनत को मनुष्य की भााँनत कक्पपत ककया है । पहाड द्वारा तालाब के

2

र्ैसे र्ंगल के पशुओं द्वारा ग्रीष्म ऋतु में सरोवर के पास एक रहने का उदाहरण। (ii)

1

दपजण में आपसी सूरत ननहारना, झरनों को मोती स्वरूप, पेडो का भय से िंसना बादलों व बबर्ली का रथ पर सवार होना इत्याठद। (iii)

सहायक न ममलने पर भी कवव का बल व पौरूष कायम रहना चाठहए व संघषज करने

1

की शक्तत होना चाठहए। 9

मनष्ु यता कववता का संदेश

5

सवजस्व परोपकार के मलए न्यौछावर हमारा मन, कमज, वचन में उदारता परठहत सवोपरर, आपसी भेद-भाव व द्वेष भाव ममटाकर एक हो र्ाने का संदेश, िन का लालच नहीं करना चाठहए, मानव सेवा ही ईश्वर पर् ू ा का संदेश अथवा

दे श की रक्षा करना सबसे बडा िमज व कतजव्य, दे श के मान के मलए सर कटवाने को भी तैयार, रावण रूपी शत्रओ ु ं का नाश, इतना आत्मबल हो कक दश्ु मन की चाल का 10

माँह ु तोड र्वाब दे ने में सक्षम

आिनु नक युग ररश्ते भावनाओं की सीमाओं से परे केवल िन-दौलत पर

5

आिाररत, हररहर काका अपनी मर्ी से चाहे सब कुछ अपने भाइयों को ही दे ते लेककन भाइयों के लालच व आतुर स्वभाव के कारण उनकी असमलयत सामने आ

गई, महं त यूं तो िमज का ठे केदार परं तु वह भी लालच के कारण इंसाननयत की सारी

हदों कों पार कर गया। हररहर काका को न तो अपनों से प्यार ममला व दस ू रों से हमददी। आर् के ररश्ते केवल ठदखावे के मलए व अंदर से खोखले। अथवा टोपी की ममत्रता एक अन्य िमज के लडके से, उसकी दादी से उसे अपनापन महसूस होता था। वह ज्यादा से ज्यादा समय अपने ममत्र की दादी के साथ बबताना चाहता

था। दादी और पोते के ममत्र के बीच लंबा उम्र का अंतराल परं तु दोनों के मन ममल गए, टोपी को र्ो प्यार अपने घर में न ममलता वह उसे ममत्र,

उसकी दादी व अपने

घर की नौकरानी से पाने की कोमशश करता। खांड – ‘घ’ 11

अनुछछे द लेखन प्रारूप – 1 अंक

5

ववषय वस्तु – 2 अंक भाषा – 1 अंक अंत – 1 अंक 12

औपचाररक पत्र पत्र प्रारूप – 2 अंक

13

ववषय-वस्तु – 3 अंक सच ू ना लेखन

लेखन प्रारूप – 2 अंक ववषय-वस्तु – 3 अंक

5

5

14

संवाद लेखन भाषा शैली – 2 अंक

5

ववषय-वस्तु – 3 अंक 15

ववज्ञापन लेखन प्रारूप – 1 अंक भाषा – 1 अंक ववषय-वस्तु – 3 अंक

5

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